नमस्ते, मैं राज आशा करता हू सब की ज़िंदगी कुशल चल रही है. उमीद करता हू मेरी स्टोरी सब को पसंद आएगी. चलो शुरू करता हू.
कुछ महीने गाओं रह के शहर वापस आ गया. शहर आते ही गाओं में जो सिंधी भाभी के साथ हुआ सब याद आने लगा. कुछ दिन बीते, मीयर्रा चाची और मयंक चाचा ने अपना घर शिफ्ट करा लिया, जो हमारे घर से 15 मिनिट की दूरी पे है. वही पास उनकी खुद की दुकान भी है, जहा अक्सर मेरे पापा जाते थे.
1 महीना गुज़र गया, आज दीवाली के दिन मुझे मा ने कहा चाची के घर पे स्वीट पहुँचा के आना. मैं तुरंत तैयार हुआ और चाची के घर पहुँच गया. वाहा दरवाज़े पे मुस्कुराते हुए दस्तक दी. जैसे ही दरवाज़ा खुला, मुझे झटका लगा. मेरे पापा ने दरवाज़ा खोला. पापा हैरानी से मुझे देखने लगे.
पापा: यहा क्या कर रहा है?
मे: मा ने चाची के लिए स्वीट्स भेजी है. आप क्या कर रहे है यहा पापा? आपको तो मीटिंग जाना था ना.
पापा: हा मयंक से काम था, वो दुकान पे है. अभी वही निकल रहा था.
तभी चाची बातरूम से निकली.
पापा बोले: अब मैं चलता हू.
और वो वाहा से निकल गये.
मे: चाची पापा कब आए, यहा?
चाची (नज़र चुराते हुए कहा): अभी 10 मिनिट पहले. स्वीट्स लाए हो, अंदर आओ बेटा!
सोफे पर बैठे पानी पीते हुए, इधर-उधर नज़र फिरने लगा. तभी बाहर दरवाज़े से आवाज़ आई. दीदी! पलटा तो देखा बहुत खूबसूरत महिला दरवाज़े पे खड़ी थी. हम दोनो की नज़र एक-दूसरे को देखने लगी. तभी चाची ने आवाज़ दी.
चाची: सौम्या, अंदर आओ.
सौम्या: दीदी दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ, आपके लिए मिठाई लाई हू.
चाची: शुक्रिया, रूको आती हू.
कहते हुए वो किचन के अंदर चली गयी. सौम्या 23 साल की शादी-शुदा महिला है. उसका फिगर 36-26-36, हाइट 5’10″, और गुलाबी सारी के उपर स्टान्नो का उभार सॉफ दिख रहा था. उनकी आँखें बड़ी और आइब्रो पतली है. रंग सुनेहरी गोरा, सोने जैसी चमक है चेहरे पे. होंठो पे गुलाबी लाली और उनकी मुस्कान मुझ पर हावी थी.
मैं पूरी तरह खोया हुआ था. वो मुझे डेक्ते हुए सोफा पर बैठ गयी. तभी चाची मुझे हिलाते हुए बोली-
चाची: कहा खोया हुआ है?
तब जाके मैं होश में आया.
चाची: सौम्या ये हमारा बेटा है, आज दीवाली पे स्वीट्स देने आया है.
सौम्या (मुझे डेक्ते हुए): अछा दीदी.
एक और आवाज़ आई “सौम्या दीदी”. दरवाज़े पे देखा बहुत खूबसूरत लड़की सौम्या को आवाज़ देने लगी. उसका फिगर भी 36-25-35 है. समझ गया वो सौम्या की बेहन थी. दोनो बहने एक जैसी दिख रही थी. सौम्या अपनी बेहन को लेके वाहा से चली गयी, और मैं भी बोला-
मे: अब चलता हू चाची.
तभी चाची के कमरे के अंदर मेरी नज़र पड़ी. देखा तो चादर बिखरी पड़ी थी, और चाची की ब्रा ज़मीन पे थी. अब मैं बार-बार चाची के घर जाने लगा दोनो बहनो को देखने. सौम्या की बेहन बाल्कनी पे बैठी किताब पद रही होती थी, और सौम्या कम ही दिखती थी. कुछ दीनो के बाद लगा ऐसे देखने से फ़ायदा नही है. बात शुरू करनी पड़ेगी. अब बस मौके की तलाश में था. फिर कुछ दीनो बाद एक मौका आया.
चाची: बेटा तुम्हारे चाचा ने बुलाया है, तुम यही रुकना. मैं आती हू.
राज: ठीक है.
चाची बाहर गयी, और मैं सोचने लगा कैसे जौ. सोच ही रहा था की तभी सौम्या की बेहन दरवाज़े पे आई. इस अचानक हुई मुलाकात से मैं घबरा गया.
वो फिर बोली: आंटी है?
मैं तुरंत बोला: नही.
कुछ देर वो वही खड़ी थी, और हम दोनो एक-दूसरे को निहार रहे थे की तभी वो बोली-
वो: अछा.
और पलट गयी.
मैने पूछा: रूको, क्या नाम है तुम्हारा?
वो अचानक घबरा सी गयी, और धीरे से बोली: सपूर्ती.
मे: प्यारा नाम है. क्या काम था चाची से? वो अभी बाहर गयी है.
सपूर्ती: कॉफी पाउडर चाहिए था, बाद में आती हू.
मे (मौका डेक्ते हुए बोला): अंदर आओ देख लो, अगर मिले तो ले जाना.
उसने एक बार माना किया, पर दूसरी बार मान गयी. मैं उसकी मस्त गांद निहारते हुए पीछे-पीछे किचन के अंदर गया, और देखने लगा कॉफी पाउडर कहा था. हमको नीचे कही नही मिला, तो उपर शेल्फ पे मैने हाथ फेरा. लेकिन नही मिला. उसकी हाइट 5’7″ के करीब है.
मे: शायद उपर है हाथ नही पहुँच रहा.
सपूर्ती: ओह?
मैं बोला: मुझे नीचे से उपर उठाओ, डेक्ता हू.
वो शॉक हुई और बोली: नही हो पाएगा.
जैसा मैने सोचा था, तुरंत बोला: मैं पकड़ लेता हू.
और वो एक बार में ही मान गयी. सपूर्ती मेरी तरफ पीठ करे खड़ी हुई. मैने उसके शरीर को निहारते हुए उसकी जांघों से पकड़ा, और उपर उठाया. उसने लूस और तोड़ा लंबा त-शर्ट और लेगैंग्स पहना था.
सपूर्ती देखने लगी कॉफी पाउडर कहा था, और मैं उसकी जांघों को महसूस करते हुए उसके शरीर से निकल रही सुगंध स्पर्श करने लगा. बहुत ही कामुक बदन और सुगंध थी.
तभी सपूर्ती बोली: मिल गया.
तो मैने आराम से उसके शरीर को महसूस करते हुए उसको नीचे उतरा.
सपूर्ती: इतना काफ़ी रहेगा, अब मैं चलती हू.
फिर वो कमर लचकाते हुए चली गयी.
मे: ठीक है.
क्या मुस्कान थी उसकी, इंसान खो जाए. जेया ही रही थी की तभी पलट के पूछा-
सपूर्ती: आपका नाम क्या है?
मैं आराम से बोला: राज.
वो मुस्कुराते हुए चली गयी. चाची कुछ देर बाद घर आ गयी. मुझे खोया हुआ देख कुछ नही बोली, और अंदर चली गयी. कुछ दिन ऐसे चला. अब हम दोनो बातें करने लगे, जैसे ही-हेलो, नमस्ते, इशारे से कर लेते. एक दिन उसने मेरा नंबर पूछा.
मैं घबरा गया क्यूंकी मेरा फोन नही था. मैने चाची और मा का नंबर दे दिया, और उसको बता दिया की मेरे पास मोबाइल नही था, और उसका नंबर लिख लिया.
अब हर दिन मैं जब भी घर पे होता, मा के फोन से चाटिंग और कॉलिंग करता, और चाची के घर पे जब चाची को कही जाना होता, तो उनका मोबाइल पूच लेता. धीरे-धीरे फोन पे चाटिंग और कॉलिंग होने लगी. एक समय ऐसा आया, जब बात करते हुए मैं बोला-
मे: सपूर्ती, पता है ना तुम बहुत सेक्सी हो.
सपूर्ती: हा पता है, तो?
मे: कोई लड़का प्रपोज़ किया है?
सपूर्ती: हा बहुत सारे है, पर एक को पसंद करती थी, जो धोखा देके चला गया.
मे: कैसा धोखा?
सपूर्ती: वो किसी दूसरी रंडी को पसंद करने लगा.
मे: वाह, गाली भी देती हो.
सपूर्ती: उसे याद करते ही बहुत गुस्सा आता है, छ्चोढो उसको.
मे: उसके साथ कभी कुछ हुआ है?
सपूर्ती: तुम को यही जाना है ना की कभी चुदाई की है. वो मदारचोड़ इसी फिराक़ में था, पर कभी किसी से ऐसा किया नही है. मिल गया जवाब? अब रखो फोन. सारे लड़के मदारचोड़ होते है.
और उसने काट दिया फोन. उस दिन बहुत बार फोन किया, लेकिन उसने नही उठाया. फिर चाची के घर गया, उसके फोन से किया, फिर उनके घर गया. सौम्या दरवाज़े पे आई. कुछ देर उसको निहारते हुए बातें की, और वाहा से निकल गया. करीब 1 वीक बात नही हुई हर दिन की कोशिश बेकार हो जाती.
2 दिन बाद मेरी मा और चाची दोनो ने दाँत लगाई की फोन का बिल बहुत आया था, और मैं करता क्या था फोन लेके. अब फोन भी बंद हो गया. तीसरे दिन मैं चाची के साथ बैयटा था. तभी सौम्या वाहा आई, और कुछ लेके चली गयी.
चाची: बेटा उपर सपूर्ती को बुला लाओ.
मैं हैरान हुआ और खुश भी.
चाची: रूको मैं जाती हू.
उनके कहते ही मैं बिना कुछ बोले उपर भागने लगा. दरवाज़ा खुला था. मैं अंदर गया, वाहा सपूर्ती टीवी देख रही थी. मैने पीछे से जाके उसको नाज़ुक कंधो को पकड़ लिया, जिससे वो घबरा गयी.
सपूर्ती: तुम यहा क्या कर रहे हो?
मे: मेरा फोन क्यूँ नही पिक कर रही?
सपूर्ती: तुझे क्या लगता है तुम प्यार से दो बातें करोगे, और मैं तुझसे चुदाई कर लूँगी.
मे: मैं बस तुम्हारा अतीत जानना चाहता था.
सपूर्ती: जान लिया, अब जाओ.
मे (गुस्सा हुआ और बोला): जेया रहा हू. आपको चाची बुला रही है.
मैं भी वाहा से चला गया, और कुछ देर बाद वो नीचे आई. अब मुझे लगा यहा कुछ नही होने वाला था. तो उसकी बेहन सौम्या को फसाने की सोचने लगा. क्यूंकी उसका पति बिज़्नेसमॅन था, और बहुत समय बाहर ही मीटिंग पे रहता था.
काम शुरू किया. मैने चाची के सामने उसका नाम लेते हुए कहा-
मे: सौम्या कैसी हो?
सौम्या: कितनी बार बोला है, की भाभी बोला कर कुत्ते.
और हासणे लगी. सपूर्ती का मूह देखने लायक था. वो लाल हो चुकी थी.
मे: सौम्या भाभी आप बहुत खूबसूरत हो. भैया लगता है बहुत ख़याल रक्ते है.
सौम्या: शैतान, हा बिल्कुल.
चाची उसको मुस्कुराते हुए देखने लगी, जैसे कुछ राज़ पता हो.
चाची: सौम्या, राज बड़ा हो गया है. इसको तेरा पति खुश करता है या नही जानना है हाहाहा.
सौम्या (हेस्ट हुए): शादी करवा दो दीदी. पूछना बंद कर देगा.
मे: आप दोनो जैसी कोई मिली तो करूँगा, वरना नही.
सौम्या: तुमको हम दोनो जैसी चाहिए या हम दोनो हाहाहा?
चाची: क्यूँ बेटा, हम दोनो को रखने का इरादा है?
दोनो मेरा मज़ाक बना के हासणे लगी.
मे: नही-नही (तोड़ा शरमाते हुए बोला), ये क्या बोल रहे हो दोनो.
चाची बोली: बेटा अब ज़मीन पे आओ, और शांत हो जाओ. चलो तुम्हारे घर चले.
कहते ही दोनो हेस्ट हुए चलने लगी. हमको शुरुआत मिलना था मिल गया. अब हर दिन तीनो ऐसे ही मज़ाक करते थे.
सपूर्ती गुस्सा होने लगी. एक दिन शाम के समय घर के अंदर से बाहर निकला. सपूर्ती अचानक मेरा हाथ पकड़ के चाची के घर के पीछे सीडीयों के पास वेल स्टोररूम के पास ले गयी.
वाहा वो पूछने लगी: प्यार करते हो मुझसे?
मैं बोला: नही.
उसने तुरंत मेरे होंठो पे अपने होंठो को रखा, और चूसने लगी. मेरी आँखें शॉक से बड़ी हो गयी. एक लंबी किस के बाद फिर बोली-
सपूर्ती: अब?
मैं कुछ नही बोला, तो वो वही अपने कपड़े खोलने लगी. मैं बस एक नज़र से वाहा खड़ा देखता रहा. सपूर्ती पहले अपनी त-शर्ट उतार दी. उसने ब्रा नही पहनी थी. उसके 36″ के गोल स्टअंन मेरे सामने थे. फिर सपूर्ती ट्राउज़र खोल के फेंक देती है. मैं उसको उपर से नीचे तक देखने लगा. उसके शरीर का आकार नशीला और बहुत पर्फेक्ट था. उसका बदन देख मेरा लंड खड़ा हो गया.
वो बोली: यही चाहिए था ना?
मेरा दिमाग़ बोलने लगा: हा खा जौंगा तुझे.
फिर मॅन बोलने लगा: ना बोल.
इस उलझन से बाहर निकलना था. पता था अगर आज मौका हाथ से निकल गया, तो कभी फिर मिलेगा गॅरेंटी नही थी. पहली बार मॅन की बात मानी.
पास में पड़ी उसकी त-शर्ट और ट्राउज़र उठाया, और बोला: ग़लत समझ गयी हो मुझे. मैने तुम्हारे शरीर की वजह से पसंद नही किया था.
और उसके हाथ के उपर कपड़े रखे.
वो चौक गयी और बोली: सॅकी?
कुछ देर खामोशी रही, और वो खुश हुई, और मुझे गले से लगा लिया. मैने भी उसकी नंगी पीठ पे हाथ रखा. फिर वो मेरे होंठो को चूमने लगी. दोनो बहुत देर तक चूमने लगे. फिर सपूर्ती और मैं अलग हुए. मैने उसको पकड़ा, और वही चारपाई पे लिटा दिया.
मैने सपूर्ती की आँखों में देखते हुए अपनी ट्रॅक पंत और शर्ट उतार दी. अब दोनो बस चड्डी में थे. जैसे ही मैं उसको उपर से नीचे प्यार से देखने लगा, वो शर्मा गयी.
मैने कहा: अब शर्मा रही है. फिर उसके गले पे चूमने लगा, और हाथ हटा दिया, और उसकी चुचियो को चूसने लगा, और दूसरे हाथ से दबाने लगा. दोनो मस्त गोल चुचियो को आचे से चूसने और दबाने के बाद, उसके बदन के आकर को स्पर्श करने लगा.
मेरे मूह में पानी आने लगा. सपूर्ती हल्की आहें भरते हुए हिलने लगी, जिससे वो और सुंदर दिखने लगी. उसका बदन चूमते हुए मैने अपनी दो उंगलियों से उसकी पनटी उतार ली. फिर मैने उसको धक्का दिया और अपना अंडरवेर उतार लिया, और उसके सामने बैठ गया.
मैं उसको आँखें खोलने बोला. वो माना करने लगी. फिर धीरे से खोली, और दर्र गयी. “इतना मोटा, नही-नही” कहते हुए चीकने लगी. तभी मैने उसका मूह पकड़ लिया.
मे: क्या कर रही हो. पिटवाना है क्या?
सपूर्ती: बहुत बड़ा और मोटा है, नही जाएगा. प्लीज़ जाने दो.
मैने जैसे-तैसे माना लिया. इतनी दररी हुई थी की चूसने से माना करने लगी. मैं फिर नीचे उसकी छूट के पास गया. पागल सा हो गया था मैं. छूट पे बाल नही थे, और गुलाबी छूट थी. टाइम वेस्ट ना करते हुए अपने होंठो से उसकी छूट चूसने लगा. उसकी फिट जांगे मेरे गले को ज़ोर से दबा लेती है.
मैं तुरंत हॅट गया. थोड़ी साँस ली, फिर चूसने लगा. नमकीन रस्स मेरे मूह के अंदर अपने आप उसकी छूट से बहने लगा. कुछ देर चूसने के बाद मैं उठा, और उसकी छूट पे अपना लंड सेट किया. सपूर्ती तोड़ा दर्द होगा, चिल्लाना नही.
उसने अपना मूह ज़ोर से पकड़ लिया. मैने फिर अपना लंड उसकी छूट पे सेट किया, और धीरे से उपर नीचे हिलने लगा.
सपूर्ती अपने आप को रोक नही पा रही थी. वो अपनी कमर उपर-नीचे करने लगी. मौका डेक्ते हुए मैने उसकी कमर दोनो हाथो से पकड़ ली, और थोड़ी उपर मेरी कमर तक उठाई, और अपने लंड से उसकी छूट पर खेलने लगा.
सपूर्ती: राज अब ऐसे हू तड़पाना है?
मैने उसकी दोनो टाँगो के बीच अपना लंड फिर सेट किया, और बोला-
मे: चिल्लाना नही.
लड़कियों की चुदाई करके अब इतना एक्सपीरियेन्स था. मैने उसकी छूट के उपर धीरे से रग़ाद लगते हुए लंड का टोपा अंदर घुसा दिया. उसकी बस एक ही आ निकली. थोड़ी देर वही धीरे-धीरे हिलने लगा, और फिर उसके होंठो को चूमते हुए चुचियो को दबाने लगा.
उसकी छूट गरम और बहुत गीली हो चुकी थी. मेरा लंड खुद ढाका मारते हुए उसकी छूट के पूरा अंदर घुस गया. सपूर्ती तोड़ा झटपटाने लगी, और कुछ ही देर बाद आहें भ्रने लगी. अब सपूर्ती खुद नीचे से अपनी छूट हिलने लगी, जिससे जोश और बढ़ने लगा और मैं धक्के मारने लगा. सपूर्ती का फोन वाइब्रट होने लगा. सौम्या का कॉल था. वो घबराने लगी और बोली-
सपूर्ती: जाना है, जल्दी करो.
और मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्का देने लगा. धक्के के बीच उसका पानी निकल गया और करीब 10 मिनिट ज़ोर-ज़ोर धक्को के बाद मैने उसकी गोल चुचियो पे अपना पानी निखाल दिया.
चलती हू बोलते हुए बस जल्दी-जल्दी उसने अपने कपड़े पहन लिए, और छूट पकड़ के बाहर दर्द से हानफते हुए चली गयी. ज़मीन पे और मेरे लंड पे खून लगा हुआ था, जिससे सॉफ करके घर के बाहर बैठ गया.
अब वो मेरी गर्लफ्रेंड बन चुकी थी. उसके सात जब मौका मिलता वही छूट पेल देता. आयेज की कहानी अगले एपिसोड में बतौँगा.