ही, कैसे हो दोस्तों? मैं साहिब (32) पुंजब का रहने वाला हू. आज पहली बार कुछ लिखने जेया रहा हू. ये मेरी और मेरी छ्होटी साली ृट्तू के सेक्स की रियल स्टोरी है. अची लगे तो कॉमेंट करके बताना.
मेरी शादी शहर में हुई थी. वाइफ का नाम गीता है जो टीन बहनो में से दूसरे नंबर पर है. बड़ी अनिता और छ्होटी ृट्तू. ये उन दीनो की बात है जब मेरी शादी को अभी कुछ दिन ही हुए थे. ज़िंदगी बहुत रंगीन चल रही थी. मेरी वाइफ बहुत मस्त माल है. फिगर 36-30-34 का, और पूरा फुल मज़ा देती थी.
उधर ृट्तू 19 में ही 32-28-34 की थी. देखने में ऐसी के देख के बुद्धो का भी लंड झटके मारने लगे, बेहद खूबसूरत. हमे अलग रूम दिया गया, यानी की चुदाई का पूरा ख़याल रखा गया ससुराल में भी, और हमने भी बीवी को उसके ही घर में पूरी-पूरी रात छोड़ा.
जब वापस आने लगे, तो ृट्तू बोली: जीजू मुझे भी आपका घर देखने जाना है.
सासू मा बोली: इसे भी ले जाओ, कुछ दिन अपनी दीदी के साथ रह लेगी.
मैने बोला: ठीक है.
गीता ने भी बोला: ले चलते है.
और वो हमारे साथ आ गयी. गाओं में उसे अलग रूम में शिफ्ट कर दिया. हम तो चुदाई के बिना रह ही नही सकते थे. पर कुछ दीनो बाद गीता को पीरियड्स आ गये. एक दिन मैं घर पर ही था, तो ृट्तू बोली-
ृट्तू: जीजू चलो आपके खेत देखने चलते है.
गीता बोली: इसे ले जाओ, मेरी सेहत ठीक नही.
मैने ृट्तू को ट्रॅक्टर पर बिताया और खेतों में ले गया.
कोई 11 बजे का टाइम था, और गर्मी के दिन थे. तो गर्मी में दोपहर को बाहर कोई नही होता. मैने ृट्तू को वाहा कुछ सब्ज़ी और फ्रूट तोड़ के दिए.
वाहा खेतों के बीचो-बीच एक रूम है जिसमे फन और बेड भी है. कभी-कभी रात को पानी देना होता है फसल को, तो वाहा रहते है. अभी एक दिन पहले ही पानी दिया भी था, तो अभी भी नाले में पानी था.
मैने ृट्तू को बोला: मैं अभी आता हू. तुम जाओ अंदर रूम में फन चला के तोड़ा बैठो. फिर चलते है.
फिर मैं तोड़ा काम करने लगा, और ृट्तू रूम की तरफ चल पड़ी. अभी तोड़ा रूम से डोर ही थी की वो पानी वाले नाले में फिसल के गिर गयी. उसने पंजाबी सूट-सलवार पहना था, जो पूरी तरह कीचड़ में लत-पाठ हो गया.
मैं उठा के ले जेया रहा था, और उसकी गांद और बूब्स दबाने का मौका मिल गया. मैने ृट्तू को अंदर बिताया और बोला-
मैं: मैं पानी चला देता हू. तुम तुबेवेल्ल के नीचे होके अपने कपड़े और खुद को सॉफ कर लो. दोपहर का टाइम है, वैसे भी कोई नही आएगा.
वो फिर बोली: ठीक है जीजू, तुम जाओ.
मैं जाने की बजाए पानी चला के गन्ने के खेत में च्छूप गया. ृट्तू बाहर आई और पानी में उतार गयी, और पूरी तरह भीग गयी. मिट्टी तो उतार गयी, पर हुस्न बाहर आ गया. यानी के गर्मी का पतला सूट भीग कर जिस्म से चिपक गया. नीचे पहनी ब्लॅक पनटी और वाइट ब्रा सॉफ दिखने लगी.
मेरे से ये नज़ारा देख के कंट्रोल नही हुआ. फिर मैने लंड बाहर निकाला, और हाथ से ही ृट्तू के नाम का पानी निकाल दिया. तब तक ृट्तू भी पानी से निकल के अंदर चली गयी. कोई 2 मिनिट ही हुए थे. मैने सोचा की अब मैं अंदर जाता हू.
क्या देखता हू की ृट्तू बाहर आई. हाथो में उसका सूट-सलवार था, और खुद ब्रा पनटी पहने हुए थी. फिर उसने अपना सूट सलवार बाहर घास पे डाल दिए, जब तक मैं बाहर आ गया. मेरा लंड दोबारा रोड बन गया.
ृट्तू मुझे देख के भाग के अंदर चली गयी. मैने भी कुर्ता पाजामा पहन रखा था, जो मैने बाहर ही उतार दिया, और सिर्फ़ अंडरवेर में अंदर चला गया. मुझे देख के ृट्तू खुद को च्छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.
ृट्तू: जीजू क्या कर रहे हो? बाहर रूको ना थोड़ी देर. आपने कपड़े क्यूँ उतार लिए?
मैं: ृट्तू क्यूँ च्छूप रही हो? आओ बाहर आओ. तुम ही तो बोलती हो की मेरी आधी घरवाली हो. तो हज़्बेंड से क्या शरमाना.
ृट्तू: जीजू मत करो, मुझे शरम आ रही है.
मैं वापस मुड़ा और दरवाज़ा बंद किया.
ृट्तू: जीजू क्या कर रहे हो? प्लीज़ दरवाज़ा खोलो.
तब तक मैं ृट्तू के पास पहुँच गया. मेरा अब खुद पर भी कंट्रोल नही था. ृट्तू ने मेरी तरफ पीठ कर ली. मैने पनटी से पकड़ के उसको पीछे खींचा, और बाहों में भर लिया. उसने अपने एक हाथ से पनटी और एक से ब्रा पकड़ रखी थी.
जैसे ही मैने अपना हाथ आयेज से उसके बूब्स के नीचे किया, ृट्तू दोनो हाथ से मेरे बाजू को पकड़ के हटाने लगी. इससे मुझे मौका मिल गया. मैने पहले ब्रा की हुक खोली. फिर पीछे से पनटी नीचे खींच दी.
मैने अपनी भी अंडरवेर नीचे की, और पीछे से ृट्तू को चिपक गया. लंड खुद बा खुद गांद की दरार में घुस गया, और मैं उसे कानो के नीचे गले पर चूमने और चाटने लगा. इससे ृट्तू कुछ ढीली पद गयी. मैने पीछे से ृट्तू को उठाया, और बेड पर ले गया.
सिंगल बेड पर वो उल्टी ही लेट गयी, और बूब्स च्छूपा लिए. पर इससे वो पूरी घोड़ी जैसी बन गयी. क्या गोरी मोटी और गोल गांद थी ृट्तू की. मैने पीछे से उसकी छूट पर उंगली फेरी. वो झट से उछाल के सीधी हो गयी.
फिर मैं भी उसके उपर चढ़ गया, और ब्रा निकाल दी. उसने अपने निपल्स हाथो से च्छूपा लिए. मैने भी पहले उसको किस करना शुरू किया गालों पर, गले पर, होंठो पर, और नीचे लंड भी छूट को च्चेड़ रहा था. उसने एक हाथ छूट पर रखा, और उसे धक लिया.
इससे निपल्स आज़ाद हो गये. मैने उंगलियों से निपल्स को खींचा, और घूमने लगा,
और एक हाथ से उसकी छूट से हाथ हटाया और छूट को रगड़ने लगा. उसकी छूट अब गीली हो रही थी. मैं समझ गया की अब उसका भी मॅन चुदाई का था. मैने अपनी मिड्ल फिंगर छूट में डाल दी.
अब ृट्तू ने अपने दोनो हाथ नीचे करके बेड की चादर पकड़ ली. मैने भी निपल्स मूह में लेके खूब चूज़, और बूब्स को हल्का-हल्का काटा भी. फिर मैं उठा, और ृट्तू की टाँगो को खोला, और नीचे बैठ गया.
उसकी छूट पर हल्के-हल्के बाल थे. मैने छूट पर किस की, और चारो तरफ छाता, और फिर छूट के उपर जीभ फेरने लगा. ृट्तू की छूट बिल्कुल सील बंद टाइट छूट थी, जो अब पूरी रसीली हो गयी थी.
मैने चाट-ते हुए जीभ अंदर डाल दी. ृट्तू एक पल के लिए चीख पड़ी. फिर आँखें बंद करके लेट गयी. मैने जीभ अंदर-बाहर की, और उसका जूस निकालने लगा.
अब मैं उठा और ृट्तू की टांगे उपर उठा ली. फिर लंड छूट पर रगड़ा. ृट्तू अब खामोश थी. उसकी खामोशी चुदाई की पर्मिशन थी. मैने लंड छूट के होल पर सेट किया, और एक झटका दिया. आधा लंड अंदर चला गया, और वो चिल्लाने लगी
ृट्तू: हाए जीजू, छ्चोढो मुझे.
उसकी आँखों से आँसू निकल आए. मैने लंड अंदर ही रहने दिया, और झुक के निपल्स चूसने लगा. कुछ देर बूब्स चूसने के बाद जब ृट्तू तोड़ा शांत हुई, तो दूसरा झटका दिया. अब पूरा लंड अंदर चला गया. बहुत टाइट छूट थी, और उसमे से खून निकल रहा था. वो रो रही थी, पर अब मैं रुक नही पा रहा था. मैने अब लगातार अंदर-बाहर करना चालू रखा.
कुछ देर बाद हाए हाए आहह आहह में बदल गयी, और नीचे से गांद भी उछालने लगी. ृट्तू की जवानी और हुस्न इतना कमाल था की एक बार हाथ से करने के बावजूद भी जल्दी पानी निकल गया. मैने भी अंदर ही पानी छ्चोढ़ दिया. ृट्तू का भी जूस पूरा निकल गया. मैं उसके उपर ही लेट गया.
कुछ देर बाद मैं उठा, और अपना लंड और उसकी छूट दोनो सॉफ किए. ृट्तू की सील टूट गयी थी अपने जीजू के लंड से. हम दोनो घर गये तो गीता ने हालत देख के पूछा की क्या हुआ.
तो ृट्तू ने बोला: मैं गिर गयी थी, और मेरी टाँग पर चोट लग गयी.
उसने सब राज़ रखा, और मेरा साथ दिया, और आयेज के लिए रास्ता खुला रखा. मेरी ृट्तू संग चुदाई कैसी रही ज़रूर बताना.