Sashur Bahu Sex : हेलो दोस्तों मैं आप सभी का बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालो से इसकी नियमित पाठिका रही हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी सेक्सी स्टोरीज नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी कहानी सूना रही थी। आशा है की ये आपको बहुत पसंद आएगी।
मेरा नाम दीपा है। मेरी उम्र अभी 27 साल की है। मै बहुत ही गोरी छरहरे बदन की हूँ। मक्खन की तरह मेरा बदन बहुत ही सॉफ्ट है। मेरी आँखे देखने में बहुत ही नशीली लगती हैं। फेस से तो मैं एक दम आलिया भट्ट लगती हूँ। उसकी ही तरह मेरी बॉडी भी स्लिम फिट है। मै सेक्स मे कुछ ज्यादा ही रूचि रखती हूं। मुझे चुदवाने में बहुत मजा आता है। मेरे मम्मे बड़े बड़े आम की तरह है। मेरी चूत बहुत ही रसीली है। इसका रसपान मैंने कई लोगो को करवाया हूँ। मेरी नाभि देखने में बहुत ही आकर्षक लगती है। जब मैं साड़ी पहनती हूँ तो मेरे पेट पर ही सबकी नजर अटक जाती है। दोस्तों किस प्रकार ससुर जी ने अपना लौड़ा मेरे हवाले किया आपको अपनी इस कहानी में बताती हूँ।
जब मैं 24 साल की थी तभी मेरी शादी हो गई थी। उस समय मैं बहुत ही अच्छी कमसिन कली लग रही थी। शादी में सारे लोग मुझे ही घूर घूर कर देख रहे थे। शादी के बाद जब मै ससुराल आयी। तो ससुर जी की नजर हम पर ही रहती थी। हमेशा ही मुझे घूरते रहते थे। मेरी सास बहुत पहले ही चल बसी थी। इसलिए घर का सारा काम मुझे ही करना पड़ रहा था। हर चीज की देखभाल की जिम्मेदारी मुझ पर ही रहती थी। पहले तो मेरे पति देव जिनका नाम आकाश है वो यही घर ही पर साथ में रखते थे। पास में ही एक बैँक में अपने ऑफिस चले जाते थे। सारा दिन मुझे ही सताते थे। कही पीछे से आकर मेरी चूंचियो को पकड़ लेते। कभी मेरी गांड़ सहलाने लगते। जब तक वो ऑफिस नहीं चले जाते मुझे ऐसे ही सताए रहते थे। हर दिन वो मेरे साथ सुहागरात मनाते थे। मुझे भी बहुत मजा आता था। रोज रोज मुझे नये नये स्टाइल से मुझे चोदते थे। मुझे शादी से पहले चुदवाने का कभी मन ही नहीं करता था। लेकिन जब से सुहागरात में चूत का ताला खोला तब से बस हमेशा चुदवाने का मन करने लगा। चुदाई क्या होती है मैंने अपनी सुहागरात में जाना। हम ढेर सारी मस्ती करते थे। लेकिन ये मस्ती ज्यादा दिन टिक नहीं सकी। मेरे पति का ट्रांसफर कही अलग हो गया। जहां से रोज आना जाना मुश्किल था। ससुर जी कहने लगे तुम भी साथ चली जाओ।
लेकिन मुझे मेरे पति ने अपने साथ ले जाने से मना कर दिया क्योंकि वो चाहते थे की मैं घर पर रहूं। उनके पिता जी का ध्यान रखूँ। कोई घर पर था भी तो नहीं। मैं रुक गई। मुझे उनसे दूर रहना बहुत बुरा लग रहा था। लेकिन क्या करती मजबूरी थी। एक दो दिन में ही मेरी चूत में हलचल मचने लगी। मै चुदने को तड़पने लगी। आकाश तो अपने दूर चले गए थे। कौन शांत करे मेरे चूत की हलचल। हफ्ते बीत गए लेकिन चूत की प्यास बढ़ती ही जा रही थी। मैं रात दिन चुदाई के बारे में ही सोचती रहती थी। मैं एक दिन सुबह सुबह उठकर बहुत ही अच्छे चीज का दर्शन किया। मैंने जब ससुर जी का कमरा साफ़ करने के लिए उनके रुम में गई। तो जो देखा उसे देखकर मै दंग रह गई। ससुर जी अभी सो रहे थे। लेकिन उनका लंड जग चुका था। बाप रे इतना बड़ा भी लंड होता है। मैंने उस दिन देखा तो जाना।
ससुर जी का लगभग 12 इंच लंबा लंड बिस्तर पर खड़ा था। ससुर जी सो रहे थे। उनका लौड़ा खड़ा होकर मुझे गुड मॉर्निंग बोल रहा था। दिल तो कर रहा था। अभी के कभी इसे काट कर अपनी चूत में डाल कर खुजली मिटा लूं। लेकिन कैसे कर पाती ये सब इतना आसान तो था नहीं। मैंने पास जाकर उनके लंड को छुआ। लेकिन ससुर जी ने तुरंत करवट बदल ली। तो मैं वहाँ से चली आयी। ये बात ससुर जी को पता चल गई। मैंने उनके लंड को छुआ है। लेकिन मुझे नहीं पता था कि उन्हें ये बात पता चल गई है। वो मुझे बड़ी ही गन्दी नजरो से देख़ रहे थे। मै चलती तो मेरी गांड़ देखा करते थे। सामने आने पर मेरी चूंचियो को ताड़ते रहते थे। मै भी उनके लंड पर ही नजर लगा देती थी। इतना सब कुछ होने के बाद मैं सुबह होने का इंतजार कर रही थी। हर दिन की तरह उस दिन भी मैं उनके रूम में गई।
आज भी उनका लंड खड़ा था। मैंने जाकर उसे छुआ। अचानक ससुर जी ने आँखे खोल दी। उन्होंने मुझे देख लिया। मै शरमा के वहाँ से भाग आई। कुछ देर बाद ससुर जी उठ कर आये। मुझे देख देख़ कर मुस्कुरा रहे थे। मेरी तो गांड़ फटी जा रही थी। कुछ देर बाद फ्रेश होकर चाय पी के मेरे पास आकर कहने लगे।
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ससुर जी- “बेटा इसमें शरमाने की क्या बात है। मैं तुम्हारी परेशानी को समझता हूँ”
मै चुपचाप बैठी हुई थी। उन्होंने आकर मुझे पकड़ कर कहने लगे। दीपा तुम आकाश के पास चली जाओ। वहाँ तुम्हे हर तरह का सुख मिलेगा।
मैं- ” नहीं बाबू जी मै आपको अकेले घर पर छोड़ कर कैसे जाऊं”
ससुर जी- “तुम मुझे सुख देने के लिए अपनी जवानी क्यों बेकार कर रही हो”
मै- “किस्मत में होगा तो जवानी का भी सुख मिल जायेगा”
मै बातों ही बातों में ससुर जो को फ़साने लगी। वो भी काफी दिनों के प्यासे लग रहे थे। मै शाम को खूब सेक्सी कपडे पहन कर निकली। उनका लंड खड़ा हो गया। उनकी धोती तो सर्कस का तंबू बन गई। खाना खाने के बाद उन्होंने मुझे अपने रूम में बुलाया। मै नेट वाला ब्लाउज पहन कर उनके सामने पहुची। उसमें मेरी ब्रा खूब साफ़ साफ़ दिख रही थी। मुझे देखकर वो आपे से बाहर होने लगे। पास पहुची तो मुझे अपने बिस्तर पर बिठाकर कहने लगे।
ससुर जी- “तुम मेरी इतनी सेवा करती हो। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी भी जरूरतों को पूरा कर सकता हूँ”
मै- “हाँ कर दीजिये”
उन्होंने मुझे अपने से चिपका कर कहा। आज मैं तेरी ये वाली जरूरत पूरी करता हूँ। मैं मन ही मन खुश होने लगी। मुझे आज लौड़ा खाने का मौका मिलने वाला था। मै बिस्तर पर उनके साथ लेट गई। लेटते ही वो मेरे ऊपर चढ़ गए। उनका शरीर काफी भारी भरकम था। मेरी गर्मी दुगनी होती जा रही थी। मै हीटर की तरह गर्म होने लगी। उन्होंने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से दबोचकर मेरे होंठ पर अपना होंठ सटा दिया। दोनों कोमल पंखुडियो जैसे मेरे होंठ को चूस चूस कर लाल लाल कर दिया। मेरी सांस बढ़कर फूलने लगी। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। होंठ चूमने में जब वो इतना टाइम लगा रहे थे। तो कितना टाइम चोदने में लगाएंगे। मै इसका अंदाजा लगा रही थी। उनकी मूछे मेरे गालो में चुभ रही थी। लग रहा था कोई पिन चुभो रहा है। मै भी उनका साथ दे रही थी। मुझे मजा आ रहा था। वो मुझे गालो से किस करते हुए मेरे बालों को सहला रहे थे। मै गर्मी की एक मशीन बनी जा रही थी। मैं पसीने से भीग गई। कुछ देर बाद उन्होंने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग करके मेरे पूरे बदन को चूमने लगे। मेरे अंदर बिजली दौड़ने लगी। बहुत देर तक उन्होंने मेरे साथ चुम्मा चाटी की। बुढापे में जब वो इतनी मजा दे रहे थे तो मेरी सास को कितना मजा दिया होगा। मैंने सोचा।
मैंने उन्हें अपने ऊपर से उतारा। वो मेरे चूंचियो के ऊपर सीने पर किस कर रहे थे। कुछ ही पलो में मेरी चूंचियो को अपने हाथो से दबाने लगे। मैंने उस दिन नेट वाली साडी और ब्लाउज पहन रखा था। जिसमे सबकुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। मैं भी ससुर जी के धोती पर अपना हाथ रख कर उनके लौड़े को बहुत ही अच्छे से सहला रही थी। उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक को एक एक करके खोल दिया। मै ब्रा में उनके सामने लेटी थी। वो मेरी चुच्चो को घूर घूर कर देख रहे थे। उन्होंने मुझे उल्टा लिटाकर ब्रा को भी खोलकर मेरे दोनो पंछियों को आजाद कर दिया। गोरे गोरे मेरे मम्मे बहुत ही जबरदस्त दिख रहे थे। ससुर जी दबा दबा कर कहने लगे। बहुत ही जबरदस्त चूँची है तुम्हारी। इतनी सॉफ्ट तो मैंने पहले कभी नहीं दबाई थी। आज लगभग 10 साल मुझे किसी की चूंची पीने का अवसर मिला है। इतना कहकर वो मेरी चूंचियो को और जोर से दबा कर पीने लगे।
मै उनको पकड़ कर दबा रहो थी। दांतो से निप्पल को काटते ही मैं “अई.अई…इसस्स्स्स्स्स् स्स्..उहह्ह्ह्ह..ओह्ह्ह्हह्ह..” की सिसकारी भर रही थी। पीते पीते मेरे पेट की तरफ बढ़ने लगे। एका एक मेरी ढोंढ़ी में अपनी जीभ डाल दी। मैं चौंक उठी। उन्होंने मेरी साडी उतारकर पेटीकोट में करके मुझे उठा दिया। पेटीकोट का नाड़ा खोलकर निकाल दिया। मुझे उनके सामने पैंटी में शर्म आ रही थी। वो कहने लगे- “मुझसे क्या शरमाना। मैं अब से तुम्हारा पति ही तो हूँ। जो ख़ुशी तुम्हारा पति देता है। आज से मै दूंगा”
इतना कहकर मेरी चूत पर अपना हाथ रख दिया। अपना लंड मेरी गांड में लगाने लगे। मैंने उनके लंड को कस के पकड़ लिया। उन्होंने कहा-“मेरी जान आज मैं तुम्हे अपने लंड के दर्शन कराता हूँ। अभी तक तुम परदे के पीछे देख़ रही थी”
इतना कहकर अपनी धोती निकाल कर फेंक दिया। वो नीचे कच्छा भी नहीं पहने थे। उनका मोटा काला नाग जैसा लंड बहुत ही डरावना लग रहा था।
मैंने उनके लंड पकड़कर अपने मुयः में रख लिया। उनका सुपारा मै लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। इतना मजा तो मुझे पहले कभी नही आया। मेरे पति का लंड छोटे बच्चे की तरह छोटा सा था। लेकिन मुझे उससे भी खेलने में मजा आता था। उन्होंने मुझे बिस्तर पर उठाकर पटक दिया। उसके बाद अपना कुर्ता निकाल कर मेरी पैंटी निकालने लगे। एक ही झटके में मेरी पैंटी को मेरी चूत से अलग कर दिया। मेरी दोनों टांगों को फैला कर उसका दर्शन किया। उसके बाद अपना मुह मेरी चूत पर लगाकर पीने लगे। मेरी चूत को पीते ही मेरी चीखें निकलने लगी। मै “.अहह ह्ह् ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ.आहा .हा हा हा”, की चीख निकालकर उनका माथा अपने चूत में चिपका दिया। वो भी समझ गए दीपा में कितना जोश है। मैंने अपनी चूत उठाकर चटाने लगी। वो मेरी चूत के दाने को काट काट कर उसका आनंद ले रहे थे। लेकिन मेरी तो जान निकल रही थी।
मैं अपनी चूत को मसल रही थी। अपने लंड को मुठियाते हुए मेरी चूत पर रगड़कर मुझे तड़पा रहे थे।
मैं- ” बाबू जी देर न करो डाल दो अंदर बहुत खुजली हो रही है”
ससुर जी- ” डालता हूँ अभी खुजली और बढ़ने दो”
इतना कहकर अपना लौड़ा जोर जोर से रगड़ने लगे। मेरी चूत से जैसे आग की लपटें निकलने लगी हो। आखिर कर अपना लंड चूत के द्वार पर लगा ही दिया। उन्होने जोर का झटका मारा। आधा लंड मेरी चूत ने घुस गया। पहली बार इतना मोटा लंड मेरी चूत में घुसा था। मैं तड़प उठी। जोर जोर से “आआआअह्हह्हह…ईईईईई ईई..ओह्ह्ह्…अई..अई.अई..अई-मम्मी.” की आवाज निकल गई। वो अपना लंड आधे चूत में ही अंदर बाहर करके चोद रहे थे।
कुछ ही देर बाद दर्द कम होते ही फिर से वही जोर का झटका दिया। मेरी चूत पूरी तरह से फट गई। मुझे लग रहा था मैं बेहोश हो जाऊंगी। दर्द से पसीने से भीग गई। लेकिन आज तो वो अपने मूड में थे। पता नहीं क्या चल रहा था उनके मन में। मेरी दर्द को समझ ही नहीं रहे थे। उसके बाद उन्होंने मुझे लगातार चोद रहे थे। मेरा दर्द कुछ ही देर बाद आराम होने लगा। मैंने भी अब चुदाई का मजा लेना शुरू कर दिया। मै भी अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी। कमर उठाते ही वो लपा लप चोदने लगे। उन्होंने मेरी वक टांग उठा कर खुद भी लेट कर चोदने लकगी। सटा सट उनका लौड़ा अंदर बाहर हो रहा था। मैं भी “.उंह उंह उंह हूँ. हूँ.. हूँ.हमममम अहह्ह्ह्हह.. .अई.अई..अई.” की आवाज निकाल कर चुदवा रही थी। मुझे बहुत ही आनंद मिल रहा था। पहली बार इस तरह से मेरी चुदाई हो रही थी। मेरे पति तो 5 मिनट में ही झड़ जाते थे। ससुर जी ने मुझे खड़ी कर दिया।
मै चुपचाप खड़ी थी। पीछे से मुझे झुकाकर अपना लंड मेरी चूत में घुसाकर खूब जोर जोर से पेलने लगे। मेरी तो जान ही निकाल दी। मै भी काफी दिनों की चुदाई की प्यासी थी। एक एक पल का मजा ले रही थी। वो पेलते रहे मै अपनी चूंचियां मसलती रही। कुछ ही देर में वो थक गये। अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर बाहर किया। उसके बाद वो लेट गए। मै अपनी चूत में उनका लंड घुसाकर उनके ही ऊपर लेट गई। पीछे अपनी गांड उठा कर अपनी चुदवाई करवा रही थी। वो भी अपनी कमर उठा कर मेरी चूत को फाड़ रहे थे। दोनो लोग पसीने से भीग गए। वो भी बहुत गर्म हो गए। अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे कुतिया बना दिया। कुतिया स्टाइल में बैठी थी। वो अपने घुटनों को मोड़कर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। बाप रे इतनी जोर से भी चुदाई होती है। मुझे उस दिन पता चल रहा था।
जब वो मेरी कमर पकड़ कर जोर जोर से अपना लंड जड़ तक घुसा कर अन्दर बाहर कर रहे थे। मुझे पता ही चल रहा था। मुझे आदमी चोद रहा है या रोबोट। मै कुछ ही देर में झड़ गई। अब मेरी चूत दर्द करने लगीं। चूत का भरता बनते ही उन्होंने अपना लौड़ा मेरी गांड़ में घुसाने लगे। मुझे क्या पता था आज मेरी गांड़ भी फटेगी। जैसे ही उन्होंने मुश्किल से अपने लौड़े का टोपा ही घुसाया होगा। मै जोर से “…मम्मी..मम्मी..सी सी सी सी..हा हा हा …ऊऊऊ ..ऊँ..ऊँ..ऊँ ..उनहूँ उनहूँ.” की आवाज निकाल कर चिल्लाने लगी। उन्होंने ने लगातार मेरी गांड़ चुदाई जारी रखी। कुछ देर बाद जब दर्द आराम हुआ तो मुझे भी मजा आने लगा। मैंने भी अपनी गाँड़ मटक्का करवा के चुदवाने लगीं। लेकिन ये सब ज्यादा देर चल नहीं पाया।
वो भीं कुछ ही पलों में झड़ने की कगार पर पहुच गए। उनकी छुड़ाओ करने की स्पीड बढ़ गयी। मै समझ गई। प्रसाद मिलने वाला है। कुछ देर तक चोदने के बाद उन्होंने अपना लौड़ा झट से मेरी गांड़ से निकाला। मेरी गांड़ से लौड़ा निकालते ही मैं बहुत ही उत्तेजित हो गई प्रसाद के लिए। उन्होंने अपना लंड मेरी मुह में ही रख कर स्खलित हो गए। उनका गाढ़ा माल मैं रसमलाई की तरह पी गई। उसके बाद उनके लंड को चाट कर साफ़ किया। दोनों लोग नहाने बॉथ रूम में गए। वहाँ पर भी मुझे लंड खड़ा होते ही एक बार चोदा। अब हम लोग रोज रात भर चुदाई करते हैं।