ग्रूप सेक्स स्टोरी कंटिन्यूस…
मैं तो अभी भी विश्वास नही कर पा रहा था की ये मेरी बीवी थी. नीमा को मैं कितनी संस्कारी समझ रहा था. मेरे खानदान में किसी ने सोचा भी नही होगा की नीमा ऐसी रंडी होगी. उस दिन मैने अपनी बीवी का असली चेहरा देखा था, और दुख की बात ये भी थी की अब मेरी बेहन भी उसके कदम पर चलने लगी थी.
नीमा ने अब कविता को रंगा के पेट के उपर बिता दिया. रंगा ने कविता के लिप्स को चूसना शुरू कर दिया. कविता भी उसको फुल सपोर्ट कर रही थी. यहाँ नीमा रंगा के लंड को चूस कर गीला कर रही थी. और साथ में कविता की गांद में बहुत सारा थूक लगा रही थी. वो रंगा का लंड चूस्टे हुए कविता की गांद में उंगली डाल कर अंदर-बाहर कर रही थी. कविता मदहोश हो कर मोन कर रही थी, और रंगा उसके बूब्स चूस रहा था.
रंगा को आचे से पता था की औरत से अपनी बात कैसे मानवाते है. मेरी बीवी को उसने अपने कंट्रोल में कर दिया था. और जब उसको मेरी बेहन भी पसंद आ गयी, तब उसने मेरी बीवी को भी माना लिया उसको समझने के लिए. ये बहुत बड़ा रिस्क था, फिर भी मेरी बीवी वो रिस्क उठाने को रेडी हो गयी थी.
तो कुछ तो ऐसी बात होगी की नीमा कभी रंगा को माना नही कर पाती होगी. मुझे तो ये सोच कर दर्र लग रहा था की कहीं रंगा मेरी बीवी को ब्लॅकमेल करके इस्तेमाल तो नही कर रहा था. रंगा एक बदमाश इंसान था. वो किसी भी हड्द तक नीचे गिर सकता था. मेरी आँखों के सामने मेरे घर की औरतें छुड़वा रही थी. पर मैं कुछ कर नही सकता था.
अब नीमा ने रंगा का लंड पकड़ कर कविता की गांद पर सेट किया, और रंगा को लंड घुसने को इशारा किया. रंगा अब धीरे से दबाव बना कर कविता की गांद में लंड घुसने की कोशिश करने लगा. नीमा ने अब उसका लंड पकड़ कर कविता की गांद के च्छेद पर रखा.
थोड़ी कोशिश के बाद उसका टोपा कविता की गांद में चला गया. मैं देख रहा था की कविता दर्द से तिलमिला गयी थी. वो टोपा बाहर निकालने की कोशिश करती, उससे पहले ही नीमा ने दबाव बनाया, और रंगा ने आधे से ज़्यादा लंड गांद में उतार दिया.
कविता दर्द से चीख पड़ी. उसकी आँखें बाहर निकल गयी. कविता का बदन दर्द से काँपने लगा. रंगा कविता को किस करने लगा, और उसकी पीठ को सहला रहा था.
कविता: प्लीज़ आप मेरी गांद को रहने दीजिए. बहुत दर्द हो रहा है. मेरे से सहा नही जाता.
रंगा: बस थोड़ी देर मेरी जान. ये दर्द ख़तम हो जाएगा, और तुम मेरे से एंजाय करने लगोगी.
रंगा ने अब नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए, और कविता की चीखें निकल रही थी. रंगा की पकड़ इतनी मज़बूत थी, की कविता हिल भी नही पा रही थी. बस वो दर्द से चिल्ला रही थी.
नीमा: आप इसकी चीखें बाँध करे, नही तो बच्ची दर्र कर जाग जाएगी.
मुझे तब पता चला की इन लोगों ने मेरी भांजी को दूसरे रूम में सुला दिया था. अब रंगा ने कविता के लिप्स को लिप्स से लॉक कर दिया. अब बस कविता के मूह से उम्म उम्म आवाज़ आ रही थी.
थोड़े टाइम में कविता भी गांद की चुदाई एंजाय करने लगी. वो खुद से रंगा के लंड पर उछाल-उछाल कर गांद मरवा रही थी. कविता ने धीरे-धीरे पूरा लंड गांद में उतार दिया. लंड सूखा पद जाने से कविता को दर्द हो रहा था.
अब नीमा लंड को गांद से निकाल कर चूसने लगी. उसने थूक लगा कर पूरा लंड गीला कर दिया, और बहुत सारा थूक कविता की गांद पर लगाया. जब नीमा ने कविता की गांद को फैलाया, तब मुझे उसकी गांद का होल बड़ा दिखने लगा. रंगा ने मोटे से लंड ने मेरी बेहन की गांद के च्छेद को खोल दिया था.
नीमा ने कविता की गांद के च्छेद को थूक से भर दिया. अब कविता मस्त मगन हो कर अपनी गांद उछाल-उछाल कर मरवा रही थी. नीमा उसकी गांद पर लगातार थप्पड़ मार रही थी.
कविता: श हो भाभी, ये क्या कर रही हो? दर्द होता है.
नीमा (हेस्ट हुए): गांद मरवाने में अब दर्द नही हो रहा. मेरे थप्पड़ से हो रहा है.
कविता: भाभी आप सही कह रही थी. गांद की चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा है.
कविता ने अब सामने से रंगा के लिप्स को चूसना शुरू कर दिया. कविता इतना पॅशनेट किस कर रही थी, मानो वो रंगा के लिप्स को चूस कर खा जाएगी. रंगा भी अब उसके दोनो हाथो से गांद पकड़ कर नीचे से स्पीड से धक्के मारने लगा. कविता खुद से अपने बूब्स मसल कर रंगा के लंड पर उछाल रही थी. जब कविता तक गयी, तब वो नीचे उतार गयी.
कविता के नीचे उतरते ही नीमा रंगा की तरफ बॅक करके उसके लंड पर बैठ गयी. नीमा ने रंगा के लंड पर थूका, और छूट में लंड उतार दिया. नीमा को देख कर ऐसा लगा की वो कब से रंगा के लंड के लिए वेट कर रही थी.
कविता: भाभी आप से तो तोड़ा भी सबर नही हो रहा. चूड़ने के लिए कितने उतावले हो रहे हो.
नीमा: तुम दोनो की चुदाई देख कर मेरे से रहा नही गया.
नीमा अब रंगा के लंड पर उछाल-उछाल कर चुड रही थी. कविता नीमा की छूट मसल रही थी, जिससे नीमा की चूड़ने की उत्तेजना बढ़ रही थी. कविता अब उसकी छूट मसालते हुए नीमा के बूब्स चूस रही थी. नीमा इतनी हॉर्नी हो गयी की वो कविता के बाल खींच कर स्मूच करने लगी.
दोनो भाभी ननंद बहुत पॅशनेट किस कर रहे थे. बीच-बीच में कविता अपने हाथो पर थूक लेकर नीमा की छूट को मसल रही थी.
नीमा: कविता मैने सोचा नही था तुम भी मेरी तरह चुदाई की शौकीन निकलोगी.
कविता: भाभी शौंक तो पहले से थे. बस पुर करने वाले अब जेया कर मिले है.
मैं तो ये सुन कर ही डांग रह गया, की मेरी बेहन भी चुदाई की शौकीन थी. अब नीमा रंगा के लंड पर से उतार गयी, और अब दोनो एक साथ उसका लंड चूस रही थी. सेयेल रंगा की किस्मत पर जेलासी हो रही थी. मेरी बेहन और बीवी उसका लंड ऐसे चूस रही थी, मानो ये दुनिया का आखरी लंड हो.
कविता भी कुछ कम नही थी. वो जीभ निकाल कर रंगा का लंड उसके टॅटन तक छत रही थी. नीमा लंड चूस रही थी, तो कविता बॉल्स चूस रही थी.
रंगा: वाह… मेरी रंडियों, क्या मज़ा दे रही हो. कविता तुम तो मेरी उम्मीद से भी बड़ी रंडी निकली.
कविता: मुझे तो आप दोनो ने मिल कर रंडी बना दिया. मैने आज तक पति के अलावा किसी के साथ सेक्स नही किया था.
नीमा: मैने भी कहाँ किया था. इन्होने तो मुझे रंडी की तरह इस्तेमाल किया है.
रंगा: साली बदले में तुमने भी बहुत कुछ लिया है.
अब रंगा खड़ा हो गया और कविता को सुला कर उसकी छूट में लंड घुसा दिया. रंगा के हर धक्के पर कविता के बूब्स हिल रहे थे. उसने कविता की दोनो टाँगें कंधे पर लेकर उसकी रफ चुदाई करना शुरू कर दिया. अबकी बार कविता मस्त मोन करते हुए छुड़वा रही थी.
कविता: ऐसे ही छोड़ो मुझे. आप मुझे ऐसे छोड़ोगे तो मैं आपकी रंडी बनने को तैयार हू.
रंगा: रंडी तो तुम्हे अपनी भाभी से भी बड़ी बनौँगा. तेरी भाभी ने लोगों से छुड़वा कर बहुत कुछ हासिल किया है. अब तो तेरी भी तरक्की होने वाली है.
मैं ये सब सुन कर होश खो बैठा की मेरी बीवी और भी लोगों से चूड़ी थी. अब रंगा ने कविता को घोड़ी बनाया, और पीछे से उसको छोड़ने लगा. नीमा भी खड़ी हो कर रंगा को किस कर रही थी, और उसको नीमा की छूट और आचे से छोड़ने के लिए बोल रही थी. रंगा और नीमा एक-दूसरे के सामने देख कर मुस्कुरा रहे थे. अब रंगा की छोड़ने की स्पीड बढ़ गयी, और एक-दूं से उसने छूट से लंड बाहर निकाल दिया. फिर उसका सारा स्पर्म कविता की गांद पर निकाल दिया.
नीमा ने जो किया वो देख कर मेरी उसके लिए कोई रेस्पेक्ट नही बची. नीमा ने कविता की गांद के उपर से रंगा का स्पर्म चाट लिया. मुझे उस समय मेरी बीवी किसी बाज़ारु रंडी से कम नही लग रही थी. उपर से कविता ने भी रंगा का लंड चूस कर साफ किया. अब दोनो भाभी ननंद एक-दूसरे को किस करने लगे. रंगा बेड पर सोते हुए दोनो को देख रहा था.
रंगा: सही में आज बहुत मज़ा आया. नीमा थॅंक योउ सो मच. तुमने कविता को भी हमारे साथ शामिल कर लिया.
मेरी बीवी और बेहन मुस्कुराते हुए रंगा की बाहों में लिपट गयी. वो सब जो बातें कर रहे थे, वो सुन कर मेरा दिमाग़ बंद हो गया.
नीमा: कविता तुम्हे पता है रंगा जी तुम्हे कब से पसंद कर रहे है?
कविता: नही भाभी.
नीमा: तुम यहाँ पिछले साल आई थी, तब हम तुम्हारे भैया के साथ उनके ऑफीस के एक फंक्षन में गये थे. उस दिन इन्होने तुम्हे देखा था. तब से ये तुम्हे छोड़ना चाहते थे. ये हर बार मेरी चुदाई के बाद तुमको याद करते. मुझे कहते की मैं तुम्हे माना लू.
कविता: भाभी आपने पहले बोला होता तो मैं इतने टाइम तक ऐसा मज़ा करने से डोर नही रहती ना.
रंगा: क्या बात है जानेमन. मैं तुम्हे इतना पसंद आ गया?
कविता: सच काहु तो आपने जो मेरी चुदाई की है, वो मैं ज़िंदगी भर नही भूलूंगी. इस चुदाई के दौरान मैं कितनी बार झड़ी हू, मुझे याद नही है.
रंगा: कविता मैं चाहता हू की तुम भी अपनी भाभी की तरह बहुत तरक्की करो. क्या तुम चाहती हो तुम्हारे घर में वो सब चीज़ हो जो तुम्हे पसंद हो?
कविता: आप ये क्या कह रहे हो? मुझे कुछ समझ नही आ रहा.
रंगा: नीमा अब तुम्ही इसको आचे से समझा सकती हो.
नीमा: कविता मैने ये बात आज तक किसी को नही बताई, लेकिन मैं तुम्हे बता रही हू. तुम भी ये बात किसी से नही कहना. रंगा जी ने मेरी बहुत हेल्प की है. मेरे पापा की ज़मीन वहाँ के कुछ बदमाशो ने छ्चीनने की कोशिश की थी. तब इन्होने हमारी बहुत मदद की थी. तुम्हारे भैया का प्रमोशन भी इन्होने दिलाया. पहले हम छ्होटे से क्वॉर्टर में रहते थे. इनकी मदद से हमे ये बड़ा क्वॉर्टर मिला.
रंगा (मुस्कुराते हुए): हा लेकिन अपनी ननंद को समझा की उसके लिए तुम्हे क्या-क्या करना पड़ा.
नीमा: कविता ये सब पाने के लिए मुझे कुछ बड़े लोगों से सेक्स करना पड़ा. जिसमे कुछ पॉलिटीशियन और कुछ बड़े औहदे के अधिकारी थे.
मैं ये सब सुन कर पागल हो गया. मैं समझ रहा था की ये सब मेरी मेहनत का नतीजा था. पर मेरी तरक्की के लिए मेरी बीवी ने कितने लोगों से चुडवाया था.
कविता: लेकिन भाभी आपको ये सब करने की क्या ज़रूरत थी?हम ऐसे भी खुश रहते ना?
नीमा: कविता तेरे भैया एक बार करप्षन के केस में फासने वाले थे. ये तो रंगा जी थे जिन्होने उनको बिना बताए हेल्प की. और मैं आज तक वो एहसान चुका रही हू.
रंगा: वाह मेरी रंडी, तुम मेरे पर एहसान कर रही हो. इतना पैसा और अपने माइके वालो के नाम पर प्रॉपर्टी लिया उसका क्या.
नीमा (हेस्ट हुए): हा तो फ़ायदा हम सब लोगों का हुआ है. आपने भी अपने फ़ायदे के लिए मुझे कितने पॉलिटिशियन्स और पोलीस वालो से चुडवाया है. (मेरा तो ये सुन कर दिमाग़ चकराने लगा). कविता तुम्हे भी कहती हू, अगर तुम्हे अपने सपने पुर करने है, तो हमारी बात मानो.
कविता: भैया के पास तो सरकारी नौकरी है. आपके नंदोई तो इतने सालों से ट्राइ कर रहे है. उनका तो नंबर ही नही लग रहा.
रंगा: वो सब मेरे उपर छ्चोढो, बस तुम एक बार अपनी भाभी की तरह बन जाओ. फिर देखो तुम्हारे पास क्या कुछ नही होता.
मुझे लगा कविता इनकी बातों में नही आएगी और उसको अपनी ग़लती पर एहसास होगा. पर कविता ने कहा: ठीक है, अब आप लोग इतना कह रहे हो तो मैं तैयार हू.
रंगा: ठीक है, कल तुम तैयार रहना. म्ला के फार्महाउस पर जाना है.
कविता: लेकिन किसी को पता चल गया तो हमारी कितनी बदनामी होगी.
रंगा: तुम्हारी भाभी इतने सालों से छुड़वा रही है. किसी को पता चला क्या? और वो सब बड़े लोग है. उन्हे भी अपनी इज़्ज़त की पड़ी होती है.
कविता: पर मेरी बच्ची?
नीमा: वो मैं संभाल लूँगी और तुम्हारे भैया को बोल दूँगी, की तुम अपनी दोस्त के यहाँ गयी हो.
कविता: ठीक है भाभी.
रंगा अब खड़ा हो कर अपने कपड़े पहन रहा था. मैं धीरे से नीचे उतार गया, और सीडी जहाँ से लाया था वहाँ रख दी, ताकि इन लोगो को पता ना चले. मैं वहाँ से सीधा एक गार्डेन में चला गया. उस दिन मैं बहुत डिप्रेशन में रहा. दूसरे दिन मैं ऑफीस नही गया, और हमारे क्वॉर्टर के बाहर नज़र रखने लगा. थोड़ी देर बाद रंगा कार लेकर आया और मेरी बेहन तैयार हो कर घर से निकली.
उस दिन कविता ने ब्लॅक सारी पहना था, और मेकप भी किया हुआ था. वो बहुत सेक्सी लग रही थी. वो रंगा के साथ उसकी कार में चली गयी. कुछ एक साल बाद मेरे बहनोई को सरकारी नौकरी मिल गयी. पता नही उसके लिए मेरी बेहन को कितने लोगों से छुड़वाना पड़ा होगा. लेकिन हम जीजा सला की तरक्की से हमारे परिवार वाले बहुत खुश थे. ये तो सिर्फ़ मैं जानता था की उसके लिए मेरी बीवी और बेहन रंडी बन कर छुड़वा रही थी.
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