अगला भाग…
पिछले भाग में आपने पढ़ा की केसे मे चोरी छुपे आंटी और अंकल की कांवासना को देख रहा था.
अंकल आंटी के पेटीकोत के अंदर हाथ डाल कर छूट में उंगली अंदर बाहर कर रहे थे.
आंटी धीरे धीरे आऐईई उुआईए कर रही थी.
अंकल आंटी के उपर से हटे और आंटी के परो के पास बैठ गये और पेटीकोत को कमर तक चड़ा दिया और परो को चूमने लगे और आंटी की छूट पर पहुच गये.
आंटी ने रेड कलर की पेंटी पहन रखी थी. अंकल ने बिना वक़्त ब्ताए पनटी को उतार फेका.
अब आंटी की छूट सॉफ दिखाई दे रही थी. उनकी छूट पर एक भी बाल नही था वो बाहर से काली और अंदर से लाल थी आंटी की छूट को देख कर में पागल सा हो गया मेरा मॅन करने लगा अभी जाके आंटी को पेल डू लेकिन में कुछ कर नही सकता था सिवाए आंटी को चूड़ते देखने के.
इधर अंकल आंटी की छूट को छत रहे थे आंटी का हाथ अंकल के बालो में था और मादक सिसकियाँ ले रही थी.
अब आंटी को भी मज़ा आने लगा था आंटी अंकल का पूरा साथ देने लगी.
अंकल ने एसका फयडा उठा के आंटी के पेटीकोत का नडा खोल दिया और उसको उतार फेका अब आंटी एक दूं नंगी मेरे आँखो के सामने थी.
आंटी :- खुद को बेशर्म थे अब मुझे भी बना दिया.
अंकल :- वैसे मज़ा नही आता मेरी रानी और वैसे भी तुम तुम रोज कहा करने डेतीइ हो मुझे…
आंटी :- हन हन ठीक अब जल्दी करो.
अंकल आंटी की छूट में चला रहे थ्र और लगातार होठों को किस कर रहे थे.
आंटी की छूट अब गिल्ली हो चुकी थी.
आंटी : अब जल्दी से अंदर डाल दो..
अंकल ने आंटी को इशारा किया और बैठ गयी आंटी का हाथ अंकल के लंड पर था वो उशे सहला रही थी.
अंकल :- मूह मे तो लो.
आंटी ने लंड को मूह से लगाए और सुपसे को चाटने लगी. अंकल ने धकक्का मारके लंड को मूह के अंदर घुसा दिया और अंदर बाहर करने लगे.
थोड़ी देर की मूह की चुदाई के बाद. अंकल ने आंटी को लेटने को इशारा किया, अंकल बिना देरी किए आंटी के परो को अपने कंधो पर टीका दिया और लंड को छूट पर रगड़ने लगे.
आंटी सिसकियाँ ले रही थी. अंकल ने लंड के टोपे पर ठुका एक झटके में छूट में घुसा दिया. आंटी धीरे से चीख पड़ी उउउईए नाआ मर्र्र्गईइइ
2 मिनिट्स तक अंकल धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करके आंटी की बुराई छोड़ रहे थे. फिर अंकल ने धक्को की स्पीड बड़ा दी आंटी भी गांद उठा उठा के अंकल का पूरा साथ दे रही थी.
आंटी :- उहहाहह आ उहह ओररर जोर्र्र सीई…
अंकल :- मज़ा आ रहा..
आंटी :- हााआई छोड़ूऊव मुझी आ उः…
अंकल आंटी अब पूरे जोश में थे. फिर अंकल ने अपने धक्को की स्पीड बड़ा दी और ज़ोर ज़ोर से आंटी को छोड़ने लगे. पूरे कमरे में चारपाई के खच खच की आवाज़ , आंटी के पायल की और फ़च फॅक की आवाज़ आने लगी.
इधर अंकल ज़ोर ज़ोर से आंटी को छोड़ रहे.
लगभग 10 मिनिट्स की घमासान चुदाई के बाद-
आंटी :- मेरा होने वाला है..
अंकल :- 6-7 धक्को में मेरा भी निकल जाएगा.
अंकल ने फिर तेज़ तेज़ लंड से धक्के मारे और सारा पानी आंटी की छूट में गिरा दिया. इधर मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया.
अंकल :- क्यू मज़ा आया ना?
आंटी :- हन बहुत, अब से यहा नही करेंगे.
अंकल :- क्यू क्या हुआ? फिर कहा करेंगे?
आंटी :- चारपाई बहुत आवाज़ करती और आप भी तेज़ तेज़ करते, बाकचो की नींद खुल जाएगी. एस अक्चा बातरूम में कर लिया क्रेंगे, जैसे भीकरना हो.
अंकल :- बातरूम मेी कहा इतनी जगहह है..
फिर अंकल उठ के बातरूम में चले गये. आंटी ने लाइट ओं की हम दोनो की तरफ देखा. मैने अपनी आँख बंदी की हुई थी तो उन्हे लगा में सो रहा हू.
फिर उन्होने ब्रा ब्लाउस और पेटीकोत पहना और लाइट बंद करके वो भी बातरूम चले गये.
2 मीनुयीट्स तो कोई नही आए तो मैने हिम्मत करके दरवाजे के पास गया मेरे पेर कांप रहे थे. एस पहले मैने अपने मम्मी पापा की चुदाई देखी थी लेकिन किसी और घर में मुजर दर भी लग रहा था कही मुजर देख लिया तो.
मैने दरवाजे के बाहर झाँक के देखा तो म हैरान हो गया. अंकल आंटी को बातरूम के बाहर डॉगी स्टाइल में छोड़ रहे थे. वो किसी जानवर की तरह आंटी को छोड़ रहे थे.
अंकल:- खुले आसमान के नीचे छोड़ने में जो मज़ा है वो कही नही.
आंटी :- हन हन अपकूऊ तूओ हररर जग्गहह उउउइइ माआ मर्र्र्गईइइ…
अंकल की स्पीड यहा 2जे हो गयी थी, अंकल छोड़ते छोड़ते आंटी की गांद पर छपत लगा देते.
आंटी :- उउउइयहह अहहुह बससस्स कारूव दर्रद्द होता ह उहह…
अंकल के हर एक छपत के साथ आंटी उउउहह माआ करती. उनके छपत से आंटी की गांद एकद्ूम लाल हो चुकी थी जैसे बड़े बड़े टमाटर टूटने को हो.
आंटी का दूध नीचे किसी अमरढ़ की तरह लटक रहे थे. अंकल ने 2-4 तेज़ धक्के लगाए तो लंड को छूट से बाहर निकल लिया. अंकल बैठे और बातरूम से क्रीम ले आए उन्होने क्रीम को अपने लंड पर और आंटी की गांद में आक्ची तरह से लगा लिया.
आंटी :- अब मेरी गांद भी मरोगे क्या?
अंकल :- हन मेरी जान.
आंटी :- आज छूट की आग मिटा दो गांद कल मार लेना.
लेकिन अंकल ने आंटी की एक नही सुनी ओट अपना लंड आंटी की गांद में पेल दिया. एक ही झके में पूरा लंड आंटी की गांद में घुस गया. आंटी हॉर्स चिल्लाई उहह माआ मारगइिईई बाहर्र निकालूओ इसे.
अंकल रुक गये आंटी थोड़े शांत हुए तो अंकल अपने लंड को धीरे धीरे गांद के अंदर बाहर करने लगे. अब आंटी को भी मज़ा आने लगा ये देख अंकल ने भी जोश में आके धक्को की स्पीड बड़ा दी.
अब अंकल आंटी को ताबड़तोड़ छोड़े जा रहे थे अदर आंटी मधुर सिसकियाँ ले रही थी. अंकल किसी भूखे शेर जैसे आंटी को छोड़ रहे थे. बातरूम रूम से तोड़ा दूर था फिर भी मुझे उनके धक्के के फुक्क फूच की आवाज़ सुनाई दे रही थी.
लगभग 10 मिनिट्स की चुदाई के बाद दोनो झाड़ गये और फिर में भी आके सो गया.
फिर सुबह जल्दी उठा मेरे दिमाग़ में अंकल आंटी की रात वाली चुदाई चल रही थी. उसके बाद में तैयार होके हितेश के साथ एग्ज़ॅम देने चला गया.