विधवा भाभी की चुदाई-1

मैने कहा, अब रहने दो ना, भाभी।

वो बोली, क्या मालिश करने से कुछ आराम नहीं मिला।

मैने कहा, बहुत आराम मिला है। वो बोली, फिर क्यों मना कर रहे हो।

मैने कहा, ठीक है, तुम केवल मेरे पैर की ही मालिश कर दो।

वो खुश हो गयी। उन्होने मेरे पैर की मालिश शुरु कर दी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। इस बार मेरा नेकर थोड़ा पीछे की तरफ़ खिसक गया था जिस से भाभी को मेरा लण्ड इस बार कुछ ज्यादा ही दिखायी दे रहा था। भाभी मेरे लण्ड को देखते हुये मेरे पैरों की मालिश करती रही। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे लण्ड को देख कर वो भी जोश मे अने लगी थी।

थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं जब तेरे पैर की मालिश करती हूं तो तुझे क्या हो जाता है। मैं कहा, कुछ भी तो नहीं हुआ है मुझे। उन्होने मेरे लण्ड पर हलकी सी चपत लगते हुये कहा, फिर ये क्या है।

मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो मुझे गुदगुदी सी होने लगती है, इसी लिये तो मैं मना कर रहा था।

उन्होने जोश मे भर कर मेरे लण्ड पर फिर से चपत लगते हुये कहा, इसे काबू में रखा कर।

मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो ये मेरे काबू में नहीं रहता।

वो बोली, तुम भी अपने भैया की तरह ही हो। मैं जब उनके पैर की मालिश करती थी तो वो भी इसे काबू में नहीं रख पाते थे।

मैने मजाक करते हुये कहा, फिर वो क्या करते थे।

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वो बोली, बदमाश कहीं का।

मैने कहा, बताओ ना भाभी, फिर वो क्या करते थे। भाभी शरमाते हुये बोली, वही जो सभी मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं।

मैने कहा, तब तो तुम्हें भैया के पैरों की मालिश नहीं करनी चाहिये थी। उन्होने पूछा, क्यों। मैने कहा, आखिर बाद में परेशानी भी तुम्हें ही उठानी पड़ती थी। वो बोली, परेशानी किस बात की, आखिर मेरा मन भी तो करता था।

मैने कहा, मेरा भी मन भी काबू में नहीं है, अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं।

वो बोली, शादी कर लो।

मैने कहा, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता।

उन्होने मुस्कराते हुये कहा, फिर बाथरूम में जा कर मुठ मार लो।

मैने अनजान बनते हुये पूछा, वो क्या होता है।

वो बोली, क्या सच में तुझे नहीं मालूम है कि मुठ मारना किसे कहते हैं।

मैने कहा, नहीं।

उन्होने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा, इसे अपने हाथ में पकड़ कर अपना हाथ तेजी से आगे पीछे करना। थोड़ी ही देर में इस में से ज्यूस निकल जायेगा और ये शान्त हो जायेगा।

मैने कहा, तुम मुझे थोड़ा सा कर के बता दो।
भाभी जोश में तो आ ही चुकी थी। वो बोली, तू बहुत ही बदमाश है। अपने लण्ड को बाहर निकाल, मैं बता देती हूं की कैसे करना है। मैने कहा, तुम खुद ही लण्ड को बाहर निकाल कर बताओ की कैसे करना है। उन्होने शरमाते हुये मेरे लण्ड को पकड़ कर नेकर से बाहर निकाल लिया। जैसे ही मेरा 9″ लम्बा लण्ड बाहर आया तो वो बोली, बाप रे, तेरा तो बहुत ही लम्बा है और मोटा भी।

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मैने पूछा, अच्छा नहीं है क्या।

वो शरमाते हुये बोली, बहुत ही अच्छा है। मैने पूछा, भैया का कैसा था। वो बोली, उनका भी अच्छा था लेकिन तेरे जैसा लम्बा और मोटा नहीं था। मैने कहा, अब बताओ की कैसे करना है। उन्होने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपना हाथ आगे पीछे करना शुरु कर दिया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा। वो भी जोश में आने लगी।

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