अपनी स्कूल क्रश को सेक्रेटरी बना के चोदा

ही दोस्तों, ये मेरी पहली सेक्स स्टोरी है. सो उमीद करता हू की ये स्टोरी आपको पसंद आएगी. मेरा नाम राहुल रॉय है, और मैं वेस्ट बेंगल का रहने वाला हू. मेरी आगे 25 साल है, और हाइट 5’7″ है. मैं दिखे में तोड़ा सावला हू, और बॉडी शेप में है जिम के कारण.

तो चलिए स्टोरी पर चलते है. हलकी मैं इसे स्टोरी बोल रहा हू. बुत ये आने वाली बातें सभी सच है. तो बात स्टार्ट होती है मेरे स्कूल के दीनो से. जब मैं क्लास 12 में हुआ करता था. उस टाइम पर एक लड़की मुझे बहुत ज़्यादा पसंद थी. लेकिन खुद पर विश्वास ना होने के कारण कभी उसे बोल नही पाया.

वो लड़की मेरे सामने वाले बेंच पर ही बैठा करती थी. पर मैं उससे एक्सट्रा पेन माँगने के अलावा कुछ नही बोल पाया. वो भी मुझसे बस एग्ज़ॅम के टाइम पर क्वेस्चन पूछा करती थी. फिर कुछ टाइम बाद पता चला की उसका बाय्फ्रेंड बन गया था. मेरा तो मानो दिल ही टूट गया.

अब बात है पिछले साल की. 2024 में अब मैं एक आचे ऑफीस में एक अची पोस्ट पर काम करता हू, और दिखने में भी अछा हू. वो कहते है ना पैसा सब ठीक कर देता है. बस वही बात है.

एक दिन जब मैं मेरी पर्सनल सेक्रेटरी का जॉब इंटरव्यू ले रहा था ऑफीस में. तभी मुझे एक फाइल दिखी, और वो देख कर मेरे सारे ज़ख़्म ताज़ा हो गये. हा दोस्तों, वो फाइल और किसी की नही, बल्कि उसी लड़की की थी. तो मैं आपको उस लड़की के बारे में बताता हू.

उसका नाम ऋतु है. उसकी हाइट 5’5″ है. उसके काले घने बाल उसके कमर के नीचे तक जाते है. उसकी बड़ी-बड़ी दो आँखें, उसके गुलाबी होंठ, और उन होंठो के उपर एक छ्होटा सा तिल जो अगर आप गौर से ना देखो तो दिखे भी ना. उसके मुलायम गालों पर हल्के सा मेकप की लाली, उसके दो बड़े-बड़े कटोरी जैसे बूब्स, जिनका साइज़ 36″ है. उसका पेट जो तोड़ा सा मोटा है, उसकी बड़ी गांद जो उसकी कमर से नीचे जाते बाल भी च्चिपा नही पा रहे है.

मैं उसका इंटरव्यू लेने के लिए खुद को रेडी किया. फिर जब वो अंदर आई, मुझे फिर से उससे वहीं स्कूल वाली फीलिंग महसूस हुई. पर मैने खुद को काबू में करके उससे उसका हाल-चाल पूछा. वो भी मुझे पहचान गयी.

बातों-बातों में मैने उससे उसकी पर्सनल लाइफ के बारे में पूछा. तो उसने बताया की अभी वो यहाँ अकेली रहती थी, और उसका कोई बाय्फ्रेंड भी नही था. दोस्तों क्या बतौ मेरे मॅन में तो लड्डू ही फुट गये. जब मैने उससे नौकरी का कारण पूछा तो उसने बताया की वो अपने परिवार से अलग हो गयी थी उसके एक्स-बाय्फ्रेंड के चक्कर में. बुत अब वो बाय्फ्रेंड भी उससे छ्चोढ़ के भाग गया.

वो यहाँ अब बिल्कुल अकेली थी, और ये बात मेरे लिए और भी अची थी. बेचारी को एक कंधा चाहिए था, जहाँ वो अपने सारे गुम बता सके. फिर मैने तय किया की मैं वो कंधा बनूंगा. उसमे मेरा ही फ़ायदा था.

मैने उसे जॉब के लिए सेलेक्ट कर लिया, और उसे मंडे से आने बोला. वो भी खुश हो गयी, और मुझे गले लगा लिया. क्या बतौ दोस्तों आपको उस एहसास के बारे में, जब उसके वो दो बड़े-बड़े मौसम्बी मेरी छाती से चिपक के डब गये. मानो मैं सातवे आसमान में था.

मॅन तो कर रहा था उसे वहीं पटक के छोड़ डू. पर मैने खुद पर काबू किया. मैं उससे एक दिन का मज़ा नही चाहता था. मैं तो उसे अपनी पर्सनल रांड़ बनाना चाहता था. जो मेरे 7 इंच के लंड के इशारे पर नाचे. मैं उसे इस तरह से अपना बनाना चाहता था, की वो बस मेरे लंड के बारे में ही सोचे, और किसी का ख़याल उसके मॅन में आए ही ना.

वो मुझे गले लगा कर डोर हुई, और मुझे मंडे आने का बोल के चली गयी. अब मैं भी मंडे का इंतेज़ार ज़ोरों-शॉरों से करने लगा. फिर आख़िर-कार मंडे आ ही गया, और ऋतु भी आ गयी मेरे लंड की पर्सनल रांड़ बनने के लिए. मैं चाहता था उसे पहले मैं अपने प्यार में फ़ससा लू, और वो खुद मुझसे मेरा लंड माँगे.

इस कारण मैं उसी के पसंद के कलर का सूट पहन के ऑफीस में गया. स्कूल में उसके पीछे वाले बेंच पर बैठने का फ़ायदा ये था दोस्तों, की मुझे उसकी पसंद ना-पसंद हर चीज़ का मालूम था.

उसने जैसे ही मुझे देखा, उसने मेरी तारीफ की, और कहा: आचे लग रहे हो. ये कलर मेरा फॅवुरेट है.

मैं भी उसे थॅंक योउ कह कर ऐसा दिखाया की मुझे नही पता था, की ये कलर उसका फॅवुरेट था. आयेज मैने उसे ऑफीस का काम समझाया. वो पढ़ने में उतनी अची नही थी, और ये मुझे पहले से ही पता था. इसलिए मैने उसे कहा की अगर कोई भी दिक्कत हो, तो मेरे पास आ जाए. वो भी मान गयी.

दूसरी तरफ मैने अपने दूसरे जूनियर्स एंप्लायीस को बोला था, की अगर ये कुछ ग़लती करे तो इसे आचे से डांटना. ताकि वो अपना दुख लेके मेरे पास आए, और मैं उसे सॉल्व करू, और उसकी आँखों में और अछा बन जौ.

ऐसे ही करते-करते 6 महीने हो गये, और मेरा प्लान आचे से काम कर रहा था. उसे सारे दूसरे एंप्लायीस दांता करते थे, और मैं उसकी प्राब्लम सॉल्व किया करता था. कभी-कभी मैं उसे बाहर खाने पर भी लेकर जया करता था. कभी मूवीस पर भी जाते थे हम साथ में.

लेकिन मुझे वो नही मिल रहा था, जो मुझे चाहिए था. पर मैं भी हार ना मानते हुए लगा रहा, और खुद को समझाया की सबर का फल पिंक (छूट) होता है.

अब हमारी नज़दीकियाँ पहले से ज़्यादा बढ़ गयी थी. वो मेरे साथ बिल्कुल ही कंफर्टबल हो गयी थी. कभी-कभी वो मेरे लिए लंच भी लेकर आ जाया करती थी. अब मुझे महसूस हुआ की लोहा गरम हो गया था, तो मार दो लंड का हात्ोड़ा, और छोड़ के रांड़ बना दो साली को.

अब जब की वो मेरे उपर निर्भर थी, मैने अपना प्लान-ब स्टार्ट किया.

वो प्लान क्या था, और आयेज क्या हुआ, आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. यहाँ तक की सेक्स कहानी की फीडबॅक आप रोयययराहुल्ल.54321@गमाल.कॉम पर दे सकते है.

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