सब्ज़ी वाली को पटा के चोदा

दोस्तों, मैं पढ़ाई करने दूसरे शहेर आया था. यहा का खाना मुझे रास नही आ रहा था, और पेट खराब होता था बार-बार. सो मैने घर पे ही पका कर खाने की तान ली थी. अब सब्ज़िया लेने की ही दिक्कत थी. बहुत चल के जाना पड़ता था.

दोपहर को एक सब्ज़ी वाली आती थी मुझे नही पता था. एक दिन वो मुझे मिल गयी. वो घर के सामने से जाती थी, सर पर टोकरी लेके. मेरा मकान नीचे ही था, तो मैने उसको बुला लिया.

उसका नाम सरला था. वो एक 35-36 साल की औरत थी, क़ास्सी हुई, एक-दूं तीखी मिर्ची थी बातें करने में. पैसे से तो वो देने नही वाली थी, ये पक्का था. उसको तो पता के ही छोड़ना था.

मुझे उसकी टोकरी उतारनी पड़ती थी, या चढ़नी पड़ती थी, जब भी वो रुकती थी. एक दिन उसने पानी माँगा. मैं लेके आया. फिर पानी पीते वक़्त आधा तो वो अपने उपर गिरा रही थी. उसने उस दिन खाकी रंग का ब्लाउस पहना था.

उसका एक साइड का मम्मा पानी से भीग गया था. उसका किशमिश जैसा मनुका दिखने लगा था. एक-दूं पके हुए आम की तरह माममे थे उसके. देख के चूसने का मॅन करता था.

उसने मुझे पकड़ लिया देखते हुए, और अपनी सारी से च्छूपा लिया. अब बातें होने लगी थी उससे. एक दिन शाम को मैं दोस्तों के साथ बाहर घूमने गया था. वाहा से मैं घर आ रहा था. रास्ते में वो मुझे मिली मस्त सारी डाल के.

वो गजरा लगा के, मेकप करके रास्ते पर बस की राह देख रही थी अपने बच्चे के साथ. उसका बच्चा 7-8 साल का रहेगा. मुझे रुकता हुआ देख वो मेरी तरफ आके बात करने लगी.

मैने बोला: चलो मैं छ्चोढ़ देता हू.

तो वो ना बोली. मैने 2-3 बार पूछा उससे. 15-20 मिनिट्स हो गये थे, और बस भी नही आ रही थी, तो वो मान गयी. मैने उसके बच्चे को सामने टंकी पर बीतया और वो पीछे बैठ गयी.
अब जब भी स्पीड ब्रेकर आता तो उसके माममे पीठ पर लगते. पहले वो बचाने को कॉसिश कर रही थी. लेकिन ना-जाने 2-3 मिनिट के बाद उसने कोशिश करनी छ्चोढ़ दी. वो सीधे पीठ पे आके सारा बदन टकरा देती. दूसरे दिन जब वो आई, तो मैं उसको बहलाने लगा.

मैने बोला: तुम्हारा बच्चा हो सकता है मुझे सपने में भी नही लगा. तुम्हारा पति सच में नसीब वाला है.

और आपको तो मालूम है ऐसे केसस में पति बेवड़ा रहता है, मारता है, काम नही करता, उसका भी सेम था.

अब क्या था, वो आधी तो जाल में फ़ासस गयी थी. तभी उसकी टोकरी उठाते वक़्त उससे टोकरी का भार संभला नही, और वो गिर पड़ी. सब्ज़ी सारी बिखर गयी. उसके पैर में थोड़ी सी लगी भी थी शायद.

फिर मैं उसको उठा के कमर को पकड़ कर अंदर लेके गया. जब उसका कांदा मेरे कंधे पर था, उसको बिताते वक़्त मैने उसकी बगल की खुसभू ली. क्या मादक थी उसके पसीने की कूशबू. मेरे लंड को जगा दिया उसने. फिर मैने बाहर जेया कर उसकी सब्ज़ी उठाई.

वो जेया रही थी, लेकिन उससे उठा नही जेया रहा था. तो मैने ही उसको बोला-

मैं: देखो, ऐसे भी तुम हिल नही सकती. यही बैठो थोड़ी देर, चाहिए तो मैं तुमको बाद में घर छ्चोढ़ दूँगा.

अब मैने काम चालू किया. मैं उसके पैर को पकड़ कर मालिश करने लगा. इससे वो शर्मा ने लगी.

वो बोली: साहब, अर्रे ये क्या कर रहे हो? ऐसे मत करो, मुझे शरम आ रही है.

मैने बोला: सरला जी मुझे करने दीजिए. मुझे मालूम है आपके घर आपका ख़याल रखने कोई नही.

अब मैं धीरे-धीरे उप्पर आ रहा था. वो कुछ बोल नही रही थी, और अपनी सारी धीरे-धीरे उपर कर रही थी. अब मैं उसकी जाँघो तक आ गया था. उसने आँखें बंद कर ली थी.

फिर मैने सारी उपर कर ली. उसकी बालों से भारी छूट देख मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैने छूट पर हाथ फेरना चालू किया. उसने पैर फैलाया तो दर्द हुआ उसको. इसलिए उसने पैर वापस पास कर लिए.

शायद उसको दर्द हो रहा था, तो मैं उसको डॉक्टर के पास लेके गया. डॉक्टर ने उसको मरहम पट्टी की. वो ऐसे देख रही थी जैसे मैं उसका पति हू. फिर मैने उसको उसके घर छ्चोढा.

3-4 दिन बाद सुबा मैं छाई बना रहा था, तब वो आई. मैं देख कर मुस्कुरा रहा था, और वो शर्मा के मुस्कुरा रही थी. वो अपना टोकरा लेने आई थी. मैने उसको सब्ज़ी के पैसे भी दिए, लेकिन वो नही ले रही थी.

फिर मैने उसको छाई दी, और हम वही किचन में खड़े रह कर छाई पी रहे थे. फिर उसने वाहा रखा खीरा देखा. उसने हाथ में खीरा लेके पूछा-

सरला: आप क्या करते हो इस खीरे के साथ? मैं बोला: खाता हू.

तो वो हासणे लगी. मेरे बहुत ज़ोर देने पर वो बोली-

सरला: औरतें मेरे से ये खीरे खाने के लिए नही घुसने के लिए लेती है.

मैने पूछा: कहा घुसने के लिए.

तो वो शरमाने लगी और बोली: साहब आप भी ना, वाहा.

मैने वापस पूछा: कहा.

तो वो बोली: छूट में.

उसके मूह से छूट सुन कर मेरे लंड में बिजली दौड़ गयी. मैने उसको बोला-

मैं: तुम्हे ये ज़िंदा खीरा चाहिए क्या? ( मैं अपने लंड की तरफ देख कर बोला)

ये सुन कर वो शरमाने लगी. मैने उसके सामने खड़ा हो कर, उसकी कमर को चू कर उसके पीछे छाई का कप रखा, और दोनो हाथ उसकी नंगी कमर पर रख कर उसको बोला-

मैं: देखो मेरा भी इतना ही बड़ा है. कसम से बहुत मज़ा आएगा मेरा खीरा घुसने में. एक बार चू के तो देखो.

ऐसा बोल कर मैने उसका हाथ लेके पंत के अंदर डाल दिया. उसका नंगा हाथ लंड को लगते ही लंड फूलने लगा. वो शर्मा रही थी, और मंडी नीचे करके वैसे ही खड़ी थी. मैने उसकी मंडी हाथो से उपर करी और कहा-

मैं: सरला बोलो ना, अगर तुम्हे पसंद नही तो जाने दो.

मैं उसका हाथ निकालने लगा तो उसने कहा: नही साहब, ऐसा नही है.

उसने हाथ तोड़ा अंदर धकेल कर लंड को हाथ में पकड़ लिया.

फिर वो बोली-

सरला: बाप रे बाप, साहब इस खीरे में और आपके खीरे में ज़्यादा फराक नही लग रहा है.

मैने बोला: अर्रे पगली, मेरे खीरे का पानी गाढ़ा आता है.

और हम दोनो हासणे लगे. मैने उसकी मंडी उपर कर उसको मेरी तरफ खींच लिया, और होंठो पर होंठ रख कर चूसना चालू किया. अब वो धीरे-धीरे मेरा साथ दे रही थी. उसको होंठ चूसने नही आते थे.

वो डाइरेक्ट अपनी जीभ चुस्वती, या मेरी चूस्टी. मज़ा आ रहा था उसमे भी. अब मैने उसके ब्लाउस का बटन खोल उसके पके आँो को आज़ाद किया, और मसालने लगा. मैं उसका रस्स चखने लगा. वो कसमसने लगी. उसने लंड की पकड़ अब मज़बूत कर दी, और पंत में हाथ झटपटाने लगी.

मैने पंत का हुक खोल उसके लिए काम आसान किया. अब वो खुल्ला था, लेकिन उसके हाथ की पकड़ में था. मैने उसके किशमिश जैसे निपल को काटा, तो वो चिल्लाई-

सरला: उई मा! आउच! और मुझे धक्का मार कर हॉल में चली गयी.

फिर मैने पंत निकली, और वैसे ही नंगा उसके पीछे गया. वाहा वो दीवार से सतत कर लंबी साँसे ले रही थी. मैं गया, और उसको चिपक के वापस चुम्मा-छाती चालू की. अब उसने खुद से अपना हाथ लंड पर रख कर हिलना चालू किया.

मैने सारी के उपर से उसकी छूट मसली. सारी का पल्लू पकड़ मैं सारी खींचने लगा, तो वो बेडरूम जाने लगी. हॉल में सारी फेंक मैं अंदर गया. वो बिस्तर को सतत कर खड़ी थी. मैने उसको बाहों में लिया, और गांद दबोचने लगा. उसका नाडा खोल कर मैं उसकी छूट सहलाने लगा. उसको घुमा के मैने उसका ब्लाउस खोला, और अब वो नंगी खड़ी थी.

वो शर्मा रही थी, और हाथ से छूट च्छूपा रही थी. मैने उसके हाथो में हाथ देकर उसको बाहों में लिया. फिर मैने उसको बिस्तर पर पटका. उसके उपर आके मैं खुद को गरम करने लगा. फिर मैं नीचे आया, और उसकी छूट फैलाई.

आज छूट सॉफ थी उसकी. छूट की गुलाबी पंखुड़िया दिख रही थी. छूट का टोपा भी दिख रहा था. परसो जब मैने देखा था तब झांतो का जंगल था. मैने बोला-

मैं: अर्रे परसो तो इतने मस्त बाल थे, आज इतने ये जंगल कैसे . गया?

वो बोली: मुझे लगा आपको बाल पसंद नही होंगे. आप वो वीडियो जैसे एक-दूं चिकनी छूट पसंद करते होंगे.

मैने बोला: मुझे बालों वाली ज़्यादा पसंद है सरला रानी. यानी के तुम आज मेरा खीरा खाने के मूड से ही आई थी.

सरला: हा साहब, आपने जितना उस दिन प्यार दिखाया, मेरी इतनी सेवा की, मैं आपके प्यार में पद गयी.

मैं बोला: साहब मत बोलो, जानू बोलो. मुझे प्यार करती हो ना?

“अछा मेरे जानू” ऐसे बोल कर उसने मुझे अपने उपर खींच लिया. और फिर वो लंड को हाथ से पकड़ कर छूट में डालने लगी. तो मैं उठ गया, और बोला-

मैं: देखो इतना हसीन बदन मिला है मुझे आज चखने के लिए. तो ऐसे ही नही, ज़रा नुमाइश करने दो इसकी.

मैने उसके पैर फैलाए, और छूट चूमने लगा. वो मुझे डोर करने लगी, और बोली-

सरला: नही साहब, ये क्या कर रहे हो? मैं इधर से मूट-ती है, छातो मत इसको.

वो ऐसे बोलने लगी, पर जब जीभ ने अपना कमाल दिखना चालू किया, तो साहब जानू बन गया. उसकी जांघें करीब आ कर मेरा सिर अंदर डाले जेया रही थी.

सरला: करो ना जानू, हाा, एयाया, उहह, सस्सह, ऐसे ही छातो. और तेज़, हा उधर. सच में कमाल का मज़ा आ रहा है. करो, ऐसे ही करो.

अब मैं उठा और उसको लंड चूसने को बोला. लेकिन वो माना करने लगी. बहुत समझने पर मूह में लेके आयेज-पीछे करने लगी. कुछ फील ही नही हो रहा था, और लंड ठंडा पद गया.

फिर उससे बोला: खीरा समझ के चूसो, स्वाद पर ध्यान मत दो. धीरे-धीरे मज़ा आएगा. कसम से भरोसा रखो.

तो वो चाटने लगी. अब लंड को खड़ा कर दिया उसने. मैं उसके मूह को पकड़ कर छोड़ने लगा.

मैं लंड देर तक डाले जेया रहा था. जब वो खाँसने लगी तभी निकाला. अब उसको लिटा के गांद के नीचे तकिया लगा दिया, और लंड छूट में डाला. छूट टाइट थी. भला हो उस बेवड़े पति का, जिसकी वजह से आज इतना मज़ा आ रहा था. गांद हिला-हिला के वो लंड ले रही थी.

सरला: जानू ऑश, क्या खीरा है तुम्हारा. ऐसा खीरा मिले तो औरतें अपने पति को छ्चोढ़ के नही भाग जाए. आअहह करो, ऐसे ही करो, रूको मत.

वो मुझे उकसा रही थी. ताकि मैं ज़ोर से छोड़ू. लेकिन उससे मैं जल्दी झाड़ जाता. तो मैं उठ कर उसकी छूट में 2 उंगलिया डाल कर अंदर-बाहर करने लगा.

वो बोली: ये क्या कर रहे हो जानू? लंड डालो ना. छोड़ो ना तेज़-तेज़, इससे मज़ा नही आ रहा.

अब मैने तीसरी उंगली डाली, और स्पीड बढ़ा दी. काँप रही थी वो, और गांद उठा-उठा कर उंगलिया अंदर ले रही थी. तोड़ा सा और अंदर जाता तो पूरी मुट्ठी ही उसके छूट में जानी थी. अब वो चरम सीमा पर पहुँची थी.

वो हाथ को पकड़ कर खुद आयेज-पीछे कर रही थी. उसका जोश देख मैने लंड डाला, और धीरे-धीरे पूरा अंदर और बाहर करने लगा. वो गुस्सा हो गयी, और बोली-

सरला: ये क्या कर रहे हो जानू? पूरा मज़ा खराब कर रहे हो. ऐसे ही छोड़ना था, तो मेरा बेवड़ा पति क्या बुरा था?

बस भाई यही बात दिल को लग गयी. उसको अब मेरे लंड का धक्का दिखना था. मैं उसको बिस्तर के कोने पर कुटिया बना कर खड़ा हो कर धक्के मारने लगा. वो गांद पीछे करके मरवा रही थी.

सरला: अया ऐसे, ऐसे ही, आआहह, मस्त क्या मज़ा आ रहा है. छोड़ो, घुसाओ खीरा. निकालो मेरा पानी.

पच-पच की आवाज़े आने लगी थी. अचानक वो पलट कर नीचे पैर फैला कर लेट गयी. फिर वो बोली-

सरला: प्लीज़ जानू ऐसे ही डालो, मैं झड़ने वाली हू. अब रहा नही जेया रहा.

मैने उसको तड़पने का सोचा. मैं लेट गया, और उसको उपर बीतया. वो घोड़ी की तरह उछाल-उछाल कर लंड लेने लगी. अब उसकी गांद पर मेरी जांघें ठप-ठप करके बाज रही थी.

फिर वो झाड़ गयी. जैसे ही उसका गरम पानी लंड को महसूस हुआ, मैं भी अंदर ही झाड़ गया. वो ऐसे ही मेरे उपर पड़ी रही. फिर थोड़ी देर बाद मैने एक बार और छोड़ा उसको. उसके बाद वो घर चली गयी. अब तो हफ्ते में 3 बार तो चुदाई होती ही है.

लगभग 2 महीने हो चुके थे, लेकिन आज भी मैं आने पर पूछता “खीरा खाएगी”, तो वो “हा क्यूँ नही, ज़रूर ख़ौँगी” बोल के अंदर आती. फिर वो दरवाज़ा लगा कर मेरे उपर जंप मार्टी भूखी शेरनी की तरह.

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