वर्जिन स्टूडेंट की ट्रेन में चुदाई

ही रीडर्स, मैं थोर अपनी अगली सेक्स स्टोरी के साथ आप सब के सामने हाज़िर हू. ये दिनेश और उसकी स्टूडेंट की चुदाई का अगला पार्ट है. उमीद है आपने पिछला पार्ट पढ़ा होगा. जिन्होने भी अभी तक पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो पहले उसको ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की दिनेश ने जब अपनी स्टूडेंट को रंगे हाथ किसी का लंड चूस्टे पकड़ा, तो वो उसकी मिन्नटें करने लगी की वो उसके घर पर ये बात ना बताए. वो लड़की कुछ भी करने को तैयार थी. फिर दिनेश ने ट्रेन के बातरूम में उसको अपना लंड चुस्वाया. अब आयेज की कहानी दिनेश की ज़ुबानी-

मैं अपने माल की पिचकारी उस लड़की के मूह पर निकाल चुका था. फिर वो लड़की खड़ी हुई, और वॉशबेसिन में अपना मूह ढोने लगी. उसने पानी मूह में लेके कुल्ला भी किया. उसके बाद उसने रुमाल से अपना मूह सॉफ कर लिया और बोली-

लड़की: सिर अब तो आप किसी को नही बताएँगे ना?

अब तक मेरे शेर (लंड) के मूह में लहू लग चुका था, तो मैने उसको कहा-

मैं: बेबी अभी काम पूरा कहा हुआ है?

लड़की: क्या मतलब सिर? मैने चूस तो दिया आपका लंड, और आपका माल भी निकल गया.

मैं: बेबी लंड तो तुमने अपनी मर्ज़ी से चूस दिया. मुझसे तो पूछा ही नही की मैं क्या चाहता हू.

लड़की: तो फिर आप क्या चाहते है सिर?

मैने उसकी गांद पर जीन्स के उपर से हाथ फेरा, और बोला: बेबी मैं तो इस लंड को तुम्हारे अंदर डालना चाहता हू.

लड़की: नही सिर, मैं ये नही कर सकती. मैने आज तक किसी का लंड अपने अंदर नही लिया है.

मैं: फिर तो बढ़िया है. आज इस चलती ट्रेन में तुम्हारा टीचर तुम्हारी पहली चुदाई का लेक्चर लेगा.

लड़की: सिर मैने चूस तो दिया आपका. अब आप ऐसे ना करो.

मैं: देख सीधी सी बात है. मैं कोई ज़बरदस्ती तो करने नही वाला तेरे साथ. तेरी मर्ज़ी है तो ठीक. नही है तो जो मेरा दिल करेगा मैं भी वही करूँगा. मुझे क्या करना है, बस एक कॉल ही तो करना है. चल बता अब देगी या नही?

वो लड़की कुछ नही बोल रही थी. बोलती भी कैसे, मैने उसकी बोलती जो बंद कर दी थी. उसकी चुप्पी को मैने हा मानते हुए उसकी कमर में हाथ डाला, और उसको अपनी तरफ खींच लिया. अब वो मेरे साथ चिपकी हुई थी. फिर मैने उसका एक हाथ अपने लंड पर रख कर उसको सहलाने को कहा. वो मेरे लंड को आयेज-पीछे करने लगी.

मैने फिर अपने होंठ उसके होंठो से चिपका दिए, और उसके होंठो का रस्स पीने लगा. बड़ा स्वाद होता है जवान लड़कियों के होंठो में. बड़ा मज़ा आ रहा था. उसके सॉफ्ट हाथ मेरा लंड सहला रहे थे, और मैं उसके होंठ चूस रहा था.

अपने एक हाथ से मैं उसकी कमर और गांद पर हाथ फेर रहा था, और उसके चूतड़ बीच-बीच में दबा रहा था. उसकी तेज़ होती साँसे ये बता रही थी, की उसको गर्मी चढ़ रही थी. मैं शादी-शुदा हू, तो मुझे आचे से पता है लड़की को गरम कैसे किया जाता है.

अब मेरा लंड खड़ा हो चुका था. फिर मैने उसकी त-शर्ट उतार दी, और उसकी ब्रा के उपर से उसके बूब्स को मूह में भरने लगा. फिर ब्रा भी निकाल दी, और उसके खूबसूरत बूब्स मेरे सामने आ गये. मैने उसके दोनो बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया. फिर जब उसके बूब्स लाल हो गये, तो मैने उनको चूसना शुरू कर दिया. इससे वो पागल होने लगी गर्मी से.

फिर मैं नीचे बैठ गया, और उसकी नाभि चूस्टे हुए उसकी जीन्स खोलने लगा. मैने उसकी जीन्स और पनटी एक साथ नीचे करके उसको पूरा नंगा कर दिया. उसकी छूट पर ज़्यादा बाल नही थी, और छूट बिल्कुल अनचुई थी.

मैने देखते ही उसकी छूट पर मूह लगा लिया. उसकी छूट पहले से गीली थी. वो इतनी गरमा हुई पड़ी थी, की जैसे ही मैने चाटना शुरू किया, उसकी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया. मैने उसका सारा पानी पी लिया, और उसकी छूट चाट कर सॉफ कर दी. अब मुझे उसको जल्दी से छोड़ना था.

मैने उसको घुमा कर उसका फेस दीवार की तरफ किया. फिर उसको झुका कर उसके हाथ वॉशबेसिन पर रखवाए. अब वो खड़ी हुई घोड़ी की पोज़िशन में थी. फिर मैं तोड़ा नीचे हुआ, और हाथ में लंड लेके पीछे से उसकी छूट पर रगड़ने लगा. वो मदहोशी में आ आ कर रही थी.

जैसे ही लंड का टोपा छूट के मूह पर अटका, मैने उपर की तरफ धक्का मारा. पहले धक्के में मेरा लंड उसकी छूट फाड़ता हुआ अंदर चला गया, लेकिन पूरा नही गया. उसने चीख मारी तो मैने उसका मूह अपने हाथ से बंद कर दिया.

अब मैं लंड पर दबाव बनता गया, और 5-7 सेकेंड में मेरा पूरा लंड उसकी छूट में चला गया. वो दर्द से काँप रही थी, लेकिन मैं उसकी टाइट छूट वाले स्वर्ग के अंदर था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर उसके दर्द की परवाह ना करते हुए मैने उसकी छूट चुदाई शुरू कर दी.

उसकी नरम गांद पर जब भी मेरी जांघें टच होती, तो ज़बरदस्त फीलिंग आती. धीरे-धीरे उसकी छूट में मेरा लंड अड्जस्ट हो गया, और उसका दर्द कम हुआ और मज़ा बढ़ गया. अब उसकी मोनिंग मज़े वाली थी.

ये देख कर मैने अपनी स्पीड तेज़ कर दी, और ज़ोर से उसको छोड़ने लगा. अब वो भी पुर फ्लो में आ गयी, और मुझे ज़ोर-ज़ोर से करने को बोलने लगी. दोस्तों चलती ट्रेन में चुदाई का मज़ा क्या होता है, ये वही जान सकता है जिसने ये किया हो. स्वर्ग होता है पूरा.

अब मैं तेज़-तेज़ धक्के मार कर उसको छोड़ने लगा. ठप-ठप की आवाज़ आ रही थी, लेकिन ट्रेन के साउंड में ज़्यादा पता नही चल रही थी. कुछ देर बाद मैने लंड उसकी छूट से निकाल कर उसको घुमा लिया. उसने घूमते ही मेरे होंठो से अपने होंठ चिपका दिए.

फिर मैने उसको गांद से पकड़ कर उसकी गांद वॉशबेसिन पर टिकाई, और उसकी छूट में लंड डाल दिया. अब मैं उसको घापघाप छोड़ने लगा. वो वाइल्ड तरीके से मेरे होंठ चूस रही थी. मैं बीच-बीच में उसके बूब्स भी चूस रहा था.

15 मिनिट बाद मेरा निकालने वाला था. मैने उसको बिना पूछे अपना माल उसकी छूट में निकाल दिया, ये सोच कर, की जाईपुर पहुँच कर उसको ई-पिल खिला दूँगा. फिर हम दोनो शांत हो गये. उसने चूस कर मेरा लंड सॉफ कर दिया. उसके बाद हम कपड़े पहन कर अपनी-अपनी जगह चले गये.

ये सिलसिला यहाँ ख़तम नही हुआ. जाईपुर में जीतने दिन हम रहे, हर रात उस लड़की ने मेरा बिस्तर गरम किया. वापस आने तक वो एक रंडी बन चुकी थी. जो भी मेरे टीचर दोस्त है, वो किसी एक स्टूडेंट को ज़रूर छोड़ना. बहुत मज़ा आएगा.

तो दोस्तों ये चुदाई कहानी यहाँ ख़तम होती है.

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