safar ki dosti or chudai एक बार मैं अपने ऑफीस के काम से न्यू देल्ही से बॅंगलुर जा रहा था. मेरा रेलवे टिकेट ऑफीस वालों ने कर्नाटका एक्सप्रेस मे 1स्ट्रीट एसी मे करवा दिया था. मैं अपनी यात्रा के दिन शाम को आठ बजे न्यू देल्ही स्टेशन पर पहुँच गया. बाहर दिसंबर का महीना था इसीलिए ठंड बहुत पड़ रही थी और मैं अपनी सीट मे बैठ गया. थोरी देर के बाद ट्रेन चल पड़ी और टी.टी. आया और टिकेट चेक कर के चला गया. हमारे कूपे मे एक ही परिवार के दो औरतें और एक आदमी था. मेरा अप्पर बिर्थ था और ट्रेन छूटने के बाद मैं थोड़ी देर तक नीचे बैठा रहा फिर मैं अपने बर्त मे जाकर कंबल तान कर आँख बंद करके सो गया. नीचे वो आदमी और औरतें गप-शॅप लड़ा रहे थे.
उनकी बात सुन कर मुझे लगा कि वो आदमी एक एम.न.सी मे सीनियर एग्ज़िक्युटिव पोस्ट पर काम करता है और जो औरत बड़ी उमर की थी उनके ऑफीस से संबंध रखती हैं और छोटी उमर की लड़की उसकी बेटी है. मैं आँखे बंद कर के उनकी बातें सुन रहा था. उनकी बातों से लग रहा था कि दोनो औरतो मे मा और बेटी का संबंध है और वो सब मस्ती करने के लिए बॅंगलुर जा रहे हैं, लेकिन घर पर ऑफीस का काम बता कर आए हुए हैं. छोटी उमर वाली लड़की की उमर लगभग 19-20 साल थी और दूसरी की उमर लगभग 36-37 साल था. मुझे उनकी बातों से मालूम पड़ा की मा का नाम मीना और लड़की का नाम अंशु है. दोनो मा और बेटी उस आदमी को ‘सर’ कह कर पुकार रहे थे. दोनो औरतें ही देखने मे बहुत सुंदर थी. छोटी वाली का फिगर बहुत सेक्सी था.
उसके मम्मे उसकी ब्लाउस के उप्पेर से दिखने मे भारी भारी और तने दिखते थे और उसके चूतर गोल गोल लेकिन कम उभरे थे. दूसरी औरत के मम्मे भी बहुत बड़े बड़े थे और उसके चूतर भी खूब बड़े बड़े और फैले हुए थे. उनके साथ का आदमी का उमर लगभग 30-32 साल रही होगी और देखने मे बहुत स्मार्ट था. तीनो आपस मे काफ़ी घुल मिल कर बाते कर रहे थे. थोड़ी देर के बाद मेरी आँख लग गयी. रात के करीब 12 बजे मेरी आँख खुल गयी, मुझे बहुत प्यास लगी हुई थी. मैने अपनी आँख खोली तो देखा कि कूप मे नाइट लॅंप जल रही है और वो तीनो अभी भी बातें कर रहें हैं. फिर मेरे नाक मे शराब की महक आई तो मैने धीरे से नीचे झाँका तो मेरी आँख फैल गयी. उस समय अंशु खिरकी के साथ मेरे नचले वाले बर्त पर बैठी हुई थी और दूसरे बर्त पर मीना और ‘सर’ बैठे हुए शराब पी रहे थे.
अंशु के हाथ मे एक कोल्ड ड्रिंक की बॉटल थी. उस समय दोनो मा और बेटी अपने कपड़े बदल चुकी थी. मीना एक हल्के नीले हाउस कोट मे थी और अंशु एक गुलाबी रंग की मॅक्सी पहने हुई थी. मज़े की बात ये थी कि मुझको लग रहा था दोनो मा और बेटी अपने अपने हाउस कोट और मॅक्सी के अंदर कुछ नही पहन रखी है और ‘सर’ सिर्फ़ एक बनियान और लूँगी पहने हुए हैं. मुझे लगा कि मीना और ‘सर’ काफ़ी शराब पी चुके हैं क्योंकि दोनो काफ़ी झूम रहे थे. शराब पीते पीते ‘सर’ ने मीना को अपने और पास खींचा तो मीना पहले अंशु की तरफ देखी और फिर ‘सर’ के बगल मे कंधे से कंधा मिला कर पैर के उप्पेर पैर चढ़ा कर बैठ गयी. मीना जैसे ही ‘सर’ के पास बैठी तो ‘सर’ अपने हाथ मीना के कंधे पर रख कर मीना के कंधे को सहलाने लगे.
मीना ने एक बार अंशु की तरफ देखा और चुप चाप अपने ड्रिंक लेने लगी. अंशु भी ‘सर’ और मा की तरफ देख रही थी. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ अपना एक हाथ मीना के पेट के उपर रख कर मीना के पेट को सहलाने लगे. ऐसा करने से मीना तो पहले कुछ कसमसाई फिर चुप चाप अपने ड्रिंक लेने लगी. फिर ‘सर’ ने मीना के पेट से हाथ को और थोड़ा उपर उठाया और अब उनका हाथ मीना के मम्मो के ठीक नीचे था. उनकी इस हरकत से मीना सिर्फ़ अपने ‘सर’ को देख कर मुस्कुरा दी. फिर ‘सर’ ने अपना हाथ मीना के मम्मो पर रख दिया और अपना हाथ घुमाने लगे. अब ‘सर’ का हाथ मीना के मम्मो को उसकी हाउस कोट के उपर से धीरे धीरे सहला रहे थे. अपनी मम्मी और ‘सर’ का काम काज अंशु बड़े गौर से बिना पलक झपकई देख रही थी. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ ने अपना ड्रिंक सामने की टेबल पर रख दिया और अपने दोनो हाथ से मीना के दोनो मम्मे पकड़ लिए और उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे.
अब मीना भी नही चुप बैठ सकी और उसने भी अपनी ड्रिंक टेबल मे रख कर ‘सर’ को अपने दोनो हाथों से पकड़ लिया, लेकिन ‘सर’ अपने दोनो हाथों से मीना के दोनो मम्मे पकड़ कर दबाते रहे. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ अपना मुँह मीना की मम्मे के उपर लाए और उसके मम्मे को उसके हाउस कोट के उपर से ही अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगे. ‘सर’ ने मीना के मम्मे को हाउस कोट के उपर से चूमते चूमते अपना एक हाथ मीना के हाउस कोट के अंदर डाल दिया और अपने हाथ घुमा घुमा कर उसकी चुचयों को मसल्ने लगे फिर उन्होने मीना के कान मे कुछ कहा और मीना ने अपने हाथ से अपनी बेटी अंशु को अपने पास बैठने को कहा. अंशु ने पहले तो अपनी आँख घुमा ली पर मीना ने उसे आवाज़ देकर बुलाया तो वो उठ कर ‘सर’ और मीना के बगल मे बैठ गयी. फिर ‘सर’ ने मीना को और खिसकने को कहा और खुद भी मीना के साथ खिसक गयी. अब उन्होने अंशु को अपनी दूसरी तरफ बैठने के लिए कहा.
जब अंशु नही उठी तो उन्होने अपना हाथ मीना के हाउस कोट के अंदर से निकाल कर अंशु का हाथ पकड़ कर अपने दूसरी तरफ बैठा दिया. अंशु के बैठते ही ‘सर’ ने अपना दूसरा हाथ उसके कंधो के पीछे रख दिया. ‘सर’ का एक हाथ अब मीना की चुचियों से खेल रहा था और दूसरी हाथ अंशु के पीछे था. उनका पीछे वाला हाथ अब उन्होने धीरे धीरे आगे की तरफ किया और अब उनका दूसरा हाथ अंशु की ठीक चूंची के उपर था. जैसे ही ‘सर’ का हाथ अंशु की चूंची को छूने को हुआ तो उसने ‘सर’ का हाथ झिरक दिया. अंशु को ऐसा करने से उन्होने मीना के कान मे फिर कुछ कहा. अब मीना उठ कर अंशु के सामने खड़ी हो गयी और ‘सर’ का हाथ लेकर अंशु की चूंची पर रख दिया और ‘सर’ से उन्हे दबाने को कहा. अपनी मम्मी की इस बर्ताब से अंशु की आँख से आँसू आ गये पर वो कुछ ना कह सकी. अंशु अब चुप चाप अपनी चूंची को ‘सर’ से दबवा रही थी. मीना ने झुक कर अंशु की गाल पर एक चुम्मा दिया और बड़े प्यार से बोली,
“बेटी एमेन्सी मे नौकरी ऐसे ही नही मिलती, उसके लिए कुछ देना पड़ता है. हमारे पास तो इतना पैसा हैं ही नही इसलिए हम लोगो को वही देना पड़ेगा जो अपने पास है.” फिर उसने ‘सर’ से कहा, “सर अब आप बेफिक्र हो कर मज़ा लो, लेकिन देखना अंशु को पक्की नौकरी मिले.” ‘सर’ ने भी एक हाथ से अंशु की चूंची दबाते हुए मीना की तरफ अपना मुँह बढ़ा कर उसकी चूंची को चूमते हुए कहा, “चिंता मत करो, अंशु की नौकरी तुम्हारी तरह पक्की नौकरी होगी. लेकिन अंशु को भी मेरा कहना मानना पड़ेगा.” “आरे ‘सर’ देख नही रहे कि अंशु आप की बात मानने के लिए तैयार है? अरे अंशु मेरी ही बेटी है और आप जो भी कुछ कहेंगे मेरी तरह अंशु भी आपकी बात मानेगी.” इतना कहा कर मीना फिर से ‘सर’ की बगल मे जाकर बैठ गयी और उन्हे अपने दोनो हाथों से जाकड़ लिया. अब ‘सर’ के दोनो हाथ मा और बेटी की चूंचियो से खेल रहे थे. मा की चूंचियो को वो हाउस कोट के अंदर हाथ कर मसल रहा था और बेटी के चूंचों को उसकी मॅक्सी के उपर से ही दबा रहा थ.
यह सब देख कर मेरी नींद आँखों से बिल्कुल साफ हो गयी और मैं अपनी कंबल के कोने से नीचे की तरफ देखने लगा. मुझे ‘सर’ की किस्मत पर ईर्षा हो रही थी और मेरा लंड खड़ा हो गया था जिसे मैं अपने हाथ से कंबल के अंदर सहला रहा था. फिर मैने देखा कि ‘सर’ ने अपना हाथ मीना के हाउस कोट से निकाल कर उसके घुटने के उपर रख दिया और धीरे धीरे मीना की घुटने और उसकी जाँघ को सहलाने लगे. अपने जाँघ पर ‘सर’ का हाथ पड़ते ही मीना ने अपने पैर, जो कि एक दूसरे के उपर थे, खोल कर फैला दिया. उधर ‘सर’ अपना हाथ अब अंशु की मॅक्सी के अंदर डाल कर के उसकी चूंची को मसल रहा था और झुक झुक कर उन्हे मॅक्सी के उपर से चूम रहा था. फिर ‘सर’ अपने हाथ से मीना के हाउस कोट उपर करने लगे और हाउस कोट उपर करके मीना की चूत पर हाथ फेरने लगे.
मीना की चूत उस हल्की रोशनी मे भी मुझको साफ साफ दिखाई दे रही थी और मैने देखा कि मीना की चूत पर कोई बाल नही है और उसकी चूत अपने पानी से भीग कर चमक रही है. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ने अपना हाथ अंशु के मॅक्सी के अंदर से निकाल लिया और उसकी चूत पर मॅक्सी के उपर से ही हाथ फेरने लगे. अंशु बार बार अपनी मम्मी की तरफ देख रही थी लेकिन कुछ कह नही पा रही थी. फिर ‘सर’ ने मीना की चूत पर से हाथ निकाल कर अंशु की मॅक्सी धीरे धीरे टाँगों पर से उठाने लगे. अंशु ने अपनी हाथों से अपनी मॅक्सी पकड़ी हुई थी. मीना अपनी जगह से फिर उठ कर अंशु केपास गयी और उसको चूमते हुए बोली, “बेटी आज मौका है मज़े कर लो, मैने भी अपनी नौकरी इसी तरह से पाई थी.
वैसे ‘सर’ बहुत अच्छे आदमी है और ये बहुत ही आराम आराम से करेंगे, तुमको बिल्कुल तकलीफ़ नही होगी. बस तुम चुप चाप जैसा ‘सर’ कहें करती चलो, तुम्हे बहुत मज़ा आएगा और तुम्हे नौकरी भी मिल जाएगी. इतना कहा कर मीना ने अंशु के गाल पर और उसकी चूंची पर हाथ फेरा और फिर अपनी जगह आ कर बैठ गयी. तब अंशु अपनी मम्मी से बोली, “मम्मी ये आप क्या कह रही है? आप मुझसे तो ऐसे कभी बात नही करती थी.” मीना अपनी बेटी की चूंची पर हाथ फेरते हुए बोली, “आरी बेटी, ये तो समय समय की बात है और जब हम दोनो ही ‘सर’ से शारीरिक संबंध बनाने वाले है, मतलब जब ‘सर’ हम दोनो को ही चोदेन्गे, तो फिर आपस मे कैसा परदा. चुदाई के समय खुलकर; बात करनी चाहिए और इसीलिए हम ऐसे बोल रही है और अब तुम भी खुल कर बाते करो.”
अंशु अपनी मा की बात सुन कर मुस्कुरा दी और बोली, “ठीक है, जैसा आप कहती है अब मैं भी लंड, चूत और चुदाई की भाषा मे बातें करूँगी.” अब ‘सर’ ने अंशु के मॅक्सी के अंदर से अपना हाथ निकाल लिया और आँसू की चूत पर अपने हाथ मॅक्सी के उपर से रगड़ रहे थे और झुक झुक कर उसकी चूंचियो पर चुम्मा दे रहे थे. थोड़ी देर के बाद उन्होने अंशु की मॅक्सी फिर से अपने हाथों से टाँगों के उपर करने लगे और अबकी बार अंशु अपनी मम्मी की तरफ देखती रही और कुछ नही बोली. अंशु का चुप रहना ‘सर’ को और बढ़ावा देने लगा और उन्होने एक ही झटके के साथ अंशु की मॅक्सी पूरी तरह से खींच कर उसकी कमर पर कर दी. इससे अंशु की चूत बिल्कुल खुल गयी और उसकी चूत देख कर मेरी तो आँखे बाहर आने को होने लगी.
अंशु की चूत बहुत ही सुंदर देखने मे थी. उसकी चूत पर झांते बहुत ही सलीके का साथ काटी गयी थी. उसकी चूत के होंठ और घुंडी के उपर बाल बिल्कुल नही थे पर चूत के उपर हल्की हल्की झांतों का एक अस्तर सा था. ऐसा लगता था कि अंशु ने बड़े सलीके के साथ और टाइम दे कर अपनी झांते बनाई थी. बेटी की चूत देख कर उसकी मम्मी बोली, “वाह! बेटी वाह! तूने बहुत ही सुंदर ढंग से अपनी झांते बनाई हुई है. तेरी चूत और उस पर झांतों को देख कर मुझको उसको चूमने और चाटने का मन कर रहा है. पता नही ‘सर’ को कैसा लग रहा है.” तब ‘सर’ ने भी उसकी सुंदर सी चूत पर हाथ फेर कर कहा, “हाँ मीना तुम्हारी बेटी की चूत बहुत ही सुंदर है और उसने बड़े करीने से अपनी झाँटे बनाई हुई है.
मुझे अंशु की चूत पसंद आई और मैं भी तुम्हारी तरह इसकी चूत को चूमना और चाटना चाहता हूँ.” फिर उन्होने एक बार मेरी तरफ देखा और अंशु की कमर पकड़ कर उसकी मॅक्सी अब उसकी शरीर से अलग कर दी. अब अंशु सीट के उपर बिल्कुल नंगी बैठी थी. ‘सर’ ने अब फिर अंशु के पास पहुँच कर उसकी चूंची से खेलने लगे. वो कभी उसकी चूंची को दोनो हाथों से पकड़ कर दबाते, मसल्ते तो कभी उसकी चूंची को अपने मुँह मे भर कर उसकी घुंडी चूस्ते और जीव से चुव्लाते. धीरे धीरे अंशु के शरीर पर भी अब काम ज्वाला उठने लगी और वो अपने हाथों को उठा उठा कर अंगराई ले रही थी. उसकी सांस अब फूल रही थी और सांस के साथ साथ उसकी चूंची भी अब उठ बैठ रही थी. अब अंशु से रहा नही गया और वो सीट पर लेट गयी.
अंशु के सीट पर लेटते ही ‘सर’ अपना मुँह उसकी चूत के पास ले गये और अंशु की चूत को उपर से चाटने लगे. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ ने अंशु की पैरो को अपने हाथों से पकड़ सीट पर फैला दिया और एक उंगली उसकी छूट मे डालने लगे. छूट पर उंगली छूटे ही अंशु अपनी कमर नीचे से उपर करने लगी और मुँह से आह! आह! ओह! ओह! नहीए! हाई! हिया! की आवाज़ निकलने लगी. अब मीना अपनी बेटी के पास खड़े हो कर उससे बोली, “अंशु. मेरी बेटी, क्या तकलीफ़ है? तुझे क्या हो रहा है? क्या मैं ‘सिर’ से ये सब कुछ करने के लिए ना कर दूँ?” तब अंशु अपनी मा की तरफ देख कर मुस्कुरा कर बोली, “मा मेरे शरीर के अंदर कुछ कुछ हो रहा है. बहुत गर्मी लग रही है, लेकिन ‘सर’ से तुम कुछ मत कहो.”
अंशु अपने हाथ अपनी चूत के पास ला कर फिर बोली, “मा मेरे यहाँ कुछ हो रहा है, लगता है कि कोई चींटी घुस गयी है. तुम कुछ करो ना, देखो ना यहाँ क्या हो रहा है.” मीना अपनी बेटी की बात सुन कर हंसते हुए बोली, “बेटी तेरे उपर जवानी का बुखार चढ़ गया है और इसीलिए तेरी चूत मे खुजली हो रही है. ये खुजली बिना चमड़े के डंडे से नही जाएगी. अब तू ‘सर’ का चमड़े का डंडा अपने हाथ मे ले कर के देख वो तुझको आराम देने के लिए कितना आतुर है.” “मा मैं अब भी समझ नही पाई,” अंशु बोली. “आरी बेटी तू अभी सब समझ जाएगी, बस तू चुप चाप देखती जा ‘सर’ अभी तेरी सब मुश्किल दूर कर देंगे,” ये कह कर मीना ‘सर’ की तरफ देखने लगी. ‘सर’ अब तक मा बेटी की बातें सुन रहे थे और अब उन्होने मीना को अपनी बाहों मे भर कर एक ज़ोर दार चुम्मा दिया और उसकी चूंची मसल्ने लगे.
मीना की चूंची मसल्ते हुए उन्होने मीना का हाउस कोट उतार दिया. अब मा और बेटी दोनो ‘सर’ और मेरी आँखों के सामने नंगे थे. बस फरक ये था कि बेटी सीट पर अपने पैर फैलाए लेटी हुई थी और मा ‘सर’ की बाहों मे खड़ी खड़ी अपनी चूंची मलवा रही थी. दोनो मा और बेटी ने एक दूसरे की आँखो मे झाँका और मुस्कुरा दिए. अब अंशु अपने सीट पर बैठ गयी और अपना हाथ बढ़ा कर अपनी मा की चूंची को ‘सर’ के हाथों को हटा कर मसल्ने लगी. थोड़ी देर के बाद अंशु अपनी मा की चूंची मसलते हुए उनके पैर के पास बैठ गयी और अपनी की चूत पर अपनी मुँह रगड़ने लगी. मीना ने अपने हाथों से अंशु का चहेरा अपनी चूत पर कस कस कर दबाने लगी. थोड़ी देर के बाद मा और बेटी एक दूसरे से लिपटे कर खड़े रहे और फिर उन्होने आगे जा कर ‘सर’ को अपने हाथों से पकड़ लिया.
अंशु ने ‘सर’ के होठों का चुम्मा लेना शुरू किया और मीना ‘सर’ की लूँगी हटा कर उनका लंड को पकड़ कर मरोड़ने लगी. ‘सर’ का लंड देख कर मैं हैरान हो गया. उनकी लंड की लूंबाई लगभग 11″ और मोटाई करीब 4″ था और सुपरा फूल करके बिल्कुल एक छोटा सा टमाटर सा दिख रहा था. मुझे उपर लेटे लेटे चिंता होने लगी कि जब ‘सर’ का लंड अंशु की चूत मे घुसेगा तो चूत की क्या हालत होगी. अंशु की चूत बिल्कुल फॅट जाएगी और हो सकता है कि डॉक्टर को बुलाना पड़े. अब मैने अपना मुँह कंबल से निकाल लिया और उनकी तरफ करवट ले कर उनके कारनामे देखने लगा. ‘सर’ अब मीना को छोड़ कर फिर से अंशु के पास पहुँच गये और उसे अपनी बाहों मे लेकर उसकी चूत मसल्ने लगे.
अंशु ने चूत मसल्ने केसाथ ही अपनी टाँगे फैला दी और फिर एक पैर सीट पर रख दिया. अब ‘सर’ ने झुक कर अंशु की चूत मे अपनी जीब घुसेड कर उसको अपनी जीब से चोदने लगे. ये सब देख कर मीना जो अब तक खुद ही अपनी चूत मे उंगली अंदर बाहर कर रही थी, आगे बढ़ी और ‘सर’ का फूला हुआ सुपरा अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगी. तब ‘सर’ ने अंशु को सीट के किनारे पैर फैला कर बैठा दिया और उसके पैर सीट पर रख दी. ऐसा करने से अंशु की चूत अब बिल्कुल खुल कर सीट के किनारे आ गयी तो ‘सर’ ने वही बात कर अंशु की चूत को चाटने और चूसने लगे. मीना को भी अब तक नशा चढ़ चुक्का था उसने ‘सर’ के आगे बैठ कर ‘सर’ का लंड अपने मुँह मे भर लिया और चूसना शुरू कर दिया. मैं ये सब देख कर अपने आप को रोक ना सका और अपने सीट पर बैठ गया. मुझको उठते देख कर तीनो घबरा गये और अपने अपने कपड़े ढूँडने लगे. मैं हंस कर बोला, “सॉरी, मैं आप लोग को डिस्टर्ब नही करना चाहता था, लेकिन मैं अपने आप को रोक नही पाया. कोई बात नही आप लोग अपना कम जारी रखिए मैं यहाँ बैठा हूँ.” क्रमशः….”
गतान्क से आगे………. अब तक मीना और अंशु दोनो ने अपने अपने जिस्म को अपने हाथों से ढँक लिया था. मीना अपनी नज़र मेरी तरफ घुमा कर बोली, “शाब, आप कब से जागे हुए हैं?” “अरे मैं सोया ही कब था कि जगूंगा.” तब मीना और अंशु मेरी तरफ घूर घूर कर देखने लगी और ‘सर’ ने अपने नंगे पन को ध्यान ना देते हुए मेरी तरफ मूड कर अपना हाथ मुझसे मिलाया और कहा, “मेरा नाम मनोज शर्मा है और मैं इओc मे काम करता हूँ और आप मैने कहा मेरा नाम राज शर्मा है और मैं सेक्सी स्टोरी लिखता हूँ तो मनोज ने कहा अब आप जब हमारा कार्यक्रम देख चुके तो मैं आप को हमारे साथ शामिल होने की निमंत्रण देता हूँ. क्या आप को कोई आपत्ति है?” मैने कहा, “आपका निमंत्रण स्वीकार है और मुझे खुशी होगी आपके साथ जवानी का खेल खेलने मे.”
ये सुनकर मा और बेटी दोनो ने मुस्कुरा दिया और मुझसे नमस्ते किया. मैं फिर बोला, “जब हम लोग एक ही खेल मे शामिल होने वाले हैं तो फिर ये नाइट बल्ब क्यों?” ये सुन कर मीना ने ‘सर’ का लंड छोड़ कर उठ कर कूपे की लाइट जला दी और मेरे पास आ कर मुझे पकड़ मेरे होठों को चूम लिया. तब मैने मीना को अपने हाथों मे लेकर एक हाथ से उसकी चूंची मसल्ने लगा और दूसरा हाथ उसकीचूत पर ले जाकर चूत मे उंगली करने लगा. उधर मनोज ने अब अंशु को सीट पर लेटा दिया था और उसकी चूत मे अपनी उंगली पेल रहा था और अंशु की चूत टाइट होने के कारण अंशु मारे दर्द के तिलमिला रही थी.
तब मीना ने मुझसे अपनेको छुड़ाते हुए अपने बॅग से पॉंड्स कोल्ड क्रीम की शीशी निकाली और पॉंड्स क्रीम अंशु की चूत के अंदर और बाहर मलते हुए अंशु के आँसू पोंछ कर अंशु के सिर पर हाथ फेरने लगी. अंशु अपनी मा को देख कर बोली, “मा जब उंगली से ही इतना दर्द हो रहा है तो ‘सर’ का लंड मेरे अंदर कैसे जायगा? मीना अंशु की चूंची को दबाते हुए बोली, “बेटी, पहले तो थोड़ा सा दर्द बर्दास्त तो करना होगा फिर बाद मे बहुत मज़ा आएगा. तू चिंता मत कर, ‘सर’ बहुत आराम आराम से तेरी लेंगे और तुझे मज़ा देंगे. अब देख मैं भी राज के पास जा रही हूँ और उनको अपनी दूँगी और मज़े लूँगी.” इतना कह कर मीना मेरे पास आ गयी और मेरे लंड को चूमने और चूसने लगी. ये देख कर अंशु भी उठ कर मनोज का लंड अपने मुँह मे ले करचूसने लगी.
मनोज का लंड इतना मोटा था कि अंशु के मुँह मे पूरा नही समा पा रहा था तो अंशु ,मनोज का लंड अपनी मुट्ठी मे लेकर चाटने लगी. इधर मैं भी मीना से अपना लंड बड़े आराम से चुस्वा रहा था और मीना मारे गर्मी के कभी कभी मेरे सुपरे को अपने दाँत से हल्के हलकेकट रही थी. अब मैने मीना को सीट के पास झुका कर खड़ा कर दिया और उसके पीछे से आ कर उसके चूतर मे अपना लंड रगड़ने लगा. फिर मैने मीना से कहा अब मैं तुमको पीछे से कुत्ता की तरह चोदुन्गा और ये कह कर मैने थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगाया और मीना की चूत मे अपना लंड पेल दिया. मीना मेरे लंड को अंदर लेते ही अपनी कमर आगे पीछे करने लगी और ज़ोर ज़ोर बोल रही थे, “देख अंशु देख, कैसे राज शर्मा का लंड मेरी चूत मे घुस कर मुझे मज़ा दे रहा है. अब तुझे भी ‘सर’ अपने लंड मज़ा देंगे.
तू जल्दी से अपनी चूत मे ‘सर’ का का लंड डलवा ले.” “आरे मैं कब मना कर रही हूँ. ‘सर’ ही तो अपना मेरे अंदर नही डाल रहे हैं,वो तो बस मेरी चूत को चूस रहे हैं. वैसे मुझे अपनी चूत चुसवाने मे भी बहुत मज़ा आ रहा है,” अंशु अपनी मा से बोली. तब मैने मनोज से कहा, “आरी भाई मनोज, लड़की चुदवाने के लिए तैयार है तुम अपना लंड जल्दी से अंशु की चूत मे पेल दो.” मनोज ने फिर अंशु को ठीक से लेटा कर उसकी चूत और अपने लंड मे अच्छी तरह से पॉंड कोल्ड क्रीम लगाया और अपना लंड अंशु की चूत के उपर रख दिया. जैसे ही मनोज ने अपना लंड अंशु की चूत के अंदर दबाया तो अंशु चिल्ला पड़ी, “हाई! मम्मी मुझे बचऊऊ, मैं मारीई जा रहीई हुउऊउऊँ. हाई! मेरी चूत फाआअटीईई जा रहीईए हाईईईईईई. ‘सर से कहो की अपना लंड मेरीचूत से निकाल लीईए.” मीना तब मेरे लंड को अपनी चूत से निकाल कर अंशु के पहुँच गयी और उसके चूंची को दबाते हुए कहा, “बस बेटी बस,
अभी तेरी तकलीफ़ दूर हो जाएगी. बस थोड़ा सा बर्दस्त कर. तेरी ये पहली चुदाई है ना? अभी ‘सर’ तुझको चोद चोद कर मज़ा देंगे,” ये कहा कर मीना अंशु की चूंचियो को चुस्ती रही. थोड़ी देर के बाद मीना ने अपनी बेटी की चूत को दोनो हाथ से लंड खाने के लिए फैला दिया और मनोज से कहा, “’सर’ लीजिए मैने अपनी बेटी की चूत को फैला दिया है अब आप अपना लंड धीरे धीरे अंशु की चूत मे डालिए और इसको मज़ा दीजिए. फिर मनोज ने अपना सुपरा फिर से अंशु की चूत के उपर रखा और धीरे से उसको अंदर कर दिया. अंशु फिर से चिल्लाने लगी लेकिन उसकी ना सुनते हुए मनोज ने एक ज़ोर दार धक्का मारा और उसका लंड अंशु की चूत मे घुस गया. अंशु एक चीख मार कर बेहोश हो गयी. मीना ने अंशु के चहेरे पर पानी का छीता मारा और अंशु की चूंची को ज़ोर ज़ोर मसल्ने आगे. मनोज ये सब ना देखते हुए अपनी रफ़्तार से अंशु की चूत मे अपना लंड पेले जा रहा था.
थोड़ी देर के बाद अंशु ने आँखे खोली और अपनी मम्मी से कहने लगी, “हाई! मम्मी बहुत दर्द कर रहा और मज़ा भी आ रहा है.” ये सुन कर मीना बोली, “बस अब थोड़ी ही देर मे तेरा सब दर्द दूर हो जाएगा और तेरे को मज़ा ही मज़ा आएगा. मैने जब देखा कि अंशु अब मज़े ले लेकर मनोज का लंड अपनी चूत मे लील रही है तब मैने भी मीना के पीछे से जाकर मीना की चूत मे अपना लंड फिर से घुसा दिया और अपनी रफ़्तार से मीना को चोदने लगा. ये देख कर अंशु बोली, “हाई! मम्मी तुम्हारी चूत मे भी राज का लंड घुसा हुआ है और तुम मज़े से चुदवा रही हो. अब मुझे भी मज़ा आ रहा है.” अब अंशु ने अपने पैर उठा कर मनोज की कमर मे फसा लिए और नीचे से अपनी चूटर उठा उठा कर मनोज के हर धक्के का जवाब दे रही थी.
मनोज भी अंशु की दोनो चूंचियो पकड़ कर उसकी चूत मे अपना लंड हचक हचक कर डाल रहा था. अब दोनो मा और बेटी को चुदाई का मज़ा आ रहा था और दोनो ज़ोर ज़ोर से चोदने को कह रही थी. मैं अपना लंड मीना की चूत मे ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रहा था और दोनो हाथों से उसकी चूंचियो को मसल रहा था. मीना भी अपना चहेरा घुमा कर मुझ को चुम्मा दे रही थी. थोड़ी देर इस तरफ मैं और मनोज मीना और अंशु को चोद्ते रहे और फिर उनकी चूत मे अपना लंड झटके से अंदर डाल कर झार गये. हम लोगो के साथ ही मा और बेटी भी झाड़ गयी. जब हम लोगो अपने लंड मा और बेटी की चूत से नकले तो दोनो ने अपनी अपनी चूत को रूमाल से पोंचा. अंशु की चूत से खून भी निकला था.
मैं और मनोज आमने सामने की सीट पर बैठ गये और तब मेरे पास मीना फिर से बैठ गयी और मेरे लंड को अपनो मुँह मे लेकर चूसने लगी. मनोज उठ कर बाथरूम चला गया तो अंशु भी मेरे पास आ कर अपनी मम्मी से मेरा लंड छीन कर चूसने लगी और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूंची से लगा दिया. मैं भी अंशु की चूंचियो को मसल्ने लगा. थोड़ी देर के बाद मनोज कूपे मे आया तो देखा कि अंशु मेरे लंड को मुँह मे ले कर चूस रही है और मीना मेरे से लिपटी हुए अपनी बेटी को देख रही है. मनोज ने ये देख कर कहा, “आरी मीना, तेरी बेटी तो एक ही चुदाई के बाद मस्ती से राज का लंड चूस रही है. तेरी बेटी है बहुत मस्त चीज़. अंशु की चूत चोदने मे हमे बहुत मज़ा आया. अब तू भी कुछ अपनी बेटी से सीख, चल आजा और मेरा लंड को चूस चूस कर खड़ा कर.
अब मैं तेरा गंद मे अपना लंड पेलुँगा.” ये सुन कर मीना पहले मुस्कुरई और फिर मनोज के पास जा कर बैठ गयी. मनोज नेमीना के चहेरे को अपने लंड तक झुका दिया और अपना लंड मीना के मुँह से लगा दिया. मीना अपनी जीव निकाल कर मनोज का लंड चाटने लगी. थोड़ी देर के बाद अंशु ने अपने मुँह से मेरा लंड निकाला और फिर अपनी मम्मी से पूछा, “मम्मी, क्या ‘सर’ अपना लंड तुम्हारी गंद के छेद मे डालेंगे? तुम्हे दरद नही होगा?” मीना बोली, “नही अंशु औरत के शरीर मे तीन छेद होते हैं जहाँ मर्द अपना लंड डालता है और उसमे मर्द और औरत दोनो को मज़ा आता है. तू भी राज से कह कि वो अपना लंड तेरी गंद के छेद मे डाले.” “नही बाबा, मुझे डर लग रहा है. पहले से ही मेरी चूत ‘सर’ ने फाड़ रखी है और अब मैं अपनी गंद के छेद को अमित से नही फड़वाउन्गि, अंशु अपनी मम्मी से बोली. मैने तब अंशु की चूंची को मसल्ते हुए कहा, “ठीक है अंशु मेरी जान,
मैं पहले मैं तुम्हारी चूत चोदुन्गा और अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी गंद मारूँगा.” अब मैं अंशु को सीट से उठा कर सीट के सहारे खड़ा कर दिया और उसका हाथ सीट की किनारे से पकड़ा दिया. मैं फिर अंशु के पीछे जाकर उसकी चूत, जो कि पीछे से बाहर निकल आई थी अपने जीव से चूसने लगा. अंशु मारे गर्मी के अपनी कमर आगे पीछे कर रही थी. मैं अपना एक हाथ से अंशु की चुन्चिओ को भी मल रहा था. थोड़ी देर के बाद मैं ने अपना लंड अंशु की चूत पर रखा और धक्का मार कर उसको अंदर कर दिया. अंशु लंड अंदर जाते ही हाई हाई करने लगी लेकिन मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा. अंशु कहने लगी, “हाई! बहुत अक्च्छा लग रहा है, तुम ज़रा ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करो. मेरी चूत मे बहुत खुजली हो रही है. अब तुम ज़ोर ज़ोर से चोदो मुझको,
मैं अब अपनी चूत से परेशान हो गयी हूँ. इसको आज फाड़ डालो.” इतना सुनते ही मैं अंशु पर पिल पड़ा और उसे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और अपनी एक उंगली मे थूक लगा कर उसकी गंद के छेद मे घुसा कर घुमाने लगा. उधर मनोज भी मीना को सीट के सहारे झुका कर खड़ा कर के उसकी गंद मे अपना लंड पेल चुक्का था. मीना अपनी कमर हिला हिला कर अपनी गंद मनोज से मरवा रही थी और बोल रही थी, “देख अंशु देख कैसे ‘सर’ का लंड मेरे घुस कर मेरी गंद चोद रहा है. सच कह रही हूँ मुझे गंद चुदवाने मे बड़ा मज़ा आ रहा है. अब तू भी राज से पानी गंद मरवा.” “नही मम्मी, मैं अमित से अभी अपनी गंद नही मर्वौन्गी, मुझे पहले अपनी चूत चुड़वानी है. मेरी चूत मे बहुत खुजली हो रही है और जैसे जैसे राज मुझको चोद रहा है, मेरी चूत की खुजली कम हो रही है.
मैं बाद मे अपनी गंद मे लंड पीलवौनगी. तुम अब मज़े से अपनी गंद चुद्वओ,” अंशु अपनी मम्मी से बोली. मैं उसकी इस तरह खुल्लम खुल्ला बात सुन कर बहुत खुश हुआ और उसकी चूत चोद्ता रहा. थोड़ी देर के बाद अंशु बोली, “अमित मुझे अपनी मम्मी के पास जाना है. तुम अपना लंड मेरी चूत से मत निकालो और ऐसे ही मुझको मम्मी के ले चलो.” मैने भी अपना लंड निकाले बिना अंशु को अपनी बाहों मे भर लिया और मीना के पास ले गया. अंशु अपनी मम्मी के पास पहुँचते ही मीना की चूंची को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी और अपनी हाथों को मीना की चूत पर रख दिया. फिर वो बोली,
“मम्मी जब जब पिताजी तुमको चोद्ते थे मैं छुप छुप कर देखती थी और अपनी चूत मे उंगली किया करती थी और सोचती थी कि एक दिन मैं तुम्हारे पास बैठ कर तुम्हारी चूत की चुदाई देखूँगी. आज भगवान ने सुन ली और मैं तुम्हारे पास खड़ी खड़ी अपनी चूत मे लंड घुसा तुमको चुद्ती देख रही हूँ. तुमको कैसा लग रहा है मेरे सामने अपनी चूत या गंद मरवाते हुए.”ये सुन कर मीना बोली, “हाँ मैने छुप छुप कर तुम्हे जब जब चोद्ते थे देखती थी और ये मेरी तमन्ना थी कि मैं एकबार कम से कम तुम्हारे पास बैठ कर तुम्हे चूत मरवाते हुए देखु. आज मेरी वो तमन्ना भी पूरी हो गयी. सही मे मम्मी तुमको चुद्ते देख कर बहुत अक्च्छा लगता है.” ये कहा कर अंशु अपनी मम्मी की चूत मे उंगली अंदर बाहर करने लगी. हम लोगो ने अपने बिस्तेर ज़मीन पर बिछा दिए और फिर मीना और अंशु को साथ साथ लेटा कर मैं और मनोज ने उनकी चूत और गंद खूब जम कर मारी.
एक बार तो मैं मीना की गंद मार रहा था और मीना अंशु की चूत अपनी जीवसे चोद रही थी और मनोज अपना लंड अंशु के मुँह मे डाल कर चुस्वा रहा था. मीना और अंशु दोनो अपनी चूत और गंद हम लोगो से मरवा कर बहुत खुश थी और लौटने का भी प्रोग्राम हमने साथ साथ बना डाला. यहाँ तक कि मा और बेटी नेअपने घर का अड्रेस और फोन नंबर भी मुझे दिया और बोली देल्ही जाकर हमारे यहाँ ज़रूर आईएगा वान्हा हमारी सहेलियाँ भी होंगी जो कि अपनी चूत और गंद आप से चुदवा कर खुस होंगी. इस तरह मैने और मनीज़ अपने सफ़र का पूरा टाइम उन मा और बेटी को चोद्ते हुए बिताया. दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा समाप्त