राखी का‌ दिन बहन की नीलामी की तारीख

फिर मैं और स्वेता अंदर जाते है। एक बड़ा रूम होता है, और एक सोफे पर एक आंटी लगभग 44-45 साल की बैठी होती है। उसके आस-पास 6-7 बॉडीगार्ड होते है, और 3 लड़कियां होती है।

मीरा दी: अरे आओ स्वेता, कैसी हो?

स्वेता: अच्छी हूं दी, आप कैसे हो?

मीरा दी: मैं भी अच्छी हूं। आओ बैठो।

मैं और स्वेता बगल वाले सोफे पर बैठते है।

मीरा दी: बताओ क्या बात है स्वेता? कोई काम है?

स्वेता: हां दी काम है‌। (मेरी तरफ इशारा करती है) इसकी बहन प्रिया सिंह है। उसकी नीलामी करवानी है। तो आपको बताने आयी हूं।

मीरा दी: अच्छा तेरी बहन है। तेरा नाम क्या है?

मैं: जी दीदी मेरी बड़ी बहन है। मेरा नाम रोहन है।

मीरा दी: कोई फोटो लाया है अपनी बहन की?

मैं: हां दी।

मैं अपनी मोबाइल में दी की कई सारी पिक्स दिखाता हूं।

मीरा दी: वाह मॉल तो अच्छी है।

फिर वो अपने आस-पास जो लोग होते है उनको भी दिखाती है। वो सब बोलते है हां दी मॉल तो सोना है बिल्कुल, बहुत पैसे कमाएगी। साइज इसकी बहुत मस्त है। और साथ में जो तीनों लड़कियां होती है, वो सब भी बहुत तारीफ करती है

स्वेता: हां दी मॉल तो सोना है। इसका गदराया हुआ जिस्म मलाई है। कस्टमर लोग चाटते रह जायेंगे।

मीरा दी: ठीक है बताओ कब नीलामी होगी?

मैं: इसके बारे में सोचा भी नहीं कब डेट रखनी है (मैं स्वेता से धीरे से बोला: कब डेट रखूं बताओ?)

स्वेता: जब तुम्हे अच्छा लगे उस दिन रख लो डेट।

मैं: रक्षाबंधन के दिन रख दूं?

स्वेता (मुस्कुरा कर बोली): अरे हां यॉर, ये तो बहुत अच्छा दिन है। सही है, अच्छा गिफ्ट दोगे। प्रिया ख़ुश हो जाएगी।

मीरा: अरे क्या तुम लोग काना-फूसी कर रहे हो? डेट बताओ।

मैं: दी रक्षाबंधन के दिन 2 बजे से।

मीरा: अच्छा ठीक है।

फिर हम वहां कुछ बात-चीत करते है,‌ और फिर वहां से निकल जाते है दूसरे कोठे के मालिक के पास। लगभग 5 घंटे का रास्ता तय करने के बाद वहां पहुंचे।

मैं: यॉर स्वेता तुम तो बहुत दूर लेकर आ गयी।

स्वेता: हां रोहन दूर तो है। लेकिन ये कोठा बहुत बड़ा है। यहां कई कोठे के मालिक भी होंगे। यहां पर विदेशो से लड़कियां आती है, और यहां से विदेश भेजी जाती है।‌ और यहां आये है तो फिर और कही जाने की जरूरत नहीं है। यहां कई कोठे के मालिक आते है लड़कियां खरीदने। यहां उन लोगों से मिल कर तुम्हारी बहन के लिए भी बात हो जाएगी‌‌।

मैं: अच्छा तब तो ठीक है।

जब वहां पहुंचे, बहुत बड़ा एरिया था उसका। जगह-जगह पर उनके लोग खड़े थे। कुछ लोगों के हाथ में गन भी थी। बहुत भीड़ भी थी। एक से बढ़ कर एक लड़कियां और कस्टमर की लाइन लगी थी। बहुत सारी विदेशी लड़कियां भी थी।

कुछ अंदर जाने के बाद रास्ता बिल्कुल सकरा था। मैं गाड़ी को साइड लगा दिया। हम दोनों उतर गए। फिर पैदल जाने लगे। कुछ आगे जाने के बाद 5-6 लोग गन लेकर घेर लिए और पूछने लगे- अंदर कहां जा रहे हो? तुम लोग कौन हो?

स्वेता: मैं स्वेता हूं, मुझे जावेद जी से मिलना है।

बॉडीगार्ड: उनसे क्यूं मिलना है?

स्वेता: तुम बस इतना उनसे बोल दो स्वेता आपसे मिलना चाहती है।

बॉडीगार्ड: उसमें से एक ने दूसरे को इशारा किया तुम जाओ, और उसमे से एक वहां से अंदर गया।

बाकी सब हम लोगों को घेर कर खड़े थे।

लगभग 10 मिनट के बाद वो आया और बोला: हां जाने दो इन लोगों को

फिर वो सब हमारी चेकिंग करके अंदर जाने दिए।‌ जब मैं अंदर गया तो देखा हर जगह बॉडीगार्ड खड़े थे। कुछ दूर जाने के बाद एक बड़ा सा बंगला था। उसमें हम लोग गए। वहां कई लोग बैठे हुए थे, उनके बॉडीगार्ड भी थे।

स्वेता: देखो रोहन यहां बहुत सारे कोठे के मालिक है। ये सब यहां से लड़कियां खरीदने आते है, और बेचते भी है।

मैं: हां यॉर स्वेता, ये बहुत बड़ा है। यहां तो बहुत लोग है। यहां धंधा भी बहुत जम कर हो रहा है। पुलिस वाले नहीं आते क्या?

स्वेता (हंसते हुए): पुलिस, उन सब की औकात भी नहीं है यहां आकर बंद करा दे। पुलिस को लोग मार देंगे। पुलिस वाले डरते है यहां आने से। और जावेद कोई मामूली इंसान नहीं नहीं है जो इतना बड़ा काम कर रहा है।

मैं: वो तो है यॉर।

फिर हम अंदर गए। बीच में जावेद एक बड़ी चेयर पर बैठे थे। उनके बगल में दो गनर थे, और अपनी गोद में एक लड़की को बिठाये थे। उनके सामने दोनों तरफ कोठे के मालिक लोग बैठे थे। उनके भी बॉडीगार्ड साथ में थे। सब यही लड़कियों और धंधे की बात कर रहे थे।

जावेद ज़ब स्वेता को देखा: क्या बात है स्वेता, बहुत दिन बाद हमारी याद आयी?

स्वेता जावेद जी के पास जाकर उनको गले लगाई। बाकी लोग देख रहे थे।

जावेद‌ सबको बताते है: ये स्वेता है। एक टाइम मेरी सबसे पसंदीदा रखैल थी।

स्वेता मुस्कुराती है।‌

बाकी लोग तारीफ करते है: वाह, जावेद की काफ़ी अच्छी पसंद है। आपकी मॉल तो बहुत मस्त है ये स्वेता।

जावेद: मेरी पसंद ही ऐसी है, तभी तो मेरा धंधा सबसे अच्छा चलता है। मेरे यहां सबसे अच्छी मॉल मिलती है। हां स्वेता बताओ कैसे आना हुआ?

स्वेता‌ (मेरी तरफ इशारा करके बोलती है): जावेद जी ये रोहन है। इनकी बहन प्रिया की नीलामी करनी है। वहीं बताने आयी हूं।

जावेद: स्वेता अभी तो हमारे यहां लड़कियों की कमी नहीं है।

स्वेता: जावेद जी ऐसी लड़की आपको शायद ही मिले। आप अच्छा मौका गवा रहे है। आपको एक बार उसको जरूर देखना चाहिए।

जावेद: अच्छा ऐसी बात? ठीक है दिखाओ। मैं भी तो देखूं कैसी मॉल है।

स्वेता मेरी तरफ इशारा करती है। मैं उनके पास गया, और मोबइल में दी की पिक्स दिखाने लगा। जावेद मेरी बहन की पिक्स ज़ूम कर-कर देखने लगे।

जावेद: वाह यार स्वेता, इसको देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया मॉल तो बहुत शानदार है। क्या मॉल है। बड़ी-बड़ी चूचियां, वैसी ही बड़ी गांड, इसकी आंखे होंठ, वाह यॉर बताओ कब नीलामी होंगी?

मैं: रक्षाबंधन के दिन।

जावेद: ठीक है।

बाकी कोठे के मालिक: अरे जावेद जी हमको भी तो दिखाओ कैसी मॉल है। वो उन लोगों मेरा मोबाइल दे दिया। वो सब इकठ्ठे होकर मेरी बहन को देखने लगे।

“वाह यॉर, ये तो सोने के अंडे देने वाली मुर्गी है। बहुत पैसा कमाएगी बिस्तर पर”।

तो कोई बोल रहा है, “ये साली जिसके कोठे पर जाएगी, पैसे की ढेर लगा देगी। ये कोठे की शान बनेगी”

बहुत तारीफ हुई मेरी बहन की।

जावेद जी: आप अब इसे देख लिए। इसकी नीलामी होंगी रक्षाबंधन के दिन। सभी लोग आएंगे।

एक कोठे का मालिक: इसके लिए बुलाने की जरूरत नहीं। हम खुद जायेंगे इसको खरीदेंगे।

तो दूसरा बोला: तू क्या लेगा इसको। मैं दो गुना रेट में खरीदूंगा इसको।

सब आपस में ही कम्पिटीशन करने लगे मैं खरीदूंगा मैं खरीदूंगा।

मुझे भी अपनी बहन की तारीफ सुन कर बहुत अच्छा लगा।

इससे आगे क्या हुआ आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। आप लोगों को मेरी की स्टोरी कैसी लगी आप लोग जरूर बताइयेगा। अगर किसी को हिंदी स्टोरी लिखवानी है या हिंदी कॉन्टेक्ट की जरूरत है, तो

मुझे मैंल्स करे



धन्यवाद।

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