ओओओओःह्ह्ह.. भाभी चुदाई की कहानी – 2

भाभी मुझको ललकार कर कहती, लगाओ शॉट मेरे राजा”, और मैं जवाब देता, “यह ले मेरी रानी, ले ले अपनीचूत मे”. “ज़रा और ज़ोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत मे मेरे राजा”, “यह ले मेरी रानी, यह लंड तो तेरे लिए ही है.” “देखो राज्ज्ज्जा मेरी चूत तो तेरे लंड की दीवानी हो गयी, और ज़ोर से और ज़ोर से आआईईईई मेरे राज्ज्जज्ज्ज्जा. मैं गइईईईई रीई,” कहते हुए मेरी भाभी ने मुझको कस कर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोर दिया. अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला, “मैं भी अयाआआ मेरी जाआअन,” और मेने भी अपना लंड का पानी छोर दिया और मैं हान्फ्ते हुए उनकी चूंची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया. यह मेरी पहली चुदाई थी. इसीलिए मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थी. मैं भाभी के सिने पर सर रख कर सो गया. भाभी भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थी.

कुछ देर बाद होश आया तो मैने भाभी के रसीले होंठो के चुंबन लेकर उन्हे जगाया. भाभी ने करवट लेकर मुझे अपने उपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फूस-फूसा कर बोली, “संजू तुमने तो कमाल कर दिया, क्या गजब का ताक़त है तुम्हारे लंड मे.” मैने उत्तेर दिया, “कमाल तो अपने कर दिया है भाभी, आजतक तो मुझे मालूम ही नही था कि अपने लंड को कैसे इस्तिमाल कैसे करना है. यह तो आपकी मेहेरबानी है जो कि आज मेरे लंड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला.” अबतक मेरा लंड उनकी चूत के बाहर झांतो के जंगल मे रगर मार रहा था. भाभी ने अपनी मुलायम हथेलिओं मे मेरा लंड को पकर कर सहलाना शुरू किया. उनकी उंगली मेरे आंडो से खेल रही थी. उनकी नाज़ुक उंगलिओ के स्पर्श पाकर मेरा लंड भी जाग गया और एक अंगराई लेकर भाभी की चूत पर ठोकर मारने लगा. भाभी ने कस कर मेरा लंड को क़ैद कर लिया और बोली, “बहुत जान तुम्हारे लंड मे, देखो फिर से फार-फरने लगा, अब मैं इसको छोड़ूँगी नही.” हम दोनो अगल बगल लेते हुए थे.

भाभी ने मुझको चित लेटा दिया, और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा कर लंड को हाथ से उमेठेने लगी. साथ ही साथ भाभी अपनी कमर हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगार्ने लगी. उनकी चूत पिछली चुदाई से अभीतक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाए हुए था. अब मुझसे रहा नही गया और करवट लेकर भाभी की तरफ मुँह करके लेट गया. उनकी चूंची को मुँह मे दबा कर चूस्ते हुए अपनी उंगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा. भाभी एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर चिपेट गयी और ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुए मेरी उंगली से चुद्वने लगी. अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रही थी.

लंड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सकत हो गया था. अब भाभी को बेताबी हद से ज़्यादा बढ़ गयी थी और खुद चित हो कर मुझे अपने उपर खीच लिया. मेरे लंड को पकर कर अपनी चूत पर रखती हुई बोली, “आओ मेरे राजा, सेकेंड राउंड हो जाए.”मैने झट कमर उठा कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जर तक धँस गया. भाभी चिल्ला उठी और बोले, “जीओ मेरे संजूऊ राजा, क्या शॉट मारा. अब मेरे सिखाए हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फार दो मेरी चूत को.” भाभी का आदेश पा-कर मैं दूने जोश मे आ गया और उनकी चूंची को पकर कर हुमच हुमच कर भाभी की चूत मे लंड पेलने लगा. उंगली की चुदाई से भाभी की चूत गीली हो गयी थी और मेरा लंड सतसट अंदर-बाहर हो रहा था. भाभी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब पूरे जोश के साथ दे रही थी. भाभी ने दोनो हाथो से मेरी कमर को पकर रखहा था और ज़ोर ज़ोर से अपन चूत मे लंड घुस्वा रही थी. वो मुझे इतना उठाती थी की बस लंड का सुपरा अंदर रहता और फिर ज़ोर नीचे खीचती हुई घाप से लंड चूत मे घुस्वा लेती थीं. पूरे कमरे मे हुमारी सांस और घपा-घाप, फ़च-फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. जब हम दोनो की ताल से ताल मिल गयी तब भाभी ने अपने हाथ नीचे लाकर मेरे चूतर को पकर लिया और कस कस कर दबोचताए हुए मज़ा लेने लगी. कुछ देर बाद भाभी ने कहा, “आओ एक नया आसन सिखाती हूँ,” और मुझे अपने उपर से हटा कर किनारे कर दिया. मेरा लंड ‘पक’ की आवाज़ साथ बाहर निकल आया. मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लंड पूरे जोश के साथ सीधा खरा था. भाभी उठ कर घुटनो और हथेलिओं पर मेरे बगल मे बैठ गयी. मैं लंड को हाथ मे पकर कर उनकी हरकत देखता रहा. भाभी ने मेरा लंड पर से हाथ हटा कर मुझे खीच कर उठाते हुए कहा, “ऐसे परे परे क्या देख रहे हो, चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपनी लंड को घुसाओ.” मैं भी उठ कर भाभी के पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लंड को हाथ से पकर कर भाभी की चूत पर रगड़ने लगा. क्या मस्त गोल गोल गद्दे दार गंद थी. भाभी ने जाँघ को फैला कर अपने चूतर उपर को उठा दिए जिससे की उनकी रसीली चूत साफ नज़र आने लगी. भाभी का इशारा समझ कर मैने लंड का सुपरा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जर तक धँस गया. भाभी ने एक सिसकारी भर कर अपनी गंद पीछे कर के मेरी जाँघ से चिपका दी. मैं भी भाभी की पीठ से चिपक कर लेट गया और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनो चिकनी को पकर कर मसल्ने लगा. वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतर को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगी. उनके मुलायम चूतर मेरी मस्ती को दोगुना कर रहे थे. मेरा लंड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था.

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कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद भाभी बोली, “कालो राज्ज्जा अब आगे उठा कर शॉट लगाओ, अब रहा नही जाता.” मैं उठा कर सीधा हो गया और भाभी के चूतर को दोनो हाथों से कस कर पकर कर चूत मे हमला शुरू कर दिया. जैसा की भाभी ने सिखाया था मैं पूरा लंड धीरे से बाहर निकाल कर ज़ोर से अंदर कर देता. शुरू मे तो मैने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढ़ता गया और धक्को की रफ़्तार बढ़ती गयी. धक्का लगाते समय मैं भाभी के चूतर को कस के अपनी ओर खीच लेता ताकि शॉट तगरा परे. भाभी भी उसी रफ़्तार से अपने चूतर को आगे-पीछे कर रही थी. हम दोनो की साँसे तेज हो गयी थी. भाभी की मस्ती पूरे परवान पर थी. नंगे जिस्म जब आपस मे टकराते तो घाप-घाप की आवाज़ आती. काफ़ी देर तक मैं उनकी कमर पकर धक्का लगता रहा. जब हालत बेकाबू होने लगे तब भाभी को फिर से चित लेता कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा.

हम दोनो ही पसीने से लथपथ हो गये थी पर कोइ भी रुकने का नाम नही ले रहा था. तभी भाभी ने मुझे कस कर जकर लिया और अपनी टाँगे मेरे चूतर पर रख दिया और कस कर ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झार गयी. उनके झरने के बाद मैं भी भाभी की चूंची को मसल्ते हुए झार गया और हान्फते हुए उनके उपर लेट गया. हम दोनो की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और हम दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर परे रहे. कुछ देर बाद भाभी बोले, “कायों लाला कैसी लगी हुमारी चूत की चुदाई?” मैं बोला, “हाई भाभी जी करता है क़ि जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत मे लंड डाले परा रहूं.” “जब तक तुम्हारे भैया वापस नही आते, यह चूत तुम्हारी है, जैसे मर्ज़ी हो मज़े लो, अब थोरे देर आराम करतें है.” “नही भाभी, कम से कम एक बार और हो जाए. देखो मेरा लंड अभी भी बेकरार है.” भाभी ने मेरे लंड को पकर कर कहा, “यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत की खुसबु जो मिल गयी है. पर देखो रात के तीन बज गये है, अगर सुबह टाइम से नही उठें तो परोसेवन को शक गाएगा. अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हुमारे है. जी भर कर मस्ती लेना. मेरा कहा मनोगे तो रोज नया स्वाद चखोगे.” भाभी का कहना मान कर मैने भी जीद छोर दी और भाभी करवट ले कर लेट गयी और मुझे अप्नेसे सटा लिया. मैने भी उनकी गंद की दरार मे लंड फँसा कर चूंचियो को दोनो हाथों मे पकर लिया और भाभी के कंधे को चूमता हुआ लेट गया. नींद कब आई इसका पता ही नही चला.

सुबह जब अलार्म बजा तो मैने समय देखा, सुबह के सात बज रहे थी. भाभी ने मुस्कुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुंबन मेरे होटो पर जड़ दिया. मैने भी भाभी को जकर कर उनके चुंबन का जोरदार का जवाब दिया. फिर भाभी उठ कर अपने रोज के कम काज मे लग गयी. वो बहुत खुश थी और उनके गुनगुनाने की आवाज़ मेरे कानो मे सहद घोल रही थी. तभी घंटी बजी और हुमारी नौकरानी आशा आगयी. उस दिन मैं कॉलेज नही गया. नाश्ता करने के बाद मैं पढ़ने बैठ गया. जब आशा कमरे मे झारू लगाने आई तब भी मैं टेबल पर बैठ कर पढ़ाई करता रहा. पढ़ाई क्या खाक होती. बस रात का ड्रामा ही आँखों के सामने चलता रहा. सामने खुली किताब मे भी भाभी का संगमरमरी बदन और उनकी प्यारी सी रसीली चूत नज़र आ रही थी. “बाबू ज़रा पैर हटा लो झारू देनी है.” मैं चोंक कर हक़ीकत के दिनो मे वापस आया. देखा आशा कमर पर हाथ रखी मेरे पास खरी है. मैं खरा हो गया और वो झारू लगाने लगी. मैं उसे देखने लगा. गेंहूआ रंग, भरा-भरा बदन. तीखे नाक नक्शे, बरे ही साफ सुथरे ढंग से सज संवार कर आई थी. आज से पहले मैने उस पर ध्यान नही दिया था. वो आती और अपना काम कर के वापस चली जाती थी. पर आज की बात ही कुछ और ही थी. भाभी से चुदाई की ट्रैनिंग पाकर एक ही रात मे मेरा नज़रिया बदल गया था. अब मैं हर औरत को चुदाई की नज़रिया से देखना चाहता था. आशा लाल हरी रंग के सारी पहने हुए थी, जिसका पल्लू छाती पर से लाकर कमर मे दबा लिया था. छोटा सा पर गहरे रंग का चोली नुमा ढीला ब्लाउस उसकी चूंची साफ दिखाई दे रही थी. मेरा लंड फॅन-फ़ना गया.

रात वाली भाभी की चूंची मेरे धिमक मे कौंध गयी. तभी आशा की नज़र मुझ पर परी. मुझे एकटक घूरता पाकर उसने एक दबी से मुस्कान दी और अपना आँचल संभाल कर चूंचियो छुपा लिया. अब वो मेरी तरफ पीठ कर के टेबल के नीचे झारू लगा रही थी. उसके चूतर तो और भी मस्त थे. फैले-फैले और गद्देदार. मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गंद मे लंड फन्सा कर चूंची को मसल्ते हुए चोदने मे कितना मज़ा आएगा. बेखायाली मे मेरा हाथ मेरे तननाए हुए लंड पर पहुँच गया और मैं पायजामा के उपर से ही सुपरे को मसल्ने लगा. तभी आशा अपना काम पूरा कर के पलटी और मेरे हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गयी. मैं झेंप कर कुर्सी पर बैठ कर पढ़ाई करने की कोशिश करने लगा.

जब आशा काम कर के चली गयी तब भाभी ने मुझे खाने के लिए आवाज़ दी. मैं डाइनिंग टेबल पर आ गया. भाभी ने खाना देते हुए पूछा, “कयूओं देवर्जी, आशा के साथ कोई हरकत तो नही की?” मैने अचकचा कर पूछा, “नही तो? कुछ कहा रही क्या?” “नही कुछ खास नही, बस कहा रही थी कि आपका देवर अब जवान हो गया है, ज़रा ठीक से ख्याल रखना.” मैं कुछ नही बोला और चुपचाप खाना खा कर अपनी स्टडी टेबल पर आ कर पढ़ने बैठ गया. भाभी किचन का काम निबटा कर कमरे आई और मेरे पास पलंग पर बैठ गयी. उन्होने मेरे हाथ से किताब ले ली और बोली, “जायदा पढ़ाई मत करो, सेहत पर असर परेगा,” और आँख मार दी. मैने उन्हे अपनी गोद पर खीच लिया और उनके होंटो को कस चूम लिया. भाभी ने भी अपना मुँह खोल कर मेरे उपरी होंठ को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी. मैं भी भाभी के रसीले नीचले होंठ को बरी देर तक चूस्ता रहा. मैं बोला, “तुम कितने अच्छी भाभी हो, मुझे अपनी चूत दी मुझे चोदना सिखाया.

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सच बताओ, क्या भैया तुम्हे ऐसे ही चोद्ते हैं?” “चोदते तो पूरे जोश से है, पर वो तुम्हारे जितने ताक़तवर नही है. उनका लंड भी तुम्हारे से छोटा है और तुम्हारे लौरे जैसा मोटा नही है. बहुत जल्दी पानी छोर देते है और तुरंत सो गाते है. मगर मैं प्यासी रहा जाती हूँ और रात भर जलती हुई बुर मे उंगली डाले जागती रहती हूँ. “भाभी ने मुझे कस कर जकर लिया और मेरा मुँह अपने सिने से चिपका लिया. मैने भी अपने हाथ भाभी की पीठ पर कस कर उनकी चूंची को चूम लिया. मैने उनकी चोली ढेली कर दी और अपना एक हाथ सामने लाकर चोली के अंदर कर के एक चूंची को कस कर पकर लिया और मसल्ने लगा. मेरा दूसरा हाथ नीचे का सफ़र कर रहा था और उनके लहंगा के उपर से उनके चूतर को पकर लिया. आज भाभी नीचे कुछ नही पहने हुई थी और मेरा हाथ मुलायम चिकने बदन को मसल रहा था. भाभी भी चुप नही बैठी थी और मेरे नारे को ढीला कर के उपर से ही घुसा कर मेरे लंड को मसल्ने लगी.“लाला तुम्हारा लंड बहुत ही जोरदार है. कितना करक कितना मोटा और लूंबा है. रात जब तुमने पहेली बार मेरी चूत मे घुसाया तो ऐसा लगा कि यह तो मेरी बुर को फार ही डालेगा. सच कितना अक्च्छा होता अगर मेरी शादी तुम्हारे साथ होती.

फिर तो दुनिया की कोई परवाह ही नही होती और रात दिन तुम्हारा लंड अपनी चूत मे लिए हुए मज़े लेती.” कुछ देर तक मेरे लंड और झांटू से खेलने के बाद भाभी ने अपना हाथनिकाल कर मेरे पायजामे का नारा खोल दिया. फिर खरे होकर अपनी चोली और लहंगा भी उतार दिया और पूरी तरह नंगी हो गयी. फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा. मैं खरा हुआ तो पायजामा अपने आप उतर गया. जब मैं पलंग पर बैठ कर भाभी की मस्त छलकती हुए चूंची को देख रहा था तो मारे मस्ती के मेरा करक लंड छत छूने की कोशिश कर रहा था. भाभी मेरी जाँघो के बीच बैठ कर दोनो हाथों से मेरे लॉर को सहलाने लगी. कुछ देर उन्ही सहलाने के बाद अचानक भाभी ने अपना सर नीचे झुकाया और अपने रसीले होंटो से मेरे सुपरे को चूम कर उसको मुँह मे भर लिया. मैं एकदम चौंक गया. मैने सपने मे भी नही सोचा था की ऐसा होगा.

यह क्या कर रही हो. मेरा लंड तुमने मुँह मे क्यों ले लिया है.” “चूसने के लिए और किस लिए? तुम आराम से बैठे रहो और बस लंड चूसा का मज़ा लो. एक बार चुस्वा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे.” भाभी मेरे लंड को लॉलिपोप की तरह मुँह ले लेकर चूसने लगी.मैं बता नही सकता हूँ कि लंड चुसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था. भाभी के रसीले होन्ट मेरे लंड को रगर रहे थे. फिर भाभी ने अपना होन्ट गोल कर के मेरा पूरा लंड अपने मुँह मे लेलिया और मेरे आंडो को हथेली से सहलाते हुए सिर उपर नीचे करना शुरू कर दिया मानो वो मुँह से ही मेरा लंड को चोद रही हो. धीरे-धीरे मैने भी अपनी कमर हिला कर भाभी के मुँह को चोदना शुरू कर दिया. मैं तो मानो सातवें आसमान पर था. बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी. थोरी ही देर मे लगा कि मेरा लंड अब पानी छोर देगा. मैं किसीउ तरह अपने उपर काबू कर के बोला, “बभिईीईईईईईई मेरा पानी छूटने वाला है.”

भाभी ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नही दिया बाल्की अपने हाथो से मेरे चूतर को जकर कर और तेज़ी से सिर उपर-नीचे करना शुरू कर दिया. मैं भी भाभी के सिर को कस कर पकर कर और तेज़ी से लंड भाभी के मुँह मे पेलने लगा. कुछ ही देर बाद मेरे लंड ने पानी छोर दिया और भाभी ने गतगत करके पूरेको पानी पी गयी. सुबह से काबू मे रखा हुआ मेरा क्रीम इतना तेज़ी से पिचकारी बन के निकला की उनके मुँह से बाहर निकल कर उनके तोड़ी पर फैल गया. कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूंची पर भी जा गिरी. झरने के बाद मेने अपना लंड निकाल कर भाभी के गाल्लों पर रगर दिया. क्या खुसूरत नज़ारा था. मेरा माल भाभी के मुँह गाल होन्ट और रसीले चूंची पर चमक रहा था.
भाभी ने अपनी गुलाबी जीव अपने होटो पर फिरा कर वान्हा लगा माल चटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूंची को मसल्ते हुए पूछा, “क्यों देवर राजा मज़ा आया लंड चुसवाने मे?” “बहुत मज़ा आया भाभी, तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दिया मेरी जान. आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मो के लिए गुलाम हो गया. कहो क्या हुक्म है.” “हुक्म क्या, बस अब तुम्हारी बारी है.”“क्या मतलब, मैं कुछ समझा नही?” “मतलब एह मेरे भोले संजू राजा की अब तुम मेरी चूत चॅटो.” एह कहा कर भाभी खरी हो गयी और अपनी चूत मेरे चहेरे के पास ले आइी. मेरे होन्ट उनकी चूत के होंटो को छूने लगे. भाभी ने मेरे सिर को पकर कर अपनी कमर आगे की और अपनी चूत मेरे नाक पर रगार्ने लगी. मैने भी भाभी के चूतर को दोनो हाथो से पकर लिया और उनकी गंद सहलाते हुए उनकी रस रही चूत को चूमने लगा. भाभी की चूत की प्यारी-प्यारी खुसबु मेरे दिमाग़ मे छाने लगी. मैं दीवाना की तरह भाभी की चूत और उसके चारो तरफ के इलाक़े को चूमने लगा. बीच-बीच मे मैं अपनी जीव निकाल कर भाभी की रानो को भी चट लेता.



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