सविता भाभी की भाषा में ‘आप’ और ‘जी’ जैसे संबोधन खत्म हो चुके थे।
मनोज ने पलट कर सविता भाभी की ओर देखा तो वो सविता भाभी की पहाड़ सी उठी हुई चूचियों से अपनी नजरों को ही नहीं हटा पाया।
उसने सविता भाभी के प्रश्न का मर्म समझ लिया था, सो उसने जबाव दिया- ओह्ह.. मुझे उसकी कोई परवाह नहीं है.. मेरे पास और भी बहुत कुछ है करने को..
सविता भाभी ने मनोज की नजरों को ताड़ लिया था। उन्होंने अपनी चूचियों का प्रदर्शन करते हुए एक बर्फ का टुकड़ा बड़े ही अश्लील भाव से चूसते हुए कहा-दिलचस्प.. शायद मैं भी कभी इन ‘बहुत कुछ’ में हिस्सा बन सकूँ?’
अभी मनोज कोई जबाव देता, तभी सविता भाभी ने अपना कामास्त्र छोड़ते हुए कहा- मनोज जी लोगे..?
इतना कह कर उन्होंने अपने चूचों को अपने हाथों से दबा कर और उभार दिया।
अब मनोज समझ चुका था कि सविता भाभी क्या ‘लेने’ के लिए कह रही हैं।
इधर सविता भाभी ने आगे बढ़ कर उसके मुँह से बर्फ का टुकड़ा लगा दिया और मनोज ने भाभी को अपने करीब खींचते हुए उनके चूतड़ों पर अपना हाथ फेर दिया।
बस अब मामला गर्म हो चला था मनोज ने बर्फ के टुकड़े को मुँह में दबा कर सविता भाभी की चूचियों पर फिराना चालू कर दिया और सविता भाभी की आँखें वासना से बंद हो गईं।
अब सविता भाभी और मनोज के बीच चूमा चाटी होने लगी।
चूंकि दोनों किचन में थे और बाहर सविता के पति और मनोज की पत्नी इन दोनों के खाने पर साथ आने का इन्तजार में बात-चीत में मशगूल थे।