सहेली के पापा से जोरदार चुदाई – 2

गतान्क से आगे……… saheli ke papa se zordar chudai

रीता के चोदु पापा मेरी तनी-तनी कुँवारी चूचियों को देखकर मस्ती से भरे और उनका लंड तनाव लेने लगा.
अपनी लड़की की नंगी चूची को एक हाथ से दबाए वह मेरी ओर बड़ी मस्त नज़रो से देख रहे थे. मैं भी उनको अपनी लड़की की नंगी चूची को दबाते हुवे हाथ मे लंड थमाए देखकर बुरी तरह से बेचैन हो गयी थी. वो उसी तरह मेरी दोनो चूचियों को घूरते मेरी कुर्सी
के पास आए. कमरे मे बहुत उजाला था इसलिए सब साफ-साफ दिख रहा था. मेरे बदन की झुनझुनी रीता के मुठ्ठी के लंड को देख तेज़
हो गयी. पहले जो सिक्युडा था अब काफ़ी खड़ा हो गया था. मेरे पास आ मुझे देखते हुए रीता से बोले,

” बेटी तुम्हारी पक्की सहेली है?”

“हाँ पापा इसी की बात तो आपसे कर रही थी. पापा इसे भी मेरी तरह जवान कर दीजिए ना?” रीता ने बड़े प्यार से अपने पापा के लंड को
छ्चोड़ अपना हाथ मेरी चूचियों पर हाथ लगाया. अब मैं उसके बाप के लंड को आँखे नीची कर देख रही थी. वह बहुत मोटा लंबा नही था पर हमलोगो के लिए एकदम सही साइज़ का था. सूपड़ा लाल था. मैं रीता की बात सुन थोड़ा शरमाई तो उसके पापा ने मेरी एक चूची पर हाथ लगा पूचछा,

“चुदी नही हो क्या बेटी?” सहेली के पापा के हाथ मे करेंट था. मैं सनसना उठी. चूत ने फल्ल से पानी बाहर फेंका और चूचियाँ
मचल उठी. पापा ने नीचे से चूची पर हाथ लगाया था. मेरी चूची पर हाथ लगाने से उनका लंड और भी खड़ा हुवा. मेरी चूत
रीता के पापा की च्छेड़च्छाद से मस्ती से भरने लगी. मैं चूत को हाथ से च्छुपाए थी. उनके सवाल पर शर्मा गयी तो रीता मेरे गाल
को हाथ से सहलाकर बोली,

“बताओ ना पापा को शरमाती क्यों हो?”

“बोलो बेटी चुदी हो या नही?” रीता के पापा ने पूरी चूची को पकड़ फिर पूछा तो मैं शरमाती हुई कुर्सी से लगकर धीरे से बोली,

“जी अभी नही.”

“रीता से कम उमर की हो?” और चूची को धीरे से दबाया तो मेरी जवानी दीवानी हो गयी. रीता के पापा से चूची डबवाने मे अनोखा
मज़ा आया. चूत की धड़कन तेज़ हुई और अपने लंड को मेरे सामने कर कुर्सी पर बैठे ही मेरी दोनो चूचियों को एक साथ मसल्ते हुवे पूचछा,

“बताओ रीता के बराबर की हो?”

“जी पापा.” मैं मस्त हो चूचियों को उचकाकर सहेली के बाप से बोली. मुझे इस समय जन्नत सा मज़ा आ रहा था. दोनो चूचियों को एक साथ हाथ से पकड़ रीता के पापा ने मेरी शरम को धो दिया था. मैने मस्त हो उनको देखा तो वो बोले,

“तुम्हारे पापा तुमसे मज़ा नही लेते क्या?”

“जी नही.”

“तभी तो छ्होटी-छ्होटी हैं तुम्हारी. कोई बात नही मैं बड़ी कर दूँगा. बहुत मज़ा आता है लड़कियों को. अभी तुम एकदम नादान हो.
तुमको सब सीखना होगा. अब बराबर आओगी ना?”

“जी पापा.” अब मेरे बदन मे 440 वॉल्ट का करेंट सा दौड़ रहा था. चूत के दोनो फाँक खड़े थे. तभी मैने अपने हाथ को अपनी चूत
से अलग कर अपनी चूत को रीता के पापा के सामने कर दिया. मेरी गदराई सोलह साल की अनचूदी चूत थी, देखकर भला कौन ना मस्त होता. रीता के पापा का लंड मेरी चूत देखते ही झटके खाने लगा. वह मेरी चूत को नशीली नज़रो से ऐसे देख रहे थे जैसे पहली बार चूत
देख रहे हो. नंगी चूत को इक मर्द को दिखाने मे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी नंगी चूत पर हाथ फेरते हुवे बोले,

“चूत तो तुम्हारी बहुत खूबसूरत है. चोदने लायक है, खूब मज़ा आएगा तुमको.” और जब उंगली से गुलाबी कलर की फाँक को मसला तो
मैं गुदगुदते हुवे सिसककर रानो को कस सिसक उठी. तभी मेरे गाल को सहलाते दूसरे हाथ से चूत के लिप्स को मसल्ते कहा,

“ईस्को छ्छूने मे मज़ा आ रहा है ना?”

हाए पापा बहुत.” रीता के पापा का लंड एकदम खड़ा हो गया था. मेरी चूत की लंबी- लंबी फाँक देख वो बहुत खुश थे. समझ गये कि
रीता से ज़्यादा मज़ा इस नये माल मे है. वो बोले,

“तुमको भगवान ने बहुत प्यारी चूत दी है. ऐसी चूत बहुत कम लड़कियों के पास होती है. मेरी बेटी रीता की चूत की फाँक बहुत
छ्होटी हैं और चुदवाते-चुदवाते अंदर घुस गयी हैं इसीलिए लंड को पूरा मज़ा नही मिलता. तुम्हारी फाँक बड़ी हैं.”

मेरी चूत की कीमत रीता के चोदु पापा देखकर ही जान गये थे. जब रीता के पापा ने मेरी चूत पर हाथ लगाकर बड़ी-बड़ी फाँक को
उंगली से मसला तो मैं बुरी तरहबेचैन हो गयी थी और मेरी सारी शरम जाती रही. बदन का रोया-रोया खड़ा था. पहले रानो को कस
लिया था पर अब मज़ा मिलने के बाद खोलकर उनके कड़े लंड को देखती सोच रही थी कि यह मेरी चूत मे कैसे जाएगा. चूत फटने या
दर्द होने का डर नही था क्योंकि मेरी सहेली के पापा का लंड छ्होटा और पतला था. उंगली से चूत मसलवाने मे बहुत मज़ा आ रहा था.
मेरी नंगी सहेली रीता पास खड़ी चुपचाप देख रही थी. मेरी जैसी अनोखी चूत देख रीता के पापा बहुत खुश थे. अब शायद उन्हे अपनी
बेटी की पुरानी छ्होटी फाँक वाली चुदी चूत मे दिलचस्पी नही रह गयी थी. मेरी गोरी-गोरी गुदाज़ चूत को सहला रीता से बोले,

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“रीता बेटी अपनी सहेली की झाँटे तो सॉफ कर दिया होता?. चूत पर बाल नही हो तभी पूरा मज़ा आता है.”

“पापा मैने सोचा आप खुद सॉफ करके चोदेन्गे.” रीता मेरी झांतो को देख बोली.

“बेटी.”

“जी पापा.”

“कभी किसी को चुद्ते देखा है?”

“नही पापा.”

“बेटी तुम्हारी सहेली की चूत तो चोदने लायक है पर पहले तुम चुदवाकर इसे मज़ा लेना सिख़ाओ. मैं पेशाब करके आता हूँ तब तक
तुम इसकी चूत पर हेर रिमूवर क्रीम लगाकर ऊपर से कपड़ा लगा दो.” रीता अपने पापा की बात सुन मस्ती से भर उठी. वह मेरी चूत मे
अपने पापा को उंगली करते देख चुदवाने को बेचैन थी. वह चुदवाकर मज़ा ले चुकी थी इसलिए फ़ौरन रेडी हो जाती थी. दोनो बाप-बेटी के नये रिश्ते को देख मैं बहुत खुश थी. चोदने और चुदवाने की बात ऐसे खुलकर कर रहे थे जैसे पति-पत्नी हो. मेरी तनी-तनी
चूचियों को हाथ मे ले दबाते हुवे कुर्सी से नीचे उतरने का इशारा करते बोले,

“जाओ रीता से क्रीम लगवाकर चूत को चिकनी करो.” अब मैं पूरी तरह मस्त थी. कमरा मेरे लिए जन्नत बना था. मेरी फाँक खुली थी
और चूत से हल्का सा रस निकल रहा था. वह मूतने गया तो रीता ने क्रीम को मेरी गरमाई चूत पर लगा ऊपर से कपड़ा चिपका दिया और बोली,

“ईस्को थोड़ी देर बाद हटाना तो मेरी तरह चिकनी हो जाएगी. अब शरमाने की ज़रूरत नही. मैं पापा से चुदवाकर मज़ा लूँगी तुम देखना.”

“ठीक है रीता.” मैं चूत पर क्रीम लगवाकर बोली. रीता के पापा को मेरे जैसी जवान मस्त लड़की पहली बार मिली थी शायद. वह मेरी
खूबसूरत चूत के दीवाने हो गये थे. मूटकर अपने लंड को लूँगी से पूछ्ते आए वापस आए और लूँगी अलगकर पूरे नंगे हो गये. मेरी
नज़रे बार-बार उनके फँफनाए लंड को देख रही थी. मेरे पास आ मेरी गांद पर हाथ फेरते बोले,

“क्रीम लगवाया?”

“जी पापा.”

“पहले रीता को चोद्कर तुमको दिखाते हैं कि लड़कियों को कैसे मज़ा लेना चाहिए उसके बाद तुमको चोदेन्गे. तुम्हारी चुदी नही है ना बेटी.”

“जी पापा.” तभी रीता मस्ती से अपने पापा के लंड को पकड़ बोली,

“चोदो ना पापा.”

“अभी चोद्ता हूँ बिटिया रानी को. ऐसा है रीता मैं सोच रहा हूँ कि तुम्हारी सहेली को बताता चलूं जिससे इसे भी मज़ा आए. तुम बिस्तर
को ज़मीन पर लगाओ. तुम्हारी सहेली को पास बिठाकर समझाते हुवे चोदेन्गे.” मैं एकदम गरमा गयी थी. रीता ने जिस तरह लंड को अपनी रानो के बीच दबाते हुवे चोदने को कहा था उससे पूरे बदन का वोल्टेज हाइ हो गया था. रीता ज़मीन पर गद्दा लगाने लगी तो उसके
पापा मेरे हाथ मे अपना लंड देते बोले,

“लो तुम भी इसका मज़ा लो. ईस्को पकड़ने से लड़कियो को चुदास जल्दी लगती है.” मैं तो खुद खड़े लंड को पकड़ने को बेचैन थी.
गरम-गरम लंड को सहेली की तरह पकड़ कर दबाया तो बहुत मज़ा आया.पकड़ने के साथ ही कपड़े के नीचे क्रीम लगी चूत की फाँक खुलने लगी और चूचियों मे हलचल मच गयी.
क्रमशः……………

गतान्क से आगे………
मेरे हाथ मे लंड को झटका देते बोले,

“देखो रीता कैसे कह रही है चोदने को. तुम भी ऐसे ही कहना. बताओ जिस को पकड़े हो इसका क्या नाम है?” मैं लंड को पकड़ते ही मस्त हो अपनी शरम खो चुकी थी. लंड को ठीक से दबा बोली,

” लंड कहते हैं पापा.”

“शाबास, इसका काम क्या है?” और निपल को चुटकी से दबा मुझे जन्नत की सैर कराया तो मैं बोली,

“चोदता है पापा.”

“क्या चोद्ता है?”

“लड़कियों की चूत को.” मैं मस्त थी. ईस तरह की गंदी बातो के जवाब मे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरे हर जवाब से उनका लंड तेज़ी से
झटका ख़ाता था. वह मेरी दोनो चूचियों को आगे खीचते बोले,

“बहुत अच्छी हो. लड़कियों को इसी तरह खुलकर मज़ा लेना चाहिए.” और रीता को जो ज़मीन पर बिस्तर लगा चुकी थी, पास बुला हम्दोनो को
पंजे के बल बिठा बोले,

“बेटी रीता अपनी सहेली को समझाओ फिर आराम से चोदेन्गे.” और रीता की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबाते मुझे एक तरफ आने को कहा. उनके एक तरफ रीता थी और दूसरी तरफ मैं. मैं उनसे चिपकी तो मेरी एक चूची को भी पीठ के पिछे से हाथ लगा दबाते बोले,

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“ध्यान से देखो रीता क्या बता रही है. रीता.”

“जी पापा.”

“सहेली को सन्मझाते हुवे मज़ा लेना. अभी नयी है इसलिए ज़्यादा कडपन नही है तुम्हारी सहेली की चूचियों मैं.” एक साथ दो
लड़कियों का मज़ा ले रहे थे वह और दोनो ही सोलह सत्रह साल की. तभी रीता ने आगे के गुलाभी पार्ट को दिखाते कहा,

“यह सूपड़ा है और पूरे को लंड कहते हैं. पापा हमारी चूत इसी से चोदेन्गे तो मज़ा आएगा.” मैं मस्त थी. चूत चुनचुना रही थी.
क्रीम लगी थी और ऊपर से कपड़ा भी चिपका था. तभी उन्होने तकिये पर सर रख लेटते हुवे रीता को इशारा किया. रीता अपने पापा की इस पोज़िशन को समझ गयी और फ़ौरन उनके ऊपर आई. मैं रीता को मज़ा लेते देखने लगी. रीता अपने पापा के ऊपर आ उनके दोनो तरफ पैर कर एक हाथ से अपनी चूत को फैलाते हुवे झुकी और मुझे पास बुलाया. उसका छेद चुदवाते-चुदवाते बड़ा हो गया था. गुलाबी छेद को तने लंड पर लगा और दोनो हाथ को कंधे पर रख ज़ोर से नीचे की ओर धक्का मारा तो गच्छ की आवाज़ के साथ आधा लंड रीता की चूत मे चला गया. लंड जाते ही रीता ने एक तेज़ सिसकारी ली और रीता के पापा ने उसकी दोनो चूचियों को मसल्ते हुवे मुझसे कहा,

“ध्यान से देखना रीता कैसे मज़ा लेती है. अभी तुमको भी चुदवाना है.” अब तक रीता ने अपनी गांद को नीचे दबा-दबा पूरे लंड को अपनी
चूत मे ले लिया था. अब वह ऊपर-नीचे करती हुई चुदाई करने लगी थी और उसके पापा उसकी चूचियों को दबाते हुवे नीचे से अपने
लंड को उसकी चूत मे पेल रहे थे. मैं ध्यान से रीता की फैली चूत को देख रही थी जिसमे उसके पापा का लंड तेज़ी से अंदर-बाहर
गपगप्प आ जा रहा था. चुद रही थी सहेली पर मज़ा मुझे आ रहा था.रीता स्पीड तेज़ करने लगी और कुच्छ देर बाद अपने पापा से चिपक
गयी. वह दोनो झाड़ गये थे. 5 मिनिट तक दोनो चिपके रहे फिर रीता के पापा ने मेरी चूत से कपड़े को हटा टवल से चूत को रगड़ कर
सॉफ किया और मेरी चूत को सहलाते बोले,

“अब देखो कितनी चिकनी और मस्त लग रही है.” मैने झुककर अपनी गोरी-गोरी चूत को देखा तो पहचान नही पाई. एकदम मक्खन सी चिकनी थी. वह मुझे अपनी गोद मैंले अपने लंड पर बिठा नयी-नयी बाते कर दोनो चूचियों को बारी-बारी से मुँह मे ले चूस रहे थे. फिर लंड
को खड़ा कर सूपदे को चूत पर रगड़ा तो चूत की फाँक मे मस्ती का पानी आ गया .

“तुमको चुदवाने मे रीता से ज़्यादा मज़ा आएगा. चूत को अपने हाथ से खोलो.” मैं मस्त थी और बहुत मज़ा आ रहा था. मेरी चूत गीली
थी और लंड आराम से घुस सकता था. मौके का फयडा उठाने के लिए रीता के पापा ने फैलाई गयी चूत के डप-डप करते गुलाबी छेद पर
अपने मस्त सूपदे को लगा मेरी दोनो चूचियों को मसल्ते हुवे पेलने को कमर चलाई.

कुँवारी चूत थी इसलिए दो बार सूपड़ा चूत मे घुसकर बाहर आ गया जिससे रीता के पापा को कुंवारेपन का पूरा मज़ा मिला. फिर उन्होने
ज़ोरदार धक्के के साथ सूपड़ा मेरी गरमाई कुँवारी चूत मे पेला तो मैं कसमसा उठी. चूत की कुँवारी झिल्ली फॅट गयी थी. मैं मज़े से
भर गयी. दोनो फाँक कसकर उनके लंड से चिपकी थी जिससे रीता के पापा को अनोखी चूत का असली मज़ा मिल रहा था. हल्का सा खून भी बाहर आया था जिसे देख रीता के पापा और मस्त हुवे. अब मैं आराम से आँख बंद कर पूरे लंड को धीरे-धीरे चूत मैं घुसेडवा चुदवाने
लगी. मुझे चुदवाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. रीता के पापा प्यार से अपनी लड़की के सामने उसकी सहेली को चोद्कर मज़ा ले रहे थे.
बड़ी-बड़ी फाँक दोनो तरफ से लंड को कसे अंदर- बाहर आने-जाने दे रही थी. प्यार से चोद्ते हुवे सहेली के पापा ने कहा,

“बराबर आना बेटी.”

“जी पापा मौका निकल रोज़ आउन्गि.”

“दर्द तो नही हो रहा बेटी?”

“हाए नही पापा चोद्ते रहिए बहुत मज़ा आ रहा है.”

“मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है. अब तुमको ज़्यादा चोदुन्गा और रीता को कम.” उस रात रीता के पापा ने 4 बार मुझे चोद्कर मस्त कर दिया. ईस चुदाई को पा मैं बराबर रीता के घर जाने लगी. अब मैं अपने पापा को फसाने के बारे मैं सोचने लगी.
दोस्तो कैसी लगी ये कहानी बताना मत भूलना फिर मिलेंगे एक और नई कहानी
के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त

समाप्त

 



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