शहर की चिकनी गांड और गाँव का प्रचंड लंड

मेरे घर के ऊपर वाले हिस्से में किराये पर पास एक गाँव से एक परिवार रहने आया । उसमे एक पिंकू नाम का लड़का था जो मुझसे उमर में लगभग तीन साल बड़ा था। मैं उसे पिंकू भैय्या पुकारता था लेकिन हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हर विषय पर खुल कर बात होती थी। मैं उस वक्त जवानी में प्रवेश कर रहा था- मेरी उमर सत्रह साल थी और पिंकू भइया लगभग बीस साल के रहे होंगे। हम दोनों को सेक्स के बारे में बात करने बहुत मज़ा आता था, पिंकू भैय्या अपना बहुत सारा ज्ञान मेरे साथ बांटते थे।

उस साल गर्मी की छुट्टी में मैं पिंकू भैय्या के साथ उनके गाँव गया। वहां पर एक रात पिंकू भैय्या और उनके दोस्तों ने ब्लू फ़िल्म देखने का प्रोग्राम बनाया। खाना खाने के बाद हम लोग चुपके से उनके एक दोस्त के घर गए जो अकेले रहता था, उसी के घर ब्लू फ़िल्म चलने का प्रोग्राम था। मैंने पहले कभी ब्लू फ़िल्म नहीं देखी थी, इसीलिए मेरे मन उत्सुकता दूसरों से ज़्यादा थी। हम दोनों थोड़ा देर से पहुंचे थे-फ़िल्म शुरू हो चुकी थी, और कमरे में अँधेरा था। टी वी की रौशनी में जगह टटोलते हुए हम दोनों पीछे बैठ गए।

ब्लू फ़िल्म देखकर मेरे आँखे फटी रह गयीं- मैंने ऐसे पहले कभी नहीं देखा- चुदाई और चुसाई खुले आम हो रही थी। मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। पिंकू भइय्या भी गरम हो चुके थे- उनकी नज़रें टी वी पर और हाथ लंड पर था। हम दोनों पीछे सट कर बैठे थे… मुझे उनके शरीर का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था। फ़िल्म अगले डेढ़ घंटे तक चली और मैं ऑंखें जमाये, पिंकू से सटा, बैठा रहा

फ़िल्म ख़त्म होने के बाद हम वापस जाने लगे। रास्ते में आम के बाग़, खेत खलिहान और घुप अँधेरा था । हम दोनों फ़िल्म के बारे में बातें करते जा रहे थे। बातों बातों में भैय्या ने मुझसे पूछा “तुम सटका मारते हो?” मैंने हाँ में जवाब दिया। फ़िर उन्होंने पूछा ” तुम्हारा लंड कितना बड़ा है?” मैंने जवाब दिया “कभी नापा नहीं। आपका कितना बड़ा है? ” वो मुस्कुराये और बोले “पूरे नौ इंच का , जैसे फ़िल्म में देखा था।” मैं भौंचक रह गया। “सच में भैय्या , आपका लौढा इतना बड़ा है?” वो बोले “हाँ , सच में । कहो तो दिखा दूँ ?” मेरे मन में उनका लंड देखने की उत्सुकता हो गई। मैंने अभी तक किसी और का लौढा नहीं देखा था। “ठीक है भइया दिखाइए” मैंने बोला। “चलो दिखाते हैं, लेकिन पहले तुम अपना दिखाओ” उन्होंने शर्त रक्खी। मैं हिचक गया। सोचने लगा अगर भइया ने मेरा देख लिया और अपना नहीं दिखाया तो? “क्या हुआ डर गए? भरोसा नहीं क्या?’ वो शायद भांप गए थे।

मैं झिझकते हुए मान गया। हम दोनों कच्ची पगडण्डी से हट कर एक बड़े से पेड़ के पीछे चले गए। मैंने शरमाते हुए अपनी जींस जिप खोली और अपना ६ इंच का लंड बहार कर दिया – पूरा तन कर खड़ा था । पिंकू भैय्या ने अब मेरा लंड हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया। मुझे मज़ा आने लगा। मैंने बीच उन्हें रोका: “भइया अब अपना दिखाइए” उन्होंने ने बेझिझक अपनी जिप खोली। हलाकि की उनकी पैंट के ऊपर से ही उनका लंड उभर आया था। बहुत बड़ा मालूम हो रहा था। एक सेकंड के बाद भइया ने अपना माल बहार निकाला।

क्या लौढा था!! वाकई में नौ इंच का तगड़ा माल था! मेरी तो आँखें फटी रह गयीं। एक पल तो मैं घूरता ही रह गया- पिंकू भइया का लंड ९ इंच लंबा, खीरे जैसा मोटा था। उसपर नसें उभर आयीं थी और उसका सुपाड़ा फूला हुआ था। “देखा, सच में बड़ा है न?” उन्होंने पूछा। “ये तो बहुत बड़ा है” मैंने आश्चर्यचकित होकर जवाब दिया।
“देख क्या रहे हो, इसे सहलाओ जैसे मैं तुम्हारा सहला रहा हूँ” वो बोले । उनका लंड हाथ में लेकर मज़ा आ गया। हम दोनों थोडी देर तक एक दूसरे का सटका मरते रहे। फ़िर भइया बोले “राहुल इसे मुंह में लेकर चूसो” उनका लंड चूसने की बात पर मुझे घिन आने लगी। मैंने साफ़ मना कर दिया। लेकिन वो मेरे पीछे पड़ गए “राहुल बस थोडी देर के लिए चूस लो… बस दो मिनट… बहुत मन कर रहा है।” मैं हिचकिचाते हुए नीचे झुका और उनके कामातुर लौढे को होटों में दबा लिया। जैसे ही उनका लंड मेरे मुंह में गया, उनके मुह से हलकी सी सिसकी निकल गई : “आह”।
मुझे बड़ी घिन आई, ऐसा लग रहा था जैसे उलटी कर दूंगा। पता नहीं ब्लू फ़िल्म में लड़कियां कैसे स्वाद ले-लेकर चूसती थीं। मैंने अपना मुह अलग कर लिया। मैंने कहा “भइया मैं नहीं चूस पाउँगा। इसमे बदबू आ रही है।”
भैय्या ने मेरे ऊपर दबाव डालना शुरू किया “बस २ मिनट और चूस लो… बहुत मज़ा आ रहा है। थोडी देर और चूसोगे तो बदबू नहीं आएगी। चूसो न…” उन्होंने फिर मेरा सर पकड़ कर नीचे कर दिया। मैं मजबूर होकर फिर से चूसने लगा। मुझे अभी भी घिन आ रही थी लेकिन भइया को मज़ा आ रहा था।
“राहुल थोड़ा ज़ोर से चूसो न… जैसे लड़कियां फ़िल्म में चूस रहीं थी… इसे पूरा अपने मुंह में लो” उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह में और अन्दर घुसेड दिया। अभी तक सिर्फ़ उनके लंड का सुपाड़ा मेरे मुंह में था। मुझे अपना मुंह और बड़ा करना पड़ा। उनका लंड मेरे गले के अन्दर तक घुसनेवाला था। मेरा गला अटक गया। मैंने अपना मुंह हटाया और खांसने लगा। मैंने फ़िर मन करने की कोशिश की… मैं बोला “भैय्या अब मैं नही चूस पाउँगा…घर चलिए, मुझे नींद आ रही है।”

यह कहानी भी पड़े  Hindi Porn Kahani हरामी बलमा

“अच्छा ठीक है घर चलते हैं, लेकिन बस थोडी देर और चूस लो… मेरा पानी अभी निकल आएगा… बस दो मिनट और। तुम पूरा मुंह में मत लेना” उन्होंने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए थे। लगता था बिना पूरी तरह चुस्वाए जाने नहीं देंगे। मैं फिर से झुक कर उनके भूखे लंड को चूसने लगा।
वो मुझे चूसना सिखा रहे थे… “जीभ से चाटो… होटों को ज़ोर से दबाओ ”
वो जो कहते गए, मैं करता गया। उन्हें और मज़ा आने लगा “बहुत सही राहुल… ऐसे ही चूसो”
मैं उनका लंड चूसते चूसते नीचे ज़मीन पर बैठ गया था और वो मेरे सामने खड़े होकर चुसवा रहे थे। उन्होंने मेरे कंधो को पकड़ रक्खा था और मैंने उनकी कमर को। वो अब धीरे धीरे अपना लंड मेरे मुंह में हिला रहे थे। उनका लंबा मोटा लंड जब अन्दर घुसता तो मेरे गले को चोक कर देता था। तब चूसना और मुश्किल हो जाता था।
अब लंड चूसने में मुझे बुरा नहीं लग रहा था। मेरी घिन चली गई थी, और जैसे भइया कह रहे थे मैं वैसे उनका लंड चूस रहा था- जैसे ब्लू फ़िल्म में लडकियाँ ज़ोर ज़ोर से चूसती हैं, मैं भी वैसे ही लंड को जीभ से सहला-सहलाकर चूस रहा था।
अचानक भइया ने अपना लंड मेरे मुंह से निकाल लिया । मुझे लगा की अब छुट्टी मिली। लेकिन उनके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। “अब चलें भैय्या?” मैं उतावला हो कर बोला। “अभी रुको” मेरी समझ में नहीं आ रहा था की ये और क्या चाहते हैं। तभी वो बोले “राहुल अपनी जींस उतारो” मैं सकपका गया “क्यों भैय्या?” मैंने पूछा
“मैं तुम्हारी गांड चोदूंगा” भैय्या बोले।
मैं डर गया. “नहीं भैय्या नहीं… मेरी गांड फट जायेगी” मैंने मना करने की कोशिश करी।
वो डांटने लगे… “अरे बेवकूफ, वो तो सिर्फ़ मज़ाक में कहते हैं , कभी किसी गांड फटती है क्या? चलो अपनी जींस उतारो… डरो मत कुछ नहीं होगा।” मैं अभी भी डरा हुआ था। “लेकिन भैय्या…इतना बड़ा लंड मेरी गांड में जाएगा कैसे? अगर आपने घुसेड दिया और खून निकल आया तो?” वो बोले “तुमने इसको इतना चूसा है, तुम्हारा थूक लग कर ये चिकना हो हो गया है, अब आराम से अन्दर घुसेगा” इतना कहते ही वो ख़ुद मेरी जींस के बटन खोलने लगे।
मैंने रोकने की कोशिश की “लेकिन भैय्या अगर…”
“चुप चूतिया … डरपोक साला” मेरी बात को बीच में काटते हुए बोले “चलो उतारो अपनी पैंट”। भगवान् का नाम लेकर मैंने अपनी जींस नीचे सरका दी। मेरी चड्ढी उन्होंने ख़ुद नीचे सरका दी।
“चलो अब झुको” उन्होंने आदेश दिया। मैं झुक गया और वो मेरे पीछे जाकर खड़े हो गए और मेरी गांड छेद अपनी ऊँगली से ढूँढने लगे। छेद मिलते ही उन्होंने मेरे चूतडों को फैलाया और अपने लौढे के सुपाड़े को मेरे छेद के मुहाने पर टिका दिया। उस वक्त मैं डर से मरा जा रहा था। मुझे लग रहा था की अगर इतना बड़ा लंड मेरी गांड में घुसा तो मैं तो मर ही जाऊंगा। और मेरी गांड भी थी बिल्कुल कोरी, नाज़ुक और मुलायम। और अब मेरी मुलायम गांड का मज़ा पिंकू भैय्या का गधे जैसा लौढा लेगा।
पिंकू भैय्या ने ज़ोर लगना शुरू किया और मुझे दर्द होने लगा… मैं उछल कर खड़ा हो गया। “भैय्या मत करिए बहुत दर्द हो रहा है” मैं विनती करने लगा। “रुको एक मिनट अब दर्द नहीं होगा। अपनी गांड पर थूक लगाओ” मैंने अपनी उँगलियों पर थूका और उसे अपनी गांड के छेद पर मल दिया। मैंने देखा की भैय्या ने अपने लंड के सुपाड़े पर थूका और उसे ऊँगली से बराबर करने लगे। “चलो झुको फ़िर से… अब दर्द नहीं होगा” वो बोले। मैं झुक गया और फिर उन्होंने उसी तरह से मेरी गांड फैलाई और लंड को छेद पर टिका दिया। उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर को कस कर पकड़ा और ज़ोर का धक्का मारा…

दर्द से मेरी मुंह से हलकी सी चीख निकल गई “अअहह…हह…!!!”
लेकिन उस रात सन्नाटे में सुनता कौन? इसी का तो फ़ायदा पिंकू जी उठा रहे थे। उनके महाप्रतापी लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के अन्दर घुस चुका था.
“नहीं भइया, मत करिए… निकाल लीजिये…मुझे बहुत तकलीफ हो रही है… आह्ह…!!!” मैं उन्हें रोकने लगा। लेकिन वो अब कहाँ सुनने वाले थे…
“रुको, रुको, बस दो मिनट…” वो मुझे बच्चों के जैसे फुसलाने लगे। उन्होंने अब मेरी कमर छोड़ कर मुझे मेरे कंधो से पकड़ लिया ताकि मैं भाग न पाऊँ। वो मेरे ऊपर औए झुक गए और अपने लंड पर और ज़ोर लगाने लगे। उनका लंड मेरी कुंवारी अनचुदी गांड के लिए बहुत बड़ा था। आसानी से घुस नहीं पा रहा था। वो जितना और ज़ोर लगते, मुझे उतना और दर्द होता।
मैंने उसी झुकी हुई अवस्था में अपने हाथ जोड़ लिए और बोला… “भैय्या मैं मर जाऊंगा दर्द से… मुझे छोड़ दीजिये”
लेकिन मेरी बात का उन पर कोई असर नहीं हो रहा था। आज लगता था की उन्होंने फ़ैसला कर लिया था की राहुल कुमार की गांड का खून वो अपने लौढे को पिलायेंगे। वो अब अपने सुपाड़े को मेरे अन्दर हिलाने लगे थे। अब मुझे और दर्द होने लगा…

यह कहानी भी पड़े  हॉस्पिटल मे मिली एक नयी भाभी-1

मैं चिल्लाने लगा… “ईईह…!!!” और दर्द के प्रचंड झटके से मैं उठ खड़ा हुआ… भैय्या का लंड बहार निकल आया। रहत तो मिली लेकिन सिर्फ़ एक पल के लिए। भैय्या ने अपनी पैंट और कच्छा उतारा और फ़िर से मेरे ऊपर फ़िर हावी हो गए, और मुझे उसी तरह झुका कर पेलने लगे .
इस बार उनका लंड और ज़्यादा अन्दर घुस गया… वो भी बिना थूक लगाये। दर्द के मारे मेरी बोलती बंद हो गई, मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या कहूँ, बस इतना ही कह रहा था “आह..हह… पिंकू भइया… नहीं … बस…” लेकिन भैय्या तो जैसे बहरे हो गए थे। वो अपना लंड हिलाए चले जा रहे थे… उनके धक्के औए ज़ोर से पड़ने लगे। मेरी गांड बिल्कुल कोरी थी इसलिए उनका लौड़ा पूरा नहीं घुस पाया, वरना अभी तक मैं उनके लंड की सीख पर तंदूरी मुर्गे की तरह लटका होता। शायद उनका लंड आधा ही घुस पाया था।
वो अपनी कमर हिलाए चले जा रहे थे, मेरी मुंह से सिस्कारियां निकलती जा रहीं थी…
“अआछ…ह्ह्ह…”
“ऊहह….”
“आह्ह… बस करिए भैय्या, अब मुझसे और नहीं होता… प्लीज़… इह…!!”
और वो मज़ा ले लेकर मुझे चोदे जा रहे थे, और अब तो वो पूरी स्पीड पकड़ चुके थे… ब्लू फ़िल्म के लड़को की तरह। पेलते पेलते मेरे ऊपर पूरी तरह झुक चुका थे… उन्होंने अपना सर मेरे सर के बगल टिका दिया था। मेरे घुटने हम दोनों का बोझा सह सह रहे थे। अगर उन्होंने मुझे कन्धों से दबोचा न होता तो अब तक मैं ज़मीन पर गिर चुका होता।
ऐसी बात नहीं है की भैय्या नहीं करहा रहे थे, वो भी सिसकारी ले रहे थे लेकिन उनकी सिस्कारियां आनंद भरी और कामुक थीं, मेरी दर्द से भरी। मैं साफ़ साफ़ उनकी मदमाती हुई आहें सुन सकता था…
“आह ह्ह्ह…!!”
“ऊहो…!!!”
मेरी गांड से भी हलकी हलकी आवाज़ आ रही थी ” फच … फच.. फच…”
करीब १० मिनट तक पिंकू जी अपने प्रचंड लंड की लगाम डाले मेरे ऊपर सवारी करते रहे फ़िर अचानक से उनकी स्पीड चरम सीमा पर पहुँच गई… शायद वो झड़ने वाले थे। तभी उन्होंने एक बहुत ज़ोर का धक्का मारा उनका लालची लंड पुरा का पुरा मेरी गांड के अन्दर घुस गया । अब तो मेरी चीख निकल गई “आह्ह… ह्ह्ह…” वो मेरी गांड के अन्दर झड़ गए। उनका गरम गरम वीर्य मैंने अपने अन्दर महसूस किया.
मैंने एक बार फ़िर से खड़ा होने की कोशिश की लेकिन उनकी मज़बूत बाँहों ने मुझे ज़ोर से जकड रक्खा था, और झड़ने के समय उनकी पकड़ और मज़बूत हो गई थी। करीब एक मिनट वो अपना लंड मेरी गांड में अन्दर तक घुसेड और मुझे जकडे उसी तरह झुके रहे। वो हलके हलके हांफ रहे थे। हम दोनों पसीना पसीन हो चुके थे।
तभी वो धीरे से खड़े हुए और एक झटके से अपना लौढा बहार निकाला। मेरी घायल गांड में से आवाज़ आई :”गप्प ”
मेरी जान में जान आई। खड़ा होकर मैंने अपनी गांड सहलाई… ये देखने के लिए की कहीं खून तो नहीं आ रहा। भगवान् की कृपा से कोई खून खराबा नहीं हुआ था, वरना मैं तो किसी के कह भी नहीं सकता था की मैंने अपना बलात्कार गधे के लंड से करवाया था, इसीलिए खून आ रहा है।
हम दोनों ने अपनी पैंट चढाई। मुझसे तो टांग ही नहीं हिलाई जा रही थी और न कुछ बोला ही जा रहा था। मेरी गांड अभी भी उसी तरह दर्द कर रही थी। किसी तरह से मैं चलने की कोशिश की … अपने चूतडों को उचका उचका के चल रहा था। ये देख के पिंकू भैय्या की हँसी छूट गई। मैं बोला ” क्या भैय्या , पहले इतनी दुर्दशा करते हैं, फिर हँसी उड़ाते हैं?”
इसपर उन्होंने मेरी बाँहों में बाहें डालीं और मुझे धीरे धीरे वहां से घर ले गए। इस घटना के बाद मिस्टर पिंकू तिवारी जब भी मौका पाते, मुझसे अपना लुंड चुस्वाने और मेरी गांड मरने से नहीं चूकते थे।



error: Content is protected !!