प्यासी औरत की ताबड़तोड़ चुदाई कहानी

जब वो मेरे लंड को मूह में लेके चूस रही थी, तो उसके मूह से सिसकियाँ भी निकल रही थी. जो मुझे मदहोश कर रही थी.

दीपाली: उम्म्म उम्म्म उहह ह्म्‍म्म्म एम्म्म ऑश.

अब आयेज से-

मेरा लंड उसके मूह जाके और कड़क हो रहा था. लंड उसके मूह में अब 6 इंच तक जेया रहा था. दीपाली आँखें बंद करके बड़े मज़े से धीरे-धीरे मेरे लोड को चूस रही थी. मैने हल्की सिसकी लेते हुए बोला-

मैं: उहह बेबी. आप क्या मस्त तरीके से चूस रही हो. आपका पहली बार है, लेकिन एक-दूं प्रोफेशनल तरीके से मूह में लोड्‍ा ले रही हो.

दीपाली शर्मा गयी उसने धीरे से मेरे पैर पर मारा. वो मुस्कुराते हुए लंड चूसने लगी. लंड उसके थूक से पूरा गीला हो चुका था.

मैं: चूस मेरी जान. आह श बेबी क्या मज़ा आ रहा है. लोवे योउ मेरी बुलबुल.

दीपिका: स्लॉप स्लॉप स्लॉप उम्म्म उम्म्म.

15 मिनिट तक उसने लंड खूब मज़े से चूसा. दीपिका के होंठो पर मैने लंड से हल्के से मारा. वो आँखें बंद करके उम्म्म करने लगी. फिर मैने कहा-

मैं: चलो मेरी जान. अब तेरी चूत की गर्मी शांत करता हू. बताओ कॉंडम से करू या बिना कॉंडम के?

वो धीरे से बोली: कॉंडम से करो. आप मुझे प्रेग्नेंट कर दोगे. प्लीज़ धीरे-धीरे करना. आपका ये बहुत हार्ड है.

मैं: हा मेरे रानी. तुझे प्यार से लंड का मज़ा दूँगा. तू ज़्ीडा चिल्लाना मत वरना तेरा ये बेटा अपनी मम्मी का ऑपरेशन होते हुए देख लेगा.

ये बात सुन के दीपिका हासणे लगी और बोली-

दीपिका: आप ना सच में बहुत बदमाश हो.

मैं: मेरी ये बदमाशी तुम्हे भा गयी ना?

उसने स्माइल देते हुए हा में सिर हिलाया. अब मैने उसे बेड पर सीधा लिटाया, और मैं उसकी छूट के पास लंड लेके आ गया. अब मैने उसकी सॉफ्ट टाँगों को दोनो हाथो से पकड़ा, और उसके बूब्स पर दबा दिया. मैने कहा-

मैं: मेरी जान, अब तुझे इंजेक्षन लगेगा.

वो शरमाने लगी, और अपनी आँखें बंद करते हुए बोली-

दीपाली: प्लीज़ आराम से करना.

मैं: हा मेरे जान.

अब मैने अपने लंड पर चॉक्लेट मानफ़ोर्से कॉंडम लगाया. और लंड को छूट के दाने पर रगड़ने लगा. गरम लोड के छूटे ही दीपाली सिसक गयी. उससे गुदगुदी और बदन में सेक्स की गर्मी बढ़ने लगी.

अब मैने लोड को छूट के सावले च्छेद पर रखा. तो उसने अपनी आँख को कस्स के बंद कर लिया. उसे पता चल गया की अब लोड्‍ा छूट में जाने वाला था.

मैं भी अब उसकी टांगे पकड़ के उसके होंठो की तरफ झुका. लंड का एक धीमा झटका उसकी छूट में मारा, तो छूट गीली होने की वजह से लोड्‍ा एक बार आधा अंदर घुस गया. दोस्तों सच में दीपाली की गरम और नाज़ुक छूट काफ़ी टाइट थी. लंड के अंदर जाते हुए उसे दर्द हुआ.

दीपाली: ह मा ऑश प्लीज़ धीरे करो. ऑश आह उहह मा मॅर गयी.

मैं उसके होंठो को दबा के चूसने लगा. दीपाली की आँखों से हल्के-हल्के आँसू निकालने लगे. मैं उसके आँसू को पीने लगा. ज़ुबान से उसकी आँखों को चाटने लगा था.

अभी मैने लंड को छूट में ही दबा रखा था. 5 मिनिट तक उसके चेहरे को चूमा और छाता. जिससे अब उसे दर्द कम हुआ, और वो भी मुझे चूमने लगी थी.

तभी मैने एक और ज़ोर का झटका दिया, तो लंड एक बार में छूट के अंदर घुस गया. पूरा 7 इंच का गरम कड़क लंड दीपाली की छ्होटे से च्छेद वाली छूट में दबा दिया था. इससे उससे और दर्द होने लगा था. मैने उसके होंठ और बूब्स को चूसना शुरू किया.

दीपाली: आह उहह मा मार दिया. प्लीज़ बाहर निकाल लो ना. दर्द हो रहा है.

मैं: मेरी जान. प्यार में तोड़ा दर्द तो सहना पड़ेगा ना. आपकी छूट ही इतनी टाइट है. शायद अआप्के पति ने आपको ढंग से कभी छोड़ा ही नही.

दीपाली: ह्म ष्ह हा बाबा. इसलिए आपके पास आई हू. लेकिन आपने तो आज मेरी सील पूरी तोड़ दी. प्लीज़ आप अब धीरे से करोगे. मुझे बहुत दर्द हो रहा है.

मैं: मैं अभी तेरा सारा दर्द डोर करता हू.

मैं अब उसके होंठ, गाल, गले को चूमने लगा. और साथ में बूब्स को दबाते हुए चूसने लगा. कभी बूब्स तो कभी उसके अंडरआर्म्स को चाट लेता. 10 मिनिट तक उसको चूमने के बाद उसका दर्द कम हुआ. वो भी अब गरम होते हुए मुझे चूम रही थी.

दीपाली: उम्म्म उहह श बहुत आचे हो आप. प्लीज़ मुझसे हर बार मिलने आना.

मैं: मेरे रानी. तू जब भी बुलाएगी मैं तेरे पास चला अवँगा. मैं तेरे सारी शरम डोर कर दूँगा.

वो हेस्ट हुए अपना मूह मेरे चेस्ट में च्छुपाने लगी. दीपाली की छूट में अब मैं धीरे-धीरे झटके देने लगा. वो बस आँख बंद करके उहह आह ऑश करे जेया रही थी.

उसके फेस को देख अब लगने लगा था की उसे अब चुदाई में मज़ा आ रहा है. मैं भी प्यार से उसके होंठो को चूमते हुए छूट में लंड अंदर-बाहर करने लगा.

दीपाली: उम्म्म आह हा उहह मा उहह उफफफ्फ़ ऑश.

मैं अब लगातार उसके बूब्स चूस्टे हुए लंड अंदर-बाहर किए जेया रहा था. उसका भी अब दर्द कम हुआ, और चुदाई में मज़ा आने लगा. उसका बेटा तो चुप-छाप टीवी देखने में बिज़ी था.

इधर मैं उसकी मा का इलाज कर रहा था. दीपाली बेड पर आँख बंद करके गरम चुदाई का मज़ा ले रही थी. जब भी लंड छूट अंदर तक जाता, तो उसके मूह से ष्ह उहह निकल जाता.

मैं: मेरे बुलबुल. क्या मस्त टाइट छूट है तेरे. लंड को पूरा अंदर लेके छूट पकड़ रही है. तेरी छूट तो काफ़ी गरम हो रही है.

दीपाली धीरे से बिना आँख खोले बोली: उम्म्म ष्ह आपका भी तो बहुत टाइट है. मुझे अंदर तक महसूस हो रहा है.

मैं: बेबी, बता ना मज़ा तो आ रहा है?

दीपाली: हा आप बहुत आचे से करते हो सब कुछ. मुझे आपके साथ बहुत अछा लग रहा है. ऐसे ही करते रहो.

मैं उसकी छूट में लगातार धीमे झटके दिए जेया रहा था. छूट से तोड़ा-तोड़ा पानी भी निकल रहा था. लंड को पूरा चिकना बना दिया. लंड छूट में अब पुर मज़े से चुदाई कर रहा था. छूट का च्छेद लंड के साइज़ के हिसाब बढ़ गया.

मैं इसी पोज़िशन में उसे 20 मिनिट तक छोड़ता रहा. अब मैने सोचा पोज़िशन बदली जाए. इसलिए मैने अब उसे अपने उपर आने को कहा. तो वो शरमाते हुए मान गयी. अब मैं उसके नीचे सो रहा था. दीपाली को लंड के उपर बिताया, और लंड उसकी छूट में घुसने लगा. अब मैं नीचे से गांद उठा कर छोड़ने लगा. दीपाली को दोनो हाथो से कस्स कर पकड़ लिया.

उसका पूरा बदन अपने से चिपका लिया, और मैं नीचे से उसकी छूट छोड़ने लगा. मैने अब अपनी स्पीड थोड़ी तेज़ की. मेरे हर धक्के पर दीपाली का पूरा बदन हिल जाता था, और उसकी गरम आग लगाने वाली सिसकियाँ भी निकालने लगती थी.

दीपाली: आह आह उहह मा हा हा श इसस्स.

मैं: आह ऑश मेरी जान. मज़ा आ रहा है ना? देख तेरी छूट अब पूरा लोड्‍ा ले रही है.

दीपाली: हा बाबा बहुत मज़ा आ रहा है. प्लीज़ अब रूको मत, करते रहो ना.

मैं उसे अब और तेज़ झटके के साथ छोड़ने लगा था. दीपाली की गोरी गांद को मसल-मसल को झटके दिए जेया रहा था. वो अब थोड़े ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी.

दीपाली: आह आह उहह ऑश मा हा हा तोड़ा और ज़ोर से बेबी.

5 मिनिट बाद उसका बदन अचानक अकड़ने लगा था. मुझे पता था की वो अब झड़ने वाली है. इसलिए मैं बिना रुके छूट में धक्के देने लगा. लंड और छूट की टक्कर से फॅट-फॅट फॅट-फॅट की आवाज़ आने लगी.

फिर एक-दूं से दीपाली मुझसे कस्स के चिपक गयी, और मैने भी उससे कस्स के अपनी चेस्ट से लगा लिया. दीपाली के बदन से उसके पसीने की खुश्बू आने लगी.

दीपाली ने एक ज़ोर की आह के साथ छूट से अपना वीर्या निकाल दिया, जो लंड पर लगे कॉंडम से चिपकते हुए छूट से बाहर निकालने लगा. मैं अब भी धक्के दिए जेया रहा था. दीपाली तो मेरे उपर बस पड़ी रही, जो कर रहा था मैं ही कर रहा था.

उसके मूह से हल्की सिसकियाँ निकल रही थी. वो तो आँखें बंद करके दुनिया से बेफिकर होके मुझसे चिपक गयी. मैं गांद को पकड़ कर छूट में लंड अंदर तक घुसने लगा.

मैं: ह श मेरी जान. बस थोड़ी देर और, फिर मेरा भी निकल जाएगा.

दीपाली: ऑश श अम्म्म आह मुझे आपने तो तका दिया है. आज सच बोलू तो मुझे आपके साथ बहुत मज़ा आया है.

दीपाली: आज जाके सेक्स करने में मज़ा आया है.

मैं: मेरी जान, तूने तो कुछ किया नही. सब कुछ मैने ही किया है.

दीपाली: हा इसलिए तो बाबा. आपके साथ बहुत मज़ा आया है. क्यूंकी आपको कैसे क्या करना है, सब कुछ पता है.

मैं: डार्लिंग अब तू तोड़ा सा दर्द से लेना. अब मैं स्पीड बढ़ा रहा हू. मेरा भी निकालने वाला है अब.

दीपाली: हा ठीक है. लेकिन ज़्यादा तेज़ मत करना. मुझे वापस घर भी जाना है.

मैं अब उसके होंठो को मूह में लेके चूसने लगा, और गांद को कस्स के पकड़ कर नीचे से अपनी कमर उठा कर छोड़ने लगा. इस बार मैं फुल स्पीड में लंड अंदर-बाहर करने लगा था. दीपाली के मूह से आवाज़ निकाल रही थी. उसकी सिसकियाँ मेरे मूह में दबी हुई थी.

दीपाली: उम्म्म उम्म्म स्लॉप स्लॉप.

छूट में लंड एक बार में ही अंदर जाता, और लंड को टोपे तक बाहर निकलता. फिर वापस एक झटके में लंड छूट में दबा देता था. ऐसा ही बिना रुके लंड के झटके देने लगा, जिससे उसका पूरा बदन हिलने लगा था. शायद अब तो हमारी चुदाई की आवाज़ उसके बेटे ने भी सुन ली थी. लेकिन उसे लगा होगा मम्मी का इलाज चल रहा है. दीपाली के दबे मूह से दर्द की सिसकियाँ निकल रही थी.

फिर मैने उसके होंठो को फ्री किया, और लगातार छूट को लंड से पीते जेया रहा था. इससे दीपाली मस्त दर्द भारी सिसकियाँ निकालने लगी.

दीपाली: ष्ह उहह बाबा. धीरे करो ना, आज छूट में बहुत दर्द हो रहा है. तोड़ा धीरे करो, मेरा बेटा सुन लेगा ना.

मैं: बस बेबी 2 मिनिट और, मेरा होने वाला है.

वो फिर चुप हो गयी. इधर मैं शॉट पे शॉट मारे जेया रहा था. फॅट फॅट फॅट फॅट फॅट की आवाज़े छूट और लंड के टकराने से आ रही थी. बेड भी हल्का-हल्का हिलने लगा था. मैं अब झड़ने वाला था. 5 मिनिट तक दीपाली की छूट का भोंसड़ा बनाया. फिर मैने कहा-

मैं: ह श उम्म्म. मैं झड़ने वाला हू बेबी. ये ले, और ले, तुझे लंड की प्यास थी ना? और ले मेरा लंड.

दीपाली भी आह आह उहह किए जेया रही थी. दोनो को पसीना आ रहा था. मैने आखरी के 5 से 6 ज़ोरदार धक्के दिए. जिसमे उसका बदन पूरा मुझसे उपर चला जाता था. आखरी धक्के के साथ मैं झाड़ गया.

मैने अपना लंड उसकी छूट में दबाए ही रखा था. लंड की पिचकारी कॉंडम के अंदर गिरी थी. लेकिन मेरे वीर्या की गर्मी उसकी छूट को हो रही थी. वो मुझसे बोली-

दीपाली: रोहित आपने तो आज एक ही बार में तका दिया. आपका गरम वीर्या मुझे अंदर तक महसूस हो रहा है. आज अगर अपने कॉंडम नही पहना होता, तो आप मुझे प्रेग्नेंट कर देते.

मैं: मेरे जान. तुम ये बताओ तुम्हे मज़ा आया नही? तुम्हारी छूट की आग शांत हुई या नही?

दीपाली: आपने इतनी दर्द के साथ मेरे साथ सेक्स किया है. तो मुझे शांति मिलनी ही थी.

मैं: दूसरा रौंद शुरू करे या नही?

दीपाली: रूको यार. आप तो थकते ही नही हो. मेरा बदन दर्द हो रहा है. अभी तोड़ा ब्रेकफास्ट तो करने दो. मेरे बेटे को भी खाना खिलाना है.

फिर हमने थोड़े कपड़े पहने और उसने खाना ऑर्डर करवाया. हम तीनो ने साथ में खाना खाया. दोस्तों उस दिन दीपाली और मैने 3 रौंद चुदाई के किए. दीपाली मेरी चुदाई से बहुत खुश थी, और आज उसका बदन काफ़ी दर्द हो रहा था.

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