शिखा: अब तो तू चुड गयी शिखा, धात्ट यार.
विवेक: ऐसे क्यूँ बोल रही है यार. अब तो अछा ख़ासा आराम भी कर लिया हमने. एक रौंद तो बनता है यार अपना अब.
शिखा: मुझे नही पता बनता है या नही. मुझे इतना पता है की अब चुदाई पक्की है 2 घंटे तक.
मैने शिखा को अपनी तरफ खींचा, और उसके गालों को किस किया, और हल्के से बीते किया. उसने स्माइल करते हुए मेरे गालों पर हल्के से मारा. फिर हमने हग किया, और बहुत ज़ोर से हग किया, एक-दूं रोमॅंटिक हग.
शिखा: अर्रे बस-बस अब क्या जान निकाल दोगे क्या भैया? इतना प्यार आ रहा है क्या?
मैने उसे ढीला छ्चोढा और उसके होंठो को चूमा. 1-2 बार किस किया तो शिखा भी मूड में आ गयी, और फिर हम धीरे-धीरे स्मूच करने लगे. कोई जल्दबाज़ी नही थी. बहुत आराम से उसके होंठो को चूस रहा था, और वो मेरे होंठो को चूस रही थी.
मैं उसके बूब्स बहुत आराम से दबा रहा था. उसके सीने और उसके पेट पर हाथ घुमा रहा था. बेड की साइड पर आयिल की बॉटल रखी थी. उसके होंठो को छ्चोढे बिना हाथ बढ़ा कर वो बॉटल उठाई, और उसके सीने और पेट पर आयिल डाला तोड़ा. उसकी बॉडी चिकनी की ताकि उसे रफ ना लगे. फिर किस करते-करते उसके बूब्स कंधे पेट पर तोड़ा प्रेशर से दबा-दबा कर मसाज करते-करते हाथ नीचे ले जाने लगा.
शिखा बस उम्म उम्म्म किए जेया रही थी. वो किस में डूबी थी, आँखें बंद किए हुए. मेरे हाथो की हरकत का मज़ा लूट रही थी. हमने फिर एक-दूसरे के होंठ छ्चोढे और साँस ली.
शिखा (हानफते हुए): मज़ा आ गया यार. एक तो किस की गर्मी, उपर से मसाज. कसम से ऐसे रोमॅन्स के लिए तो हर रात बीच जया करेगी शिखा आपके नीचे भैया.
विवेक: अभी तो बस शुरू किया है जान. तुम बस मज़े लूटो.
फिर मैने उसकी नेक पर किस किया, उसकी नेक को चूसा, कान पर किस किया, तोड़ा बीते किया, और फिर किस करते हुए उसकी पूरी नेक चूसी. उसके बाद उसके बूब्स की तरफ बढ़ा. उसकी चेस्ट पर किस करते हुए चूस्टे हुए उसके बूब्स पर आ गया.
वो मज़े से अपने सीने को उपर उठा रही थी, और बस उम्म्म भैया एम्म बोले जेया रही थी. मैने उसके बूब्स को होंठो में दबाया और निपल को चूसने लगा ज़ोर से दबा कर जीभ से. जैसे कोई बच्चा दूध पीटा है, वैसे ही अपना पूरा मूह उसके एक बूब पर दबा देता और फिर खींच लेता बूब को.
ऐसे करते-करते दोनो बूब्स को आचे से चूसा. उसके क्लेवगे पर जीभ घुमाई तो पागल हो गयी. फिर क्लीवेज लाइन से दाँत गाड़ा कर उसके बूब्स की तरफ बड़ा बीते करते-करते
हाथ में आयिल लिया, और नीचे उसकी छूट के उपर सारा डाल दिया. फिर एक हाथ से उसकी पूरी छूट मसल दी. उपर-उपर से छूट के दोनो होंठ दबाए. उसकी आ निकल गयी.
फिर उसकी छूट को मुट्ठी में भर लिया, और तोड़ा-तोड़ा दबाया तो उसकी आ आ से पता चल रहा था उसे मज़ा आ रहा था.
शिखा: उफ़फ्फ़ भैया दब्ाओ, साली को बहुत मज़ा आ रहा है. दर्द निकल रहा है बॉडी का मेरी छूट के रास्ते से एम्म्म ईईसस्स. भैया खा जाओ मेरे बूब्स दोनो के दोनो एम्म्म भैया. बहुत बड़े कर दिए है आपने मेहनत कर-कर के. मैने उसकी छूट के लिप्स के बीच एक उंगली घुमाई और उसकी वॉल्स पर आयिल लगाया.
फिर 2 उंगलियाँ उसकी छूट में डाली और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा. उसने मज़े से मूह खोला तो मैने लपक के किस कर दिया. फिर उसके नीचे के होंठ को चूसने लगा. उसे समझ ही नही आ रहा था क्या करे, वो इतने मज़े में थी. 2 मिनिट उंगली अंदर-बाहर की, और उसकी छूट ने रस्स छ्चोढ़ दिया.
शिखा: रुकना मत भैया प्लीज़ फिंगरिंग करते रहो. झड़ने दो मेरी छूट को आचे से ह.
वो झड़ती गयी और मैने दूसरे हाथ से लंड पकड़ कर उसकी छूट पर सेट किया, और उंगली निकाल कर एक झटके में लंड पेल दिया. एक-दूं एंड तक जितना जेया सकता था.
शिखा: आहा मा एस, फक मे.
और वो धराशाही हो गयी बेड पर, और बुरी तरफ हाँफ रही थी. मैं वैसे ही उसके उपर लेट गया, और उसकी गर्दन पकड़ कर उसके गालों पर किस किया.
शिखा: वाह भैया, एम्म्म मज़ा आ गया यार. छूट का रस्स निकालने में जो शांति मिली मुझे हाए बता नही सकती मैं. और अब मुझे पता है मज़े लेने की बारी आपकी है. तो जब आप ने इतना मज़ा दिया है, तो लूट लो आप भी अपने मज़े. पेलो जैसे चाहो जितना चाहो. माना नही करूँगी अब आपको. बस 5 मिनिट रूको. मेरी साँस नॉर्मल होने दो भैया.
मैं थोड़ी देर रुका और फिर धीरे-धीरे लंड से धक्के मारने लगा. एक तो छूट रस्स, और दूसरा आयिल, मस्त चिकनी हो रखी थी छूट की सारी दीवारे. लंड सतत से अंदर सतत से बाहर. पूछ पूछ की आवाज़ आने लगी लंड के धक्के पड़ते ही. पर अभी शिखा को दर्द दे कर खुद मज़े लूटने का मॅन नही हो रहा था, इसलिए बस धीरे-धीरे से लंबे-लंबे झटके पेल रहा था.
शिखा: उम्म्म मा एस भैया, और डीप. क्या बात है भैया, आज इतना प्यार कैसे आ रहा है मुझ पर की विवेक हार्ड फक्किंग छोड़ कर शिखा की छूट सॉफ्ट्ली मार रहा है, धीरे-धीरे अंदर तक. वरना अब तक तो छूट में रेल चल जानी थी.
विवेक: बस ऐसे ही मेरी जान तू मेरा इतना ख़याल रखती है. जब चाहु छोड़ने देती है, जैसे चाहु वैसे लंड ले लेती है. तो तुझे मज़े देना भी तो बनता है. अब बस तू एंजाय कर.
मैं तोड़ा सा उठा और कमर को और अंदर तक झटके देने लगा.
शिखा: एम्म्म मा एस भैया फक यार. इतना टाइम हो गया आप का लंड लेते हुए, पर आज भी साला जब अंदर जाता है, तो जान मूह को आ जाती है. ऐसा लगता है हर दिन लंबाई बढ़ रही है इसकी.
विवेक: अब तेरी छूट इतना खींचेगी तो तोड़ा बहुत तो बड़ा हो ही जाएगा ना मेरी जान.
शिखा: हाहाहा वेरी फन्नी एम्म एस फक मे भाई. एस, जस्ट लीके तट ह्म. ऐसे ही पेलते रहो यार, बस रुकना मत भाई. बहुत मज़ा आ रहा है भैया कसम से.
मैं अपने घुटनो के बाल बैठा और शिखा की दोनो टांगे क्रॉस करके अपने कंधे पर रखी. फिर उसके उपर झुक गया तोड़ा, और अपना वेट अपने हाथो पर ले लिया. इससे एक तो शिखा की गांद थोड़ी उठ गयी, जिससे छूट भी थोड़ी और उपर आ गयी, और दूसरा मेरा लंड अब स्ट्रेट था, तो शिखा की छूट में और तोड़ा अंदर तक जेया पाएगा.
मैने लंड पेलना चालू किया, तो उसकी गांद से मेरी थाइस टकरा रही थी, और पाट-पाट की आवाज़े आ रही थी. 5 मिनिट तक ऐसे ही छोड़ा उसको डीप स्ट्रोक्स मार मार कर. फिर उसने अपनी टांगे मेरी कमर पर घुमा ली, और मैने उसकी कमर पकड़ कर उसकी छूट बजाई.
मैने लंड बिल्कुल एंड तक उसकी छूट में पेला, रुका, और निकाला, और फिर यही सेम किया. मस्त मज़ा आ रहा था भाई ऐसे उसकी चुदाई में. हर झटके पर वो आ करती. उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स लंड ढीला ही नही पड़ने दे रहे थे. उसके क्यूट फेस पर मेरे लंड के झटके से होता दर्द और मज़ा देखने में अलग ही मज़ा आ रहा था.
फिर उसकी छूट भी टाइट थी, जिससे मुझे मेरे लंड की स्किन उपर-नीचे होती हुई महसूस होती, और उसकी छूट की गर्मी आए हाए. लंड को ऐसे पिघला रही थी की क्या बतौ. मैने अपनी लेग्स स्ट्रेट की और उसकी छूट में धक्के पेलने लगा. पर इस बार थोड़े तेज़-तेज़, क्यूंकी अब मुझे झड़ना था उसकी छूट में.
शिखा: आ आ आ आ एम्म्म भैया मारो. और तेज़ मारो मेरी छूट. अपनी रंडी को आचे से पेलो. फिर उसकी मा की छूट भी तो बजानी है. भैया फक मे आंड मी मों टुगेदर भैया. अफ ई आम कमिंग.
विवेक: आज तेरी छूट भर दूँगा साली.
शिखा: नही-नही भैया, मेरे मूह में निकालो प्लीज़. मुझे एनर्जी ड्रिंक दो मेरा.
विवेक: नही इस बार तो तेरी छूट में ही निकालूँगा शिखा. अगले रौंद में पीना तू मेरा सारा माल.
मैं उसके उपर लेट गया और उसके हग किया और लंड अंदर-बाहर करने लगा. आखरी झटके में लंड उसकी छूट में जहा तक जेया पाया वाहा तक ले गया, और वही सारा माल निकाल दिया. वो भी झड़ने लगी. उसकी छूट का और मेरा गरम-गरम माल लंड पर महसूस हो रहा था.
मैने उसकी नेक पर बीते किया माल छ्चोढते हुए, और उसने मेरी चेस्ट पर. हम दोनो ही निढाल हो गये थे. करीब हाफ अवर से हमारी चुदाई चल रही थी.
लंड जब बाहर निकला, तो हम दोनो के माल से लथपथ था. लंड से रस्स तपाक रहा था.
शिखा ने उसे मूह में लिया, और आचे से चूस कर सॉफ किया. फिर उसको गोद में उठा कर बातरूम ले गया, और वाहा उसकी छूट सॉफ की
और गांद भी ढोई. वो समझ गयी थी अगला नंबर उसकी गांद का था.