रश्मि के साथ पहली बार सेक्स

मेने रश्मि को हमेशा पार्टीस या किसी शादी के फंक्षन्स में ही देखा था. रश्मि समाज की एक मानी हुई हस्ती थी. कामयाब बिज़्नेस वोमेन होने के अलावा वो सामाजिक कार्यकर्ता भी थी. अक्सर उसके किस्से किसी ना किसी सामाजिक कार्य के लिए चर्चित थे. रश्मि का आकर्षक व्यक्तित्व और उसका सुन्दर बदन किसी भी मर्द को उसकी तरफ आकर्षित कर सकता था.
एक फंक्षन में मुझे उसके बगल में बैठने का मौका मिला. में उससे बात करना चाहता था पर ऐसा हुआ नही, उसे किसी चॅरिटी फंक्षन में जाना था और वो एक अलग सी छाप मेरे जेहन में छोड़ चली गयी.
रश्मि की एक अड्वर्टाइज़िंग कंपनी थी जिसे वो बेचना चाहती थी, और इसी सिलसिले में वो मेरी सेक्रेटरी सीमा से अपायंटमेंट बुक करना चाहती थी. मेरी एड कंपनी अच्छी चल रही थी, और ना मैं कोई कंपनी को खरीदने का इरादा रखता था. जब रश्मि की कंपनी के बारे में मुझे सीमा ने बताया तो मेने उससे पूछा, “क्या तुम पेरसोन्नाली उसके बारे मे कुछ जानती हो?”
“मेरा एक दोस्त उसके लिए काम करता है.” उसने जवाब दिया.
“तुम उसके बारे में कितना जानती हो?” मेने फिर पूछा.
“यही कि उसकी शादी शुदा जिंदगी अच्छी नही है. किसी कारण से उसका तलाक़ होने वाला है. रश्मि एक बहोत ही मेहन्नति और ईमानदार महिला है. अपने वर्कर्स का वो अपने परिवार के सद्स्य जैसा ख़याल रखती है.” सीमा ने जवाब दिया.
“ठीक है में उससे मिलूँगा.”
सीमा ने हंसते हुए कहा, “में जानती थी आप उससे ज़रूर मिलेंगे.”
रश्मि ने मेरे कॅबिन में इस तरह कदम रखा जैसे कि वो कॅबिन उसी का हो. उसका ऑफीस में घुसने का अंदाज़ सॉफ कह रहा था कि वो एक फर्स्ट क्लास बिज़्नेस वोमेन थी. दिखने में वो 5″9 की थी. वो मेरे टेबल की ओर बढ़ी और मुझसे हाथ मिलाया.
मेने भी खड़े हो उससे हाथ मिलाया और अपनी कुर्सी पर झट से बैठ गया. इस तरह की औरतें मुझे काफ़ी गरम कर देती थी और उनसे अपने खड़े लंड को छुपाना मुश्किल हो जाता था.
रश्मि मेरे सामने कुर्सी मेरे सामने बैठ गयी और उसने अपना ब्रीफकेस बगल में रख लिया. रश्मि ने घूटने तक का काले रंग का स्कर्ट पहन रखा था जिससे उसकी आधे से ज़्यादा नंगी टाँगे दिखाई दे रही थी. उसे देखते ही मेरे लंड में सिरहन हुई और वो गर्माने लगा.
“राज मुझे खुशी हुई कि तुमने मुझसे मिलने के लिए वक्त निकाला. मुझे मालूम है तुम अपने बिज़्नेस में काफ़ी कमियाब हो और मेरी कंपनी तुम्हारी कंपनी के मुक़ाबले कुछ भी नही है.” रश्मि मुझे देखते हुए बोली.
“मुझे भी आपसे मिलकर काफ़ी खुशी हुई.” मेने कहा.
“हम बात आगे बढ़ाए उसके पहले में तुम्हे कुछ दिखाना चाहती हूँ.” वो अपना ब्रीफकेस उठाने के लिए थोड़ा नीचे झुकी तो उसकी स्कर्ट थोडा और उपर खिसक गयी जिससे उसकी जाँघो का उपरी हिस्सा नज़र आने लगा.
उसने वापस घूमकर अपना ब्रीफकेस अपनी गोद में रख लिया. उसने ब्रीफकेस खोल कर उसमे सी एक फाइल निकाली और फिर ब्रीफकेस बंद कर उसे अपने पाओ के पास रख दिया. इस दौरान उसने कई बार अपने पाओ पर पाओ चढ़ाए और उतारे जो एक औरत लिए नॉर्मल सी बात है लेकिन रश्मि ने इस तरह से किया कि मुझे उसकी ब्लॅक कलर की पॅंटीस साफ दिखाई दे.
वो खड़ी हो गयी और झुक कर मुझे फाइल दिखाने लगी. मेने तिरछी नज़रों से देखा कि उसके सफेद मम्मे लो कट के ब्लाउस में से साफ झलक रहे थे. उसने एक काले रंग की पारदर्शी ब्रा पहनी हुई थी.
“राज इस डील से तुम्हे पहले ही साल में . 5 लॅक्स का फ़ायदा हो सकता है.” वो और टेबल पे झुकते हुए बोली. पर मेरा ध्यान उसकी बॅलेन्स शीट देखने में कहाँ था. मेरा ध्यान तो उसकी अनबॅलेन्स्ड चुचियों पे अटका था.
मेने देखा कि उसके ब्लाउस के उपरी दो बटन खुले थे. मुझे अच्छी तरह याद है कि जब वो ऑफीस में आई थी तो उसके ब्लाउस के सभी बटन बंद थे. ज़रूर उसने वो बटन जब अपनी ब्रीफकेस में से फाइल निकाल रही थी तब खोले होंगे. मुझे ये औरत काफ़ी खेली खाई और समझदार लगी.
मैं भी इस खेल में उसका साथ देने लगा. उसने मुझे फाइल के एक पन्ने को दिखाते हुई जान बुझ कर अपना पेन ज़मीन पर गिरा दिया. और जब घूम कर वो पेन उठाने के लिए झुकी तो उसकी मस्त चूतड़ ठीक मेरे चेहरे के सामने थे. उसकी मस्त गांद को देख कर मेरे लंड एक दम तन गया. उसने पेन उठाया और फिर टेबल पर झुक गयी.
में भी अपनी कुर्सी को थोड़ा पीछे खिसका ऐसे बैठ गया जिससे उसे मेरा लंड जो पॅंट में तंबू बनाए हुए था साफ दिखाई दे. पर वो एकदम अंजान बने हुए मुझे पेपर्स समझाने लगी.
फाइल के पन्ने पलटते हुए उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया. तब मुझे उसके बदन से आने वाले पर्फ्यूम की महेक आई. महेक तो कमरे में पहले से फैली हुई थी किंतु उसके बदन की सुंदरता मे में इतना खोया हुआ था कि महसूस नही कर पाया.
खुसबु गुलाब की थी या हिना की पता नही पर उसका नज़दीक होना और बदन से उठती खुश्बू मुझे पागल किए दे रही थी. में उसे छूना चाहता था, पर मैं अपने जज्बातों को रोक रहा था. रश्मि मुझे एक एक चीज़ समझा रही थी, और मैं उसके मम्मो की गोलैइओ में खोया उसकी हां में हां मिला रहा था.
मन तो कर रहा था कि उसकी प्यारी गांद पर हाथ फेर दूं, पर बदले में कहीं थप्पड़ ना पड़ जाए सोच कर चुप रह गया. मेने सोचा चलो टाँगो से शुरू करते है. जैसे ही मेने अपनी उंगली धीरे से उसकी टाँगो की छुई, “राज जहाँ तक में समझती हूँ तुम्हारी कंपनी खर्चों के मामले में कुछ ज़्यादा लापरवाह है. हमारी कंपनी एक प्लान के तहत ही खर्चा करती है, ये तुम्हारे काम आएगी. पैसो को पकड़ कर जब्त करना चाहिए ना कि खर्च करना.” वो मेरी ओर देखते हुए बोली.
तब मेने उसके घूटनो को जब्त कर लिया, जब्त नही बल्कि अपनी पूरी हथेली उसके घूटनो पे रख दी. उसे इस बात का अहसास ज़रूर हुआ होगा पर वो फिर अंजान बनते हुए बोली, “राज ये अच्छा समय है, मार्केट में बहोत काम है और तुम अपने सब सपने पूरे कर सकते हो.”
मुझे लगने लगा कि वो भी मुझसे खेल खेल रही है. वो मुझे अपने और कामो के बारे मे बताने लगी और मैं अपना हाथ धीरे धीरे उप्पर बढ़ने लगा. घुटनो से होता हुआ मेरा हाथ अब उसकी जांघों पर था. एरकॉनडिशन चालू होने के बावजूद मुझे गर्मी लगने लगी, मेने अपने बाए हाथ से अपनी टाइ की नाट ढीली की और दूसरे हाथ से उसकी जाँघो को सहलाने लगा. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ और फिर मुझे फाइल दिखाने समझाने लगी.
मेरा हाथ उपर की ओर बढ़ रहा था और वो अंजान बनी मुझे समझा रही थी. मेरा हाथ अब उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्से पे रेंग रहा था. अगर वो इस समय मुझे रोकती तो में नही जानता कि मैं क्या करता पर मेने अपने हाथ को हटाया नही. मेरा हाथ अब इसके आगे नही बढ़ सकता था जब तक कि वो अपनी टाँगो को थोड़ा और फैला मुझे रास्ता दे.
“राज तुम्हारी कंपनी पुराना सॉफ्टवेर यूज़ करती है, हमारी कंपनी के मध्यम से तुम लेटेस्ट टेक्नालजी से काम ले सकोगे. इससे तुम हर लाइन की अन्द्रुनि से अन्द्रुनि जानकारी हासिल कर सकोगे.” ये कहते हुई वो अपने ब्रीफकेस से एक फाइल निकालने के लिए झुकी और इस दौरान अपनी टाँगे थोड़ी फैला दी.
आन्द्रुनि जानकारी हासिल करने के लिए मेरे हाथों को रास्ता मिल चुक्का था. मेने अपना हाथ थोड़ा उपर खिसकाई तो पाया उसकी पॅंटीस पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
“राज हमारी कंपनी के पास एक सॉफ्टवेर है जिससे कंपनी का हर आदमी किसी भी डाटा को चेक कर सकता है. तुम उन डेटा को भी पा सकते हो जो आम इंसान के पाने की हद के बाहर है.” उसने अपनी टाँगो को और फैलाते हुए कहा.
मैं और मेरा हाथ तो किसी और डाटा की तलाश में थे. मेने अपना हाथ उसकी गीली हुई चूत पर पॅंटी के उपर रख दिया. उसकी पूरी पॅंटी गीली थी और मेरी शर्ट भी पसीने में भीग चुकी थी.
वो अब टेबल पे बैठ चुकी थी, “राज हमारे पास में ऐसे वेब सर्वर्स हैं जो हर दिक्कतों को मिटा सकते है. तुम्हारे मुलाज़िम 24 घंटे किसी भी डाटा को पा सकते है.” में उसकी चूत में उंगली किए जा रहा था.
“रूको पहले रास्ते की दिक्कतों को हटाओ?” मेने धीरे से उसकी चूत को दबा दिया. मेने अपनी उंगलियाँ उसकी पॅंटी के एलास्टिक में फँसा उन्हे नीचे खिसकाना शुरू किया.
रश्मि अभी भी शान बने हुए मुझे अपनी कंपनी का हर डाटा समझा रही थी. मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत मे घुसाइ तो मुझे लगा जैसे कि मेने किसी भट्टी में उंगली डाल दी हो. उसकी चूत से पानी बह रहा था. मैं अपनी दो उंगलियों से उसे चोद रहा था पर उस पर इस बात का बिल्कुल भी असर नही था. मेने उसकी पॅंटी उतार कर ज़मीन पर गिरा दी थी.
उसकी खुली हुई चूत मुझे इन्वाइट कर रही थी. मेने अपना हाथ बढ़ा उसके टॉप को खोलना चाहा, “राज तुम्हे हमारी कंपनी से काफ़ी फ़ायदे हो सकते हैं, इससे तुम्हारे बिज़्नेस में काफ़ी तरक्की हो सकती है.” रश्मि मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली.
मैं और ज़ोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा.
उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ पूछा, “अब मेरी कंपनी को खरीदने का और क्या लोगे?”
मेने देखा कि वो इस डील को ख़त्म ही करना चाहती है, और उसके लिए वो कुछ भी पेश कर सकती है अपने आप को भी.
मेने फोन उठाया और इनटरकम पर अपनी सेक्रेटरी सीमा का नंबर दबाया, उम्मीद थी कि वो लंच से वापस आ गयी हो.
“हां राज,”
“सीम क्या तुम हमारे लॉयर के साथ बात कर डॉक्युमेंट्स तय्यार कर सकती हो कि हम म्र्स रश्मि की फर्म को 3 करोड़ में खरीद रहे हैं, एक कन्फर्मेशन लेटर पहले तय्यार कर के ले आओ.”
“अभी लेकर आती हूँ,” सीम अपने काम में काफ़ी होशियार थी.
में रश्मि की स्कर्ट को उपर उठता रहा जब मैं सीमा से बात कर रहा था, अब उसकी जंघे और चूत एक दम नंगी हो चुकी थी. उसकी गुलाबी चूत और झीने झीने भूरे बाल दिखाई दे रहे थे.
रश्मि मेरी ओर देखते हुए बोली, “राज इस डील का तुम्हे मुझे अड्वान्स देना होगा?”
“रश्मि क्या अड्वान्स देना होगा?” मेने पूछा.
“तुम्हे मुझे चोदना होगा. अपना लंड अपनी पॅंट से बाहर निकालो, पिछले एक घंटे से सहन किए जा रही हूँ. जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर मुझे जोरों से चोदो.”
जैसा रश्मि ने कहा था में खड़ा हो कर उसके पीछे आ गया. रश्मि टेबल पर झुक कर घोड़ी बन गयी. मेने अपनी पॅंट और अंडरवेर उतार दी. रश्मि ने अपने टाँगे एकदम फैला दी थी जिससे उसकी चूत का मुँह और खुल गया था.
“तुम मुझे पहले ही इतना गीला कर चुके हो कि तुम्हारा जी चाहे वैसे और ज़ोर से चोद सकते हो.” रश्मि ने मेरी और गर्दन घुमा कर कहा.
मेने अपने लंड को थोड़ी देर उसकी चूत पर रगड़ा और धीरे से अपने सूपदे को अंदर घुसाया. जैसे ही मेरे लंड का सूपड़ा उसकी चूत की दीवारों को चीरते हुए अंदर घुसा उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी,
“ऊऊऊऊहह हााआ ओह राज तुम्हारा लंड कितना बड़ा है. मेने सुना था तुम्हारे लंड के बारे में कि काफ़ी बड़ा है और तुम चुदाई भी अछी करते हो.”
“कहाँ सुना तुमने ये?” मेने अपने लंड को पूरा उसकी चूत में घुसाते हुए कहा.
“राज इस तरह की बातें बहोत जल्दी फैलती है सोसाइटी में. एक औरत से दूसरी औरत तक फिर सड़कों पे. राज सुना है क़ि तुम चोदने मे माहिर हो, औरत को चुदाई का पूरा मज़ा देते हो. और आज तुमसे चुदवा के पता लगा कि जो सुना उससे कहीं बेहतर चोदते हो.” रश्मि ने अपने चुतताड पीछे करते हुए कहा.
में ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत में धक्के मार रहा था. वो भी पूरे जोश में अपने चुतताड पीछे धकेल मेरे धक्के का जवाब दे रही थी, “ओह राज मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से चोदो फाड़ दो मेरी चूत को.”
मैं और ज़ोर से अपने लंड को उसकी चूत की जड़ तक लंड घुसा धक्के मार रहा था. वो मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी. उसकी चूत बहोत टाइट और गरम थी. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. मेने उसके स्कर्ट को एकदम उपर उठा उसके चुतताड को कस के अपने हाथों से पक्कड़ ज़ोर के धक्के मार रहा था.”ऊऊहह हहाा रूको मत चोदते जाओ हााआआं आईसस्स्स्स्ससे हीईीईई ओह राज मेरा छूटने वाला है,” वो ज़ोर के धक्के लगा रही थी, मेने उसके पानी का स्पर्श अपने लंड के चारों तरफ महसूस किया तभी मेरी नज़र दरवाज़े पर खड़ी सीमा पर पड़ी.
सीमा मेरे ऑफीस के बंद दरवाज़े पर खड़ी एक हाथ में रश्मि का लेटर और अपनी स्कर्ट पकड़े हुए थी, और दूसरे हाथ से अपनी खुली चूत में उंगली कर रही थी. रश्मि की नज़र उसपर पड़ी और वो मुस्कुरा दी, समझ गयी कि एक बॉस के कॅबिन में अगर उसकी सेक्रेटरी अपनी चूत में उंगल कर रही है तो कोई मुसीबत नही आने वाली.
सीमा समझ गयी कि मेने उसे देख लिया है वो मुस्कुराते हुए हमारे करीब आई और हम लोगो को चुदाई करते देखने लगी. मेने रश्मि को चोदना चालू रखा था. सीमा हमारे करीब आई और अपने हाथ रश्मि की गांद पर रख बोली, “राज इसकी गांद कितनी सुदार और प्यारी है, है ना!”
सीमा ने अपना एक हाथ रश्मि के खुले टॉप के अंदर डाल उसकी चुचियों को सहलाया और उसके निपल मसल दिए, “और सुंदर चुचियाँ भी है.” मेने कहा.
“राज रश्मि बहोत सुन्दर है, क्या इसकी चूत भी इसकी चुचियों की तरह कसी है?”
“हां बहोत ही टाइट चूत है इसकी.” मेने ज़ोर का धक्का मारते हुए कहा.
“तुम्हे पता है आज मैं खाना खाने कहाँ गयी थी?”
ये क्या चुदाई के बीच में ये खाना का रोना ले के बैठ गयी मैं सोचने लगा, “नही मुझे नही पता.” में थोड़ा उखड़ते हुए बोला.
“मैं आज सेयेज़र्ज़ पॅलेस गयी थी”
में सीमा को सुन रहा था और रश्मि ने अपनी चूत को सिकोड

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लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त मे ले लिया. रश्मि सिसकारियाँ भरते हुए मेरे लंड के पानी को निचोड़ रही थी. उसने एक हाथ बढ़ा कर सीमा के टाँगो पर से रेंगते हुए उसकी चूत पर रख दिया.
“ओह राज देखो तो ये मेरी चूत से खेल रही है. रश्मि ने अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल कर अपने अंगूठे से मेरे चूत के दाने को सहला रही है.”
“तुम मुझे सेआसोर्स पॅलेस के बारे में बता रही थी?’
“गोली मारो सेआसोर्स पॅलेस को इस वक़्त, जब हम इससे निपट लेंगे तब में तुम्हे बताउन्गि.” वो अपनी कमर हिलाते हुए बोली.
रश्मि अपनी उंगलियों से सीमा की चूत को चोद रही थी, सीमा की साँसे भी अब उखाड़ने लगी थी. सीमा ने अपना हाथ बढ़ा रश्मि की चूत पर रख दिया. मेरा लंड रश्मि की चूत में घुसते हुए मेरा लंड सीमा की उंगलियों से टकराता तो एक अजीब ही सनसनी मच जाती. अब वो रश्मि को चूत को सहला रही थी.
“क्या तुम्हे मेरी चूत अच्छी लगी राज?’ उसने ज़ोर से मेरे लंड को भींचते हुए अपना पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया. मेने भी दो तीन धक्के ज़ोर के मार के अपना सारा पानी उसकी चूत में उंड़ेल दिया.
मेने अपना लंड रश्मि की चूत से बाहर निकाला. मेरे लंड से छू कर रश्मि की चूत का पानी ज़मीन पर टपक रहा था. रश्मि भी जब सीधा होना चाही तो सीमा ने उसे रोक दिया. सीम उसके पीछे आ अपनी दो उंगली रश्मि की चूत में घुसा दी. थोड़ी देर अपनी उंगली उसकी चूत में घुमाने के बाद, वीर्य से लिपटी अपनी उंगली उसने रश्मि को चूसने के लिए दी.
रश्मि ने बिना जीझकते हुए अपने मुँह के अंदर तक लेकर उसकी उंगलियों को चूसा और चॅटा. सीमा ने अपनी उंगलियाँ बाहर खींच ली. रश्मि खड़ी हो कर अपने स्कर्ट को सीधा करने लगी. सीमा ने रश्मि की पॅंटी जो ज़मीन पर पड़ी थी, उसे उठा कर सूंघने लगी.
रश्मि की और देख आँख मार कर बोली, “तुम्हारी चूत की खुश्बू सही में बड़ी मतवाली है.” कहकर उसने पॅंटी रश्मि को पकड़ा दी. रश्मि ने पॅंटी पहन अपने कपड़े ठीक कर लिए. रश्मि ने अपनी स्कर्ट और ब्लाउस भी ठीक किया पर अपने ब्लाउस के दो बटन खुले ही रहने दिए.
उसने डील का लेटर उठाया और मेरे सामने रख दिया. मेने साइन करके उसे वो लेटर दे दिया. उसने वो लेटर ले कर अपने ब्रीफकेस में रख उसे बंद किया और खड़ी हो गयी. “थॅंक यू राज. उमीद हमारा रिश्ता आज के बाद और मजबूत होगा.” कहकर वो वहाँ से चली गयी.
“कमाल की औरत है, ऐसी औरतें कम ही देखने को मिलती है.” सीमा मेरी ओर देखते हुए बोली.
“हां तुम सही कह रही हो, इतना आत्मविश्वास किसी में मे कम ही होता है. रश्मि उन औरतों में से है, जो चाहा वो हर हाल में हासिल करती है.” मेने सीमा की बात का जवाब दिया.
“मैं शुरू से ही तुम्हे देख रही थी. जब तुम रश्मि को चोद रहे थे तो मुझ से रहा नही गया, मैं भी इस सुंदर औरत की चूत देखना चाहती थी, इसीलिए चली आई.”
“कोई बात नही, अच्छा तुम सेआसेर्स पॅलेस के बारे में कुछ बता रही थी?” मेने सीमा से पूछा.
“में वहाँ पे टेबल पे बैठी सूप पी रही थी कि तभी एक बहुत ही सुंदर लड़की जिसका नाम चाँदनी था मेरे पास आई और पूछा कि क्या वो वहाँ बैठ सकती है. बड़ी ही अजीब लड़की थी हम लोग बात कर रहे थे और उसी दौरान उसने अपना हाथ मेरी जांघों पर रखा और मेरी चूत से खेलने लगी.”
“फिर क्या हुआ?” मेने पूछा.
“उसने मुझसे लॅडीस वॉश रूम में चलने को कहा, वो इतनी सुंदर थी और साथ ही उसने मेरी चूत को सहला सहला के इतना गरम कर दिया था की में अपने आप को रोक नही पाई और उसके पीछे वॉश रूम में आ गयी.” सीमा अपनी चूत खुजाते हुए बोली, “वहाँ उसने मेरी चूत को इतना कस कस के चूसा और चटा की मेरी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा. मुझे देर हो रही थी इसलिए में उसकी चूत का स्वाद नही चख पाई.”
“उम्म्म काफ़ी दिलचस्प लड़की होगी.”
सीमा वापस अपने कॅबिन में जाने के लिए उठी, “वैसे राज वो फरोज़ और फरोज़ में काम करती है. मेने उसे अपनी कंपनी में काम करने के लिए मना लिया है. वो कल से मेरी असिस्टेंट के रूप में हमें जाय्न कर रही है, तुम चाहो तो सुबह उसका इंटरव्यू ले सकते हो.”
मैं भी उस लड़की की सुंदर चूत और बदन के ख़यालों में खो गया.

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समाप्त



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