सेक्स सीन से गरम हुए लड़के और उसकी आंटी की कहानी

सुनंदा ने अपने किचन का काम निपटा दिया था. फिर वो ऑफीस जाने की अभी तैयारी ही करने लगी थी, की घर का फोन रिंग होता है. ये फोन कॉल उसके गाओं से थी. उसको कोई बताता है की गाओं में टॉ जी खेत से लौट-ते वक़्त ट्रॅक्टर से गिर गये थे. और उनके बहुत ज़्यादा चोट आई थी.

अब टॉ जी की उमर भी बहुत हो गयी थी, और फिर डॉक्टर ने भी उनके फिरसे चल पाने पर कुछ उम्मीद नही बताई थी. तब गाओं में आस-पड़ोस के लोगों ने ये बात सुनंदा को बता देनी सही समझी.

अब टॉ जी की देख भाल के लिए हर समय किसी ना किसी का उनके पास होना ज़रूरी था. दरअसल टॉ जी ने कभी शादी नही की थी, इसलिए उनकी कोई औलाद भी नही थी. और सुनंदा के माता-पिता के दुनिया से चले जाने के बाद इन्होने ही सुनंदा को अपने निगरानी में पाला था. वैसे भी एक इनका ही परिवार था, जो टॉ के सबसे करीबी था.

मगर जब सुनंदा गाओं से पढ़ाई के लिए शहर आई, तो वो वापस लौट-ते हुए अपने कॉलेज के प्यार अपने बाय्फ्रेंड नरेश से लोवे मॅरेज करके गाओं लौटी. जब ये सब टॉ जी ने देखा, तो उन्हे बड़ा झटका लगा. उनको सुनंदा से ये उम्मीद नही थी.

टॉ जी पुराने विचार वाले पुरुष था. उनको कुल की मर्यादा का ख़याल ने मजबूर कर दिया था. और उन्होने इसलिए सुनंदा से रिश्ता तोड़ दिया. उन्होने सुनंदा को उनसे मिलने, या गाओं आने से भी माना कर दिया था.

पर आज इन हालात में टॉ जी को किसी की सब से ज़्यादा ज़रूरत थी, तो वो सिर्फ़ सुनंदा ही थी. अब ऐसी हालत में सुनंदा ने रवि को अपने साथ ले जाना सही नही समझा, और नेक्स्ट मंत उसके भी कॉलेज एग्ज़ॅम्स होने जेया रहे थे.

सुनंदा को ये भी पता नही था, की जाने पर टॉ जी कैसे रिक्ट करेंगे, और वाहा कितने दिन लग जाएँगे, इसका भी कोई टाई नही था. ऐसे में सुनंदा को अपनी प्यारी ननद मनोरमा का ख़याल आया जो इनसे करीब में ही रहते थी.

सुननाडा ने अपनी प्यारी दीदी और सुख-दुख की साथी, मनोरमा दीदी को कॉल करके सारी बात बता दी, और उन्हे रवि के पास रुकने, और उसकी देख भाल करने की रिक्वेस्ट की. दरअसल नरेश का आक्सिडेंट में देहांत हो जाने के बाद सुनंदा अब एक सिंगल मों थी, जो अपने घर और बेटे का ख़याल रखने के लिए जॉब भी करती थी.

वो सब कुछ अकेले संभालती थी. ऐसे में कोई अगर उसको समझता था, और उसको सपोर्ट करता था, तो वो मनोरमा ही थी. मनोरमा उसकी प्रॉब्लम्स को आचे से समझती, और सुनंदा को हमेशा सही हेल्प और अड्वाइज़ दिया करती थी.

मनोरमा सुनंदा की ज़िंदगी का सपोर्ट सिस्टम थी, और उसका बेटा रवि उसकी ज़िंदगी. वो सुनंदा को मुश्किल समय में हमेशा सपोर्ट करती थी. आज भी वो सुनंदा की प्राब्लम समझ गयी थी, और उसके यहा रहने को तुरंत राज़ी हो गयी थी.

अब तुम सभी को मनोरमा के बारे में भी बता देता हू. मनोरमा एक बड़ी ही सुलझी हुई सभी को समझने वाली शांत स्वाभाव और कोमल वाणी वाली औरत थी. उसका स्वाभाव बहुत ही दयालु था, और वो विशाल हृदय रखने वाली महिला थी.

सूरज की पैदाइश ने मनोरमा को तो और भी भावुक मंतावाँ और आचे दिल वाली औरत बना दिया था. भावुक इसलिए क्यूंकी शादी के 15 साल तक मनोरमा और विशाल की कोई औलाद नही थी, और अब 38 की उमर में मा बन कर उसको अपनी प्रार्थनाओ का फल प्राप्त हुआ. तो वो और भी विनम्र बन गयी थी.

वैसे देखने में भी बहुत सुंदर थी. उसका गड्राया हुआ बदन तो ग़ज़ब था. सुडौल 38ब्ब के बड़े-बड़े गोल गोरे मलाई जैसे चूचे, उभरी हुई गांद, मोटी गोरी-गोरी जांघें, और मा बनने से उसकी पतली कमर पर आई हल्की-हल्की मोटापे की छाप उसकी खूबसूरती पर और चार चाँद लगा रहे थी.

उसकी ये खूबसूरती 38 की उमर में किसी क़यामत से कम नही थी. उसका पति विशाल उसको ये भी कहता था की उसकी शकल एक पुरंक आक्ट्रेस ममता कुलकर्णी से मिलती जुलती थी, और उसकी आँखें काजोल से.

क्यूंकी समय कम था, और उसको तैयारी करके सुनंदा के पास जाना था. तो मनोरमा ने आज एक मॉरिनी रंग की सारी पहन ली. उसने हल्का सा मेकप कर लिया. एक अपना बाग लिया, और सूरज के साथ सुनंदा के वाहा पहुँच गयी.

जब मनोरमा, सुनंदा के घर पहुँची, तो वो तैयार होके बस मनोरमा के आने का ही इंतेज़ार कर रही थी. मनोरमा दीदी को देख कर उसको बड़ी राहत हुई, और धैर्या मिला.

अब मनोरमा के आते ही उसने रवि को कमरे से बाहर बुलाया, और उसको सब कुछ बता दिया. उसने रवि को आचे से समझाया की एग्ज़ॅम्स की तैयारी खूब दिल लगा के करे.

रवि भले ही 18 साल का ही था, पर समझदार था. वो पढ़कू होने के साथ-साथ इंटेलिजेंट भी था. अपनी उमर के बच्चो से ज़्यादा ही चालाक था, और बातें छुपाने में बहुत ही माहिर था.

वो किसी से लड़ाई-बैर नही रखता था, पर करता वही था जो उसको करना होता था. उसने अपनी मा की सब बातों पर सहमति दी, और वही अपनी मनोरमा बुआ और भाई सूरज को घर पे देख के बड़ा खुश भी हुआ. वो सूरज के साथ खेलने लगा, और मनोरमा और सुनंदा अपनी बातें करती रही.

पर सुनंदा अभी भी जेया नही पा रही थी. उसको किसी और का भी इंतेज़ार था, और वो उनके घर काम करने वाली रूपा थी, जो काई सालों से बस सुनंदा के घर ही काम करती थी. सुनंदा भी उसका पूरा ख़याल रखती थी, और उसको जो भी चाहिए होता था उसको देती थी.

रूपा भी बेचारी अबला नारी ही थी. उसको भी उसके पति ने छ्चोढ़ दिया था, और उसके 2 बेटे भी थे, जिनकी पढ़ाई का खर्च भी सुनंदा ही दिया करती थी. ऐसे ही उनके आपस के रिश्ते वक़्त के साथ बहुत गहरे बन गये थे.

रूपा जैसे ही आई, सुनंदा ने सब बात उसको समझा दी, और घर का और रवि का ध्यान रखने को कहा, और मनोरमा दीदी को पूरा सहयोग करने को बताया.

तब तक टॅक्सी भी आ गयी थी, और सुनंदा की गाओं की ट्रेन की तो टाइमिंग पता ही थी की 7 बजे की ट्रेन थी. पर ट्रॅफिक का क्या भरोसा, इसलिए वो रेलवे स्टेशन जाने के लिए कुछ एक घंटा पहले ही निकल पड़ी थी. ताकि पहुँचने में लाते ना हो जाए.

इसलिए सुनंदा ने टॅक्सी ड्राइवर से भी फास्ट चलाने के लिए कह दिया और रास्ते में मनोरमा से फोन पे सारी बातें भी कर ली. इधर जैसे वो स्टेशन पहुँच के ट्रेन का पता करने लगी, और जर्नी में बिज़ी हो गयी. उधर मनोरमा भी अपने और रवि के लिए खाना बनाने में बिज़ी हो गयी थी.

तब तक रूपा भी अपना सारा काम निपटा कर घर जाने का पूच रही थी. रात के 8 बाज गये थे. मनोरमा बुआ ने खाना लगा दिया, और रवि को टेबल पे आने का निमंत्रण भी दे दिया था. रवि कमरे में पढ़ाई कर रहा था.

अब वो कमरे से बाहर आया, और दोनो मनोरमा बुआ और रवि एक साथ बैठे टीवी देखते-देखते डिन्नर करने लगे. तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ, जिसका किसी को आभास तक नही था. फिल्म के बीच एक ऐसा सीन आया जिसमे एक रवि की उमर का लड़का अपने से दोगुना उमर की औरत के साथ रोमॅन्स कर रहा था.

फिल्म में वो औरत जैसे ही उस लड़के को अपने कमरे के पास से गुज़रता देखती है, वो उसको कमरे में बुला के अपनी ब्रा का हुक लगाने के लिए कहती है. वो लड़का उसके पास जेया कर बजाए हुक लगाने के, उसको पीछे से बाहों में भर लेता है.

वो उसकी पीठ चूमने लगता है, और आयेज अपने दोनो हाथो से उस औरत के दोनो चूचे मसालने लगता है. दरअसल वो औरत उस लड़के की ही आंटी होती हाई, जिसको छोड़ने का का सपना दिल में लिए वो लड़का जवान हो रहा था. और आज जब उसको वो ब्रा पहनने के लिए कहती है, वो बजाए मदद करने के बेकाबू हो जाता है, और दोनो रोमॅन्स करते है.

अब ये सीन देख कर रवि के तंन बदन में आग लग चुकी थी. इधर मनोरमा भी पूरी गीली हुए जेया रही थी. क्यूंकी मनोरमा को भी अपने पति से डोर रहते हुए 2 साल हो चुके थे. दरअसल मनोरमा का पति विशाल एक मंक में काम कर रहा था, जिसमे उसको सिंगपुर ट्रान्स्फर मिला था.

ये विशाल के लिए एक बढ़िया करियर ऑपर्चुनिटी थी, जब शादी के 15 साल बाद तक बच्चा ना होके के बाद विशाल और मनोरमा को इस उमर में एक लड़का हुआ, तो इनकी खुशियों का ठिकाना नही रहा. पर इनकी ज़िम्मेदारी भी बढ़ गयी थी.

वो सूरज को चाहते भी बहुत थे, और उसको खुश रखने, और लाइफ में सबसे बेस्ट चीज़े उसके लिए करने की उम्मीद करने लगे. वेस्ट परवरिश, बेस्ट एजुकेशन, बेस्ट लाइफ स्टाइल आंड लिविंग एन्वाइरन्मेंट, बेस्ट करियर और एक सक्सेस्फुल आंड बेहतर लाइफ प्लान करने लगे दोनो सूरज के लिए.

और ये सब के लिए अब विशाल का सिंगपुर मूव ओं करना ही बेटर ऑप्षन था. इसलिए दोनो ने डोर रहना भी गवारा कर लिया था. फिर दोनो ने मिल कर टाई किया था, की मनोरमा कुछ साल यही रुक कर अपने बेटे सूरज की परवरिश करे, और विशाल सिंगपुर जाके इनके लिए घर और बाकी रहने जाने का इंतेज़ां करे.

फिर जब सब हो जाए, तो आके उन्हे ले जाए. इन सब के चलते मनोरमा भी अपने पति से सिर्फ़ फोन पे ही बात कर पाती थी. पर कभी-कभी वो भी मुमकिन नही हो पता था.

क्यूंकी वाहा जाके विशाल अब अपने कामो में इतना बिज़ी हो गया था, की उसको मनोरमा का ख़याल ही छ्छूट गया. बात भी करता था, तो सूरज की पूच खबर ही लेता था, और मनोरमा पर ध्यान तक नही देता था.

पर इधर रवि के दिल में हॉट सीन देख के आग तो लग गयी, और कुछ-कुछ मनोरमा बुआ की भी चुदाई की प्यास उमड़ तो पड़ी थी. नीचे से वो भी पूरी गीली हो चुकी थी. अब वो वही बैठी रहना बर्दाश्त नही कर पा रही थी.

तो अब मनोरमा बुआ ने रात बहुत लाते होने का बहाना करके टीवी बंद कर दिया, और रवि को कमरे में जाके सोने को कह दिया. फिर वो खुद सूरज के पास अपने कमरे में चली गयी.

मगर इधर रवि का तो बुरा हाल था. वो सो नही पा रहा था. फिर वो उठा, और उस कमरे में पहुँच गया, जहा सूरज आंड मनोरमा बुआ सो रहे थे.

मनोरमा ने जब रवि को आते देखा, तो उसने लाइट ओं करी, और रवि से बात करके पूछा, की वो वाहा क्यू आया था.

वैसे रवि ने बहाना तो सोच रखा था. उसने कह दिया की अकेले में उसको दर्र लग रहा था, और वो भी वही उसके पास सोना चाहता था.

अब मनोरमा उसको माना नही कर सकती थी. इसलिए उसको भी वही सोने का कह दिया. रवि के बहाने ने आधा काम कर ही दिया था. अब बात बनते-बनते बनेगी, या बिगड़ जाएगी, ये तो वक़्त ही बताएगा.

तो भी कंटिन्यूड इन पार्ट-ईई. योउ कॅन सेंड मे मेल्स अट

कहानी का अगला भाग और ज़्यादा, बहुत ज़्यादा हॉट होने वाला है. अगले भाग में पढ़िए रवि की उसकी बुआ के साथ बनेगी या नही बनेगी. बनी तो ठीक है, अगर नही बनी तो रवि का क्या होगा.

वो अपनी इस आग को शांत कैसे करेगा? कौन सा कुआ, कौन सी नदी, कौन सा समुद्रा है जो अपना पानी देके इस आग को बुझाने में रवि की मदद करेगा? और कौन और क्यूँ इसमे उसका सहयोग करेगा. ये बहुत ही मज़ेदार कहानी बनने जेया रही है. प्लीज़ स्टे ट्यूंड.

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