अंकल ने मेरी मम्मी को पटाया

हेलो रीडर्स मई अजय एक बार फिर आपकी सेवा मे हाजिर हुआ हूँ. दोस्तो मई आपको बताना चाहूँगा की मेरी कहानी पढ़ने के लिए लोग तरस रहे है.

मेरे रीडर्स के लंड और छूट मे इतनी खुजली हो रही है की वो मेरी कहानी पढ़ने के लिए पागल हो रहे है. मुझे बहुत सारे मैल आए है की मई मेरी कहानी ” पड़ोसी धर्म, या चुदाई धर्म” का नेक्स्ट पार्ट पोस्ट करू.

दरअसल मेरी ये कहानी पिछले 4 सालो से अधूरी है. और आज मुझे मोका मिला है की मई इश्स कहानी को आयेज बढ़ौं. दोस्तो ये कहानी बहुत ही मजेदार है. इश्स कहानी के नेक्स्ट पार्ट के लिए लोग मुझसे रिक्वेस्ट कर रहे है. आज मई मून सब की मुराद पूरी करने आया हूँ. दोस्तो प्लीज़ इश्स कहानी का पार्ट – 1 और 2 पढ़ लेना तभी आयेज की कहानी पार्ट-3 मे आपको मज़ा आएगा.

मुझे पता है रफ़ीक अंकल की नज़र मेरी मम्मी पर है. इसीलिए रफ़ीक अंकल मेरी मम्मी के पास आने का मोका देखता था. लेकिन सच कूहु तो रफ़ीक अंकल दिल के बहुत आचे है. रफ़ीक अंकल मम्मी से बहुत क्लोज़ होना चाहता है. इसलिए रफ़ीक अंकल हर वक्त मम्मी से बात करने का बहाना ढूँढ ही लेता था. और अब तो मम्मी भी अंकल के साथ कुछ जाड़ा ही फ्रेंड्ली हो गयी थी.

पहले मम्मी का बिहेव बिल्कुल ऐसा नही था. अब मम्मी का बिहेव एकद्ूम कूल रहता है और फेस पर हल्की स्माइल. सद्दाम को इतना प्यार और देखभाल करती है जैसे की सद्दाम उनकी ही औलाद हो. रफ़ीक अंकल मुझपर भी बहुत धान रखते है बिल्कुल पापा की तरह इसीलिए मई रफ़ीक अंकल पर चाह कर भी गुस्सा नही कर पाया.

पापा को कुछ कम से गाँव जाना पड़ा. आंड उन्ही दीनो मे मम्मी सुड़दाम के साथ बेती थी. और सद्दाम को बोली…

मम्मी – पापा कहा है, पापा को फोन करके बोलो मुम्मा बुला रही है आपको…

अब मुझे ये समझ नही आया की मम्मी किसके बारे मे बात कर रही. सद्दाम के पापा के बारे मे बात कर रही है या मेरे पापा के बारे मे. मम्मी फोन स्पीकर पर कर फोन सद्दाम को दे डियी.

सामने से जबाब आया – हेलो…

ये आवाज़ रफ़ीक अंकल की है और मम्मी रफ़ीक अंकल के बारे मे सद्दाम को बोल रही थी.

सद्दाम – हेलो पापा.

मम्मी धीरे धीरे हंस रही थी.

अंकल – अरे मेरा बेटा……

सद्दाम – आप कब तक घर आओगे? मुम्मा आपको बुला रही है.

सद्दाम की बात पर मम्मी हासणे लगी.

अंकल – बेटा अपनी मुम्मा से कहना पापा थोड़ी देर मे आ रहे है…

मम्मी हंस रही थी जैसे की मेरे पापा से बात कर रही हू. फिर मम्मी ने सद्दाम से फोन लेकर खुद बात करने लगी.

मम्मी – (स्माइल करती हुई) हेलो…

अंकल – ओह हुकाँ मई’म साहिबा

मम्मी – आते वक्त मार्केट से समान लेते आना.

अंकल- आपका हुक्म सिर आँखो पर….

ये सुनकर मम्मी हासणे लगी.

मम्मी अंकल को ग्रोसरी के समान लाने बोली. आज से पहले मम्मी पापा को भी कभी कुछ लाने के लिए नही बोली होगी. अब कुछ भी लाना होता है तो अंकल को बता देती है. अंकल लाकर दे देते है. एक बार तो अंकल मम्मी और मुझे शॉपिंग करने भी लेकर गये थे.

यूयेसेस दिन मम्मी ने ब्रॅंडेड घाघरा चोली और एक सारी खरीदी. और मेरे लिए भी कुछ कपड़े खरीदे. सारा बिल अंकल ही पे किए. दरअसल मम्मी ने तो माना की थी. लेकिन अंकल मम्मी का यार बनाने की कोसिस मे लगा है इसीलिए जिद्ड़ करके मम्मी को शॉपिंग करा दिया. और ये बात घर मे पापा को भी नही पता है. क्यूँ मम्मी मुझे बताने के लिए माना की थी.

ईव्निंग मे अंकल घर आए. अंकल मेरे और सद्दाम के साथ आकर टीवी देखने लगे. थोड़ी देर बाद मम्मी छाई लेकर आई. मम्मी को देखते ही अंकल क फेस पर मुस्कान आ गयी. और मम्मी भी स्माइल कर दी.

दोस्तो मम्मी के बारे मे बताना चाहता हूँ , मम्मी हुमेशा सारी पहनती है. आंड यूयेसेस दिन भी मम्मी सारी पहनी थी. और मॅचिंग बालौज था. हाथो मे चूड़ीयान और माथे पर बिंदी. माँग मे सिंदूर और गले मे मंगलसूत्रा ये सब मम्मी की डेली की ड्रेसिंग होती है.

फिर मम्मी स्माइल करती हुई अंकल को छाई देने लगी. अंकल भी बहुत बड़ा चमड़ी था. अंकल भी छाई लेने के बहाने मम्मी के हाथो को टच कर लिया. मम्मी स्माइल करती हुई..

मम्मी – ले आए समान…

अंकल – हाँ. फिर अंकल मम्मी को समान दिए.

मम्मी समान अंदर ले जाकर रख दी और उसमे से 2 कॅड्बेरी लाकर मुझे और सद्दाम को दे दी.

मम्मी – खाना खाने आ जाना….

और अंकल को देखती हुई स्माइल करने लगी. अंकल भी बहुत सेक्सी नज़ारो से मम्मी को देखे. उसके बाद मम्मी उठकर अंदर चली गयी. और अंकल थोड़ी देर हुंसे बात किए और फिर निकल गये.

मम्मी किचन मे खाना बना रही थी. खाना बनाने के बाद मम्मी मुझे अंकल को फोन करके बुलाने बोली. और खुद अंदर कमरे मे जाकर सजने सँवारने लगी. इश्स तरह का बदलाब मैने मम्मी के अंदर पहले कभी नही देखा. मम्मी इश्स तरह खुश लग रही थी जैसे की उनकी आज फिर से सुहग्रत हो. लेकिन फिर भी मुझे विस्वास था की मम्मी ऐसा ग़लत कम नही करेगी.

थोड़ी देर बाद अंकल भी आ गये. और हुंसे बाते करने लगे. उसके बाद मम्मी भी बाहर आ गयी. मम्मी को देखकर रफ़ीक अंकल की तो आँखे ही फट गयी थी. क्यून्न की मम्मी बहुत ही ब्यूटिफुल दिख रही थी. मम्मी स्लीव्ले ब्लाउस मे बहुत सेक्सी लग रही थी. और बॅलो मे घजरा मम्मी की खूबसूरती को 4 चाँद लगा रहे थे.

मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे की मम्मी आज अंकल के लिए ही इतना मेकप की है. मम्मी अंकल को कातिल स्माइल की.

मम्मी – बचू,, बेटा खाना ख्हा लो देखो कितना टाइम हो गया है…

फिर मम्मी मुझे और सद्दाम को खाना खिला दी.

मम्मी और अंकल नॉर्मल बाते ही कर रही थे.

और फिर हुमारी स्टडी और फ्यूचर प्लान के बारे मे भी बाते करने लगे.

खाना खाने के बाद मई सद्दाम अंदर कमरे मे सोने चले गये. मुझे तो नींद नही आ रही थी क्यूँ की मुझे पता चला गया की आज रात रफ़ीक अंकल मम्मी को पेलने वेल है.

थोड़ी देर बाद मम्मी मेरे कमरे मे आई मुझे और सद्दाम को चेक करने की हम सोए या नही. मई झुता सोने का नाटक करने लगा. फिर मम्मी कमरे की लाइट बंद कर दी और बाहर चली गयी. इतने मे बाहर की लाइट भी मम्मी ने बंद कर दी थी.

कुछ समझ नही आ रहा था की चल क्या रहा है मम्मी और अंकल खाना भी नही खाए थे.

मई चुपचाप उठकर बाहर आया. मुझे मम्मी के कमरे से धीरे धीरे आवाज़ आ रही थी.

मई दूरकेहोल्ल से अंदर देखा. अंदर रफ़ीक अंकल वाइन का पेग बना रहा था. और मम्मी अंकल के साथ सोफे पर बेती थी. एक पेग रफ़ीक मम्मी को देने लगा.

मम्मी – नही आप पीजिए मई नही पीटी.

रफ़ीक- लीजिए ना भाभ जी… प्लीज़

फिर मम्मी ने पेग ले लिया. और अंकल मम्मी से चियर्स किए. और पेग पीने लगे. मम्मी भी तोड़ा सा पेग पिए. मम्मी को बहुत गंदा लगा था क्यूँ की सराब होती ही कड़वी है. फिर अंकल मम्मी की तरफ च्चखना किए. मम्मी चखने उठाकर ख्हा ली.

मम्मी – ज़ोया बेटी से बात हुई केसी है वो.

अंकल – वो एकद्ूम मज़े मे है. मुझे तो अब बस सद्दाम की फ़िकरा है.

मम्मी – आप सद्दाम की फिकर मत करो उसका ख्याल मे रखूँगी.

अंकल – लेकिन आप भी कब तक ख़याल रखकोगी. आपको भी आपके घर की देख रेख करनी होती है, कितना कुछ काम होता है आपको.

मम्मी – हाँ तो क्या हुआ सद्दाम का भी ख्याल रख सकती हूँ.

फिर अंकल धीरे से मम्मी का एक हाथ पकड़ लिए.

अंकल – सुखरिया आपका.

और मम्मी को देखने लगे. मम्मी अंकल को कुछ नही बोली.

अंकल – कबतक आएँगे भैसाहब.

मम्मी – 2 दिन बाद.

अंकल- 2 दिन तक आप एकेली रहोगी.

मम्मी – नही, आप हो ना मेरे साथ.

मम्मी स्माइल करने लगी. और अंकल भी हासणे लगे.

अंकल- हम तो हुमेशा आपके साथ रहना चाहते है. कहते हुए अंकल सेक्सी नज़ारो से मम्मी को देखने लगे. और मम्मी स्माइल करने लगी.

फिर अंकल पेग उठाकर पीने लगे और मम्मी भी अपना पेग उठा कर पी ली.

अंकल – बचे सो गये होंगे.

मम्मी – हाँ सो गये होंगे.

अंकल – रोहन भी बहुत प्यारा बचा है. बिल्कुल अपनी मम्मी की तरह. अंकल अभी भी मम्मी का हाथ पकड़े हुए थे… और मम्मी उनको माना भी नही कर रही थी.

फिर अंकल दूसरा पेग बनाने लगे.

मम्मी – अब मेरे लिए मत बनाइए. मई नही पीनगी.

अंकल – सिर्फ़ तोड़ा सा.

मम्मी – नही…

लेकिन अंकल मम्मी का पेग भी बना दिए. दोनो शिप मरते हुए गाप्साप मार रहे थे.

थोड़ी देर बाद मम्मी खुद के लिए और अंकल के लिए खाना परोस दी. और दोनो खाना खाने लगे.

खाना खाने के बाद मम्मी अंकल के बिस्तेर लगाने लगी. अंकल मम्मी को बहुत ललचाई आँखो से घूर रहा था. मम्मी झुकर कर बिस्तेर सही कर रही और अंकल मम्मी की फुल्ली हुई गांद को घुरे जेया रहा था.

फिर पता नही अंकल को क्या हुआ और अंकल खड़ा होकर मम्मी को पीछे से कमर मे हाथ डालकर पकड़ लिया. और हासणे लगे. मम्मी थोड़ी दर गयी और अंकल हँसी मज़ाक के मूड मे थे इसीलिए मम्मी को भी ज़्यादा गुस्सा नही आया.

तो बे कंटिन्यूड…

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