सौतेली माँ और नानी की चुदाई

group sex मैं रमु 18 साल का तनदुरसत जवन बेटा हुन। हुम लोग उप के एक गावँ मे रहेते हैन। जब मैं 10 साल का था मेरी माँ का देहनत होगया। और पितजि ने 22 साल कि एक गरिब लरकि से दुसरि सादि करलि। हुम लोग खेति बदि करके अपना दिन गुजरते थे। मैं जयदा पदा लिखा नहिन होने से पितजि ने घर के पास एक छोति इस किरने कि दूकन खोल ली। पितजि खेति पर जते थे और मैं या मेरी सौतेलि माँ दूकन पर बैथते थे। जब मैं 15 साल का हुवा तो पितजि का अचनक देहनत हो गया। अब घर मैं केवल मैं और मेरी सौतेलि माँ रहते थे। मेरी सौतेलि माँ को मैं माँ कहकर बुलता था।

घर का एकलोता बेटा होने से मैं माँ मुज़े बहुत पयर करति थि। यह हदसा करिब एक महिने पहेले का हैन। मेरी माँ थोदि मोति और सवनलि हैन और उसकि उमर 31 साल कि हैन। उसकि चुतर कफ़ि मोति हैन वो जब चलति हैन तो उसकि चूतर हिलति हैन उसके बूबस भि बदे बदे हैन। मैं े कै बर उनको नहते हुये उनकि बूबस देखा था।

पितजि के देहनत के बाद हुम माँ बेते हि घर मैं रहते थे और अकेला पन महसूस करते थे। दूकन मैं रहने के करन हुम लोग खेति नहिन करपते थे इसलिये खेत तो हुमने दूसरे को जुतै के लिये देदिया। मैं सुबह 7 बजे से दोपहर 12:30 बजे थे दूकन मैं बैथा था और 12:30 से 03:00 बजे तक घर मैं रहता था और फिर 3 बजे दूकन खोल कर कभि 06:30 या 07:00 दूकन बनद कर घर चला जता था। जब मुज़े दूकन का माल खरिदने सहर जना पदता था तो माँ दूकन पर बैथति थि।

एक दिन मान ने दोपहर को खना खते समय उनहोने मुज़से पुछा, रमु बेते अगर तुमे इतरज़ ना हो तो कया मैं अपनि माँ को यहन बूललु, कयोनकि वो भि गावँ मैं अकेलि रहति है और यहन अने से हमरा अकेला पन दूर होजये गा। मैं े कहा, कोइ बात नहि माँ आप नानी जि को यहन बूला लो।

अगले हफते नानी जि हमरे घर पहुच गयि। वो करिब 45 साल कि थि और उनके पति का देहनत 3 साल पहले हुवा था। नानी भि मोति और सनवलि थि और उनका बदन कफ़ि सेक्सि था।

जदे का समय था इसलिये सुबहा दूकन देरि से खुलति थि और शम को जलदि बनद कर देता था

घर पर माँ और नानी दोनो सरि और बलौसे पहनति थि, और रात को सोते समय सरि खोल देति थि और केवल बलौसे और पेत्तिसोअत पहन कर सोति थि। मैं सोते समय केवल उनदेरवेअर और लुनघि पहन कर सोता था। एक दिन सुबह मेरी आनख खुलि तो देखा नानी मेरे कमरे मैं थि और मेरी लुनघि कि तरफ़ आनखे फद फद कर देख रहि थि। मैं े जत से आनखे बनद करलि तकि वो समजे कि मैं अभि तक सो रहा हुन। मैं े महसूस किया कि मेरा लंड खदा होकर उनदेरवेअर से बहर निकला था और लुनघि थोदि सरकि हुई थि इसलिये मेरा मोता कला लंड करिब 8 इनच लुमबा और कफ़ि मोता था उसे नानी आनखे फद फद कर देख रहि थि। कुच देर इसि तरह देखने के बद वो कमरे से बहर चली गयी। तब मैं उथ कर मेरा मोता लंड उनदेरवेअर के उनदेर किया और लुनघि थिक करकि मुतने चला गया। नहा धो कर जब हुम सब मिलकर नसता कर रहे थे नानी बर बर मेरे लुनघि कि और देख रहि थि। सयद वो इस तक मैं थि कि लंड के दरशन हो जये। जदे के दिनो मैं हुम दूकन 12 बजे खोलते थे। इसलिये मैं बहर अकर खत पर बैथ कर धूप का अननद ले रहा था। बहर एक छोता सा पत्रिसिअन था जिसमैं हुम लोग पेसब वगरेह करते थे। थोदि देर बद मैं े देखा कि नानी आयी और पेसब करने चलि गये। वो पत्रिसिअन मैं जकर उपनि सरि और पेतिसोते कमर तक उनचि कि और इसतरह बैथि थि कि नानी कि कलि फनको वलि, जनतोन से घिरि चूत मुज़े साफ़ देखै दे रहि थि। नानी का सिर निचे था और मेरी नज़र उनकि चूत पर थि। पेसब करने के बद नानी करिब 5-10 मिनुतेस उसि तरह बैथि रहि और अपने दहिने हथ से चूत को लगर रहि थि। येह सब देख कर मेरा लंड खदा हो गया, और जब नानी उथि तो मैं े नज़र घूमा लि। मेरे पास से गुजरते हुवे नानी ने पुछा कया आज धूकन नहिन खोलनि हैन। मैं े कहा, बस नानी जि 10 मिनुतेस मे जकर दूकन खोलता हुन। और मैं दूकन खोलने चलगया।
शम को दूकन से जब घर आया तो नानी फिर मेरे समने पेसब करने चलि गयी और सुबह कि तरह पेसब करके अपनि चूत को लगर रहि थि।

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थोदि देर बद मैं बहर घूमने निकल गया, माँ बोलि बेटा जलदि आजना जदे का समय हैन। मैं े कहा थिक हैन मा। और निकल गया।

रसते मैं मेरे दिमग मैं केवल नानी कि चूत हे चूत घूम रहि थि। मैं कभि कभि एक पौवा देसि सरब पिया करता हलकि आदत नहिन थि महिने दो महिने मैं एक आद बर पी लिया करता था। आज मेरे दिमग मैं केवल चूत हे चूत घूम रहि थि। इसलिये मैं देसि थेके पर देध पौवा पी लिया और चूप चप घर कि और चल पदा। मेरे पीने के बरे मैं मेरी माँ जनति थि इसलिये कुच नहिन बोलति थि। कयोनकि मैं पी कर चूप चप सो जता था। रात कबरिब 9 बजे हुम सब ने मिलकर खना खया। खना खने के बद माँ घर के कम मैं लग गयी और मैं और नानी खत पर बैथ कर बतेन कर रहे थे। थोदि देर बद माँ भि आगयी और बतेन करने लगि। नानी ने कहा चलो कमरे मैं चलेत हैन वहिन बतेन करेनगे कयोनकि बहर थनद लग रहि हैन। इसलिये हुम सम कमरे मैं आगये। माँ ने नानी और अपना बिसतर जमिन पर लगया और हुम सब निचे बैथ कर बतेन करने लगे। बतोन बतोन मैं नानी ने कहा, रमु आज तु हमरे साथ हे सो जा, माँ बोलि ?लकिन यहन कहन सोयेगा और मुज़े मरदो के बीच सोने मे शरम आति हैन और निनद भि नहिन आति हैन? नानी बोलि बेति कया हुवा येह भि तो तुमहर बेते जैसे हि हैन हलनकि तु इसकि सौतेलि माँ हैन फिर भि इसका कितना धयन रखति। अगर बेटा सथ सो रहा हो तो इसमे सरम कि कया बात हैन। खेर नानी और माँ मन गयी। मैं नानी और माँ के बिच सो गया मेरे धिनि तरफ़ माँ सो रहि थि और बहिन तरफ़ नानी ।

सरब के नेसे के करन पता नहिन चला मुज़े कब निनद आगयी। करिब 1 बजे मुज़े पेसब लगि तो मैं े आख खोलि तो बगल से हाआ हूऊऊऊऊ आआआआआ कि दीमि अवज सुनै दी मैं े महसूस किया कि येह तो माँ कि फुसफुसहत थि इसलिये मैं दीरे से माँ कि और देखा, माँ को देख कर मेरी आनखे खुलि कि खुलि रहगयी। माँ अपने पेत्तिसोअत को करमर तल उपर करके बयेन हथ से चूत लगर रहि थि जबकि दहिने हथ कि उनगलिया चूत के अनदर बहर कर रहि । इसि तरह करिब 10 मिनुतेस बद वो पेत्तिसोअत नीचे कर के सोगयी सयद उसका पनि गिरगया होगा।

थोदि देर बद मैं उथ कर पेसब करने चला गया और पेसब करके वपस आकर नानी और माँ के बीच सोगया। अब मेरी नज़र बर बर माँ पर थि और नीनद नहिन आ रहि थि। इसलिये मैं नानी कि तरफ़ करवत लेकर सो गया। लेकिन फिर भि मुज़े नीनद नहिन आरहि थि, कयोन कि नानी कि और सोने के करन अब मेरे दिमग मैं नानी कि चूत नाच रहि थि। और मैं कसमकस मैं था और इसि तरह कबरिब एक घनता बीत गया। अचनक मेरी नज़र नानी के चूतर पर पदि मैं े देखा कि उनका पेत्तिसोअत घोतनो से थोदा उपर उथा उवा था, अचनक मेरे सरबि दिमग मैं सैतन जग उथा मैं उथा और तेल के सिसि ले आया और नानी के पास मुह करके खुब सरा तेल मेरे सुपदे पर और लंड के जद तक लगया। फिर धीरे धीरे से नानी का पेत्तिसोअत उत्तर के उप्पर करदिया। नानी का मुह दुसरि तरफ़ था इसलिये उनकि चूत के थोदे दरशन होगये। अब मैं े हिम्मत कर के अपने लंड का सुपद केवल नानी कि चूत के मुह के पास रखा, मैं े महसूस किया कि नानी आहिसता आहिसता अपनि गानद को मेरे लंड के पास कर रहि है। मैं समज गया कि सयद नानी चुदने के मूद मैं हैन। इसलिये मैं े भि अपनि कमर का दक्का उनकि चूत पर दला जिस से मेरे सुपद नानी कि चूत मैं घूस गया। और उनके मुहा से हलकि चिक नकलि हय?????।।रमु अहिसता दलोना, कयोन कि तुमहरा लंड कफ़ि बदा और मोता है और मैं भि कै सलोन से चुदवै नहिन हून। बेटा धीरे धीरे और हैसता हैसता करो, कहा कर नानी सिधि लेत गयी और अपन पेत्तिसोअत कमर तक उनचा करदिया, अब मैं नानी के उप्पर चद कर धीरे धीरे अपना लंड घूसा रहा था। जैसे जैसे लंड अनदेर जता था वो उह्हह्हह्हह्हहफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ ह्हह्हह्हह्हह्हह्हहाआआआअन्नन्नन्नन्न आआआआऐ कि अवजे नेकलने लगि। मैं जब अपना पुरा लंड नानी कि चूत मैं दल चुक्का था तो मैं े नानी कि आनखो मैं आनसु देखे मैं े पुछा कया आप रोरहि हो उनहोने कहा नहि रे येह तो खुशि के आनसु हैन। आज कितने बरसो बद मेरी चूत मैं लंड घूसा हुवा है। फिर मैं आपना लंड अनदेर बहर करने लगा और जोर जोर से नानी कि चूत को चोद कर फरने लगा और नानी भि अपनि चुत्तर उथा उथा कर मेरा सथ देरहि थि। और बीच बीच मैं कहरहा रहि थि ?और जोर जोर से चोदो, मेरे रजा, वकै तुमहर लंड इनसान का नहिन घोदे या घधे का है। करिब मैं 15-20 मिनुतेस उनकि चूत पर अपना मोता तगदा हथियर अनदर भहर कर रहा था इसि बीन मैं े महसूस किया कि माँ हमरि इस करिया तो सोये सोये देख रहि थि और मन हि मन सोच रहि थि, जब मेरी माँ अपने नतिन से चुदवा सकति हैन तो कयोन ना मैं भि गनगा मैं दुबकि लगलू, कब तक मैं अपने हथोन का इसतमल करति रहूनगि ? अखिर येह मेरा सगा बेटा थोदि है, और उथ कर उसने अपना पेत्तिसोअत खोल दिया और अपनि चूत नानी कि मुहा पर रख कर लगर ने लगि, पहले तो नानी सकपका गयी फिर समज गयी कि उसकि बेति भि पयसि हैन और अपने सौतेले बेते का लंड खना चहति है, फिर नानी माँ कि चूत मैं जीभ दलकर जीभ से चोदने लगि, इसि दरमियन नानी 3 बार जर चुकि, और कहने लगि बस रमु बस अब सहा नहिन जता हैन, मैं े कहा, बस नानी 5 मिनुतेस और। 5 मिनुतेस बद मेरा सरा विरया नानी कि चूत मैं जा गिरा।
अब नानी थक कर सोगयी, माँ ने कहा चलो बितर मैं चलेत हैन वहिन तुम मुज़े चोदना।

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हुम दोनो बिसतर पर आगये, मेरा लंड अभि सिकुदा हुवा था इसलिये माँ ने लंड को लेकर मुहा मे चूसना सुरु किया और मैं भि 69 कि पोसितिओन मैं उनकि चूत चतने लगा। येहा करिया करिब 10 मिनुतेस करते रहे और मेरा लंड तन कर विशलकय होगया, अब मैं े माँ कि गान के नीचे अपने तकिया लगया और उनकि दोनो तनगो को मेरे कनधे पर रख कर लंड पेलने लगा सुपरा जते हि बोलि है रे दैया कितना मोता है रे तेरा लंड । खुब मज़ा आयेगा और फिर मैं माँ को जोर जोर से चोद रहा था वो भि जयदा बुदि ना होने के करन मेरा खुब सथ दे रहि थि। पुरे कमरे मैं पाच पाच कि अवज़ आरहि थि। हुम करिब 1 घनते कै कै सतयलोन मैं चोदते रहे और लसत मैं मैं े माँ कि गानद भि मरि माँ को कफ़ि मज़ा आया।

अब रोज मैं दोपहर को नानी को चोदता था (कयोन कि उमर होने के करन कभि कभि सथ नहिन देपति थि और माँ तो रात मैं मदया रत्रि तक चोदथा था। कयोनि माँ बानज़ थि इसलिये उनहे कोइ दर नहि था और हुम लोग खूब चोदते थे।



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