हेलो दोस्तों, मेरा नाम विकास है, और मैं महाराष्ट्रा से हू. तो इस स्टोरी में आप जाँएंगे, की कैसे मैने अपनी दादी को सिड्यूस करके उनकी छूट को छोड़ा.
मेरे घर में मैं, मों और दाद रहते है. मेरी आगे 20 साल है. मेरी दादी की आगे 58 है. लेकिन फिर भी वो किसी 40 साल की औरत से कम नही दिखती. उसका रंग गोरा है, और उसके बूब्स बहुत ही बड़े है. गाइस ये मेरी पहली स्टोरी है, इसलिए कुछ कम-ज़्यादा हो तो माफ़ करना. तो चलो स्टोरी शोरू करते है.
ये बात तब की है, जब गर्मियों की चुट्टिया चालू हुई थी, और मेरी दादी गाओं से हमारे घर घूमने आई थी. मैं बहुत ही खुश था, क्यूंकी मैं अपनी दादी से 3 साल से नही मिला था, और वो भी बहुत खुश थी मुझसे मिल कर.
दादी और मैं हम दोनो साथ में बहुत ज़्यादा वक्त बिताते थे. लेकिन इसी बीच जब मैने उन्हे पीछे से गले लगाया, तो मुझे कुछ अलग ही फील हुआ, और मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया.
उनकी गांद बहुत ही मुलायम थी, इसलिए मेरा लंड सीधा उनकी गांद में घुस गया. और ये उन्हे भी फील हुआ. तब से मुझे उनको छोड़ने की तलब लग गयी. लेकिन मुझे नही पता था की दादी को भी मेरा लंड अछा लगा.
हम दोनो मेरे रूम में साथ में ही सोते है. तो जैसे ही डिन्नर हुआ, दादी और मैं मेरे रूम में उपर आ गये. मम्मी और पापा का रूम नीचे था.
रात के 11 बाज चुके थे, और मुझे नींद नही आ रही थी, तो मैने साइड में देखा की दादी भी जागी हुई थी. तब मैने उनसे पूछा-
मे: दादी आपको नींद नही आ रहै है क्या?
दादी: नही बेटा, तेरे दादा जी की याद आ रही है.
फिर मैने उनको गले लगा लिया, और धीरे से उनके बूब्स में हाथ फेरने लगा. और दादी भी कुछ नही बोली. फिर थोड़ी देर बात करने के बाद उन्होने मुझसे पूछा-
दादी: तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मे: नही, नही है ना दादी.
दादी: तू इतना बड़ा हो गया है. तुझे लड़की की ज़रूरत नही पड़ती क्या?
मे: पड़ती तो है, लेकिन कोई मिल नही रही. आपको भी तो किसी की ज़रूरत पड़ती होगी ना?
इस बात से वो गुस्सा हो गयी, और मुझे डाँटने लगी.
मे: दादी सॉरी, मेरा वो मतलब नही था.
दादी: तो क्या मतलब था तेरा?
मे: दादी सॉरी ना.
लेकिन वो नही मानी और सोने लगी. फिर कुछ देर बाद जब मैं नीचे किचन पानी लेने आया, तो देखा की मों और दाद के रूम की लाइट ओं थी. मैने वाहा जाके देखा तो मुझे मों की आवाज़े आ रही थी
मों: और ज़ोर से छोड़ो. और ज़ोर से आह.
पापा: तोड़ा आराम से, कोई उठ जाएगा.
मों: कोई नही उठेगा. तुम बस छोड़ते रहो. आहह श उम्म. और ज़ोर लगा मदारचोड़.
वो सब मैं खिड़की से देख रहा था, और इतने में मेरा लंड भी खड़ा हो गया. तो मैने वही पे मूठ मारी, और अपने रूम में वापस आ गया. वापस आके देखा तो मेरी दादी सोई हुई थी. तो मैं साइड में जाके सो गया.
कुछ देर बाद मुझे कुछ फील हो रहा था. मेरी दादी का 1 हाथ मेरी शॉर्ट्स के अंदर था, और वो मेरा लंड हिला रही थी. मैं तोड़ा हिला तो वो दर्र गयी, और अपना हाथ हटा लिया.
लेकिन मेरा लंड अब पूरा तंन चुका था. और मुझे भी उसको छोड़ना था. फिर मैने भी धीरे-धीरे अपना हाथ उनके बूब्स में फेरना शुरू किया. भाई उसके बूब्स इतने मुलायम थे, की मुझसे रहा नही गया.
फिर मैने उनके बूब्स ज़ोर-ज़ोर से दबाने शुरू किए, तो वो उठ गयी और मुझे बोलने लगी-
दादी: ये तू क्या कर रहा है?
मे: वही जो आपको चाहिए.
दादी: मतलब?
मे: मुझे पता है, आपने भी काई सालों से सेक्स नही किया है. इसलिए आपको भी लंड की तलब है.
दादी: नही, ऐसा कुछ नही है.
मे: ऐसा कुछ नही है तो फिर आप मेरा लंड क्यू हिला रही थी?
दादी: वो, ऐसे ही.
मे: दादी मुझसे मत शरमाओ. मुझे भी आप बहुत अची लगती हो.
इतना कहते ही मैं उनके होंठो को चूमने लगता हू. लेकिन दादी मेरा साथ नही दे रही थी.
दादी: ये सब ग्लात है.
मे: इसमे कुछ भी ग़लत नही है. हम दोनो तो बस एक-दूसरे की मदद कर रहे है.
मैं फिरसे उन्हे चूमना शुरू करता हू, और इस बार वो भी मेरा साथ देती है. मैं फिर उनके बूब्स दबाना शुरू करता हू. अब वो मोन करती है.
दादी: आह, धीरे दबा, मैं कही नही जेया रही हू आह.
मे: साली इतने बड़े-बड़े बूब्स लेके बैठी है, और बोलती है धीरे दबा.
दादी: आह, आराम से, दर्द हो रहा है.
फिर मैं उसकी पनटी के उपर से ही उसकी छूट चाट-ता हू. उसकी पनटी पूरी गीली हो चुकी थी. और फिर मैने उसकी पनटी फाड़ दी, और अपना मूह सेआधा उसकी छूट के अंदर डाल दिया. वो और ज़ोर से मोन कर रही थी.
दादी: आह, ऐसे ही और अंदर जेया श. आ, बहुत मज़ा आ रहा है. ऐसे ही चाट बेटा.
फिर कुछ देर बाद वो मेरे मूह में झाड़ गयी, और मैने उसका सारा पानी पी लिया. फिर उसने मेरा लंड बाहर निकाला, और हिलने लगी.
मे: ऐसे ही हिला, और अंदर ले पूरा गले तक.
मेरा लंड काफ़ी बड़ा होने के कारण वो पूरा नही ले पा रही थी. तो मैने उसके बाल पकड़े, और उसके मूह को छोड़ने लगा. उसका पूरा गला चोक हो गया था. फिर 15 मिनिट मेरा लंड लेने के बाद मैं उसके मूह में झाड़ गया.
अब बारी थी जन्नत की, मतलब उसकी छूट छोड़ने की. मैने उसको बेड में लिटाया, और उसकी छूट में लंड सेट करने लगा. जैसे ही मेरा आधा लंड उसके छूट में घुसा, वो फड़फदा गयी. क्यूंकी उसने काफ़ी सालों से सेक्स नही किया था, तो उसको दर्द हो रहा था.
दादी: बाहर निकाल इसको, बहुत दर्द हो रहा है, आह.
लेकिन मैं कहा उसकी सुनने वाला था.
मे: दर्द होगा, तभी तो मज़ा आएगा ना.
दादी: ह, ऑश मॅर जौंगी बाहर निकाल.
लेकिन मैने और स्पीड बधाई और उसको छोड़ने लगा. कुछ देर बाद वो भी मज़े लेने लग गयी.
दादी: और तेज़, और अंदर डाल.
ऐसे लग रहा था मानो कोई भूखी शेरनी हो. पुर कमरे में उसकी मोनिंग की आवाज़े और पच-पच की आवाज़े आ रही थी. कुछ देर बाद फिर हमने पोज़िशन चेंज की.
अब वो मेरे उपर थी, और खुद ही अपनी गांद हिला के मेरा लंड अपनी छूट में ले रही थी.
दादी: आह मदारचोड़, और ज़ोर लगा भोंसड़ी के.
मे: बेहन की लोदी, ज़ोर से ही तो छोड़ रहा हू. और कैसे छोड़ू?
ऐसे ही 30 मिनिट तक छोड़ने के बाद, वो झाड़ गयी, और मैं भी झड़ने वाला था, तो मैने उसको बोला-
मे: सीधी हो.
और मैने उसके मूह में अपनी धार छ्चोढ़ दी. और फिर हम दोनो ने एक-दूसरे को किस किए, और सो गये.
उम्मीद करता हू की आप लोगों को ये स्टोरी पसंद आई होगी. और कुछ ग़लती हुई होगी तो मुझे छ्होटा भाई समझ के माफ़ कर देना.
धन्यवाद.