साधु बाबा के साथ कामुकता शांत की

sadhu baba ke sath kamukta मेरी नाम सुमना बनर्जी है, ये स्टोरी आज से 4 साल पहले की है जब मेरी एज 17 साल की थी, और मैं 9 थ क्लास एग्ज़ॅम देने के लिया स्टडी कर रही थी. मुझे उस समय सेक्स के बारे मे कुछ भी आइडिया नही था. मैं 9 थ क्लास मे दो टाइम्स ड्रॉप की थी. मैं पढ़ाई लिखाई मे बहुत कमजोर थी. मैं सरीर से बक्सम फिगर की थी. 17 साल मे ही मेरे सरीर का साइज़ 38-26-38 का था. मैं 5′ 5″ की थी. मेरे बूब्स बहुत बड़े बड़े थे, और मेरी जंघा इतनी मोटी थी कि दोनो जंघा चलते समय एक साथ जुड़ जाती थी. मेरी पढ़ाई लिखाई से मेरी मम्मी-पापा बहुत परेशान थे.

मेरे अच्छे रिज़ल्ट के लिया मेरी मम्मी नेमंदिर मे बहुत सी पूजा की परसाद चढ़ाया था. इतना करने के बाद भी मैं तीसरी बार 9 थ क्लास मे फेल आई. मैं बहुत परेशान सी हो गयी. बट मेरी मम्मी-पापा मुझे कुछ नही बोले. थे लव्स मी आ लॉट. कुछ दिन बीत गये. मैं चौथी बार एग्ज़ॅम देने की तैयारी मे थी. एक दिन मेरे पापा एक साधु बाबा के साथ मेरी पढ़ाई-लिखाई की कमज़ोरी को लेकर डिसकस कर रहे थे. साधु बाबा ने पापा को मुझे साथ लेकर आने की सलाह दी. पापा ने घर आकर मेरी मम्मी को ये बात बताई. अगले दिन मॉर्निंग मे मम्मी, पापा और मैं कार मे साधु बाबा के आश्रम पहुँची. साधु बाबा की एज 40 के आस-पास थी. गतिला बदन और श्यामला था. हम सभी ने बाबा को प्रणाम किया.

साधु बाबाने मुझे अपने पास बैठाया, और मेरी हाथ की रेखा देखने लगा. पापा को साधु बाबा बोले, कि तेरी बेटी की हाथ की रेखा बहुत ही परेशान करने बाली है. तुझे इससे छुटकारा दिलाने के लिए मुझेतेरे मकान मे हवन करना पड़ेगा. पापा हाथ जोड़े खड़े थे. मम्मी बोली, बाबाजी आप कुछभी करे, पर हमारी परेसानी दूर करे. साधु बाबा ने मम्मी-पापा को हवन की तैयारी करने की लिस्ट बना दी. और अगले दिन से सात दिन तक हवन के लिए हमारे मकान मे साधु बाबा को रहने के लिए अर्रेंजमेंट किया. हमारा मकान बहुत बड़ा और तीन मंज़िला है. फर्स्ट फ्लोर मे दो नौकरानी और एक ड्राइवर रहेता था,

और सेकंड फ्लोर हमेशा खाली रहेता था. साधु बाबा के रहेने की , और हवन-पूजा के लिए टू रूम सेकेंड फ्लोर मे साफाई हुई. पापा नेअगले दिन बाज़ार से हवन का सारा समान ड्राइवर से मँगवाया. मेरे पापा साधु बाबा को लेकर दोपहर 03.00 पीएम घर आपस आए. मम्मी पानी से साधु बाबा के पैर धुलाए, और नमस्कार किया. पापा साधु बाबा को तीसरे मंज़िल मे लेकर गये. मम्मी और मैं पूजा का समान लेकर उप्पर पहुँची. साधु बाबा ने 4.00 पीएम पूजा और हवन की तैयारी की. हम सभी(मम्मी-पापा, नौकरानी और ड्राइवर) 4.00 पीयेम हवन के रूम मे आकर बैठ गये. साधु बाबा अपनी झोली से भगवान नारायण और शिव की मूर्ति निकाल के उसको फ्लवर से सजाया. अगर बत्ती जलाया, और मन्त्र पाठ पूजा करने लगा.

करीबन 6.00 पीयेम पूजा ख़तम हुई. साधु बाबाने सभी को लाल टीका लगाया, और पापा को कहा कल से 03 पीयेम से हवन होगा. इस हवन मे सिर्फ़ तेरी बेटी रहेगी, ज़रूरत पड़ने पर तुझे बुलाउन्गा. पापा ने कहा, मैं कल से कुछ दिन के लिए बिज़्नेस के सिलसिले से ज़म्सेद्पुर जा रहा हूँ. मेरा पत्नी आपकी देख भाल करेगी. साधु बाबा नेमम्मी को बोला, बेटी कल 03.00 पीयेम फिर पूजा चालू होगा. तेरी बेटी उपबास करेगी. और एक वाइट कलर की सिल्क सारी लेकर आना. हम सभी साधु बाबा को रूम मे लेकर गये, खाने पीने का समान पहेले से ही रखा था. साधु बाबा को प्रणाम करके हम सभी नीचे लॉट आए. अगले दिन पापा ड्राइवर को लेकर ज़म्सेद्पुर चले गये. मम्मी नहा धो कर हवन की तैयारी करने लगी. दोपहर 03.00 पीयेम हवन का टाइम था. मैं डरी डरी सी थी.

मम्मी ने मुझे समझाया. बोली, साधु बाबा बहुत चमत्कारी है और भगाबान का प्रतीक है. उनसे डरना नही, भक्ति करना, और बात मानना. तेरी पढ़ाई-लिखाई अच्छी होगी. अगले दिन दोपहर तीन बजे मम्मी नेमुझे लेकर हवन रूम प्रबेस किया. साधु बाबा नेमम्मी से पुचछा, बेटी कपड़े लाई? मम्मी ने एक सिल्क की सारी साधु बाबा को दी. साधु बाबा ने सारी को बीच से ब्लेड से काट के दो टुकड़े बनाए. और उसमे फूल, चंदन और सिन्धुर का तिलक लगाया. साधु बाबा ने मम्मी को कहा जा बेटी,

जब मैं बुलाउन्गा तब आना. मम्मी चली गयी. साधु बाबा ने मुझे कहा, बेटी तेरा उपबास है ना ? मैने कहा हां. साधु बाबा ने सिल्क का एक टुकड़ा कपड़ा मेरे हाथ मे थमा दिया. और कहा जा बेटी नहा ले. नहा कर सादा कपड़ा पहनना, दूसरा कोई बस्त्र शरीर नही रहना चाहिए. मैं कपड़े लेकर बाथरूम मे गयी, और फ्रोक खोलके सिल्क का वाइट कपड़ा पहेन लिया. कपड़ा बहुत छ्होटी सा था. और मेरे बदन बहुत मुस्किल से ढाका था. सिल्क का कपड़ा इतना पतला था कि मेरा गदराया जिस्मउसमे से झलक रहा था. चड्डी नही होने के कारण मेरी कमर के नीचे का हिस्सा भी दिखाई दे रहा था.

मैं शरम से साधु बाबा के पास आई. साधु बाबाने मुझे गोर से देखते हुए कहा, आजा बेटी, हवन के सामने हाथ जोड़ कर खड़ी हो जा. मैं खड़ी हो गयी. साधु बाबा बार बार मेरे सरीर की तरफ देखते हुए हवन करने लगा. हवन करते हुए साधु बाबा मेरे पास आया. और कहा दोनो हाथ जोड़ कर उप्पर करो. और बार बार बोलो ” ओम नमः शिवाय” . मैं हाथ उप्पर कर के मन्त्र पढ़ने लगी. मेरे कपड़े छोटे होने के कारण मेरी आधी बूब्स खुली थी. साधु बाबा तिर्छि निगाह से देख रहा था. कपड़ा सिल्की होनेके कारण स्लिप हो रहा था. मैं बार बार आँचल को सम्हालते रही. साधु बबाने कहा, बेटी मन लगा कर मन्त्र पढ़ो.

नही तो अमंगल होगा. मैं डर गयी. गर्मी और डर से मैं पसीना-पसीना हो रही थी. कुछ देर बाद साधु बाबा कहा बेटी भगाबान को सन्तुस्त करने के लिए बहुत कुछ तुम्हे करना पड़ेगा. नही तो तुम फिरसे फेल जाओगी. मैं बोली , ठीक है बाबा. साधु बाबा एक हवन की रस्सी मेरे कमर मे बाँधने लगे. साधु बाबा ने कमर बाँधने के बाद सर उठाया, तो मेरी बूब्स रगड़ खा गई. बूब्स ज़ोर से हिलनेके कारण सिल्की कपड़े का आँचल साधु बाबा के सामने गिर गया. मेरी बड़ी बड़ी बूब्स साधु बाबा के सामने अचानक नंगी हो गई. मैं शरम से जल्दीही आँचल समहाल्ती. मगर तब तक साधु बाबा ने एक झलक मेरे बड़े बड़े दोनो बूब्स देख लिए थे.

साधु बाबाने मुस्कुराते हुए कहा, बेटी तू भगवान का मन्त्र पढ़े जा. कोई डर, शरम मत कर. भगवान नाराज़ होंगे. मैं गुदगाते मन से फिर मन्त्र पढ़ने लगी. साधु बाबा ने मेरे कपाल पे और जाँघो मैं चंदन का टीका लगा दिया. उसके बाद उसने हवन का एक काला टीका मेरी नाभि के उप्पर लगाया. साधु बाबा ने कहा, तुम्हारी उमर कितनी है. मैं शरमाती बोली 17. साधु बाबा खुस होकर बोले बेटी, भोले बाबा तुम्हारी पूजा ज़रूर स्वीकार करेंगे. बेटी, इस पूजा की बात तुम किसिको नही बताना. अपनी मम्मी-पापा को भी नही. अगर बताओगी तो तुम्हे पाप लगेगा और फॅमिली का नुकसान होगा. मैं सर हिलाती हुई बोली,

बाबा मैं किसिको नही बताउन्गी. साधु बाबा नेअपनी झोली से एक शिव लिन्ग निकाली. शिव लिन्ग देखने में कोई आठ-दस सालके लड़के का नूनी जैसे था. उसने पहेले उसको प्रणाम किया. साधु बाबाने शिव लिन्ग को उप्पर रखा और शहद की बॉटल से शहद निकाल के लिन्ग के उप्पर लगाया, और मेरे पास आकर बोले बेटी, अभी तुम आँखे बंद करके बैठ जाओ. मैं बैठ गयी. कपड़े छोटे होने के कारण मेरी आधी जंघा और आधी खुली बूब्स साधु बाबाके सामने थी. उसने शिवा लिन्ग को मेरे हाथ मे दिया, और आदेश दिया, बेटी मन ही मन मन्त्र जप करो और आँख बंद करके इसे चूसो . मैं पहले सोची थी कि शिव लिन्ग स्टोन का होगा.

पर हाथ मे पकड़ के देखा तो ये एक नरम रब्बर जैसे था. मैने आँख बंद करके उसे चूसना सुरू किया, और मन मे ओम नमः शिवाय मन्त्र पढ़ने लगी. शेहद मीठा था. मैने उपबास कर रखा था . लिंग चूसनामुझे अच्छा लगा. साधु बाबा एक कुंआरी लड़की के इतने बड़े बड़े गोल गोल बूब्स को नंगा देख कर अपने को कंट्रोल नही कर पा रहा था. साधु बाबा की धोती मे उसका लंड फुपकार रहा था. वो एक बार मेरे बूब्स देख रहा था, तो एकबार नकली लिन्ग की चुसाइ देख रहा था. भारी भारी सेब जैसे गाल, नरम होठ, सुराही दार गर्दन, इतने बड़े बूब्स, जिसमे उसकी लाल रंग की निपल जो अब तक उसने किसी लड़की की नही देखी थी. मेरी नाभि इतनी बड़ी और गहरी, पतली कमर, मगर जंघे इतनी मोटी जो इंद्र लोक की रंभा मेरे सामने कुछभी नही.

साधु बाबा ने मन ही मन मेरा भोग करने का ठान लिया. साधु बाबा ने कहा बेटी, आँखे मत खोलना, अभी दूसरे लिंग को तुम्हे चूसना है. ये कहते हुए साधु बाबा नेकुछ समय बाद मेरे मुह मे एक लिंग देते हुए कहा लो बेटी इसे चूसो, और आँख बंद रखना. खोलोगी तो सरबनाश होगा. मेरी आँखे पहेले ही बंद थी. लिंग मुहा मे आते ही मैने चूसना चालू किया. मगर लिंग मे शहद नही था. जैसे कोई नरम चीज़ मुँह मे थी. मैं “ओम नमः शिवाय” मन्त्र पढ़ते हुए लिंग चूस्ते रही. थोरे ही देर मैं लिंग इतना मोटा हो गया कि मेरे मूह मे एकदम टाइट था. मैं मन ही मन मे सोच ती हुई “ओम नमः शिवाय” मन्त्र जपती रही. डर और सर्वनाश के कारण मैने आँखे बंद कीहुई थी. साधु बाबा फिरसे बोला, बेटी आँखे बंद रखना, और इस शिव लिंग को ज़ोर ज़ोर से चूस्ते रहो, और मन्त्र भी जप्ते रहो. लग रहा हैं भोले बाबा का आशीर्वाद तुम्हे ज़रूर मिलेगा. कियुंकी छोटा लिंग तुम्हारी चुसाइ से मोटा हो गया. मैं बहुत ताक़त लगाके मूह और थोड़ा सा खोला, और लिंग और अंदरलेकर चुस्ती रही. लिंग बहुत गरम और मोटा था.

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मुझे चूसने मे मज़ा आ रहा था. साधु बाबा ज़ोर ज़ोर से लिंग मुहके अंदर बाहर कर रहा था. मैं भी शिव लिंग होंठो से दबा दबा के चूस रही थी. साधु बाबा ने कहा, बेटी शिव लिंग से कुछभी निकले तो तू सारा पी जाना. आँखे नही खोलना. मैं नमकीन सा, मोटा सा गरम गरम शिव लिंग आँखे बंद करके ज़ोर ज़ोर से चुस्ती रही. साधु बाबा अपना हाथ मेरे सर पर रखते हुए लिंग को आगे पिछे कर रहा था. और एक समय आहह ! उहह! कर रहा था. करीब पाँच मिनूट ऐसे लिंग को चूसने के बाद मेरा मूह दर्द करने लगा. मगर मेरे हाथ उप्पर जुड़े हुए थे. मूह मे टाइट लिंग था. लिंग का अंदर बाहर होना और तेज़ी से चलने लगा.

साधु बाबा धीमे आवाजसे बोला, थोड़ा और ज़ोर ज़ोर से चूसो. मैं और ज़ोर ज़ोर से दबा दबाके चूसने लगी. साधु बाबा मेरे सर को तेज़ी से आगे पिछे करने लगे. अचानक शिव लिंगसे गरम गरम नमकीन सा तरल पदार्थ मेरे मूह मे गिरा. साधु बाबा बोले, बेटी पिए जाओ. भोले नाथ तुम्हारे उप्पर मेहरबान हुए है. तुम सारा शहद चूस चुस्के लिंग से चाट लो. मैने साधु बाबा की बात मान ते हुए आँखे बंद करके सब चाट लिया. साधु बाबा ने लिंग को बाहर निकाल लिया. लिंग का सहद पीने से मेरे सरीर मे अजीब सी हल चल होने लगी. साधु बाबा मेरी हालत समझ ते हुए बोला, बेटी, आँखे खोलो. मैने आँखे खोली तो देखा,

साधु बाबा मेरे सामने खड़ा था, और धोती मे उसके अंदर की चीज़ उँचा होकर मेरे सामने हिल रही थी. धोती मे जैसे कोई शहद, या मिठाई का रस लगा हुआ था. साधु बाबा मुस्कुराते हुए बोले, बेटी, शिव तुम्हारे उप्पर खुश हुए. अभी हवन समाप्त हुआ. तुम फिर कल दोपहर तीन बजे हवन करने आ जाना. और आजके हवन की बात किसिको ना कहेना. कल फिर तीन बजे हवन करने आजाना. मैने बाथरूम से कमीज़ पहेनकर साधु बाबा को पावं च्छुकर प्रणाम किया. और नीचे मम्मी के पास चली गयी अगले दिन फिर 03 पीयेम हवन करने गयी. साधु बाबा मुस्कुराते हुए मुझे बोला, बेटी जाओ बाथरूम मे जाकर ये कपड़े पहिन्कर आओ. साधु बाबा ने फिर से ओही सिल्की कपड़ा मुझे थमा दिया. मैने अंदर जाकर सलवार कमीज़ उतार कर,

चड्डी निकाल के सिल्क का कपड़ा पहेन लिया. मगर कपड़ा पहले दिन से भी छोटा था. साधु बाबा बाहर से बोले, बेटी जल्दी आओ, हवन का टाइम निकल जाएगा. मैं बहुत मुस्किल से अपनी कमर मे कपड़ा लपेट ते हुए साधु बाबाके पास आ गयी. साधु बाबा ने मुझे एक चटाई पर बैठने के लिए कहा. मैं बैठ गयी. साधु बाबा बोले, बेटी तुम बहुत अच्छी और बहुत ही सुंदर हो. तुम्हारी पूजा पिछले दिन भगवान ने स्वीकार की थी . अभी फिर से पूजा सुरू होगी, और मैं जैसे जैसे बोलूँगा ऐसे ही करना. मैने हाँ मे सर हिलाया. साधु बाबा बोले, बेटी पिच्छले दिन की पूजा मे मज़ा आया कि नही? मैं बोली, हूँ बाबा. बाबा ने बोला किसी को बताया तो नही? नही, मैं बोली. साधु बाबा खुस हुआ.

साधु बाबा ने हवन की आग जलाई, और मेरे पास आकर बोले बेटी खड़ी हो जाओ. अभी हम दोनो एक साथ हवन करेंगे. मैं खड़ी हो गयी. साधु बाबा ने मेरे हाथ मे घी का कटोरा थमाते हुए कहा, बेटी इसे पाकड़ो. मैने कटोरा पकड़ा. साधु बाबा मेरे पिछे आकर मेरे दोनो हाथ थोड़ा उप्पर करके, मेरी बगल की दोनो साइड से अपने हाथ निकाल लिए. और पिछे से हवन मे मेरी कोटोरी से घी लेकर हवन मे डालने लगा. और मन्त्र पढ़ने लगा. साधु बाबा ने ऐसे पिछे से मुझे पकड़ा था कि उनका हाथ मेरी दोनो साइड की बूब्स को रगड़ रहा था. उनकी गरम साँसे मेरे कंधे पे पड़ रही थी. साधु बाबा पिछे से हवन मे घी डालते रहे,

और मेरी बूब्स से टच करते रहे. मैं गरम होने लगी. मेरे सरीर मे हलचल होने लगी. मेरी इच्छा हो रही थी कि साधु बाबा मुझे और ज़ोर से पकड़े. साधु बाबा बोले, बेटी अब मैं तुम्हारी तरफ मूह करके रखूँगा. तुम मेरे आगे से हाथ बढ़ाकर हवन करना. साधु बाबा हवन को आपनी पिछे तरफ रखते हुए मेरी आमने सामने खड़े हो गये. मैं साधु बाबा के बगल से दोनो हाथ निकाल कर हवन मे घी डालने लगी. इस तरह मेरी बूब्स और कमर साधु बाबा के आगे की हिस्से से रगड़ खाने लगी. मेरे पेट मे साधु बाबा की कोई सख़्त चीज़ लग रही थी. साधु बाबा ने मुझे जाकड़ कर पकड़ा था. जैसे कोई पति-पत्नी एक दूसरे को पकड़ रखते हैं.

साधु बाबाके हिलने डुलने से मेरी बूब्स साधु बाबा के सीने से दब रही थी. मैं खड़ी थी हाथ मे कटोरा लिए. बाबा ने मेरे हाथ से कटोरा लेकर हवन के पास रखा. साधु बाबा ने कहा बेटी तुम्हे फिर से भोले बाबा को प्रसन्न करना होगा. मैं बोली बाबा आप जो बोलेंगे मैं वही करूँगी. मुझे अच्छी रिज़ल्ट से पास होना है. साधु बाबा मुस्कुराते हुए बोला, बेटी तू फर्स्ट आएगी. चल मुझे अब दूध पिला और मन्त्र जप करती जा. मैं घबरा गयी. साधु बाबा बोला क्या हुआ बेटी? भोले बाबा को खुस करना हैं ना? मैं जल्दी से थोड़ा सा झुक कर अपने एक बूब को बाबा के मुह के सामने लाई. बाबा बोले, बेटी अपने हाथ से मेरे मुह मे दूध दो, जैसे एक मा अपने बच्चे को दूध पिलाती है. मैने अपने हाथ से अपनी एक चूची को पकड़ कर साधु बाबा के मुह मे डाला. साधु बाबा मेरी निपल को चूसने लगा. मुझे अजीब सी गुद गुडी होने लगी. साधु बाबा निपल को धीरे धीरे चूस रहा था,

और मैं गुद गुडी से पागल होकर और ज़ोर से उनके मुह मे बूब दबाती रही. दूसरे बूब मे भी मेरी गुद गुडी हो रही थी. मैने आपने एक हाथ से दूसरे बूब को पकड़ा. तो साधु बाबा ने दूसरे बूब को देख कर उसकी निपल एक हाथ से पकड़ लिया. साधु बाबा का सर मेरी कमर के नीचे के हिस्से को रगड़ रहा था. साधु बाबा बोले, बेटी तुझे पूजा कैसी लग रही है ? मैने स्वप्न मे भी कभी सोचा नही था कि भोले बाबा की पूजा करने से इतने मज़ा आता है. मैं बोली, बहुत अच्छी ! साधु बाबा बोले मज़ा आ रहा हैं ? मैं बोली, हूँ बाबा! साधु बाबा बोले, बेटी शिव लिंग चूसने मे मज़ा आया था ? मैं बोली-हूँ बाबा. साधु बाबा बोले, बेटी अभी फिर से तुम्हे लिंग चूसना है. मगर अभी नकली लिंग नही, असली लिंग चूसना है. मैं बोली, जी बाबा. साधु बाबा गोदी से उठ कर खड़े हो गये, और बोले, बेटी, अभी मैं भोले बाबा की आराधना करूँगा. उनको अपने सरीर के अंदर प्रबेश कराउंगा. उसके बाद मैं जो कहूँगा ,

वही भोले बाबा का आदेश होगा. साधु बाबा भोले बाबा की आराधना करते हुए ज़ोर ज़ोर से मन्त्र पढ़ने लगा. करीब पाँच मिनट बाद साधु बाबा ने “ओम ! ओम! करके हुंकार लगाया. मैं डर सी गयी. साधु बाबा बोले, डरो मत बेटी, अभी भोले बाबा नेमेरे सरीर के अंदर प्रबेश किया है . तुम मुझे खुस करोगी तो भोले बाबा भी खुस होंगे. मैं हाथ जोड़ कर साधु बाबा से बोली, बाबा मुझे एग्ज़ॅम मे फर्स्ट क्लास आना है. मैं आपको खुस करने के लिए आपकी हर बात मानूँगी. साधु बाबा मेरे सामने आकर बोले, बेटी अभी तू मेरे सरीर के किसी भी हिस्से को छुओगि तो समझना भोले बाबा के सरीर को च्छू रही हो.

मैने भक्ति से झुक कर बाबा के पैर छुए. बाबा आशिरबाद देते हुए बोला, बेटी अभी तुम्हे शिव लिंग का आदर सत्कार करना है. मैने “शिव लिंग” जो कि हवन के आगे रखा था, उसे उठाया. बाबा क्रोधित होते हुए बोले, मूर्ख लड़की. भोले बाबा जब मेरे अंदर है तब तू क्यू नकली लिंग को पकड़ रही है? मैं नासमझ थी. मैं हाथ जोड़ कर बोली, बाबा आप ही मुझे बताइए, मैं क्या करू? साधु बाबा बोले, उधर शहद की बॉटल रक्खी हैं. उसे उठा ला. मैं हनी कीबॉटल लेकर आई. साधु बाबा ने अपनी धोती से अपने लिंग को निकाल कर बोला, ये है भोले बाबा का असली लिंग. कियूं की भोले बाबा मेरे अंदर हैं. मैं समझ गयी कि साधु बाबा के लिंग को ही मुझे चूसना हैं. साधु बाबा शहद की बॉटल से थोड़ा सा शहद आपने लिंग मे लगाकर बोले,

आ जा बेटी, अभी इस भोले बाबा के लिंग को चूसो. मैने जब बाबा के लिंग को देखा, तो घबरा गयी. कितना मोटा और लंबा है ! करीब 10″ लंबाई और 4″ गोलाई. मैं सोचती रही कि इतना मोटा लिंग मेरे मुह मे कैसे जाएगा. पर साधु बाबा ने मेरे बूब्स को सहेलाते हुए मुझे बैठाया. फिर बोला, बेटी डर मत, मुह खोल. ये लिंग सुबह की तरह है. कहते हुए उसने मुह मे आपना लिंग घुसा डाला. मेरे मुह मे लिंग बहुत टाइट होकर घुसने लगा. साधु बाबा बोला, बेटी आपने हाथ से लिंग पकड़ कर दबा दबा के चूसो. मैं साधु बाबा के लिंग को चुस्ती रही. साधु बाबा कभी मेरे सर पकड़ कर आपने लिंग की तरफ खिचता, तो कभी झुक कर मेरे बूब्स को दबा रहा था. मुझे अच्छा लगा. मैं प्यार से भोले बाबा के लिंग को अपने होंटो से, जीव से चुस्सने लगी. लिंग लोहे की तरह सख़्त और गरम हो गया. साधु बाबा अपने लिंग मेरे मूह से निकाल कर बोले, बेटी अभी तुम अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ. भोले बाबा अभी तुम्हे प्यार करेंगे. मेरा सरीर आधा नंगा था. मैने कमर से बाकी कपड़े खोल दिए.

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मेरी गोरी मोटी मोटी जाँघो को देखते हुए साधु बाबा मेरे दाहिने बूब को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मेरी बूब इतनी बड़ी थी कि बाबा का एक हाथ मेरी बूब को आधा ही पकड़ पा रहा था. साधु बाबा ने मेरी जंघा को सहलाया. मेरी मोटी रान पे हाथ चलाते हुए बोला, बेटी तू बहुत सुंदर है. तेरी हर मनो कामना पूरी होगी. अब तू चटाई मे लेट जा. मैं चटाई पे लेट गयी. साधु बाबा भी मेरे साथ लेट ते हुए बोला बेटी, फिर से लिंग को चूसो. मैने लिंग को पकड़ा. साधु बाबा की कमर मेरे मुह के सामने थी, और साधु बाबा का मुह मेरी कमर के पास था. साधु बाबा मेरे उप्पर था. मैने लिंग के उप्पर जीव चलाई तो लिंग और मोटा हो गया. मेरे मुह के अंदर जा नही पा रहा था. मैं होंटो से और जीव से लिंग को चुस्ती रही. साधु बाबा मेरी मोटी मोटी रान के उप्पर हाथ चला रहा था.

कभी कभी दबा रहा था. मैं गुद गुडी से मरी जा रही थी. मेरी तबीयत अजीब सी होने लगी. मैने और ज़ोर से लिंग को पकड़ के मेरे मूह मे डाल ने की कोशिस की. अचानक साधु बाबा का हाथ मेरी चूत के पास आकर हलचल करने लगा. मेरी चूत मे बहुत ज़ोर से गुद गुडी सी होने लगी. साधु बाबा का हाथ मेरी चूत के उप्पर आ गया. बाबा की एक उंगली चूत के अंदर घुसाने की कोशिस कर रहा था. मैने आपनी मोटी रान को जाकड़ लिया. बाबा की अंगली मेरी जॉनी और जाँघो के बीच फॅस गयी. बाबा बोले, बेटी अपनी जाँघ खोलो. नही तो भोले बाबा तुम्हे कैसे प्यार करेंगे. मेरी जंघा खुल गयी. साधु बाबा ने मेरी चूत के अंदर अंगली डालने की कोशिस की. मगरउंगली नही घुस रही थी. साधु बाबा बोले, बेटी टांगे और थोड़ा फैलाओ.

मैने जाँघ और फैलाई. साधु बाबा उंगली से चूत को रगड़ रहा था. अचानक साधु बाबा ने अपनी जीव मेरी चूत के दाने पर फिराया. मैने गुद गुदी से भर कर अपनी कमर उछालि. साधु बाबा को मेरी कमर पकड़ के कमर को उँचा रखते हुए जीव को अंदर तक चलाने लगा. मैं पागल की तरह गुद गुडी से अपनी चूत को साधु बाबा के मुह मे रगड़ ती रही. साधु बाबा तेज़ी से अपनी जीव अंदर बाहर करने लगा. मेरी चूत मे जोरो से खुजली होने लगी. मैं बोली, बाबा गंदी जगह पर आप मुह मत लगाए. मगर बाबा और जोरो से चूत के अंदर जीव घुसाने लगा. मैं बाबा के लिंग मस्ती से चूस्ते हुए आपनी योनि की चुसाइ का आनंद लेने लगी.

मेरी योनि की खुजली इतनी बढ़ गयी कि , मैं बाबा का लिंग छोड़ कर उनके सर के बाल पकड़ कर अपनी योनि मे उनका मुह ज़ोर ज़ोर से रगड़ती रही. करीब दस मिनट बाद मेरी सरीर मे अजीब सी चुलबुली हुई कि , मेरी योनि से ना जाने कैसा तरल पदार्थ निकल ने लगा. बाबा उसे चाट ते रहे. साधु बाबा बोले बेटी मज़ा आ रहा है. मैं बोली हां बाबा, इतनी मज़ा तो जिंदेगी मे कभी नही मिला. बाबा बोले, बेटी भोले बाबा जब किसी के उप्पर सन्तुस्त होते हैं तो उसकी जीवन मैं कोई दुख नही होता, सिर्फ़ आनंद ही आनंद है. तेरे जीवनमे आजसे बाबा तेरे जीवन को ख़ुसी से भर देगा. ये कहते हुए साधु बाबा अपने लिंग मेरे मुह के पास से हटा कर खड़ा हो गया.

बाबा का लिंग उप्पर मे सीलिंग फॅन की तरफ सीधा खड़ा था. बाप रे कितना मोटा और लंबा. बाबा आपनी झोली से एक बॉटल निकाली. और एक ग्लास मे उसे डाल कर उसमे थोड़ा सा पानी मिलाकर मेरे सामने लाया. मैने देखा कि उसमे लाल रंग का पानी है. साधु बाबा बोला, बेटी इसे नाक बंद करके पी जा. मैं बोली ये क्या है बाबा? बाबा बोले, बेटी ये भोले बाबा का परसाद है. मैं बद्री नाथ धाम से लाया हूँ. तू इसे पी कर तो स्वर्गा लोक का आनंद उपोभोग करेगी.

मैं ग्लास लेकर नाक बंद करके पी गयी. मेरी छाती मे जलन होने लगी. परसाद बहुत कड़क था. मैं चुप चाप थी. अगर बाबा को बोलू कि परसाद कड़क है तो बाबा नाराज़ होंगे. साधु बाबा ने भी ग्लास मे प्रसाद डाल कर पी लिया. साधु बाबा की आँखे लाल थी. साधु बाबा बोला बेटी अब मैं इस लिंग से तेरा उद्धार करूँगा. मैं चुप थी. मेरी आँखे छ्होटी हो रही थी. मुझे अजीब सा नशा आने लगा. मैं चटाई मे लेट गयी.

बाबा ने अपनी धोती निकाल कर एक साइड मे फेक दिया. और पूरा नंगा होकर मेरे पास आकर मेरे दोनो बूब्स को दोनो हाथो मे लेकर सहेलाते रहे. मुझे लग रहा था कि मैं आसमान मे उड़ रही थी. साधु बाबा ज़ोर ज़ोर से बूब दबाते रहे, कभी निपल को मुह मे डाल कर चूसने लगे. कभी आपने एक हाथ से मेरी योनि को सहेलाते रहे. मैं फिर से गुद गुदाने लगी. मेरी अंदर मदहोशी सी च्छा गयी. मैं पागल की तरह साधु बाबा के गले मे हाथ डाल कर बाबा कोआपने उप्पर खींच लिया. साधु बाबा मेरे होंठ चूसने लगा, एक हाथ से मेरी बूब्स दबाते रहा, दूसरी हाथ से मेरी चूत के अंदर उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा. मेरे जीवन के इस आनंद का शब्दो मे बयान करना मुस्किल है. तभी बाबा ने मेरी चूत के पास आपना लिंग लगाया, और लिंग से मेरी चूत को रगड़ ते रहे. मैं बाबा का गले से हाथ हटा कर खुद आपनी बूब्स ज़ोर ज़ोर से दबाती रही. बाबा ने घी की कोटोरी से थोड़ा सा घी मेरी चूत मे लगाया. उसके बाद अपने लिंग को मेरी चूत के मूह मे लगाकर हल्का सा दबाया.

मेरी चूत एक दम टाइट थी. बाबा का लिंग फिसल गया. मैं समझ गयी कि बाबा अपने लिंग को मेरी योनि के अंदर घुसाना चाहता हैं. मेरी चूत मे जोरो से खुजली हो रही थी. मैं भी चाह रही थी कि उंगली से नही, बल्कि बाबा के लिंग से ही मेरी चूत की खुजली दूर होंगी. मैं नसे मे थी, और कमर उँचा कर के टाँगे फैलाए बाबा का लिंग अंदर घुसाने की नाकाम कोशिस कर रही थी. बाबा ने अचानक अपनी कमर को थोड़ा सा उठा कर एक ज़ोर दार सा धक्का मारा. ओह! गॉड! मेरी योनि के अंदर बाबा का मोटा लिंगा थोड़ा सा घुस गया, और मैं दर्द से चिल्ला उठी. बाबा बोले, बेटी बस अब सब दर्द ख़तम हो जाएगा. तुझे और कोई तकलीफ़ नही होगी. ये कहते हुए बाबा मेरी एक बूब्स की निपल लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. और एक हाथ की दोनो उंगली से मेरी दूसरे निपल को चुटकी मे भरते हुए मसल्ने लगा. मुझे थोड़ा सा आराम मिला. मगर भोले बाबा की कृपा से मेरी योनि का दर्द भी गायब होने लगा. मुझे मज़ा आने लगा. बाबा धीरे धीरे आपनी कमर उप्पर नीचे करने लगे.

मेरी चूत मे बाबा का लिंग बहुत धीरे धीरे अंदर बाहर होने लगा. मुझे आनंद आने लगा. मैने भी बाबा को पकड़ लिया, और उनके सर को अपने बूब्स मे दबाने लगी. बाबा ने आपनी कमर उप्पर नीचे करना जारी रखा. तभी फिर से साधु बाबा ने एक और ज़ोर दार धक्का लगाया. बाबा का लिंग मेरी चूत मे और थोड़ा अंदर चला गया. मुझे फिर थोड़ा सा दर्द हुआ. मगर ये दर्द, पहेले के दर्द से काफ़ी कम था. बाबा ने सर उठा कर अपने लिंग की तरफ़ देखा. जो कि एक तिहाई मेरी योनि के अंदर था. बाबा बोले, बेटी, तुम्हारी योनि मैं लिंग एक तिहाई चला गया. थोड़ा और कमर उँचा करो ताकि मैं पूरा अंदर डाल सकु. मैं घबरा कर बोली, नही बाबा! मुझे बहुत जोरो से दर्द हो रहा हैं. पूरा अगर घुसेगा तो मैं मर जाउन्गी! बाबा मेरे गालों की चूमता हुआ बोला, बेटी तेरी योनि बहुत गहरी है. तू “हस्तिनी” जाति की है. तेरी योनि मे 10″ लिंग कुछभी नही है बेटी. तेरी योनि मे तो पूराका पूरा 18″ लिंग भी आराम से चला जाएगा. तेरी योनि फूले हुए नरम मक्खन की तराहा है. तेरे चूतर और जंघा इतने बड़े और मोटे मोटे है जो मैं दोनों हाथो से भी उसको पकड़ नही पाउन्गा. तू खुद नही जानती कि तू कितनी कामुक और मस्तानी होगी. तुझे भोग ने के लिए स्वयं भोले बाबा तेरे पास आये है. कहते कहते बाबा ने फिर से एक बहुत ज़ोर का धक्का मारा. इस धक्के के साथ बाबा का लिंग पूरा मेरे अंदर चला गया. इस के बाद की कहानी और क्या बताउ? बाबा ने मुझे उसके बाद से पूरे पाँच दिन मज़ा दिया था. मैं ख़ुसी , आनंद और मज़ा से पूरे पाँच दिन बिताई.

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