सर्दी के मौसम में पापा ने मेरे दोनों छेद चोद डाले

Hindi Sex Kahani हेलो दोस्तों मैं आप सभी का बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालो से इसकी नियमित पाठिका रही हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी सेक्सी स्टोरीज नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी कहानी सूना रही आशा है की ये आपको बहुत पसंद आएगी। मेरा नाम कोमल है। मैं झांसी की रहने वाली हूँ। मैं बहुत गोरी और जवान लड़की हूँ। मेरा बदन बहुत गोरा और सुडौल है। जिस्म चिकना और दुधिया है। मेरा फिगर कमाल का है बिलकुल फिट। 36, 30, 34 का फिगर है। दोस्तों मैं इतनी हसींन हूँ की अगर कोई लड़का मुझे एक बार देख ले तो चोदकर ही दम ले। मेरी चूत बहुत गुलाबी गुलाबी और मलाई जैसी है। लड़के मेरी चूत के पीछे पड़े है और मुझे चोदना चाहते है। दोस्तों मेरे पापा ने मेरे नाजायज रिश्ते थे। आपको सब बता रही हूँ ये सब कैसे हुआ। मुझे सही सही याद है की दिसम्बर का महीना चल रहा था। मेरे घर में सिर्फ दो ही लोग थे। मैं और पापा घर पर थे। मेरी नानी की तबियत कुछ खराब थी। इसलिए मेरी मम्मी और मेरा भाई हिमेश नानी के घर गये हुए थे। कुछ दिनों से धूप ने निकलना बंद कर दिया था। सर्दी बहुत हो रही थी। रात के 11 बजे तो और जादा बर्फ जैसी ठंडी ठंडी हवा चलने लगी। मेरे पापा का कमरा मेरे रूम के बगल था। मुझे सर्दी लग रही थी। मोटी रजाई में भी मैं काँप रही थी। धीरे धीरे सर्दी भगाने के लिए मैंने अपना ऊनी लोअर निकाल दिया। और पेंटी भी उतार दी। धीरे धीरे मैं अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। मुझे मजा आने लगा। काफी देर तक मैं अपनी गुलाबी चूत में ऊँगली की। फिर पिच्च पिच्च कर मेरी चूत से पानी निकलने लगा।

अब मैं गर्म महसूस कर रही थी। पर दोस्तों सबसे बड़ी दिक्कत थी की मेरे साथ में रजाई में कोई नही था। बार बार मैं ठंडी पड़ जाती थी। फिर मैं पापा के कमरे में चली गयी और उनकी रजाई में घुस गयी। वो जान नही पाये। मैंने देखा की पापा नीचे से पूरी तरह से नंगे है और उनका लंड 6″ लम्बा है और 2″ मोटा है। मैं पापा से चिपक कर लेट गयी। धीरे धीरे मेरे हाथ में उनका लंड आ गया तो मैं फेटने लगी। पापा जान नही पाए। मैं जल्दी जल्दी फेट रही थी। इतना मोटा लंड था की मेरे हाथ में मुश्किल से आ पा रहा था। मैं जल्दी जल्दी फेट रही थी। फिर मैं रजाई के अंदर ही घुस गयी और अपने पापा का लंड चूसने लगी। 15 मिनट की मेहनत के बाद पापा का लंड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया। तभी उनकी आँख खुल गयी। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और सीने से लगा लिया।
“पापा !! प्लीस मुझे आज चोद दो। मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है” मैंने रिक्वेस्ट की
मेरे पापा हसने लगे।
“कोमल बेटी बोल तू पापा की प्यारी रंडी बनेगी????” उन्होंने पूछा
“हाँ पापा आज मैं आपकी प्यारी रंडी बनूंगा। प्लीससस.आज मुझे चोद चोदकर मेरी फाड़ दो और मेरी सर्दी दूर कर दो। मुझे बहुत सर्दी लग रही है” मैंने कहा।
उसके बाद दोस्तों पापा शुरू हो गये। उन्होंने मुझे लिटा दिया और मेरे उपर चढ़ गये। वो मेरे होठ चूसने लगे। हम दोनों गरमा गर्म चुम्बन कर रहे थे। मैं भी मुंह चला चलाकर पापा के होठ चूस रही थी। मेरी चूत अब बहने लगी थी और तर हो गयी थी। फिर पापा ने मेरा स्वेटर और बाकी कपड़े निकालकर मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया। और मेरे बूब्स दबाने लगे। वो मेरे उपर लेट गये और किस करने लगे। फिर मेरे नंगे बूब्स पर वो हाथ घुमाने लगे। मैं “उ उ उ उ ऊऊऊ ..ऊँ-ऊँ.ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी. हा हा हा.. ओ हो हो..” की आवाज निकाल रही थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अजीब सा नशा छा रहा था।

यह कहानी भी पड़े  वर्जिन लड़के-लड़की की सुहागरात की कहानी

पापा मेरे दूध की निपल्स को गोल गोल अपनी ऊँगली से घुमा रहे थे। मुझे बहुत सनसनी महसूस हो रही थी। बहुत अच्छा लग रहा था। फिर वो मेरे मम्मो को तेज तेज दाबने लगे। मैं जन्नत का मजा लेने लगी। उफ्फ्फ्फ़!! कितना मजा मिल रहा था मुझे। पापा तेज तेज मेरे टमाटरो को दबा रहे थे जैसी मैं बेटी नही बीबी हूँ। पापा की आँखें मेरी नंगी छातियां देखकर चमक उठी थी। साफ़ था की आज वो मेरे दोनों छेद को कसके चोदना चाहते थे। फिर वो मेरे बूब्स को मुंह में भरके चूसने लगे। मेरे 36″ के बड़े और विशाल बूब्स तो उनके मुंह में नही जा रहे थे। फिर भी पापा चूस रहे थे। वो तेज तेज अपना मुंह चला रहे थे। मेरी भरी और रसीली छातियों का सारा रस आज वो पी लेना चाहते थे। उनके हाथ बार बार मेरी दोनों छातियों पर नाच रहे थे। मेरी चूत गीली हो गयी थी। मैं अपने हाथ से अपनी चूत सहला रही थी। पापा के दांत मेरे मुलायम और नर्म मम्मो में चुभ जाते थे। मैं “…उई. .उई..उई…माँ..ओह्ह्ह्ह माँ..अहह्ह्ह्हह.पापा जी आराम से। सारी रात पड़ी है जल्दी क्या है!!” कह रही थी।
आधे घंटे तक उन्होंने मेरी दोनों चूचियों को चूसा और भरपूर मजा लिया। मेरे मम्मे अब तनकर और टाईट हो गये थे। नारियल जैसे वो दिख रहे थे। बहुत ही सेक्सी और बहुत ही हॉट। पापा का मुंह भी मेरे दूध से नही हटा था। मैं चुदने को रेडी थी। सर्दी के मौसम में हम बाप बेटी ऐश कर रहे थे।
“कोमल बेटी इस राज को सिर्फ मेरे और अपने बीच में ही रखना। किसी और को इसके बारे में पता ना चले। तेरी मम्मी को भी नही वरना वो मेरी गांड मार देगी” पापा बोले
“मैं किसी से इसके बारे में नही बताउंगी। आप बेफिक्र होकर मुझे चोदिये पापा जी” मैंने कहा. फिर उन्होंने रजाई हटा दी। फिर पापा ने मेरे हाथ में अपना 6″ का लौड़ा दे दिया था।
“बेटी!! चल फेट इसे!!” पापा बोले तो मैं जल्दी जल्दी उनके लंड को फेटने लगी। ओह्ह्ह कितना शानदार लंड था उनका। कितना बड़ा, कितना मोटा और कितना शानदार। फिर मैं जल्दी जल्दी उनके लौड़े को उपर नीचे करके फेटने लगे। पापा मेरे बगल ही बेड पर लेट गये थे। वो मेरी लटकती हुई चूचियों से छेड़खानी कर रहे थे। मुझे भी अब सेक्स और हवस का नशा चढ़ चुका था। आज मैं भी आज रात को पापा का मोटा लंड खाना चाहती थी और कसके चुदवाना चाहती थी। मेरे हाथ तो रुकने का नाम ही नही ले रहे थे। मैं जल्दी जल्दी पापा के लौड़े को फेट रही थी। फिर मैं झुककर उनके लौड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी। मुझे अब सेक्स का नशा चढ़ चुका था। इसलिए मैं जल्दी जल्दी पापा का लंड चूस रही थी और मुंह में अंदर लगे तक ले रही थी। पापा को भी खूब मजा मिल रहा था। मेरे हाथ तो रुकने का नाम ही नही ले रहे थे। मैं जल्दी जल्दी पापा का लंड गोल गोल आकार में फेट रही थी। मुझे अजीब सा नशा चढ़ गया था। फिर मैंने 10 मिनट तक पापा की दोनों गोलियां चूसी। पापा ने मेरे पैर खोल दिए। मेरी चूत गीली होकर डबडबा गयी थी। पापा ने मेरे चूत के माल को ऊँगली में लगा लिया और सब चाट गये।

यह कहानी भी पड़े  मैने पहले प्यार से चुदाई लिया

फिर उन्होंने मेरी चूत में अपना 6″ का लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगा। ओह्ह्ह इतना बड़ा लौड़ा था की लगा की कोई बल्ली मेरी चूत में घुस गयी थी। मैंने अपने दोनों पैर खोल दिए। पापा ने मेरे पैर को अपने कंधों पर रख दिया और मुझे धचाक धचाक चोदने लगे। मुझे मजा आने लगा। कुछ देर बाद उनका लंड सट सट मेरी चुद्दी में जाने लगा और उसे फाड़ने लगा। मुझे बहुत मीठा अहसास हो रहा था। मुझे सेक्स का नशा अब चढ़ रहा था। फिर पापा जी हौंक हौंक पर मेरी चूत में फटके मारने लगे।सर्दी में मुझे पसीना आ रहा था। सर्दी में मैं चुदाई का मजा लेकर गर्म हो रही थी। मैं बार बार बिस्तर पर २ इंच आगे खिसक जाती थी। मैं “..मम्मी.मम्मी…सी सी सी सी.. हा हा हा …ऊऊऊ ..ऊँ. .ऊँ.ऊँ.उनहूँ उनहूँ..” की आवाज निकाल रही थी। मैं कसके चुद रही थी। पापा हूँ हूँ -हूँ की आवाज निकालकर मेरी बुर फाड़ रहे थे। बुर का भोसड़ा बना रहे थे। मैंने आँखें बंद कर ली थी। आधे घंटे पापा ने मेरी चूत फाड़ी फिर मेरे मुंह में माल झार दिया। मैं सब माल पी गयी। पापा हां हां करके हाफ़ने लगे। क्यूंकि मुझे चोदने में उनकी सारी ताकत खर्च हो गयी थी। अब वो मेरे बगल लेट गये थे और सुस्ता रहे थे।

कुछ देर बाद वो मुझे फिर से बजाने लगे। पापा ने 20 मिनट बाद अपना माल मेरी चुद्दी में ही छोड़ दिया। दोस्तों सर्दी के मौसम में हम लोग पसीने से भीग चुके थे। पापा ने मुझे अपनी सीने पर लिटा लिया और रजाई ओठ ली। वो मुझे होठो पर किस कर रहे थे। नंगे नंगे हम दोनों को नींद आ गयी थी। अब मुझे काफी गर्मी महसूस हो रही थी। उधर पापा को भी मेरे जिस्म की गर्मी मिल रही थी। हम दोनों सो गये। सुबह मेरी आँख 6 बजे खुली। मैं पापा को किस करने लगी। फिर से उनका लंड चूसने लगी। दोस्तों कुछ देर बाद पापा जग गये। उन्होंने फिर सुबह सुबह की कुतिया बनाकर मेरी गांड कसके चोद डाली।

error: Content is protected !!