‘ये अभी चुदी नहीं है राजा.. बस मेरे साथ खेलती रहती है.. जरा आराम से धीरे-धीरे पेल.. मैं इसको संभालती हूँ।’
नीलू ने मुझे लण्ड पेलने का इशारा किया और नीतू की चूचियां मसलते हुए उसके होंठों पर होंठ रख कर चूसने लगी।
मैंने जोर का धक्का मारा और आधा लण्ड नीतू की बुर में पेल दिया।
नीतू जोर से कसमसाई.. मगर नीलू ने उसे दबा रखा था और फिर नीतू कमर उठाने लगी जो मजा आने का इशारा था।
मैंने बाकी का आधा लण्ड भी नीतू की बुर में पेल दिया और नीलू ने अपनी बुर नीतू के मुँह पर रख दी और इधर मैं नीतू की बुर में लण्ड पेल रहा था.. उधर नीलू उससे चूत चुसवाने लगी।
कुछ मिनट चुदाई के बाद नीतू ऐंठने लगी और निढाल पड़ गई।
तब नीलू ने मुझे नीतू पर से हटा कर अपनी बुर पर बुला लिया और मैं कस-कस कर नीलू को चोदने लगा।
दस मिनट चुदाई के बाद नीलू शान्त हो गई और मैंने अपना लण्ड उसकी बुर में जड़ तक घुसेड़ कर झाड़ दिया और उसके ऊपर लेट कर आराम करने लगा।
नीतू भी हम से आकर लिपट गई।
उसके बाद हम लोगों का रोज दिन व रात में चुदाई का कार्यक्रम चाची के बच्चा होने तक चला।
इसके बाद मैंने चाची को कैसे चोदा आगे की कहानी में बताऊंगा।