Savita Bhabhi : Judwa Chakkar Dohri Masti Dohra Maja

सविता भाभी को याद आ गया था कि अभी उन्हें ऑफिस जाकर मिश्रा जी का लौड़ा भी चूसना पड़ेगा जो कि उनके रोज के कार्यों में से एक था।
इसलिए भाभी ने कहा- अरे नहीं सुबह से मुझे अपने रोज के जरूरी काम निबटाने होते हैं तभी मेरा मैनेजर किसी काम को शुरू कर पाता है।

अब सविता भाभी ऑफिस चली गईं और शाम को ऑफिस से निकल कर घर पहुँचते हुए सोच रही थीं कि आज तो मिश्रा जी ने मुझे देर तक चोदा है और अब ये बारिश शुरू हो गई।

अभी सविता भाभी घर पहुँची ही थीं की वरुण दरवाजे पर मिल गया- माफ़ करना भाभी जी मैं घर की चाभी लाना भूल गया हूँ.. क्या मैं आपके घर तरुण के आने तक रुक सकता हूँ?

सविता भाभी ने अपने गदराए हुए मम्मों का प्रदर्शन करते हुए कहा- कोई बात नहीं बेटा.. अन्दर आ जाओ।

वरुण का लौड़ा खड़ा हो गया। वो सविता भाभी के मम्मों को देख कर एक आह भरता हुआ सोचने लगा कि आह्ह.. भाभी का क्या मस्त जिस्म है?
सविता भाभी ने कहा- वरुण मैं नहाने जा रही हूँ.. तू भी अपने गीले कपड़े बदल ले.. मेरे बेडरूम की अल्मारी में से अशोक के एक जोड़ी कपड़े निकाल ले।

वरुण तो सविता भाभी का मस्त जिस्म देख कर एकदम से मदहोश हो गया था और वो सोच रहा था कि भाभी का पति इसको पक्के में रोज जबरदस्त तरीके से चोदता होगा।

अब तक भाभी बाथरूम में जा चुकी थीं।

इधर बाहर वरुण सोच रहा था कि भाभी अन्दर पक्के में नंगी हो कर नहा रही होंगी और पानी उनके मदमस्त जिस्म पर गिर रहा होगा। काश ये नजारा एक बार दिख जाए.. मैं इसके लिए कुछ भी कर सकता हूँ।

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तभी वरुण ने देखा कि बाथरूम का दरवाजा ठीक से बन्द नहीं था.. उसके दिमाग में आया कि क्यों न एक बार झाँक कर देख लूँ।

वरुण ने अपनी आँख दरवाजे की झिरी में लगा दीं। उसने अन्दर का नजारा देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

अन्दर सविता भाभी एकदम नंगी हो कर फव्वारे के नीचे खड़ी थीं।

उनका कामुक जिस्म देख कर वरुण गनगना गया और अपने लौड़े को सहलाते हुए सोचने लगा कि काश मैं भी इनके साथ अन्दर होता तो मैं इनकी चूत को चाट कर साफ़ कर देता।

अभी भाभी अन्दर नहा ही रही थीं कि बाहर खड़े वरुण का पैर एक स्टूल से टकराया और स्टूल गिरने की आवाज आई।

‘अरे कौन है वहाँ..?’ सविता भाभी ने अन्दर से आवाज दी.. और एक छोटी सी तौलिया से अपने मम्मों और चूत को ढकते हुए वे बाहर आईं तो देखा कि वरुण फर्श पर गिरा पड़ा था।
‘यहाँ क्या हो रहा है तुम इधर कैसे?’
वरुण- मैं..मैं.. तो बस कपड़े लेने आया था.. मैं जाता हूँ मुझे माफ़ कीजिएगा।

अब भाभी ने मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचा कि अच्छा तो ये बात है.. ये ताक झांक प्रेमी है.. इसका इलाज मुझे पता है।
सविता भाभी ने वरुण को रोकते हुए कहा- ठहरो वरुण.. बाथरूम में गरम पानी नहीं आ रहा है.. तुम ज़रा देख दोगे?

वरुण सविता भाभी के मदमस्त और हसीन नग्न जिस्म को देख कर थूक गुटकता हुआ बोला- ह..ह..ह..हाँ.. जरूर भाभी.. मैं अभी देखता हूँ।

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अब वरुण बाथरूम में अन्दर आ गया था उसने नल को चला कर देखा तो नल सही था और उसने पानी बदस्तूर आ रहा था।

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