शादी के 7 साल बाद भी कुँवारी

मेरा नाम जय है, उम्र 20 पिछले हफ्ते, मुझे दिल्ली से एक कॉल आया..
मैं गुड़गांवा से दिल्ली पहुँचा..

वो मुझे स्टेशन पर लेने, खुद ही आई थी..
फोन पर उसने, मुझे अपनी कार का नंबर बताया था..
मैंने स्टेशन के बाहर पार्किंग के पास पहुँच कर, उसकी कार को खोज़ लिया पर मैं अभी उसके सामने नहीं गया..
कार में एक 20 साल की खूबसूरत, आँखों पर चश्मे, बॉय कट बाल, गुलाबी रंग की साड़ी पहने हुए, एक स्मार्ट और सेक्सी शादीशुदा लेडी बैठी हुई थी..
कुछ देर, मैं दूर से उसे देखता रहा..
वो तत्पर निगाहों से, भीड़ में मुझे खोज रही थी..
मैंने अपनी पहचान उसे बता दी थी की मैं नीली जीन्स और सफेद शर्ट पहने हुए हूँ..
करीब 5 मिनट बाद, जब मैं उसे नहीं दिखा तो उसने मुझे मोबाइल पर कॉल किया..
मैं पास में खड़ा, सब देख रहा था..
तभी, मेरे मोबाइल की बेल बजी..
फिर मैंने उसकी कार के पास जाकर, मोबाइल चालू किया..
मेरे हैलो बोलते ही वो घबराहट भरे लहजे में बोली – जय, आप कहाँ हो.. .. मैं कब से आपका इंतज़ार कर रही हूँ.. ..
मैं मुस्कुराया और उसके सामने निकल कर, खड़ा हो गया..
मैंने बोला – मैं, यहाँ हूँ.. ..
हम दोनों, अपना मोबाइल अपने कान पर लगाए हुए थे..
उसने मुझे देखा और बस कुछ पल, मुझे देखती रही, चुप चाप..

मैंने फिर कहा – हैलो.. .. क्या हुआ.. ..
वो कुछ हड़बड़ाई और बोली – नहीं नहीं, कुछ नहीं.. .. अंदर आ जाओ.. ..
और, मैं कार में बैठ गया..
वो मुझे देखे जा रही थी..
मैंने कहा – चलें.. ..
वो बोली – हाँ हाँ.. .. चलो.. .. और, हम चल पड़े..
रास्ते में मैंने पूछा – हम कहाँ चल रहे हैं.. ..
वो बोली – मेरे घर में.. ..
कुछ देर बाद, कार एक कॉलोनी के एक आलीशान से दिखने वाले घर के अंदर दाखिल हो गई..
ना जाने ये संयोग था या ज़्यादातर बड़े अमीर लोग ही, जिगोलो की सेवाएँ लेते हैं..
फिर, हम कार से उतरे..
उसने चाभी से दरवाज़ा खोला और हम अंदर आ गये..
अंदर का हाल देख कर, मैं तो चकरा सा गया..
बिल्कुल फिल्मों की तरह का घर था, वो..
मैं सोफे पर जा कर बैठ गया..
उसने कहा – आप खाना खा लीजिए.. ..
मैंने कहा – अरे नहीं, नहीं.. .. अभी नहीं.. .. मुझे भूख नहीं है.. ..
फिर उसने टीवी चालू किया और मेरे पास खड़ी खड़ी, टीवी देखने लगी..
वो कुछ पहल नहीं कर रही थी या कहिए, वो समझ ही नहीं पा रही थी की करना क्या है..

एक जिगोलो होने के नाते, मैं समझ गया की ये इसका पहला अनुभव है, किसी पराए मर्द के साथ..
वो साड़ी पहने हुए खड़ी थी और साड़ी में उसके नितंब (चूतड़) के शेप ग़ज़ब ढा रहे थे..
उसके नितंब देख कर, मैं पगलाया जा रहा था..
मैंने ही पहल करने की सोची और धीरे से, उसका हाथ पकड़ा..
उसका हाथ पकड़ते ही, उसने सिर उठा कर और आँखें बंद करके अपनी गर्दन मेरी तरफ घुमाई..
मेरे दिल की तो धड़कन बढ़ गई..
अब वो मेरी आँखों में आँखें डाले, बड़ी लाचार नज़रों से मुझे देखने लगी..
कुछ पल, हम एक दूसरे को यून्हीं देखते रहे..
अचानक, वो पलटी और मुझसे लिपट गई..
अब वो घुटनों के बल थी और मैं सोफे पर..
कुछ देर, वो मुझसे लिपटी रही..
मैं उसकी धड़कन और धौकनी की तरह चलती, उसकी साँसें महसूस कर सकता था..
वो मुझे कस कर, अपनी बाहों में लिए थी..
थोड़ी देर बाद, मैंने उस के कंधे पकड़ कर उसे उठाया तो देखा की उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे..
ये देख कर, मैं हैरान हो गया..
मैंने पूछा – क्या बात है, मेडम.. .. आप रो क्यूँ रही हैं.. ..
मैंने उसका चेहरा, अपने दोनों हाथों में ले लिया और उसके आँसू पोछे..
वो कुछ देर तो शांत रही, फिर उठ कर मेरा पास वाले सोफे पर बैठ कर बोली – मेरे पति मुझे शारीरिक सुख नहीं दे पाते.. .. वो “नपुंसक” हैं.. ..
ये सुनकर, मैं हैरान रह गया..
मैंने सोचा – इतनी सुंदर और जवान औरत और पति नमार्द.. .. वाह, भाई कुदरत का इंसाफ़.. ..
खैर, उसने आगे बताया – हमारी शादी को 7 साल हो गये हैं पर मैं अभी तक “कुँवारी” हूँ.. .. मैं ज़्यादा अमीर परिवार से नहीं थीं और जब मेरी सास, हमारे घर रिश्ता लेकर आई तो मेरे घर वाले फूले नहीं समाए.. .. क्यूंकी मेरे पति का परिवार, काफ़ी नामी और रहीस था.. .. जैसा की आप देख ही सकते हैं.. .. हालाकी मेरी दादी ने कहा की अगर ये लोग, अपने से इतने नीचे तबगे में शादी कर रहे हैं तो कुछ गड़बड़ ज़रूर है पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी और तर्क दिया की मैं बहुत सुंदर हूँ और लड़के को पसंद आ गई होंगी.. .. सुंदरता के आगे, अमीरी ग़रीबी नहीं देखी जाती.. .. शादी के बाद से तो मेरे पति, मेरी तरफ देखते भी नहीं.. .. मेरे मायके वाले यानी मेरी माँ कहती हैं की शादी के बाद पति ही सब कुछ होता है, जैसा भी हो.. .. अब तो मेरा आत्म हत्या करने को मन करता है.. .. आख़िर औरत तो मैं भी हूँ.. .. क्या करूँ, जब दूसरो को देखती हूँ तो ये “जिस्म की तड़फ़” अब मुझसे सहन नहीं होती.. .. ये तो अच्छा हुआ की कहीं से मुझे तुम्हारी मेल आई डी मिली और मैंने पहली और आखरी बार, ये प्रयास किया.. .. और आज तुम यहाँ हो.. ..
ये सुनकर, मुझे उस पर दया आ गई..
फिर मैंने उस से बोला – तुम्हें आत्म हत्या करने की कोई ज़रूरत नहीं है.. .. ये सब कुदरत का खेल है.. .. उसने शरीर दिया है तो भूख भी दी है.. .. उस भूख को मिटाने के लिए, कोई भी काम ग़लत नहीं है.. .. तुम जब चाहो, मुझे बुला सकती हो.. .. बेफ़िक्र रहो और खुश रहो.. .. हमारा राज़, ताउम्र राज़ ही रहेगा.. ..
उसने कहा – आप जानते नहीं, मेरे पति और ससुर काफ़ी रुतबे वाले और नामी लोग हैं.. .. अगर, उन्हें भनक भी लग गई तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ेंगें.. ..
इस पर, मैंने कहा – आप चिंता मत करो.. .. जब आपको ऐसा लगे की हमारा मिलना पूरी तरह सुरक्षित है तभी आप मुझे संपर्क करना.. .. और बाकी आप, ऊपर वाले पर छोड़ दीजिए.. .. वैसे भी कल क्या होगा, ये सोच कर आज मत खराब कीजिए.. .. खुश रहिए और जिंदगी के मज़े लीजिए.. ..
मेरी बातों से उसे कुछ अच्छा लगा..

अब उसने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों में लिया और अपने गुलाबी होंठ, मेरे होंठों पर रख दिए..
उनमह.. .. .. ..
मैं तो “स्वर्ग लोक” में ही, पहुँच गया था..
अब हम दोनों, एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे..
करीब 10 मिनट तक, मैं उसके होंठ बड़े प्यार से चूसता रहा..
कुछ ही देर में, हम दोनों पर मस्ती छाने लगी..
फिर, मैंने उसे अपनी गोद में लिटा लिया..
वो तो अभी भी मेरे होंठ चूस रही थी, बिल्कुल ऐसे जैसे किसी बच्चे को उसका मनपसंद खिलोना मिल गया हो..
मेरा एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे था और अब एक हाथ, मैंने उसके चुचे पर रख दिया..
उसके चुचे पर हाथ रखते ही, उस ने और ज़ोर से मुझे कस कर पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से होंठ चूसने लगी..
उसके चुचे, करीब 34 साइज़ के थे और बहुत ही गोल थे..
उसकी साँसें, अब तेज़ चलने लगी थी..
फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठो से हटा लिए और मेरे होंठ उसके गालों से होते हुए, उसकी गर्दन को चूमने लगा..
फिर, गर्दन से होते हुए उसके चुचे पर अपने होंठ रख दिए..
अभी तक मैं उसका ब्लाउज खोल चुका था और ब्रा भी ऊपर कर चुका था..
मैंने उसके “भूरे निप्पल” अपने होंठों के बीच दबाए तो वो मचल उठी..

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उसने अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ा और अपने सीने की तरफ खींचा और ज़ोर से मेरा सर, आपने सीने पर दबा दिया..
वो “जल बिन मछली” की तरह, तड़फ़ रही थी..
मैं करीब 30 मिनट तक, उसके मम्मे से खेलता रहा..
हम अभी तक सोफे पर ही थे लेकिन मैं अभी भी नीचे नहीं पहुँचा था.. {चूत पर}
करीब 4 बज ने को थे..
मेरे साथ “ओरल सेक्स” से ही वो, झड़ चुकी थी..
फिर कुछ देर, मैं उसे यूँही अपने सीने से लगाए बैठा रहा..
अचानक वो उठी और उसने मेरे माथे पर किस किया और खड़ी हो गई..
अपनी साड़ी ठीक कर, वो बाथरूम चली गई..
तब तक मैंने भी अपने पैर सीधे किए और टीवी देखने लगा..
वो बाथरूम से वापस आई तो बोली – आप, चाय पीते हो.. ..
मैंने कहा – जी हाँ.. ..
वो बोली – ठीक है.. .. मैं चाय बनाकर लाती हूँ.. .. ये कह कर, वो किचन में चली गई..
इस बीच मैं भी उठा और बाथरूम गया और वापस आकर, फिर टीवी देखने लगा..
कुछ ही देर में, वो चाय ले कर आई..
एक कप मुझे दिया और एक कप खुद ने ले लिया और मेरे पास बैठ गई..
हम दोनों, चुपचाप चाय पी रहे थे और टीवी देख रहे थे..
मैं रात भर ट्रेन में सोया नहीं था इसलिए मुझे नींद आ रही थी..
चाय ख़तम करते ही, मेरी सोफे पर ही आँख बंद हो गई..
कुछ देर बाद, उसने मुझे हिलाकर जगाया..
मैंने हड़बड़ा कर आँख खोली तो वो मुस्कुरा रही थी..
बोली – क्या बात है.. .. नींद आ रही है.. ..
मैंने कहा – हाँ, रात भर ट्रेन में सो नहीं पाया.. .. इसलिए थकान भी है.. ..
उसने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा और मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे खड़ा किया..

फिर बोली – चलो, बेड रूम में सो जाओ.. .. तब तक मैं घर का काम कर लेती हूँ और खाना भी बनाना है.. .. सारे नौकरों को छुट्टी दे रखी है.. ..
मैंने कहा – हाँ, ये ठीक है.. ..
मुझे वो अपने बेडरूम में ले गई..
उस रूम में अजीब सी गंध आ रही थी..
मैं रूम में पहुँचते ही, बेड पर लेट गया और उसे भी अपने ऊपर खींच लिया..
उसके गालों को, होंठों को और उसके माथे को चूमा..
उसने भी मुझे किस किया और मुझसे बोली – आप सो जाओ.. .. और, वो ये कह कर रूम से बाहर चली गई..
जल्दी ही, मुझे नींद आ गई और मैं सो गया..
शाम के 7 बज़े, उसने मुझे ज़गाया और बोली – उठिए, रात होने वाली है.. .. आप जल्दी फ्रेश हो कर, बाहर आइए.. .. मैं आपका खाने पर इंतज़ार कर रही हूँ.. ..
ये कहकर, वो चली गई..
मैं उठा और फ्रेश होकर, बाहर कमरे में पहुँचा..
वो खाने की टेबल पर बैठी, मुस्कुरा रही थी..
मुझे देख कर बोली – नींद आई या नहीं.. ..
मैंने कहा – हाँ थकान दूर हो गई है.. ..
फिर हम दोनों ने खाना खाया और मैं खाना खाने के बाद, सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा और वो कुछ काम करने किचन में चली गई..

करीब 15-20 मिनट बाद, वो सब काम ख़तम करके आई और मुझसे बोली – एक मिनट में आई मैं.. .. और ये कहकर, वो अपने बेड रूम में चली गई..
करीब 5 मिनट में वो वापस आई तो उसे देख कर, मैं हैरान रह गया..
उसने अब आसमानी नीले रंग की बिना बाहों की नाइटी पहन रखी थी..
परफ्यूम की महक, उस माहौल को और कामुक बना रही थी..
बिलकुल “सेक्स की मूरत” लग रही थी, वो..
मैं कुछ देर उसे देखता रहा..
फिर मैं उठ कर खड़ा हुआ और उसे अपनी गोद में उठा लिया..
उसने भी अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल दी और मेरी आँखों में देखने लगी..
मैंने उसे किस किया और ऐसे ही गोद में उठाए हुए, बेड रूम में पहुँचा..
उसे मैंने बेड पर लिया दिया और उसे किस करने लगा..
उसके दोनों हाथ, मेरे सर को पकड़े हुए थे..
अब मैं पूरी तरह उस पर झुक गया और मैं उसके बिल्कुल ऊपर लेट गया..
उसके होंठों को किस करते हुए, अपने पैर उसकी जांघों से रगड़ने लगा..
अब मेरा लण्ड, उसकी चूत को महसूस कर रहा था..
मैं उसके होंठों को चूसते हुए, अपने पैर उसके पूरे कमर के नीचे के पार्ट पर बुरी तरह रगड़ रहा था..
अचानक, उसने मुझे कस कर मेरी पीठ पर पकड़ा और मुझे बिस्तर पर पलटा दिया..
अब वो मेरे ऊपर थी और अपने पैर मेरे दोनों तरफ डाल कर, मेरे पेट पर बैठ गई..
वो बहुत मतवाली हो गई थी..

पागलों की तरह, मेरी शर्ट उतारने लगी..
वो इतनी जल्दी में थी की उसने मेरी शर्ट के बटन भी तोड़ दिए..
अब मेरा सीना खुला हुआ, उसके सामने था..
कुछ देर तक, वो मेरा चौड़ा सीना देखती रही..
फिर उसने मेरे सीने पर प्यार से हाथ फेरा और धीरे धीरे, मेरे सीने पर झुक गई और बेतहाशा मेरे सीने को चूमने लगी..
कुछ देर बाद, उसने मेरी जीन्स खींच कर उतार दी..
अब मैं, सिर्फ लंगोट में था..
उसने मेरी चड्डी के ऊपर से ही, मेरे लण्ड पर अपना हाथ फिराया..
मेरा लोहे की तरह सख़्त 7 इंच लंबा लण्ड, चड्डी फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो रहा था..
उसने मेरी चड्डी नीचे कर, मेरे लण्ड को बाहर निकाल लिया..
अब वो कुछ नीचे खिसक कर लेट गई और मेरे लण्ड को प्यार से हाथ में लेकर देखने लगी और मेरे लण्ड से खेलने लगी..
वो अपना एक गाल मेरो जांघों पर रख कर लेटी थी और उसका मुंह, मेरे लण्ड के पास था..
मैं ऊपर ही लेटा हुआ, उसके सर पर हाथ फेर रहा था..
उसने मेरे लण्ड का सुपाड़ा बाहर निकाला और अपनी जीभ से चाटने लगी..
फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुंह में डाल लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी..
मैं मतवाला हो गया..

करीब 10 मिनट बाद, मैंने उसे ऊपर खीचा और अब मैंने उसे बिस्तर पर पलटा दिया..
अब मैं उसके ऊपर था और मैंने उसकी नाइटी उतार दी..
वो लाल पैंटी और ब्रा में आ गई..
उसका बदन देख कर, मैं हैरान हो गया..
अभी तक, मैंने ना जाने कितनी औरतों को चोदा होगा पर ऐसा “संगेमरमर का बदन”, पहली बार मिला था..
मैं तो बिल्कुल मदहोश हो गया..
अब मैंने उसे, प्यार से चूमना शुरू किया..
पैर से होते हुए, जांघों को चूमते हुए, चूत के पास पहुँचा..
पैंटी के ऊपर से ही चूमते हुए, धीरे से मैंने उसकी पैंटी उतारना शुरू की..
उसकी पैंटी हटते ही, उसकी ग़ज़ब की “चिकनी चूत” मेरे सामने आने लगी..
वहाँ, एक भी बाल नहीं था..
मैंने उसकी पूरी पैंटी उतार दी और अपनी जीभ, उसकी चूत पर रख दी..
उसके मुँह से सिसकारी निकल गई..
मैं करीब 15 मिनट तक, उसकी चूत का रसपान करता रहा और वो मदमस्त सी तड़फती रही..
फिर उसने मेरे सर के बाल ज़ोर से पकड़े और मुझे ऊपर की तरफ खींचने लगी और बोली – क्या मेरी जान निकाल के ही रहोगे.. .. प्लीज़, जल्दी अंदर डालो.. .. प्लीज़, मैं कब से प्यासी हूँ.. .. मुझे और मत तरसाओ.. ..
अब मैंने उसके दोनों पैर को फैलाया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा..
उसकी साँसें, तेज़ चलने लगीं..
वो बार बार अपनी जीभ अपने होंठों पर फेर रही थी और लालच भरी नज़रों से, मेरी तरफ देख रही थी..

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मैंने अपनी कमर से, एक जोरदार झटका दिया और उसके मुंह से एक जोरदार चीख निकल गई..
ईया ह ह ह ह ह आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. ..
उसकी चीख से, पूरा रूम गूँज गया..
उसकी आँखों से, पानी निकल आया..
पर अभी तक मेरा पूरा लण्ड, उसकी चूत में नहीं गया था..
वो अपने जीवन में पहली बार चुदवा रही थी..
बेचारी, अभी तक “कुँवारी” थी..
उसे बेपनहा और बहुत दर्द हो रहा था..
मैं कुछ देर शांत, उसके ऊपर लेटा रहा..
फिर मैंने बड़े प्यार से उसके आँसू पोंछे और कहा – देखो, तुम्हारी उम्र ज़्यादा हो गई है और तुम अभी तक कुँवारी है.. .. थोड़ा दर्द तो होगा पर, फिर अच्छा लगने लगेगा.. .. तुम हिम्मत रखो.. ..
फिर मैंने अपना आधा लण्ड ही अंदर डाले हुए, आगे पीछे होने लगा..
कुछ देर में, उसकी चूत में कुछ नमी आ गई और मेरे लण्ड को अंदर बाहर होने में आसानी होने लगी..
धीरे धीरे, उसका दर्द भी कम हो गया..

फिर मैंने अपनी स्पीड कुछ बड़ा दी और मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा..
अब मेरा पूरा लण्ड, उसकी चूत के अंदर था और उसे भी अब मज़ा आने लगा था..
वो अपने चूतड़ उठा उठा कर, मेरा साथ देने लगी..
उसके मुंह से “सी सी” की आवाज़ निकल रही थी..
अब वो अपने दोनों हाथ, मेरे चूतड़ पर रख के अपनी तरफ खींचने लगी..
मैं लगातार धक्के मार रहा था और वो पागलों की तरह, चीखने लगी और ज़ोर ज़ोर से आपनी चूतड़ ऊपर उछालने लगी..
अहहा उन्म इयाः ज़ोर से जय.. .. और ज़ोर से.. .. हूंम्म सी सी.. ..
वो बहुत बुरी तरह तड़फ़ रही थी..
उसकी चीख, लगातार निकल रही थी..
अब तक वो बिल्कुल पागल हो चुकी थी..
चुदाई की आग में पागल..
मैं भी अपनी पूरी रफ़्तार से लगा हुआ था..
फिर अचानक, मैंने आपनी स्पीड बड़ा दी और उसने भी मेरे साथ साथ अपने चूतड़ तेज़ी से ऊपर उठना शुरू कर दिया और हम दोनों ही अब चरम सुख को पाने के करीब पहुँच गये..
कुछ ही पलों में, हम दोनों ने साथ ही अपना अपना पानी छोड़ दिया..
हम दोनों ही, बुरी तरह हाँफ रहे थे..

मैं भी थक कर उसके ऊपर लेट गया और उसने भी मुझे आगोश में भर लिया..
हम दोनों करीब 10 मिनट तक यूँ ही लेटे रहे..
जब हम कुछ सामान्य हुए तो मैंने उसके चेहरे को देखा..
उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी..
सुकून के अलग ही भाव थे, उसके चेहरे पर..
उसका चेहरा, अब पहले से और ज़्यादा चमक रहा था..
अचानक ही, वो मुझे बेतहाशा चूमने लगी और बोली – जय, आज तुमने मुझे वो खुशी दी है जो शायद ही मैं इस जन्म में नहीं पा सकती थी और ये कहते हुए उसने मेरा माथा चूमा..
रात के 11 बज रहे थे और हम दोनों उठे और बाथरूम गये..
बाथरूम में साफ़ करते वक़्त, हम फिर गरम हो गये..
फिर बाथरूम में ही नहाते हुए, चुदाई की..
इसके बाद, फिर हम आकर बिस्तर पर लेट गये..
अब रात के 2 बज रहे थे..
हम बहुत थक गये थे..
हम दोनों की नींद लग गई..
सुबह 5 बज़े, एकदम से मेरी नींद खुली..
मैंने देखा की वो मेरा लण्ड चूस रही है..
मुझे जागता हुआ देख कर, वो बोली – अभी सुबह, तुम चले जाओगे.. .. तो फिर, मैं क्या करूँगी.. .. मैं तो पागल ही हो जाऊंगी, जय.. .. जीतने समय, तुम मेरे साथ हो उतने समय में जी भर के जीना चाहती हूँ.. ..
फिर, मैंने उसे आपने पास खींचा और उसे प्यार करने लगा..
फिर, हमने करीब 2 दौर चुदाई की..

अब सुबह के 7 बज चुके थे..
हम उठे और फ्रेश होकर, मैंने नाश्ता किया और जाने के लिए तैयार हो गया..
उसकी आँखों में आँसू थे..
वो बोली – रूको.. .. मैं अभी आती हूँ.. ..
ये कहकर, वो अपने रूम में गई और वापस आई तो उसके हाथ में रुपए थे..
वो बोली – ये लो, तुम्हारे रुपये.. ..
वो लगातार, रोए जा रही थी..
मैं कुछ देर, यूँ ही खड़ा रहा..
फिर मैंने, उसे पैसे वापस करते हुए बोला – मुझे इस की आज ज़रूरत नहीं है.. ..
इतना सुनते ही, वो मुझसे लिपट गई..
फिर वो बोली – जय, मैं तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊँगी.. ..
मैंने कहा – मैं भी.. .. आशा करता हूँ, हम दुबारा मिलेंगें पर तब तक कुछ भी ऐसा नहीं करना, जिससे तुम्हें कोई परेशानी हो.. .. हम एक दूसरे के लिए अंजान हैं और आज के बाद, हम तभी मिलेंगे जब तुम आज की तरह बिल्कुल अकेली रहोगी.. .. और हाँ, इस दौरान ना ही एक दूसरे से हम संपर्क करेंगे.. .. तुम शादी शुदा हो.. .. तुम्हें बस “सेक्स” की ज़रूरत थी, वो मैंने पूरी कर दी.. .. और आगे भी ज़रूरत होगी तो करूँगा पर तब तक, मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं है.. .. तुम अपनी ज़िंदगी आराम से बसर करो.. .. और हाँ रही पैसे की बात तो मैं फ्री में कभी कोई काम नहीं करता पर पता नहीं तुम में मुझे ऐसा क्या लगा की मैं तुमसे पैसे लेना नहीं चाहता.. .. खैर, अब चलता हूँ.. .. अपना ख़याल रखना और अगली बार मिलने तक मुझे भूल जाना.. ..
ये कहकर, मैं दरवाजे से बाहर निकल गया..

आज पहली बार, मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो दरवाज़े पर खड़ी थी और उसकी आँखों में से बे हिसाब आँसू निकल रहे थे..
मैं अपने दिल पर पत्थर रख कर, वहाँ से निकल गया..



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