रंडी बेटी चुदी अपने पापा के मोटे लंड से

ही फ्रेंड्स, मैं टिया आप सब की दोस्त अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आई हू. जिन लोगों ने इस कहानी का पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो जाके पिछला पार्ट ज़रूर पढ़े. तभी आप कहानी का मज़ा ले पाएँगे.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मेरे बीमार होने पर पापा ने मेरा ख़याल रखा. फिर बातरूम जाते हुए मेरा सस्यू निकल गया, जिसको पापा ने सॉफ करा. उनके ऐसा करने से मैं गरम हो गयी, और अब मैं उनसे चूड़ना चाहती थी. अब आयेज बढ़ते है.

मैं अपने बेड पर लेती पापा को और उनके खड़े लंड को देख रही थी. फिर मैने पापा से चूड़ने का आइडिया सोचा. मैं फिर जान-बूझ कर काँपने लगी, और ऐसी आवाज़े करने लगी जैसे मुझे बहुत ठंड लग रही हो.

जब पापा ने मेरी आवाज़ सुनी, और मुझे काँपते हुए देखा, तो उन्होने पूछा-

पापा: तुम ठीक हो टिया.

मैं: पापा ठंड लग रही है.

पापा: ब्लंकेट लेलो.

मैं: पापा फिर भी ठंड लग रही है.

फिर पापा उठे, और मेरे बेड पर आके बैठ कर मेरा फीवर चेक करने लगे. मैने पापा का हाथ पकड़ लिया, और सोने का नाटक करने लगी. जब वो उठने लगे, तो मैने पापा से कहा-

मैं: पापा यही सो जाओ ना.

पापा मुझे माना नही कर पाए, और मेरे साथ ही मेरे पीछे लेट गये. अब हम दोनो एक ही ब्लंकेट में थे. मुझे पापा के जिस्म की गर्मी महसूस हो रही थी. कुछ मिनिट बाद मैने अड्जस्ट होने का ड्रामा करते हुए अपनी गांद पीछे की तरफ कर ली.

इससे मेरी गांद पापा के लंड पर टच होने लगी. मुझे अपनी गांद पर पापा का लंड महसूस हो रहा था, और वो अभी भी खड़ा था. तभी पापा तोड़ा पीछे हो गये. उन्हे लगा होगा की मैं नींद में पीछे हुई थी.

लेकिन मैं और पीछे हो गयी. उनका लंड फिरसे मेरी गांद पर टच होने लगा. पापा अब और पीछे नही हो सकते थे, क्यूंकी पीछे दीवार थी. मैने जान-बूझ कर अपनी गांद थोड़ी हिलनी शुरू कर दी. इससे पापा का लून और सख़्त हो गया.

फिर मैने खुलजी करने के बहाने पीछे की तरफ हाथ किया, और जान-बूझ कर हाथ पापा के लंड पर रख दिया. जैसे ही मेरा हाथ पापा के लंड पर पड़ा, तो मैने उसको दबा दिया. इससे पापा की आ निकल गयी.

फिर मैं पीछे की तरफ घूम गयी और बोली: पापा ये क्या है. आपका मुझे देख कर खड़ा हुआ है.

पापा: नही बेटी ऐसा कुछ नही है. रात के टाइम अक्सर बाय्स के साथ ऐसा होता है, और उनका खड़ा रहता है.

मैं: चलिए मैं फिर इसको शांत कर देती हू.

मेरी इस बात को पापा जब तक समझ पाते उससे पहले मैने एक साथ पापा का पाजामा और अंडरवेर नीचे किए, और पापा के सख़्त लंड को मूह में डाल लिया.

तभी पापा बोले: टिया ये क्या कर रही हो?

मैं: पापा आपका लंड शांत कर रही हू.

पापा: ये ग़लत है.

मैं: खड़ा लंड ग़लत सही नही देखता पापा.

ये सुन कर पापा चुप हो गये. मैं उनके लंड को अपने मूह के अंदर-बाहर कर रही थी, और उन्हे कामुक स्माइल दे रही थी. उन्होने फिर अपनी आँखें बंद कर ली, और लंड चुसाई का मज़ा लेने लगे.

तकरीबन 5 मिनिट बाद पापा ने आँखें खोली, और मेरे बाल पकड़ कर मेरे मूह में धक्के देने लगे. वो मुझे चोक कर रहे थे, जिससे मेरे मूह से बहुत सारी थूक निकल रही थी. पापा का लंड एक-दूं गीला हो चुका था.

फिर उन्होने मेरे मूह से अपना लंड निकाला, और मुझे बेड पर लिटा कर मेरे उपर आ गये. वो मेरे फेस के करीब आए, और अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिए. अब हम दोनो इनटेन्स किस कर रहे थे.

पापा ने साथ-साथ मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए. इससे मैं और उत्तेजित हो गयी. मैं हाथ नीचे करके उनका लंड सहला रही थी. फिर पापा ने मेरे उपर के कपड़े उतार दिए, और मेरे निपल्स चूसने लग गये.

जब एक मर्द आपके निपल्स चूस्टा है, तो आपको स्वर्ग का मज़ा आता है. वही मज़ा मुझे भी आ रहा था. कुछ देर मेरे निपल्स चूसने के बाद वो नीचे गये, और मेरी शॉर्ट्स उतार दी. अब मैं अपने बाप के सामने सिर्फ़ पनटी में थी.

उन्होने मेरी जांघें चूमि, और फिर मेरी पनटी उतार दी. अब मेरी छूट एक बार फिरसे उनकी आँखों के सामने थी. उन्होने अपना मूह मेरी छूट पर लगाया, और छूट चाटनी शुरू कर दी. मुझे इतना मज़ा आ रहा था इस सब से, की मैं आपको क्या बतौ.

मैने पापा के सर पर अपना हाथ रखा, और अपनी गांद उपर उठा-उठा कर उनसे छूट चुसवाने लग गयी. पापा अब मेरी छूट में उंगली भी करने लगे. वो मेरी छूट के दाने को अपनी दो उंगलियों में लेके मसालने लगे. इससे मेरी तेज़-तेज़ सिसकारियाँ निकालने लग गयी.

कुछ देर पापा ऐसे ही करते रहे, और मैं उनके मूह में ही झाड़ गयी. वो मेरा सारा पानी पी गये. फिर वो मेरी जांघों के बीच आए, और अपने लंड को मेरी छूट पर रगड़ने लग गये. मैं तो पहले से ही उनका लंड अपनी छूट में लेने को उतावली थी. मैं उनकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी.

तभी पापा ने एक ज़ोर का झटका मारा, जिससे उनका आधा लंड मेरी गीली छूट में चला गया. मेरे मूह से दर्द भारी चीख निकालने लगी, लेकिन पापा ने मेरे मूह पर हाथ रख कर मूह बंद कर दिया. अब मेरे मूह से ह्म ह्म की आवाज़े निकलती रही, और पापा ने धक्के मार कर पूरा लंड छूट में डाल दिया.

जब पूरा लंड अंदर चला गया, तो पापा कमर हिला कर लंड अंदर-बाहर करने लगे. फिर जब लंड मेरी छूट में अड्जस्ट हो गया, और मेरा दर्द कम हो गया, तब पापा ने अपना हाथ मेरे मूह से हटता लिया.

पापा ने अपने होंठ मेरे होंठो से चिपकाए, और किस करते हुए मुझे छोड़ने लग गये. बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने अपनी टांगे पापा की कमर पर लपेट ली थी, और उनको अपनी तरफ खींच रही थी. पापा भी पुर मज़े से अपनी इस बेटी को छोड़ रहे थे. हम दोनो पसीने से भीग चुके थे, और दोनो की आहों से कमरा गूँज रहा था.

15 मिनिट की चुदाई के बाद पापा ने अपना लंड बाहर निकाला छूट से और साथ ही लंड की पिचकारी मेरी छूट पर निकल गयी. फिर वो साइड होके लेट गये. हम दोनो की साँसे तेज़ थी, और कोई कुछ नही बोल रहा था.

दोस्तों अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करे. कहानी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.

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