तीन फ़ुद्दियों के बीच में –1

हैलो दोस्तो, कैसे हो आप लोग? उम्मीद करता हूँ कि आप सब ठीक होंगे। आप लोगों के मेल से मुझे और कहानियाँ लिखने की प्रेरणा मिलती है।
काफी समय पहले मेरी कहानी को पढ़ कर एक लड़की ने मुझे मेल किया था, तब से लेकर अब तक वो मेरी दोस्त हैं। वो दो बहनें थीं। बड़ी का नाम ललिता था, छोटी का नाम डॉली था। ललिता द्वितीय साल (सेकंड इयर) में है और डॉली 11वीं के पेपर देकर 12वीं में गई है, मेरे ही शहर की थीं। ललिता तो फर्स्ट-ईयर में ही अपनी जवानी लुटवा चुकी थी। अब वो भी अकेली थी और डॉली तो अभी कुंवारी थी। ललिता एकदम गोरी थी और डॉली थोड़ी साँवली थी। दोनों एक दूसरे से खुली हुई थीं इतना कि एक दूसरे के सामने उंगली करके अपना पानी निकालती थीं। दोनों ही मुझ से बात भी करती थीं।
अभी तक सिर्फ हमने एक दूसरे की तस्वीर ही देखी थी और कभी-कभी फोन पर बात हो जाती थी। सामान्य बात भी और फोन सैक्स भी दोनों तरह की बात, पर मुझे समझ में नहीं आता था कि फोन सैक्स के समय मैं किसे महसूस करूँ? क्योंकि दोनों एक साथ करती थीं, खैर जाने दो।
एक दिन बात करते-करते डॉली ने कहा- मुझे लंड देखना है कि कैसा होता है?
मैंने कहा- जैसा ब्लू फिल्म में होता है, वैसा ही है। बस आकार में अलग होता है।
डॉली जिद करने लगी तो ललिता ने कहा- राज दिखा दो, इसी बहाने मैं भी देख लूँगी।
मैंने तस्वीर लेकर उनको भेज दी।
उन्होंने कहा- नहीं, हमें इसका वीडियो देखना है, फोटो में मजा नहीं आ रहा।
मैंने कहा- नहीं ऑनलाइन आ जाओ, मैं तुम दोनों को कैमरे से दिखा दूँगा पर तुम दोनों को भी आना पड़ेगा।
उन्होंने कहा- अच्छा चलो एक घण्टा रुको, हम अभी तुमसे बात करती हैं।
“दीदी क्या करोगी एक घंटे में?”
ललिता ने कहा- कांता (ललिता की चाची की लड़की) के घर चलेंगे।
डॉली- कांता दीदी के घर क्यों?
ललिता- क्योंकि उसके पास लैपटॉप हैं और लैपटॉप में कैमरा।
डॉली- तो कांता दीदी कैसे मानेंगी?
ललिता- अरे पारो, तू क्या जाने कांता के बारे में, 5-6 बन्दे उसके ऊपर भी चढ़ चुके हैं।
डॉली का मुँह खुला का खुला रह गया। दोनों ने स्कूटी उठाई और कांता के घर की ओर चल दी जो इसी शहर में किराये से रहती थी और नौकरी करती थी।
किसी बात की दिक्कत नहीं थी क्योंकि जहाँ कांता रहती थी, वहाँ दो कमरे हैं और दोनों ही कांता ने ले रखे हैं, और कोई नहीं रहता है। मकान-मालिक उसके सामने वाले घर में रहता है।
ललिता- डॉली, तूने कभी बियर पी है?
डॉली- दीदी अगर पी होती तो आपको नहीं बताती?
ललिता- चल आज लेकर चलते हैं, बियर पीकर मजे करेंगे।
डॉली- ठीक है ले चलो।
दोनों ही कांता के घर पहुँच जाती हैं। कांता दरवाजा खोलती है।
कांता- अरे क्या बात है? ललिता और डॉली दोनों एक साथ क्या बात है?
ललिता- अरे अंदर तो आने दे पहले, सब बताती हूँ।
सब बात बताने के बाद, कांता ललिता से डॉली की ओर इशारा करके पूछती है।
ललिता बोली- अरे डॉली को ही तो देखना है, मैंने और तुमने तो देखा हुआ है।
कांता भी राजी हो जाती है और ऑनलाइन आकर मुझे अपने फ्रेंड लिस्ट में सम्मिलित कर लिया।
ललिता ने मुझे फोन करके ऑनलाइन आने को कहा तो मैं भी ऑनलाइन आ गया। कांता को अपनी फ्रेंड लिस्ट में स्वीकार कर लिया। उस टाइम ये अच्छा था कि मैं भी घर में अकेला ही था।
फिर हमने कैमरा चालू किया। ललिता कोई 20 साल की और फिगर 32-28-36, डॉली 18 साल की और फिगर 30-26-32 और कांता 22 साल की पर थोड़ी मोटी थी 36-32-40 !
डॉली ने कहा- चलो, अब तो दिखा दो।
मैंने कहा- नहीं पहले तुम तीनों कपड़े उतारोगी, उसके बाद मैं उतारूँगा।
थोड़ी देर बाद वो तीनों ही मान गईं, सबसे पहले कांता आई, उसने नाईट सूट पहना हुआ था। कांता ने पहले अपना ऊपर का टॉप उतारा, फिर पायजामा भी उतार फेंका और सिर्फ काले रंग की पैन्टी में मेरे सामने अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूचियाँ हिला रही थी।
पीछे से ललिता आई और कांता की दोनों मोटी-मोटी चूचियों को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगी। ललिता कांता के निप्पल मसलने लगी। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद ललिता आगे आई और कांता को बिस्तर पर बिठा दिया और उसकी बगल में बैठ कर खुद उसके निप्पल को मुँह में ले चूसे जा रही थी। कांता ललिता का सर सहलाये जा रही थी।
कांता ने कहा- अरे डॉली तू क्यों चुप बैठी है, आ जा, मेरी दूसरी चूची खाली है।
इतना सुनते ही डॉली आगे आई और कांता की दूसरी चूची को मुँह में ले लिया।
ललिता ने अपना हाथ कांता की पैन्टी में डाल दिया। कांता सिसकारियाँ लेने लगी।
ललिता ने कांता की पैन्टी भी उतार दी और हल्के बालों के बीच में कांता की हल्के पानी से गीली चूत चमक मार रही थी।
कांता खड़ी हो गई और ललिता को नीचे बैठ जाने को कहा और अपना एक पैर पलंग पर रख दिया।
ललिता समझ गई कि क्या करना है? उसने अपने होंठ कांता की चूत पर लगा दिए। डॉली भी खड़ी होकर कांता की एक चूची चूस रही थी और दूसरी दबा रही थी।
कांता ने डॉली को थोड़ा अलग किया और उसका टॉप उतार दिया उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, जिसे कांता ने देर न करते हुए अलग कर दिया।
कांता की इस हरकत से डॉली थोड़ा शरमा गई और अपने हाथों से अपने चूचे ढक लिए। अब पता नहीं शरमा किस से रही थी, कांता से या मुझ से? शायद मुझ से ही शरमा रही थी।
ललिता ने भी ताल में ताल मिलते हुए डॉली का स्कर्ट खोल दिया और बेचारी डॉली सिमट सी गई और बिस्तर पर जाकर पैर को मोड़ कर बैठ गई।
कांता उसके पास गई और उसके हाथ अलग किये और उसके होंठों पर होंठ रख दिए। मौका देख कर ललिता ने डॉली की पैन्टी भी उतार दी, ललिता ने डॉली की टाँगे चौड़ी कीं।
मुझे हल्की सी झलक दिखाई दी, एकदम चिकनी और कसी हुई कुंवारी चूत थी। जिस पर ललिता ने अपने होंठ रख दिए। डॉली लेटी हुई थी और ललिता उसकी चूत चाट रही थी। कांता उसकी चूचियाँ चूस रही थी।
मैंने पहले निक्कर और अंडरवियर पहना हुआ था। निक्कर उतार दिया और सिर्फ अंडरवियर में था। जिसमें मेरा खड़ा हुआ लंड उन तीनों को साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था।
मैंने डॉली से कहा- देखो ललिता ने तुम्हारे कपड़े उतारे हैं, तुम भी उसको नंगा कर दो।
डॉली ने कहा- अकेले में तो बहुत बार किया हैं, पर अब किसी लड़के के सामने कर रही हूँ। मुझे भी पहली बार किसी के सामने नंगी होने में शर्म आ रही है।
इतना कहकर डॉली ने ललिता का टॉप उतार दिया और जीन्स भी उतार भी ललिता ने सफ़ेद रंग की ब्रा-पैन्टी पहनी हुई थी, जिसे कांता ने देर न करते हुए उतार दिया।
अब तीनों मेरे सामने नंगी थीं। तीनों एक दूसरे के बगल में बैठ कर अपनी अपनी चूत सहला रही थीं।
ललिता ने कहा- अब हम तीनों ने तो अपने कपड़े उतार दिए। अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो।
मैंने कहा- मैंने कपड़े पहने ही कहाँ हैं?
उस पर डॉली ने कहा- जिसे देखने के लिए हमने इतनी मेहनत की, अब उसे दिखा तो दो।
मैंने भी डॉली की बात सुन कर अपना अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड तो पहले से खड़ा था और अंडरवियर उतारने के बाद एकदम तन गया, जिसे डॉली बड़े ध्यान से देख रही थी और चेहरे पर कोइ हावभाव भी नहीं, बस एकटक देखे जा रही थी।
कांता और ललिता मेरे लंड को देख कर मुस्कुरा रही थीं और अपनी चूत मसल रही थीं। मैं अपने लंड को सहलाये जा रहा था।
डॉली ने कहा- थोड़ा पास करो न? मैंने कैमरा ज़ूम करके उसे पास से अपना लंड दिखाया। फिर हमने एक दूसरे को देख कर उस दिन पानी निकाला।
2-3 दिन बाद डॉली का फोन आया और कहा- कल मेरा जन्मदिन है।
मैंने उसे बधाई दी तो उसने कहा- बधाई से काम नहीं चलेगा और कुछ भी देना होगा।
मैंने कहा- बोलो क्या तोहफा चाहिए?
उसने कहा- मैं चाहती हूँ कि इस बार मेरे जन्मदिन पर अपना कुँवारापन तुम्हारे साथ सम्भोग करके खो दूँ।
मैंने कहा- नहीं यार, मैं ऐसे किसी के साथ सैक्स नहीं करता। मौज-मस्ती अगल चीज है और ये सब अलग चीज है। हो सकता है, तुम ये जवानी के जोश में बोल रही हो, इसलिए जरा ठीक से सोच लो इस बारे में।
फोन ललिता ने ले लिया- नहीं राज, इसमें हमारी भी मर्जी है और कांता भी यही चाहती है। हम तीनों एक साथ होंगे।
“तीन फ़ुद्दियों के बीच में तो मेरी हालत ख़राब हो जाएगी यार !”
कांता ने फोन लेते हुए बोला- नहीं यार सैक्स सिर्फ डॉली से करना, हम सिर्फ देखेंगे। हम अपने बारे में बाद में सोचेंगे। बस उस पार्टी में 4 लोग होंगे। कल शाम को मेरे घर पर ठीक है। हम तुम्हारा इन्तजार करेंगे और थोड़ा जल्दी आ जाना 6-7 बजे तक, ठीक है?
मैंने कहा- मैं सोच कर बताऊँगा।
कांता ने कहा- देखो राज आ जाना इसके लिए हम तुम्हें पैसे भी दे देंगे।
मैंने कहा- नहीं यार, पैसे की बात नहीं है। जो चीज दिल से की जाए वो पैसे से नहीं हो पाती।

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कांता ने कहा- देखो राज आ जाना इसके लिए हम तुम्हें पैसे भी दे देंगे। मैंने कहा- नहीं यार पैसे की बात नहीं है। जो चीज दिल से की जाए वो पैसे से नहीं हो पाती।
अब आगे–
मैंने भी शाम तक सोच कर उनको बता दिया कि मैं आ जाऊँगा। कांता ने अपना पता दे दिया। मैंने एक अच्छा सा तोहफा डॉली के लिए लिया और चल दिया। घर से बोल दिया कि दोस्त की जन्मदिन की पार्टी में जा रहा हूँ।
ठीक शाम को मैं कांता के बताये पते पर पहुँच गया। ललिता ने दरवाजा खोला। ललिता ने काले रंग की साड़ी और ऊपर से लो कट ब्लाउज पहन रखा था। उस टाइम वो मस्त माल लग रही थी। उसके पीछे कांता खड़ी थी, उसने हरे रंग की साड़ी और लो कट ब्लाउज पहना हुआ था।
वो दोनों मेरे से गले मिली। कांता की तो मोटी-मोटी चूचियाँ छाती से दबीं तो मजा ही आ गया और लंड भी खड़ा हो गया।
ललिता की नजर उस पर पड़ गई और कहने लगी- पहले तो मना कर रहे थे और अब पहले ही खड़ा कर लिया।
हम सब हँस दिए।
तभी डॉली कमरे से बाहर आई। उसने गुलाबी रंग का फ्रॉक पहना था, जो घुटनों तक था। आँखों में काजल और होंठों पर हल्की गुलाबी लिपस्टिक। बहुत ही गज़ब की लग रही थी। कांता और ललिता से भी एकदम अच्छी लग रही थी।
वो आकर मेरे से गले मिली। मुझे गालों पर एक चुम्मा दिया। मैंने भी जवाब में एक चुम्मा दिया और दांतों से हल्का सा उसके गाल पर काट लिया। उसने हल्की सी आह कर दी। फिर मैंने उसे तोहफा दिया और जन्मदिन की बधाई दी।
कांता केक ले आई और डॉली ने केक काट लिया पहले मुझे खिलाया मैंने आधा खाकर आधा उसे खिलाया। फिर ललिता और कांता ने भी मुझे केक खिलाया। हम बैठ गए।
ललिता ने हमारे लिए बियर के पैग बनाये। पहले हमने काजू बादाम के साथ बियर के 2-2 गिलास पिए। डॉली मेरे बगल में ही बैठी हुई थी। बैठने से उसकी फ्रॉक घुटनों से ऊपर हो गई थी।
मैंने उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया और हल्के-हल्के सहलाने लगा और उसके होंठों पर होंठ रख दिए। पहले उसे कुछ अजीब सा लग रहा था, जिस से वो मेरा साथ नहीं दे पा रही थी। बीच-बीच में मैं अलग हो जाता और फिर उसके होंठों पर होंठ रख देता।
5-6 बार ऐसे ही करते-करते वो मेरा साथ देने लगी। मैंने उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया जिस से पता लगा कि उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी।
मैं धीर-धीरे चूमते हुए गले तक आ गया और गले को चूमने लगा। फिर कंधे से फ्रॉक को नीचे किया और चूचियों से नीचे ले आया। दोनों चूचियों को दोनों हाथों में लेकर मसलने लगा। मैंने उसकी फ्रॉक को पूरा उतार दिया। उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहन रखी थी। मैंने पैन्टी भी उतार दी।
वो थोड़ा शरमा रही थी। उसने शरमा कर अपनी टाँगे मोड़ ली, खोल ही नहीं रही थी। मेरे कोशिश करने पर उसने टाँगें खोल दीं। एकदम चिकनी चूत थी, बाल का नामो-निशान नहीं था। मैंने उस पर हाथ फेरा और सहला रहा था। उसकी चूत की बीच की लाइन में उंगली फेरी तो डॉली सिसकारियाँ लिए जा रही थी।
मैंने थोड़ा सा केक लिया और उसकी चूचियों और चूत पर लगा दिया। फिर उसकी चूचियों पर लगा केक चाट-चाट कर साफ़ किया। उसके बाद चूत पर आ गया और उसे भी चाट-चाट कर साफ़ किया। अब उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी।
मैं उठा तो देखा कि ललिता और कांता दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए हैं। ललिता सोफे पर बैठी हुई हैं और कांता नीचे घुटनों के बल बैठ कर ललिता की चूत चाट रही थी।
कांता की मोटे-मोटे गोल-गोल चूतड़ सामने नज़र आ रहे थे। खैर मैंने फिर से केक लिया, और इस बार अपने लंड पर लगा दिया। डॉली से लंड चूसने को कहा।
पहले वो थोड़ा शरमा रही थी, पर जोर देने पर चाटने लगी। उसने चाट-चाट कर लंड को साफ़ किया। उसके बाद लंड की खाल को नीचे किया और टोपे को चूमने लगी।
मैंने कहा- थोड़ा गोलियाँ को भी चूस दो।
उसने लंड को मुट्ठी में कस कर पकड़ लिया और 1-2 बार ऊपर नीचे किया फिर गोलियों को चूमने लगी। उसकी कामुकता बढ़ी और उसने लंड को छोड़ कर गोलियों को पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगी। मुँह में आ तो नहीं रहे थे लेकिन फिर भी चूसती रही।
उसने केक लिया और लंड पर और गोलियों पर लगा दिया। कुछ केक मेरी छाती पर भी लगा दिया। छाती से चाटना और चूमना शुरू किया। मेरी छाती के निप्पल चूसने लगी फिर चूमते-चूमते नीचे आई और लंड को चाटने लगी। लंड साफ़ हो गया तो लंड को हाथ में पकड़ कर गोलियाँ चाटने में मस्त हो गई। कुछ देर गोलियाँ चूसी और लंड की खाल को नीचे करके टोपे को चूसने लगी। लौड़े में से कुछ क्रीम निकला, जिसे वो निगल गई और मुँह सा बना लिया।
मैंने कहा- पहली बार स्वाद अजीब सा ही लगता है।
फिर मैं उसे उठा कर कमरे में ले गया और उसे लिटा दिया। उसके सर के दोनों तरफ घुटने रख कर बैठ गया और अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। वो भी हाथ से लंड को पकड़ कर आधा लंड चूसने लगी थी और आधा लंड हाथ में पकड़ा हुआ था।
मैं हाथों को पीछे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा था। अब डॉली की चूत कुछ ज्यादा की गीली हो गई थी। वो कुछ कह नहीं पा रही थी। अब सिस्कारियाँ ले रही थी। सिर को इधर-उधर घुमा रही थी। बस उसके मुँह से यही शब्द निकल रहे थे- प्लीज आह अह्ह आआस्स्स्स स्स्श्ह्हह…
मैं उठ कर उसकी टाँगों के बीच में आ गया। उसकी चूत साफ़ करके लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। एक धक्का दिया लंड ऊपर फिसल गया।
मैंने उस से पूछा- कोई क्रीम या तेल है?
उसने अपने पर्स की तरफ इशारा किया। मैंने उसका पर्स खोला, उसमें से क्रीम ले ली और उसकी चूत पर लगा दी। थोड़ी क्रीम, आधी उंगली तक चूत के अंदर भी लगा दी। अपने लंड पर भी लगाई। अब उसकी चूत पर लंड रखा एक धक्का दिया। फिर से लंड फिसल गया अबकी बार लंड को अच्छे से सैट करके और धक्का दिया और टोपे से आगे तक लंड उसकी चूत में अंदर चला गया।
उसने दांत भींच लिए और मुट्ठी में चादर पकड़ ली। मैंने उसके गालों पर चूमना शुरू किया। कुछ देर बाद एक धक्का और दिया और आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में चला गया। उसने अब चद्दर छोड़ कर मेरे कंधे पकड़ लिए और कस के नाखून गड़ा दिए। उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
मैं भी थोड़ा रुक गया और उसकी चूचियाँ सहलाने लगा और उसे चूमने और चूसने लगा। उसके होंठों पर होंठ रख दिए और एक धक्का और दिया। होंठों पर होंठ रखने के कारण उसकी आवाज अंदर ही रह गई, बस हल्की सी ही कमरे के अंदर तक ही आवाज आई। फिर मैं भी उसके होंठों को चूसता ही रहा।
जब लगा कि अब ठीक है, तभी मैंने अपने होंठ उसके होंठों से अलग किये। लंड को थोड़ा निकाला और धक्का दिया। इस बार वो चिल्ला पड़ी। उसकी आवाज सुन कर कांता और ललिता दोनों अंदर आ गईं।
ललिता बोली- राज, आराम से करो। पहली बार है, देखो कितना दर्द हो रहा है।
मैं उसे सहलाने लगा। कांता भी उसकी बगल में बैठ कर उसकी चूची सहलाने लगी और ललिता उसका सर सहलाने लगी। कुछ देर में उसका दर्द कम हुआ तो हल्के-हल्के मैंने धक्के लगाना चालू किए। कुछ ही देर में डॉली ने भी चूतड़ उठा-उठा कर साथ देना शुरू किया।
मैं तेज-तेज चोदने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। डॉली भी मेरे कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ खीच रही थी। मैं भी तेज स्पीड में उसकी चूत में धक्के लगा रहा था।
कभी तेज रफ़्तार में तो कभी धीरे चोदते-चोदते 20 मिनट हो गए और दोनों ने अपना पानी एक साथ निकाल दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया।

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मैं तेज-तेज चोदने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। डॉली भी मेरे कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थी। मैं भी तेज स्पीड में उसकी चूत में धक्के लगा रहा था।
कभी तेज रफ़्तार में तो कभी धीरे चोदते-चोदते 20 मिनट हो गए और दोनों ने अपना पानी एक साथ निकाल दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया।

दस मिनट हुए थे, मैं डॉली की बगल में ही लेटा हुआ था। डॉली उठी पर उठा नहीं जा रहा था। कांता ने उसे सहारा देकर उठाया पर वो लंगड़ा कर चल रही थी।
मैंने कहा- अरे एक ही बार में लंगड़ाने लगी, अभी तो एक बार और लूँगा तेरी !
उसने मना कर दिया- नहीं अब बस, नहीं तो हालत ख़राब हो जाएगी।
कांता ने कहा- अरे तुम क्यों चिंता करते हो? हम दोनों हैं ना !
मैंने कहा- नहीं आज सिर्फ एक की और मारूँगा।
ललिता ने कहा- कांता यार तू तो अकेली है यहाँ पर, तू तो फिर कभी बुला कर चुदवा सकती है। मुझे यहाँ इतनी देर के लिए आने का मौका नहीं मिलेगा।
कांता ने मुझ से कहा- चलो ठीक है, पर मेरा चाट कर पानी तो निकाल दो।



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