पुरानी स्कूल टीचर की प्यास बुझाई

मेरा नाम विराट है. मेरी उमर 19 साल है. मैं रोज़ जिम जाता हू. मेरी बॉडी किसी फिल्मी हीरो से कम नही है. रोज़ जिम जाने की वजह से उपर की बॉडी तो कमाल की है. पर नीचे मेरी लेग्स और गांद भी उभरी हुई है. कोई भी पलट कर एक बार ज़रूर देखता है.

मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है, और ना ही मुझे कुवारि छूट में कोई इंटेरेस्ट है. मुझे पहले से ही अढेढ़ उमर की महिलाओ में ज़्यादा इंटेरेस्ट है. मैं अपने छ्होटे भाई को स्कूल छ्चोढने जाता हू. वही पर काई माल-माल टीचर्स आती है. उन्ही को देखता हू.

उन्ही में से एक टीचर है डेपटि माँ, जो हर बार मुझे देखती है. कभी मैं भी उनसे पढ़ा था. पता करने पर पता चला की उनकी शादी तो हो गयी थी, पर उनका पति महीने दो महीने बाहर ही रहता था. और शायद इसीलिए उनकी छूट लंड के लिए तरसती होगी. उनकी नज़रों में मुझे हवस सॉफ दिखाई देती थी.

कुछ वक़्त देखने के बाद मैने उनसे बात करनी शुरू की. कुछ हफ्तों में ही हमारी अची दोस्ती हो गयी. एक सुबा जब मैं अपने भाई को छ्चोढने स्कूल गया, तो उसके बाद माँ ने मुझे कहा की उन्होने आज छुट्टी ली थी, तो मैं उनके साथ उनके घर चालू.

मैं सब समझ गया. मैने मौके का फ़ायदा उठाया. उन्होने अपने घर छाई-नाश्ता करवाया, और आजू-बाजू की बातें की. मैने मौका देखते ही उनके बूब्स पर हाथ रखा. मेरी गांद फटत रही थी की ये कैसे रिक्ट करेगी? पर माँ ने सीधा मेरी शर्ट को पकड़ा, और मेरे करीब आई.

उनका ये रिक्षन देख कर मुझे जोश आया. लंड में तनाव आया. मैने अपने दोनो हाथो से उनकी दोनो चुचियों को मसलना शुरू किया. उन्होने सिसकारियाँ भरना शुरू किया.

मुझे मज़ा आने लगा. मैने हल्के हाथो से उनकी सारी उठाई, और उनके जांघों पर हाथ घूमना शुरू किया. इस हरकत से वो और उत्तेजित होने लगी. ऐसे आके मुझे चिपक गयी, जैसे मैं उनका पति हू. और बिना कुछ कहे ही उन्होने मुझे अपने शरीर को सौंप दिया.

मैने उनको चूमना शुरू किया. पहले गर्दन और फोर्हेड पर किस किया. फिर मौका देख कर उनके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए. उसके बाद मैने सीधा उनकी सारी उतरी, और ब्लाउस को फाड़ने लगा. उनको ब्रा में देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. क्यूंकी ब्रा के उपर से भी उनकी दोनो चुचियाँ बहुत मोटी और भारी हुई थी.

मैं खड़ा हो गया. अपनी शर्ट और बनियान उतार फेंकी. पंत भी उतार दी और चड्डी में खड़ा हो गया. मैने फिर उनका पेटिकोट उतरा, और अब वो सिर्फ़ ब्रा और पनटी में थी. मैं किसी जानवर की तरह उन पर झपटा.

उनकी ब्रा फाड़ दी, और दोनो चुचियों को मसला, खूब दबाया, और चूसना शुरू किया. माँ भी मेरी चुसाई का मज़ा ले रही थी. कुछ देर बाद उनकी पनटी पर हाथ गया तो जाना की वो तो पूरी गीली हो चुकी थी.

मैने उनकी पनटी उतरी और सीधा छूट चाटने में लग गया. उनकी हल्की बर मेरे चेहरे पर लग रही थी, तो कभी उनकी बर मेरे मूह में जेया रही थी. पर मैं तो मस्त चुदाई का टेस्ट लेने में लगा था.

और यहा माँ भी मेरा सिर पकड़ कर अपनी छूट में घुसने के लिए धक्के दे रही थी. मुझे छूट चाटने में बहुत मज़ा आता है. कुछ ही देर में मैं माँ के सामने खड़ा हो गया, और अपनी चड्डी उतार दी. माँ ने झट से मेरे लंड को पकड़ा, और सहलाने लगी.

मैने भी उनके मूह को पकड़ा और मेरे लंड से ही उनके चेहरे पर दो-चार थप्पड़ जड़ दिए. फिर उनके मूह में अपना लंड एक झटके में डाल दिया. पहले तो माँ ने खुद ही चूसना शुरू किया और चूसा. पर मुझे मज़ा नही आ रहा था, तो मैने उनके सिर को पकड़ कर स्पीड बधाई और हर शॉट में मैं अपना पूरा लंड उनके गले तक पहुँचता. मूह चुदाई का अलग ही मज़ा है.

कुछ देर बाद मैं रुक गया. फिर उनको टेबल पर बिताया. उनके पैरों को फैलाया और अपना लंड सेट किया. थोड़ी दिक्कतों के बाद मेरा लंड उनकी छूट में था. लगता है माँ के पति ने भी खूब मज़ा उठाया था माँ की छूट का. मुझे ज़्यादा दिक्कत नही हुई. मैने भी उनको दे दाना दान पेलना शुरू किया. माँ भी कभी हिन्दी में तो कभी इंग्लीश में चीखने चिल्लाने लगी.

माँ: ओह, धीरे करो ना, श एस फक मे हार्ड, हार्डर बेबी. ओह मा मार दोगे क्या?

मुझे भी उनके रोने से और उनके चीखने से और ज़्यादा उत्तेजना मिलती. मैने भी स्पीड बधाई, और चुदाई जारी रखी. माँ भी अपने पैर फैलाए मुझसे छुड़वा रही थी. कुछ 15-20 मिनिट बाद मैं उनके पेट पर झाड़ गया. उन्होने मुझे गले लगाया और मैं भी उनके नंगे जिस्म को, सॉफ्ट जिस्म को, चू कर मज़े ले रहा था.

उस दिन तो एक रौंद पेल कर मैं चला गया. पर अब हर हफ्ते माँ को किसी ना किसी बहाने से मिलता और पेलने लगता. माँ भी मेरे लंड की प्यास बुझती. कुछ दीनो बाद उनके पति वापस आए, तो हमारी चुदाई कम हो गयी. एक रात खिड़की से झाँक कर देखा तो माँ अपने पति से डॉगी स्टाइल में छुड़वा रही थी.

ये देख कर मेरी गांद जल गयी. पर मैने भी तान लिया की मैं भी खूब चुदाई करूँगा. उसी स्कूल के दो और टीचर्स को मैने अपने लंड का स्वाद चखाया. और तो और मेरे मनचले भाई ने भी थ्रीसम का मज़ा लिया. इससे आयेज की कहानी किसी और दिन बतौँगा. अगर आपको ये कहानी पसंद आई तो मुझे जवानिकजोश@आउटलुक.कॉम पर ज़रूर बताए.

और क्या आप मेरे भाई की कहानी पढ़ना चाहेंगे तो ज़रूर बताए. मैने जब अपना थ्रीसम किया तब मेरे भाई ने देख लिया. फिर उसके लंड की हवस को शांत करने के लिए मुझे उसे भी थ्रीसम का मज़ा दिलवाना पड़ा. जिस टीचर को वो पसंद करता, वो चाहता था की उसी टीचर को नंगा पेले. आख़िर भाई की मदद करनी पड़ी.

साथ ही हम दोनो ने भी मिल कर जाम कर चुदाई की है. हमारी साथ में मस्ती की कहानी जाननी हो तो बताए.

यह कहानी भी पड़े  रंडी मा और बहन के सच की चुदाई सेक्स स्टोरी

error: Content is protected !!