जब उसकी नज़र मेरे लंड पर पड़ी.. तो वो उसे घूर कर देखने लगी।
दो-तीन मिनट मेरे लंड को देखने के बाद उसने मुझे आवाज़ लगाई.. पर जब मैं नहीं जगा.. तो उसको यकीन हो गया कि मैं सो रहा हूँ।
उसने मेरे लंड को हाथ में ले कर सहलाना शुरू कर दिया। मेरा मन तो कर रहा था कि इसको अभी बिस्तर पर पटक कर इसकी जबरदस्त चुदाई कर दूँ.. पर मैं उसको और तड़पाना चाहता था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कुछ मिनट तक लण्ड हिलाने के बाद जब मुझे लगा कि मेरा माल निकल जाएगा.. तो मैंने करवट बदल ली.. जिससे मेरा लंड उसके हाथ से छूट गया और वो जल्दी से बिस्तर से हट कर अपने काम में लग गई।
थोड़ी देर बाद मैं उठा और फ्रेश हो कर बाहर गया।
रामा रसोई में काम कर रही थी.. तो मैंने उसको देखते हुए बोला- अरे तुम कब आईं?
तो वो बोली- मैं तो आधे घंटे पहले आ गई थी.. पर आप सो रहे थे.. तो मैंने आपको नहीं उठाया।
तो मैंने बोला- ओके.. मेरे लिए कॉफ़ी बना दो।
मैं बैठक में जा कर न्यूज़ पेपर पढ़ने लगा।
थोड़ी देर में वो कॉफ़ी ले कर आ गई। कॉफ़ी देकर वो जाने लगी.. तो मैं बोला- यहीं बैठ जाओ.. आज ज़्यादा काम नहीं है.. सब लोग शाम तक ही आएँगे।
तो वो मेरे पास बैठ गई और बात करने लगी।
वो बोली- दिल्ली कैसा शहर है?
मैंने कहा- हमारे शहर से बहुत बड़ा है।
वो बोली- यहाँ आप किस चीज़ की पढ़ाई कर रहे हो?
मैंने कहा- मैं यहाँ से MBA कर रहा हूँ।
वो चुप हो गई..
मैंने उससे पूछा- तुम्हारे बच्चे स्कूल जाते हैं?
रामा- नहीं बाबू.. पति के मरने के बाद बड़ी बेटी का स्कूल छुड़ा दिया और उसको भी घरों में काम पर लगवा दिया। छोटी बेटी स्कूल जाती है.. पर सोच रही हूँ उसको भी कहीं काम पर लगवा दूँ..
मैं- क्यूँ रामा.. बड़ी बेटी का भी स्कूल छुड़ा दिया.. अब छोटी का भी छुड़ाना चाहती हो?
रामा- हाँ बाबू.. स्कूल का खर्चा बहुत हो जाता है।
मैं- कोई बात नहीं रामा.. छोटी बेटी को स्कूल भेजना चालू रखो.. मैं घर पर बात करके तुम्हारी पगार बढ़वा दूँगा।
रामा- अगर ऐसा हो जाए.. तो मैं आपका एहसान कभी नहीं भूलूंगी बाबू..
मैं- इसमे एहसान कैसा रामा.. ये बताओ पति की याद तो आती ही होगी?
रामा- क्या बताऊँ बाबू.. पति की कमी तो महसूस होती ही है..
और इतना बोलते ही वो रोने लगी।
मैंने उठ कर उसको कंधे से पकड़ कर खड़ा कर दिया और चुप कराने के बहाने उसकी पीठ और कमर पर हाथ फेरने लगा।
जब उसने कोई विरोध नहीं किया.. तो मैं अपना एक हाथ उसके चूतड़ों पर ले गया और एक हाथ से चूतड़ और दूसरे से उसकी पीठ सहलाने लगा।
वो बोली- बाबू आप आप बहुत भले हो.. आप मेरी पगार भी बढ़वा रहे हो।
मैंने सोचा कि अब ये जाल में फंस गई है.. और मैंने उसके चूतड़ दबा कर कहा- तुम भी बहुत अच्छी हो।
वो बोली- बाबू आप वहाँ से हाथ हटा लो.. मुझे अच्छा नहीं लग रहा।
मैंने कहा- मुझे तो अच्छा लग रहा है।
वो बोली- आप भी ना.. बड़े बदमाश हो।
मैंने अपना हाथ पीठ से हटा कर उसकी बाईं चूची पर रख दिया और चूची को दबा दिया.. तो वो अचानक से सिसकार उठी।