ट्रेन में रंडी की तरह मा की चुदाई

आपने सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में देखा, की मा को करीम ने कैसे टाय्लेट में पकड़ लिया था, और मैं गाते के च्छेद से उन्हे देख रहा था. वो मा के कोमल बदन पर अपने हाथ फेर रहा था. फिर जैसे उसने छ्चोढा, मा बोली-

मा: पागल हो क्या? मैं शादी-शुदा हू.

करीम: आ मेरी जान, तुझे देख कर पागल हो गया हू.

मा: मूह बंद करो अपना.

फिर करीम मा के हाथ उपर उठा कर स्लीव्ले में मा की चमकती आर्म्पाइट चाटने. तभी उसने दूसरे हाथ से मा की पतली कमर को पकड़ अपनी तरफ खींचा. मा आँखें बंद कर उसके नज़दीक आ गयी. फिर उसने अपने पाजामे का नाडा खोला, जिससे उसका मोटा काला लंड बाहर निकल आया.

उसका लंड निकलते ही मा की नज़र उस पर पड़ी. मा के चेहरे का रंग ही बदल गया. उसकी साँसे तेज़ हो गयी थी, और चुचे कूदने लगे.

मा: मैं ये सब नही कर सकती.

करीम: साली तू फिर शुरू हो गयी.

ये कह उसने एक झटके में मा को उल्टा पलट दिया, और उसके मूह में अपना एक हाथ डाल दिया. फिर उसने मा की मुलायम सारी उपर कर उसकी पनटी उतारनी चाही. मा ने टांगे ब्लॉक कर ली थी. करीम ने तुरंत अपनी उंगली पनटी के बीच में डाल कर पनटी फाड़ दी.

फिर उसने अपना लंड धीरे से मा के च्छेद में डाल दिया. मा की आँखें फाटती रह गयी. उसने धीरे से दो झटके मारे, उसी में मा बेजान हो कर गिरने लगी, जिससे मालूम चल रहा था की उसका लंड कितना तगड़ा था. फिर उसे गुस्सा आ गया.

करीम: हॅट साली, तू मत चुड, निकल जेया यहाँ से.

ये सुन मा ने तुरंत गाते खोल कर इधर-उधर देखा. तब तक मैं सीट पर आ गया था. फिर मा भी सीट पर आ गयी. करीम भी पीछे से आ गया. उपर से आवाज़ आई “आपका सही है. सफ़र का मज़ा ले रही है”.

करीम: तू आजा, तुझे भी डेडू. क्या नाम है?

वो बोली: पिंकी.

ये सुन वो नीचे आई. वो थोड़ी सावली, 36″ चुचो वाली, और मोटी गांद की औरत थी, जो दिखने में ठीक-ताक थी. वो उन बुद्धा-बुद्धि की बहू थी. उसके उतरते ही करीम ने उसकी गांद दबोच ली, और दोनो टाय्लेट में चले गये. मा कुछ देर शांत बैठी और फिर इधर-उधर देखने लगी. वो मेरी तरफ देखी, और मैं सोने की आक्टिंग करने लगा.

फिर वो खुद उठ कर बातरूम के अंदर झाँकने लगी. ये देख मुझे अजीब लगा. थोड़ी देर में मा वापस आई और बैठ गयी. वो दोनो भी बाहर आ गये.

करीम: आ मज़ा आया ना?

पिंकी: बहुत, सारी गर्मी निकाल दी. घरवालो के चक्कर में अपने सुख को भूल ही गयी थी.

पिंकी: किसी को बताना मत.

करीम: मैं ये सब नही करता.

ये सुन मा आँखें बड़ी करके उसकी तरफ देखने लगी. थोड़ी देर में उसके घर के सब जाग गये. उनका स्टेशन आ गया था. वो सबसे बाइ कहते हुए उतरने लगे. करीम अब पिंकी को देख रहा था, जिससे मा उससे घूर रही थी. ये देख अजीब लग रहा था.

करीम: आ क्या मस्त औरत है. परिवार के साथ हो कर भी विश्वास कर मज़े ले लिए. और यहाँ मौके देने पर भी कुछ अपने घमंड में घूम रहे है.

ये बात कह कर करीम फिर से टाय्लेट की तरफ चला गया. रात के 1 बाज रहे थे, और आधी ट्रेन खाली हो गयी थी. चारों तरफ अंधेरा था. फिर मा उठी, उसने इधर-उधर देखा कोई नही था. फिर मेरी तरफ देखा. मुझे सोता देख अपना बाग निकालने लगी. उन्होने उसमे से एक निघट्य निकली, और अपनी सारी को खोलने लगी.

सारी उतार कर उसमे डाली, और अपने पेटिकोट को निकाला. मा की पनटी फाटती हुई उसकी टाँगो में फ़ससी थी. वो भी निकाल दी. फिर अपने ब्लाउस को निकाला और ब्रा भी उतार डाली. ये देख मैं चौंक गया. ट्रेन में बाहर से जब कोई लाइट आ रही थी, उसका नंगा चमकता बदन दिख रहा थी.

मा ने जल्दी से अपनी निघट्य उपर से डाल ली, और इधर-उधर झाँकने लगी. थोड़ी ही देर में करीम सीट पर आ गया. मा के चुचे बिना ब्रा के निघट्य में बॉल्स की तरह खेल रहे थे. ये देख करीम अपने लंड को सहलाने लगा. मा फासएवाश लेकर जाने लगी. उसकी मटकती गांद मलाइका की तरह लग रही थी, जिसे देख किसी का भी पानी निकल जाए.

वो मूह धो कर आ रही थी. उसके चुचे कूद-कूद कर लंड से पानी निकल रहा था. वो आ कर मिरर के पास खड़ी होके बाल बनाने लगी. उसका चमकता बदन देख करीम से रहा नही गया. वो अचानक से पीछे से झपटा, और उसके चुचो को अपने हाथो में ले लिया. मा की आँखें बंद हो गयी थी. उसने उन्हे मसलना शुरू कर दिया.

अब वो कुछ नही बोल रही थी. शायद अब उसे भी ये चाहिए था. तभी उसने मा को आयेज की तरफ मोड़ा, और कमर में हाथ फ़ससा कर बोला-

करीम: आ मेरी जान, कितना इंतेज़ार करवाया तूने. आज तो लॉटरी लग गयी.

ये कह उसने उन्हे गोद में उठा लिया, और खाने वाले होल्डर पर बिता दिया. वो फिर निघट्य के अंदर मूह डाल कर चाटने लगा.

करीम: लगता है तू पूरी तैयार है. कों कहेगा तेरा बेटा भी है. इतनी सॉफ और मस्त छूट तो इतनी लौंडिया छोड़ी, किसी की नही मिली.

मा आँखें बंद कर उसके सिर पर हाथ फेर रही थी, जिस पर वो उसे चाटने का एहसास दे रहा था. उसके हाथ मा के चेहरे से उसकी गर्दन को सहलाते चुचो को मसल रहे थे, जिस पर उसका शरीर धीमी सिसकियों से एहसास ले रहा था. तभी उसने मूह निकाला और मा के चेहरे को हाथ में पकड़ एक किस लिया. फिर झट से निघट्य उपर उठा दी, और अपना लंड निकाल लिया जिससे देख वो फिर चौक गयी.

मा: नही-नही, ये सब नही करना.

करीम: ती और क्या करेगी?

कह उसे अपने हाथो से दबा दिया. वो अब उठ नही सकती थी. उसने अपने लंड को मा के हाथ में दिया, और वो सहलाने लगी. तभी उसने मा की छूट पर थूका और लंड के अंदर जाते ही मा झटपटा उठी. वो अपने हाथ इधर-उधर मारने लगी, और लंड को बाहर निकालने का धक्का देने लगी. करीम का लंड अभी आधा ही गया था, और वो अटक गया.

करीम: साली कितनी गरम माल है तू. तुझे कोई मा नही कह सकता. कितनी टाइट है तेरी छूट. मेरा लंड घुस भी नही पा रहा.

ये कह कर उसने ज़ोर का झटका मारा, जिससे मा की आँखें खुली रह गयी, और वो चीख कर दर्द के साथ तड़पने लगी. उसने ये देख अपने लंड की तेज़ी बधाई. मा की छूट में से ठप-ठप की आवाज़ निकालने लगी. वो उनकी छूट को ज़ोर-ज़ोर से मारने लगा.

मा का चेहरा लाल पद गया था, और मा की छूट से तोड़ा-तोड़ा पानी आ रहा था. उसने 15-16 स्ट्रोक्स देने के बाद मा की छूट से लंड निकाला. जिसके आते ही मा की छूट से पानी के फव्वारे शुरू हो गये. अब वो ज़ोर-ज़ोर से हाँफ रही थी, और दर्द भारी सिसकियाँ भर रही थी. इससे करीम और जोश में आ गया.

उसने मा को उल्टा घुमाया, और अपना लंड उसकी गांद की च्छेद में सहलाते हुए देखने लगा. मा की गांद गोल, बड़ी, और दूध जैसी गोरी थी. लेकिन देखने से कभी लंड लिया हुआ नही लग रहा था.

करीम: तूने गांद में नही लिया आज तक? साली तुझे किसी ने उसे ही नही किया आचे से.

मा: आह! बस.

ये सुन उसने धीरे से लंड अंदर डाल दिया, जिसके जाते ही वो सीट पर आयेज की तरफ भागना चाही. लेकिन करीम ने ज़ोर-ज़ोर से मा को छोड़ा, जिसकी आवाज़ उपर तक आ रही थी. मा अब बेजान सी थी, बाल भिकरे हुए थे.

तभी उसने गांद से लंड निकाला, और मा की पिक्स ले ली. मा की गांद का च्छेद अब बड़ा हो गया था. मा बेजान सी थी. उसने मा को सीधा कर सीट पर लिटाया, और उसके चुचो पर कूद कर चूसने लगा. वो सिसकियों में बेहोश सी थी.

तभी उसने अपना फोन लिया और अपने लंड को उसके उपर कर पिक निकाल ली. फिर ज़ोर-ज़ोर से छूट में लंड घुसा कर छूट मारने लगा. अचानक फिर ट्रेन ने ब्रेक मारी और उसके लंड ने पानी छ्चोढ़ दिया.

तभी एक ग़रीब सा दिखने वाला 40-50 साल का आदमी आया. उसे शायद स्टेशन पर उतरना था. वो देख कर स्माइल करने लगा.

करीम: तू भी छोड़ेगा क्या?

ये सुन मैं शॉक रह गया. उस आदमी ने लंड निकाला, वो बदबू मार रहा था, जैसे नाले में से आया हो. फिर करीम ने उसे जगह दे दी, और फोन में वीडियो बनाने लगा. उस आदमी के पूछने पर करीम बोला-

करीम: रंडी साली को ट्रेन में पटाया है.

फिर वो चुदाई करके उतार गया. करीम ने एक ब्लंकेट ली, और नंगा हो मा को उसके अंदर ले लिया. फिर रात भर बहुत छूट मार. आख़िर 4 बजे के टाइम मा की नींद खुली, और वो खड़ी हुई अपने बाल बनाने लगी. फिर रेडी हो कर उसने करीम को उठाया.

करीम: आख़िर तुझे मज़ा आया.

मा (स्माइल): हा.

करीम: लेकिन दूसरा लंड भी ले लिए तूने.

मा: मतलब?

करीम: ये देख.

उसने वीडियो दिखाया.

मा: ये क्या है?

करीम: तूने छूट मराई है, तू जाने.

मा गुस्सा हो गयी थी.

मा: ये ग़लत है, मैने विश्वास किया था.

करीम उसको अपने पास खींच लिया, और अपने नंगे बदन पर बिता लिया.

करीम: तेरी गर्मी चेक कर रहा था.

मा: ये ग़लत है.

करीम ने उसी समय कॉर्नर में लगा कर किस लिया, और मा का फोन नंबर लिया. थोड़ी देर में स्टॉप आ गया, और उन्होने मुझे उठाया और हम उतार कर चल दिए. मा की चुदाई कहानी पर अपनी फीडबॅक ज़रूर भेजे.

यह कहानी भी पड़े  ट्रेन के वॉशरूम में मा के सेक्स की कहानी

error: Content is protected !!