इधर बाहर वरुण सोच रहा था कि भाभी अन्दर पक्के में नंगी हो कर नहा रही होंगी और पानी उनके मदमस्त जिस्म पर गिर रहा होगा। काश ये नजारा एक बार दिख जाए.. मैं इसके लिए कुछ भी कर सकता हूँ।
तभी वरुण ने देखा कि बाथरूम का दरवाजा ठीक से बन्द नहीं था.. उसके दिमाग में आया कि क्यों न एक बार झाँक कर देख लूँ।
वरुण ने अपनी आँख दरवाजे की झिरी में लगा दीं। उसने अन्दर का नजारा देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
अन्दर सविता भाभी एकदम नंगी हो कर फव्वारे के नीचे खड़ी थीं।
उनका कामुक जिस्म देख कर वरुण गनगना गया और अपने लौड़े को सहलाते हुए सोचने लगा कि काश मैं भी इनके साथ अन्दर होता तो मैं इनकी चूत को चाट कर साफ़ कर देता।
अभी भाभी अन्दर नहा ही रही थीं कि बाहर खड़े वरुण का पैर एक स्टूल से टकराया और स्टूल गिरने की आवाज आई।
‘अरे कौन है वहाँ..?’ सविता भाभी ने अन्दर से आवाज दी.. और एक छोटी सी तौलिया से अपने मम्मों और चूत को ढकते हुए वे बाहर आईं तो देखा कि वरुण फर्श पर गिरा पड़ा था।
‘यहाँ क्या हो रहा है तुम इधर कैसे?’
वरुण- मैं..मैं.. तो बस कपड़े लेने आया था.. मैं जाता हूँ मुझे माफ़ कीजिएगा।
अब भाभी ने मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचा कि अच्छा तो ये बात है.. ये ताक झांक प्रेमी है.. इसका इलाज मुझे पता है।
सविता भाभी ने वरुण को रोकते हुए कहा- ठहरो वरुण.. बाथरूम में गरम पानी नहीं आ रहा है.. तुम ज़रा देख दोगे?
वरुण सविता भाभी के मदमस्त और हसीन नग्न जिस्म को देख कर थूक गुटकता हुआ बोला- ह..ह..ह..हाँ.. जरूर भाभी.. मैं अभी देखता हूँ।
अब वरुण बाथरूम में अन्दर आ गया था उसने नल को चला कर देखा तो नल सही था और उसने पानी बदस्तूर आ रहा था।
वरुण- इसमें तो कोई खराबी नहीं है.. पानी ठीक आ रहा है।
सविता भाभी- ओह्ह.. हो सकता है मैंने नल उल्टा घुमाया हो।
वरुण थोड़ा भीगा हुआ था.. तो सविता भाभी ने उससे कहा- अरे तू तो पूरा भीगा हुआ है.. तू भी अपने कपड़े उतार कर नहा ही ले.. मैं बाहर चली जाती हूँ।
सविता भाभी बाहर को चल दीं और वरुण ने अपने कपड़े उतार कर मुठ्ठ मारनी शुरू कर दी। उसके मुँह से सविता भाभी के जिस्म को लेकर ही आह्ह.. निकल रही थीं।
‘आह्ह.. भाभी कितना गरम जिस्म है आपका.. अब मुझसे रहा नहीं जाता.. मुझे अपना माल झाड़ना ही होगा.. आह्ह..’
उधर सविता भाभी दरवाजे से झाँक कर देखने लगीं- अयं.. ये तो मेरे नाम की मुठ्ठ मार रहा है.. वो भी मेरे ही बाथरूम में खामखाँ अपने कीमती माल का नुकसान कर रहा है। मुझे इसकी मदद करनी चाहिए।
सविता भाभी बाथरूम में अन्दर आ गईं और बोलीं- वरुण बेटा.. क्या मैं अपने हाथ से रगड़ दूँ?
‘भ..भाभी.. व..वो.. तो मैं बस यूं ही.. जरा..’
‘मैं सोच रही थी कि अपने हाथ से तेरी पीठ रगड़ कर साफ़ कर दूँ।’
अब वरुण चुप हो गया और बाथरूम में एक स्टूल पर बैठ गया और सविता भाभी ने उसकी पीठ पर अपने कोमल हाथों से जलवा दिखाना शुरू कर दिया।
अभी सविता भाभी वरुण की पीठ रगड़ ही रही थीं की धीरे से उन्होंने अपना हाथ आगे ले जाते हुए वरुण की तौलिया में खड़े लण्ड को पकड़ लिया।
वरुण की वासना की आग भड़क उठी।
सविता भाभी ने उसकी पीठ से अपनी चूचियों को चिपकता हुए उसके लौड़े को मुठियाया और कहा- ओह.. वरुण मेरे ख्याल से तुम्हें यहाँ नीचे से धुलाई की जबरदस्त जरूरत है।
अब भाभी ने उसके लौड़े को तौलिया से बाहर निकाल लिया था और उसकी मुठ्ठ मारना शुरू कर दी थी।
तभी वरुण ने अपने जिस्म को कड़क करना शुरू कर दिया था जिससे सविता भाभी को समझ में आ गया था कि वरुण का माल छूटने ही वाला है और ये सच था। अगले ही पल वरुण का माल छूट गया।
सविता भाभी ने उसके लौड़े को आगे-पीछे करते हुए उसका पूरा माल निकाल दिया।
भाभी- देख तूने मुझे गन्दा कर दिया.. अब मुझे फिर से नहाना पड़ेगा।
इतना कहते हुए भाभी ने अपना तौलिया हटा दिया और एकदम नंगी होकर वरुण के सामने आ गईं- अब मुझे देख कर ललचाना छोड़ और आ जा.. मल-मल कर नहला दे मुझे..
इसके बाद बाथरूम में जो कामलीला हुई उसमें सविता भाभी ने जवान उम्र के लौंडे वरुण की जवानी का रस खींच कर चूसा और जबरदस्त धकापेल हुई। वरुण ने सविता भाभी के निप्पलों को किस बेदर्दी से मींजा और उनके ठोस मम्मों को निचोड़-निचोड़ कर चूसा.. उनकी चूत में ‘फिंगर-फक’ किया। फिर सविता भाभी को घोड़ी बना कर उनकी चूत में लौड़ा पेल कर सवारी गांठी।
इस सब का सचित्र वर्णन इतना कामुक है कि इसको शब्दों में बयान करना नामुमकिन है। जिस तरह से सविता भी के निप्पलों को मींजने का सीन है.. वो आप एक बार देख लोगे तो मेरा दावा है कि बिना मुठ्ठ मारे आप रह नहीं सकते।