वो बोली, बाप रे ये कितना बड़ा हे!!!
मैं: क्या?
भाभी शर्म के मारे कुछ बोली नहीं. मैंने क्या, मेरे से क्यूँ शर्मा रही हो भाभी. आज तो हमारी सुहागरात हे और तुम मेरी बीवी हो!
भाभी ने कहा आप का लंड कितना बड़ा और मोटा हे!
मैंने कहा आप के लिए ही तो बड़ा हुआ हे!
वो बोली: सच्ची!
मैंने कहा, हां मेरी डार्लिंग, मेरी जान इसको अपने कब्जे में ले लो!
भाभी अपने घुटनों के ऊपर बैठी और उसने लंड को अपने मुहं में भर लिया. कुछ 10 मिनट तक वो लंड को सक करती रही. और मेरा वीर्य निकल के नाली तक आ गया था. वीर्य बहार आया और भाभी सब का सब पानी पी गई. फिर हम दोनों नंगे एक दुसरे से चिपक के सो गए. फिर बहभी ने अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ा और वो उसे हिलाने लगी, देखते ही देखते उसने लंड को वापस कडक कर दिया.
फिर वो अपने लेग्स को खोल के बिस्तर में पड़ी और बोली, आ जाओ मेरे स्वामी!
मेरे लंड को भाभी ने अपनी चूत के ऊपर सही लगाया और उसने मुझे आँख से इशारा किया. मैं एक धक्का दिया और आधा लंड उसकी चूत में गया और भाभी के मुहं से अह्ह्ह्हह निकल पड़ा.
भाभी ने कहा, देवर जी आप के भाई का बहुत छोटा हे इसलिए मेरी कसी हुई हे आजतक. मैं कितनी भी चीखूँ या चिल्लाऊ लेकिन तुम रुकना मत.
मैंने कहा ओके भाभी.
और एक धक्के में मैंने अपने लंड को आधे से भी ज्यादा घुसा दिया उसकी चूत में. भाभी रोने लगी थी इस दर्द की आवाज से! फिर मैंने अपने पौने लंड से भाभी को चोदना चालू कर दिया. भाभी चीख चीख के अपनी गांड को हिला रही थी. और मैं उसे रगड़ रगड़ के पेल रहा था.
मैंने अब एक ऐसा धक्का दिया की मेरा पूरा लोडा भाभी की चूत के अन्दर समां गया. वो दर्द के मारे जोर से कराह उठी और मैंने उसके होंठो को अपने होंठो से लगा दिया.
कुछ देर में वो भी मेरे लंड से एकदम एडजस्ट हो गई थी. और वो अपनी गांड को हिला के चुदवाने लगी थी. भाभी को 10 मिनट तक चोद चोद के मैंने अपने लंड का पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया. वो निहाल हो के मेरे ऊपर आ के लेट गई और मैं उसके बूब्स को चूसने लगा.