पोलीस वाले ने पकड़ा और होटेल में चुदाई की

ही दोस्तों, मेरा नाम नीलम है, और ये मेरी सेक्स कहानी है. मैं अभी शादी-शुदा हू. पर आज भी अपने पति के अलावा बहुत लंड लेती हू. तो दोस्तों चलते है कहानी पर.

ये कहानी है मेरे कॉलेज डेज़ की. तभी मैं बस 19 साल की हुई थी, और मेरे उपर सेक्स का भूत चढ़ा हुआ था. मेरी साथ की सारी सहेलियाँ 19 साल के पहले ही अपने ब्फ से, तो कोई अपने भाई से ही चुड गयी थी.

मुझे भी चुदाई का बहुत मॅन होता था, तो मैने कॉलेज में एक लड़के को पत्ता लिया, जिसका नाम था समीर. समीर बहुत ही सीधा-सादा लड़का था. पर दिखने में हॅंडसम था. हमारी बहुत बार लीप किस और रोमॅन्स हुआ था. पर हमने कभी सेक्स नही किया था.

एक दिन हमने प्लान बनाया की हम कॉलेज बंक करेंगे, और कही घूमने जाएँगे. फिर हम दोनो एक सॅटर्डे के दिन कॉलेज बंक करके शहर के बाहर वाले जंगल में चले गये. वहाँ अक्सर कोई आता-जाता नही था. तो हम वहीं चले गये.

कुछ वक़्त गुज़रने के बाद समीर तोड़ा नॉटी हो गया, और मुझे किस करने के लिए पास खींचता, तो कभी मेरे बूब्स दबा देता. तभी हमने देखा की वहाँ पास में ही एक खंदार था.

समीर मुझे वहाँ ले गया, ये कह कर की वहाँ चलते है कोई देखेगा नही. पर हमे कहाँ पता था वहाँ कोई आ सकता था.

वहाँ जाते ही समीर भूखे शेर की तरह मेरे उपर टूट पड़ा. वो मुझे यहाँ-वहाँ चूमने लगा, और मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरे बूब्स को दबा रहा था, नोच रहा था.

उसकी इस हरकत से मेरी आहें निकालने लगी. मैं आह आह अम्म्म समीर आराम से, समीर अम्म अम्म ऐसे ही करते जेया रही थी. तभी समीर ने मेरी स्कर्ट भी नीचे गिरा दी, और मुझे नीचे से नंगा कर दिया.

वो मेरी छूट में उंगली डाल कर छूट रगड़ने लगा. मैं बस ह ह उम्म्म उम्म्म समीर आह, ऐसे ही सिसकारियाँ ले रही थी. इतने में समीर नीचे बैठ गया, और मेरी पनटी को खिसका कर मेरी छूट में अपनी टंग डाल दी. फिर वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी छूट को चाटने लगा.

मैं उसका मूह छूट में दबाते हुए अम्म्म अम्म्म अहह ह समीर बेबी ऐसे ही अहह, मज़ा आ रहा है समीर उम्म्म्म उम्म्म ऐसे ही कर रही थी.

तभी उस खंदार में अचानक एक पोलिसेवला घुस गया, और हमे रंगे हाथो पकड़ लिया. उसको देखते ही समीर भागने लगा. पर मैं कुछ समझ पाती, अपने कपड़े पहन पाती, तब तक उस आदमी ने मुझे पकड़ लिया.

मैं उसके सामने रोने लगी: प्लीज़ सिर जाने दीजिए, मैं फिर ये सब नही करूँगी सिर. ग़लती हो गयी सिर. माफ़ कर दीजिए.

पर उसने एक नही सुनी और बोला: चलो तुम्हारे पापा का नंबर दो. मैं उनसे बात करना चाहता हू. या चलो तुम्हारे कॉलेज. उनको भी पता चले तुम यहाँ क्या करती हो कॉलेज के टाइम में.

मैं अभी भी नीचे से आधी नंगी पड़ी हुई थी. मेरी शर्ट के 3 बटन खुले थे. मेरी ब्रा बाहर पड़ी हुई थी, और स्कर्ट भी मेरे घुटनो पर थी. वो मुझे घूरते हुए देख रहा था. मैं फिर जैसे-तैसे उठी, और हाथ जोड़ कर बोली-

मैं: साहब छ्चोढ़ दीजिए मुझे. चाहो तो आप जो बोलॉगे मैं करूँगी. बस प्लीज़ मुझे जाने दीजिए. मेरे घर पर पता चला मैं यहाँ हू, तो मेरे घर वाले मुझे घर से निकाल देंगे साहब.

मेरी इस बात पर वो 2 मिनिट चुप रहा, और फिर अचानक बोला: चल साली उठ, और मेरे साथ चल.

मैं उठी, अपने कपड़े पहने, और ब्रा बाग में डाल के उसके पीछे जाने लगी. उसके बाद वो मुझे कार में बिता कर एक होटेल में ले गया. मैं जाते-जाते कार में बस यही सोच रही थी, की मैने कैसा लड़का चुना था अपने लिए, जो मुश्किल के वक़्त पर ही मुझे छ्चोढ़ गया.

पर तभी मैने सोचा की मैं तो बस उससे चूड़ना चाहती थी. तो फिर वो छोड़े या फिर ये पोलीस ऑफीसर छोड़े, क्या फराक पड़ता था. मुझे तो बस मेरे मज़े लेने थे.

तभी हम होटेल पहुँच गये, और मैं बिना कुछ बोले उनके पीछे रूम में चली गयी. जैसे ही रूम का डोर लॉक हुआ, वो मेरे उपर टूट पड़े. उन्होने मेरी शर्ट के सारे बटन तोड़ दिए, और पागलों की तरह मेरे निपल्स को, मेरे नेक को, तो कभी मेरे लिप्स को काटने लगे.

मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी, और अम्म्म अम्म आह आउच ऐसी सिसकारियाँ ले रही थी. तभी उन्होने नीचे से मेरी स्कर्ट भी निकाल दी, और नीचे जाते हुए मेरे पेट को चूमने लगे. उन्होने मेरी नेवेल को किस किया, और मेरी छूट में अपनी टंग डाल के छूट चाटने लगे.

मैं भी मस्ती से अम्म अम्म्म आह सिर आराम से सिर ऐसे ही चीख रही थी. मुझे अभी कोई दर्र नही था, क्यूंकी मैं एक सेफ होटेल में एक 3 स्तर पोलीस ऑफीसर से चुड रही थी. 10 मिनिट मेरी छूट चाटने के बाद साहब मेरी छूट का पूरा पानी पी गये. उसके बाद वो वहीं बेड पर लेट गये, और मुझे लंड चूसने का इशारा किया.

मैने भी एक अची रॅंड की तरह उनकी अंडरवेर अपने मूह से नीची की, और उनका 8 इंच का चिकना और क्लीन लंड मेरे सामने तन्ना हुआ खड़ा हो गया. मैं उसको देख कर बहुत खुश थी, की ये तो समीर के लंड से बड़ा और मोटा था. मैने झट से उसके उपर एक प्यारा सा किस किया, और उसको चूसने लगी.

मुझे लंड चूसने की आदत थी, क्यूंकी मैं समीर का लंड पहले चूसी थी. तो वैसे ही मैं साहब का लंड चूसने लगी. साहब भी लेते हुए अम्म्म अम्म्म ऐसे आवाज़े निकाल रहे थे.

तभी साहब ने मुझे उठाया और अंदर बातरूम में ले गये. फिर शवर ओं करके मुझे चूमने लगे काटने लगे. इतने में उन्होने मुझे वहीं शवर के नीचे झुका दिया, और अपना 8 इंच का लंड मेरी छूट पर सेट करने लगे. मैं कुछ बोलती इतने में सिर ने एक झटके में अपना लंड मेरी छूट में डाल दिया.

मैं ज़ोर से चिल्लाई: ह आ मम्मी मॅर गयी. साहब छ्चोढ़ दीजिए साहब अहह, दर्द हो रहा है साहब अहह साहब.

पर साहब नही माने. वो वैसे ही चालू शवर के नीचे मेरी छूट छोड़ने लगे. मैं बेरेहमी से साहब से चुड रही थी. तभी मैने नीचे देखा तो शवर का पानी लाल-लाल हो गया था. मेरे छूट से खून बह रहा था, और मेरे पैर भी खून से साने थे.

तभी मैं पीछे मूडी, और साहब को कुछ बोलती, इतने में उन्होने मेरी लिप्स पर काट लिया, और ज़ोर-ज़ोर से मेरे बूब्स दबाने लगे. वो नीचे अपना लंड मेरी छूट में पेलते रहे. ऐसे ही साहब ने मुझे होटेल में 2 बार 2 घंटे तक पेला और मेरी हालत खराब कर दी.

उसके बाद वो खुद मुझे अपने घर छ्चोढे और चले गये. उस दिन के बाद अगले 2 साल मैं बस उन साहब से ही चुड्ती रही. साहब बहुत आचे थे. मुझे हमेशा जो चाहिए था, देते थे. कभी पैसे, कभी ड्रेस, और उसके बदले मैं उनको हमेशा सेक्षुयली सॅटिस्फाइ करती.

2 साल के बाद साहब का ट्रान्स्फर हो गया और मैं फिर से अकेली पद गयी. अगली कहानी में बतौँगी कैसे साहब ने पूरी रात मुझे अपने घर बुला कर छोड़ा, और मेरी गांद फाड़ दी.

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