सविता भाभी की चुदाई

मेरा नाम सविता है मेरे पति नवीन बहुत अच्छे और सुलझे हुए हैं। हम सेक्स का पूरा आनद लेते हैं, बात करते है और पर-पुरुष, पर-स्त्री की कल्पना भी करते हैं। मेरे पति को ऐसे ही सेक्स करना अच्छा लगता है और मुझे भी कोई ऐतराज नहीं है !
मेरे उम्र 29 साल है मेरे नवीन 32 के हैं। हमारी शादी को 9 साल हो गए हैं। वैसे तो हमें सेक्स में ठीक-ठाक मजा आता है पर हम लोग जब किसी पराये के साथ सेक्स करने की बात करते हुए सेक्स करते हैं तो मेरा मन बहुत ही चंचल हो जाता है और मुझे किसी दूसरे के साथ सेक्स करने का मन होने लगता है। वैसे मेरे पति का भी मन है कि मैं किसी और के साथ भी सेक्स का मजा लूँ। वो कहते हैं कि सबके लिंग का आकार अलग-अलग होता है और अलग-अलग लिंग का मजा अलग होता है।
इनकी बुआ का लड़का मनोज जो अभी 25 साल का है, उसकी अभी शादी नहीं हुई है, हमारे यहाँ अकसर आता जाता रहता है क्योंकि बुआ का गाँव पास ही है और मनोज भैया अभी पढ़ाई कर रहे हैं। इनका कहना है- मनोज का लिंग बहुत अच्छा है और मेरे लिंग से बहुत बड़ा है। और देखने में सुंदर भी है। अगर तुम चाहो तो मैं बात करूँ मनोज से, या तुम खुद ही सेट कर लो अगर तुम चाहो तो ! सच ! चाहत तो मुझे भी हो गई है कि मैं भी कोई अलग लिंग लेकर देखूँ। नवीन ने मेरे मन में एक बात कूट-कूट कर भर दी है कि अलग लिंग का अलग मजा !
मैं वही मजा लेना चाहती हूँ !
खैर, एक दिन ऐसा ही हुआ कि मनोज हमारे यहाँ दो दिन के लिए आया। कोई परीक्षा देना था और उसका परीक्षा-केन्द्र यहीं था।
बस क्या था, इन्होने भी दो दिन की छुट्टी ले ली। वैसे दोनों भाइयों के बीच में अच्छा प्रेम है।
मनोज सवेरे-सवेरे आने वाला था, इन्होंने फोन लगाया तो वो बोला- भैया ग्यारह बजे तक पहुँच जाऊंगा, खाना साथ ही खाएँगे।
मैंने खाना बनाया और इन्होंने परीक्षा के बाद घूमने का भी कार्यक्रम तय कर लिया, कहा- शाम को बाहर चलेंगे और रात का खाना बाहर ही खायेंगे!
11.30 तक मनोज भैया आ गए। हमने सभी ने साथ ही खाना खाया, मैंने मनोज की पसंद का खाना बनाया था- खीर, आलू की मटर की सब्जी, रायता और काजू कतली ये बाहर से ले आये थे। दो बजे मनोज को पेपर देने जाना था, नवीन उसको परीक्षा-केन्द्र छोड़ कर आ गए।
आने के बाद बहुत ही रोमांटिक मुद्रा में थे, साथ में कंडोम लेकर आये थे, मुझे दबा कर कहा- क्या मूड है जानू?
मैंने कहा- जैसा आपका है, वही मेरा है !
दिन में कभी-कभी ही तो मौका मिलता है, और ये शुरू हो गए, मुझे चूमने लगे।
बस सेक्स शुरु होने के साथ ही हमारी बातें भी शुरू हो जाती हैं। ये बोले- आज क्या मन है जानू? आज तो मनोज आया है, आज अपनी इच्छा पूरी कर लो, बहुत मजा आएगा ! तुम कहो तो सारा कार्यक्रम मैं तय कर लेता हूँ, तुमको तो ज्यादा कुछ नहीं करना है।
और हम ऐसे ही बात करते-करते सेक्स करने लगे। मैं कल्पना के गोते लगाने लगी और ये भी मेरे साथ सेक्स करते हुए मनोज का सा अहसास कराने लगे। हम लोग जल्दी ही निबट गए।
शाम के पाँच बज गए थे, मनोज के आने का समय हो गया था। हम लोग नहा कर तरोताज़ा हुए।
मनोज आया, हमने चाय पी और निकल लिए !मैंने पूछा- भैया, कैसा रहा तुम्हारा आज का पेपर? वो बोला- अच्छा रहा सविता भाभी !
और ऐसे ही बातें करने लगे। मेरी आँखों में शरारत थी !
और ये भी बस रात का ही कार्यक्रम सेट करने की सोच में थे। खाना खाने के बाद हम घर आ गए।
रात के आठ बज चुके थे, बाहर बहुत सर्दी थी तो चाय का एक दौर और होना था।
अरे सविता ! चाय पी लेते हैं यार ! क्यों मनोज? क्या मन है ?
अरे भैया ! बहुत मन है !
मैं चाय बनाने के लिए उठी तो ये बोले- अरे रुको सविता ! मैं बना लेता हूँ !
और चाय बनाने के लिए ये चले गए, शायद हमें मौका देने के लिए ! तो मैंने भी फालतू बात के साथ साथ पूछा- क्यों भैया, शादी का कब का मन है ? अब तो आपकी उम्र भी हो गई है ! कब कर रहे हो?
वो बोला- अभी नहीं सविताभाभी ! पहले मैं कुछ बन जाऊँ भैया की तरह, तो शादी की सोचूँगा ! हम बात कर ही रहे थे, इतने में ये भी चाय चढ़ा कर बाहर आ गए, बीच में ही बोले- क्यों भाई? क्या मन नहीं होता है तुम्हारा?
अरे होता तो है ! पर अब क्या करें भैया ! जैसा पहले चल रहा था वैसे ही अब भी काम चल रहा है !
मैं नहीं समझी, मैंने कहा- क्या मतलब है तुम्हारा मनोज भैया?
यह तो अब आपको भैया ही बताएँगे ! मैं नहीं बता सकता हूँ !
अरे नहीं ! क्यों ? क्या बात है? बताओ ना? मैंने कहा- क्या कोई है तुम्हारी जिन्दगी में? मैंने कहा।
अरे नहीं सविता भाभी ! ऐसा कुछ नहीं है ! मैं अभी भी असली कुंवारा ही हूँ !
वैसे हमारी ऐसे बातें पहले भी होती रहती थी। मनोज इनके सबसे निकट रहा है बचपन से ही तो मेरे साथ भी जल्द ही घुलमिल गया था।
ये चाय छानने के लिए चले गए तो मैंने जोर दिया- बोलो न मनोज, क्या बात है ? कैसे कम चल रहा है?
वो बोला- फिर कभी बताऊंगा !
कह कर बाथरूम चला गया और ये भी चाय लेकर आ गए। हमने चाय पी और ये बोले- यार चलो, अंदर आराम से लेट कर बात करते हैं !
हम तीनों आराम से बैड्रूम में जाकर बिस्तर में लेट गए। ये बीच में, मनोज उधर मैं इधर ! हमने अपने ऊपर रजाई डाल ली। सर्दी कुछ ज्यादा ही थी।
बात करते करते इन्होंने मेरे स्तन दबाने शुरू कर दिए, मुझे मजा आने लगा।
यार मनोज ! क्या होता होगा तुम्हारा इस सर्दी में बिना सेक्स के ? ये बोले।
अरे भैया, क्या बताऊँ? बहुत बुरा हाल है ! बहुत मन करता है ! आप तो बहुत किस्मत वाले हो जो आपको सविता भाभी जैसे सुंदर पत्नी मिली !सविता भाभी के साथ सेक्स करके आपको बहुत मजा आता होगा न ?
हाँ यार ! बहुत सुंदर है सविता ! और इसकी चूचियाँ ! बहुत अच्छी हैं, कितनी सख्त हैं आज भी !
भैया, सच में?
हाथ लगा कर देखना है क्या ? ये बोले।

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हाथ लगा कर देखना है क्या ? ये बोले।
अरे ऐसा है तो मजा आ जायेगा ! मनोज बोला।
और मनोज का हाथ पकड़ कर इन्होने मेरे वक्ष पर रख दिया।
मैंने कहा- अरे ! यह क्या कर रहे हैं आप दोनों ?
अरे कुछ नहीं भाभी ! थोड़ा सा देख रहा था !
ये भी बोले- बेचारे को हाथ लगा लेने दो ! क्या फर्क पड़ता है तुम्हें?
मनोज हाथ लगाने के बहाने दबाने लगा।
जब पति ही अपनी पत्नी को चुदवाना चाहे तो कोई पराया मर्द छोड़ेगा क्या !
ये बोले- मैं बाथरूम होकर आता हूँ ! जब तक तुम लोग बातें करो !
मनोज और मैं अकेले कमरे में, मनोज के हाथ में मेरी चूचियाँ ! वो आराम से दबा रहा था।
अब वो मेरे पास आ गया और बोला- भाभी, कैसा लग रहा है? मुझे तो बहुत मजा आ रहा है भाभी !
और वो जोर-जोर से दबाने लगा। मनोज मेरे पास आकर मुझसे सट गया और उसका लिंग मुझसे छू गया तो मुझे अहसास हुआ कि वाकई मनोज का तो काफ़ी बड़ा है।
मुझ से रहा नहीं गया तो मैंने हाथ लगा ही लिया- अरे वाह मनोज ! तुम्हारा तो बहुत बड़ा है ! मैंने कहा।
हाँ भाभी, भैया का छोटा है, मुझे पता है !
तुमको कैसे पता?
अरे भाभी, तुमको भैया ने नहीं बताया क्या ? जब कभी हम दोनों साथ होते थे तो ऐसे ही एक दूसरे का हाथ में लेकर हिला कर मन को शांत करते थे ! और आज भी जब भी मौका मिलता है तो हम ऐसा ही करते हैं ! मजा आता है !
तो आज भी ऐसा ही करोगे क्या? मैंने कहा।
मनोज बोला- नहीं भाभी, आज नहीं ! आज तो तुम्हारे साथ ! और बस उसने मेरे योनि पर हाथ रखा, तब तक मैं गीली हो चुकी थी।
ये भी आ गये- क्या चल रहा है?
मनोज बोला- भाभी का ख्याल रख रहा था भैया !
अच्छा ठीक है ! अब तो बस करो ! मैं आ गया हूँ, मैं रख लूंगा ख्याल !
मनोज को ऐसे ही चिड़ाने के लिए ये बोले।
नहीं, अब नहीं रुका जाता है ! भाभी की खूबसूरती के सामने तो मैं ऐसे ही हो जाऊंगा ! और फिर भाभी मना कर दे तो फिर ठीक है !
अरे नहीं-नहीं ! मनोज, मैं तो मजाक कर रहा था। चलो थोड़ा उधर सरको, मैं भी आता हूँ ! मजा दोगुना हो जायेगा !
और दोनों ने मिल कर मेरे सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगे हो गए।

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मैंने मनोज का देखा तो नवीन बोले- मैंने कहा था ना कि मनोज का बहुत बड़ा है ! देखो मेरे भाई का लिंग आज तुमको मजा देगा !
मैंने कहा- हाँ, वाकई तुम्हारे भाई का बहुत बड़ा है !
और हम खुले सेक्स के लिए तैयार थे।
मनोज ने कहा- भाभी, आप मुँह में ले लोगी क्या ?
मैंने कहा- क्यों नहीं मनोज ! तुम्हारा इतना सुंदर लिंग मैं मुँह में ना लूँ? ऐसा हो सकता है क्या?
मैंने मनोज का लौड़ा मुँह में लिया ही था कि इतने में इन्होंने मेरी योनि में अपना लण्ड पिरो दिया।
मुझे दोनों तरफ से मजा रहा था।
मनोज बोला- भैया, अब आप ऊपर आ जायें ! मैं थोड़ा देखूँ कि चूत में डालने का क्या मज़ा होता है ! पहली बार चूत में डालूँगा ना !
अरे क्यों नहीं भाई ! आओ, तुम्हारे लिए तो यह बहुत प्यासी है ! मेरे छोटे से लिंग को यह बहुत मजेदार समझती है। मैं भी इसको बताना चाहता था कि इस दुनिया में अलग-अलग लिंग का मजा क्या होता है !
आओ और इसको मजा दो !
इतना कहना था कि मनोज नीचे आया और एक ही बार में मेरी चूत को फाड़ते हुए अपना लिंग अंदर डालने लगा।
मेरे मुँह से आवाज निकल गई- आह ! मैं मर गई ! अरे मनोज, धीरे ! बहुत दर्द हो रहा है !
ये बोले- तब ही तो मजा आएगा
! थोड़ी देर में मजा आने लगा। मनोज जोर-जोर से करने लगा, मैं झड़ गई पर वो अभी तक अपने वार कर रहा था।
अब इन्होंने कहा- रुको मनोज ! कंडोम लगा लो यार !
मनोज ने कंडोम लगाया और फिर शुरू हो गया।
वो भी थोड़ी देर बाद झड़ गया। मैं भी उसके साथ एक बार और झड़ गई।
अब ये आ गये- क्यों जानू? कैसा लगा मेरे भाई के साथ सेक्स ?
मैंने कहा- मजा आ गया ! पर अब तुम्हारा छोटा पड़ेगा !
मैंने ऐसे ही मजाक में कहा था।
ये बोले- अरे कोई बात नहीं ! मनोज आता रहेगा ना तुमको मजा देने के लिए ! तुम चिंता मत करो ! क्यों मनोज? आओगे या नहीं अपनी भाभी के लिए?
अरे भैया ! यह आप क्या कह रहे हैं ! आप कहें तो मैं भाभी के अंदर से कभी बाहर ही ना निकालूँ ! मुझे आज जन्नत मिल गई है भाभी जैसी औरत पाकर ! मैं कभी शादी भी ना करूँ अगर भाभी मेरे साथ सेक्स करें और आप करने दो तो !
अरे क्यों नहीं मनोज ! आज से यह हम दोनों की है ! तुम जब चाहो, तब कर सकते हो ! मेरे तरफ से तुम आज़ाद हो ! क्यों नीता ? तुम मना करोगी क्या मनोज को?
अरे नहीं ! कभी नहीं ! मुझे बहुत मजा आया।
और इन्होंने भी झटके देना चालू कर दिए। मुझे तो इनके लिंग का अहसास ही नहीं हो रहा था मनोज का लिंग लेने के बाद। पर मैं फिर से झड़ने वाली थी और वो भी मेरे साथ ही झड गए !
आज मेरे पति ने मुझे दूसरे लिंग का अहसास कराया।
अब मुझे और लिंग देखने का मन होने लगा, मैंने कहा एक दिन अपने पति से- क्यों, और दूसरे लिंग और तरह के होते हैं?
ये बोले- तुमको और लिंग देखना है क्या ?
मैंने कहा- हाँ !
ये बोले- तो ठीक है ! मैं तुम्हारे लिए नए लिंग की कोशिश करता हूँ पर फिर मनोज और मेरा क्या होगा?
अरे आपको और मनोज को मैं हमेशा ही खुश करुँगी पर कोई नया लिंग देखने का मन है, अगर आप दिखाना चाहो तो ! वो बोले- जानू क्यों नहीं ! मेरे साथ एक है जो बाबू का काम करता है ! और बहुत सेक्सी है !



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