पत्नी को पति का तोहफा

Couple Swapping Stories Patni ko pati ka tohfa हाई दोस्तो कैसे है आप दोस्तो एक ऑर नई कहानी का मज़ा लीजिए आँखों पे बँधी पट्टी कमरे में होने वाली हर रोशनी को रोक रही
थी, पट्टी वाकई में काफ़ी अच्छी थी, प्रीति ने महसूस किया. आज उसका जनम दिन था और उसके पति ने उसे एक अनोखा तोहफा देने का वादा
किया था. प्रीति अपने कान खड़े कर दूसरे कमरे में से आने वाली आवाज़ को सुनने की कोशिस कर रही थी. थोड़ी देर पहले ही फोन की
घंटी बज़ी थी जब राज ने उसकी आँखों पर पट्टी बाँध उसे बेडरूम में लेकर आया था.

“में फोन सुनकर अभी गया और अभी आया,” राज बोला.

प्रीति सुनने की कोशिश कर रही थी कि राज क्या कह रहा है पर आँखों के साथ थोड़ी पट्टी कानो पर भी थी जिससे उसे सुनने और
समझने में तकलीफ़ हो रही थी.

प्रीति ने कमरे मे आती कदमों की आवाज़ सुनी.

“क्या तुम अपने अनोखे तोहफे के लिए तय्यार हो?” राज ने कमरे में रखे रेडियो की आवाज़ तेज करते हुए पूछा.

“हां में तय्यार हूँ” प्रीति थोड़ा हिक्किचाते हुए बोली.

“अब ये याद रखो कि ना ही तुम कुछ बोल सकती हो और ना ही कोई सवाल पूछ सकती हो.” राज ने कहा.

इसके पहले दोनो ने एक अच्छे रेस्टोरेंट में रात का खाना खाया था. खाने के साथ दो दो पेग भी पिए थे जिससे महॉल थोड़ा खुशनुमा हो
जाए. राज ने आज शाम को ही इस तोहफे का इंतेज़ाम किया था. उसकी उत्सुकता और बढ़ गयी थी कि ऐसा कौन सा तोहफे का इंतेज़ाम किया है
राज ने उसके जनम दिन पर.

राज ने उसकी पट्टी को एक बार और दुरुस्त किया और फिर उसे चूमने लगा. कमरा अंधेरे में डूबा हुआ था सिवाय कुछ मोमबतियों के जो
कमरे को सुरमई रंग दे रही थी.

प्रीति बेड के पास खड़ी थी और राज उसे बाहों में भरे उसको चूम रहा था. वो कभी उसके होटो पर चूमता और फिर उसकी गर्दन पर
चूमने लगता. उसके चूमने की अदा ने प्रीति को गरमा दिया था.

राज जब उसे उसके कुल्हों से पकड़ अपनी और खींच ओर ज़ोर से चूमता तो वो महसूस करती कि राज का लंड उसकी जांघों पर टक्कर मार रहा
है.

राज ने धीरे से उसके टॉप को उपर उठा निकाल दिया, ये ध्यान रखा कि उसकी पट्टी आँखों से ना हटे. फिर उसे घुमा कर उसकी ब्रा के हुक
खोल कर वो भी निकाल दी. उसकी चुचियों को भींचते हुए उसने प्रीति को और अपने करीब किया और जांघों को उसकी जांघों के साथ रगड़ने लगा.

राज अपने हाथों को प्रीति की नंगी पीठ पर फेर रहा था, फिर उसने अपने हाथ से प्रीति की जीन्स के बटन खोले और उसकी जीन्स को नीचे
खस्का दिया.

राज ने उसे बिस्तर के किनारे पर बिठा दिया और खुद अपने कपड़े उतारने लगा. फिर घुटनो के बल हो उसने उसकी जीन्स उतार दी. राज ने उसे
हल्का सा धक्का दे बिस्तर पर लिटा दिया, “अब असली मज़ा शुरू होता है.” राज ने कहा.

राज ने बेड के नीचे से रस्सी निकाल ली, और प्रीति के हाथों को उसके सिर के पीछे कर उसके दोनो हाथ बेड के किनारे से बाँध दिए.

“ये तुम क्या कर रहे हो और मेरे हाथ क्यों बाँधे है?” प्रीति ने पूछा.

“मेने तुमसे कहा था ना कि तुम सवाल नही कर सकती !” राज ने कहा.

प्रीति सोच रही थी कि वो कितनी मजबूर है इन सब चीज़ो से पर उसने अपने शरीर में फिर गर्मी महसूस की जब उसने पाया की राज ने उसे
फिर चूमना शुरू कर दिया है.

राज अब उसकी चुचियों को चूम रहा था. एक हाथ उसके एक मम्मो को दबा रहा था और दूसरे मम्मे पर वो अपनी ज़ुबान फेर रहा था. जब उसकी
जीभ निपल के चारों और घूमती तो प्रीति के शरीर में एक थिरकन सी उत्पन्न हो जाती.

वो राज को अपनी बाहों में भर उसे चूमना चाहती थी पर अपने हाथ बँधे होने से वो लाचार थी.

राज उसकी चुचियों को चूस नीचे की ओर बढ़ रहा था, उसने उसकी नाभि पर ज़ुबान फेरनी शुरू कर दी. अब वो ज़्यादा समय उसकी नाभि
में ज़ुबान डाल उसे चूम रहा था. रश्मि उत्तेजना के मारे कांप रही. राज की यातना ने उसे और कामातुर कर दिया था.

राज ने उसकी पॅंटी की एलास्टिक में अपनी उंगली फँसा उसे भी उतार दिया और उसे पूरा नंगा कर दिया. राज उठा और एक बड़ा सा तकिया ले
आया.

“प्रीति ज़रा अपने कुल्हों को उठाओ जिससे में ये तकिया तुम्हारे नीचे लगा सकु.” राज ने कहा.

प्रीति अपने आप को उपर उठाने में दिक्कत महसूस कर रही थी, राज ने उसकी मदद की और तकिया उसके नीचे लगा दिया. अब प्रीति की चूत
उपर को उठ चुकी थी.

राज अब उसकी जांघों के बीच आ उसकी जांघों को चूस्ते हुए उपर की और बढ़ा. अब उसने अपनी ज़ुबान चूत के आजू बाजू फिराने लगा. प्रीति
की उत्तेजना बढ़ रही थी, उससे अब सहन नही हो रहा था.

राज अपनी ज़ुबान उसकी चूत में डाल उसे चोद रहा था, प्रीति ने चाहा कि वो राज के सिर को पकड़ उसे और अपनी चूत पर दबौउ पर
हाथ बँधे होने के कारण वो ऐसा ना कर सकी.

“हे भ्ाआआगवान” वो ज़ोर से सिसकी.

“आवाज़ नही मेने कहा था ना !” राज बोला.

राज ज़ोर से अपनी जीभ को प्रीति की चूत के अंदर बाहर कर रहा था, प्रीति अपनी कुल्हों को उठा उसकी इस अदा मे उसका साथ दे रही
थी. प्रीति ने अपने शरीर को अकड़ता पाया और उसकी चूत ने उस दिन का पहला पानी छोड़ दिया.

प्रीति की चूत में जोरों की खुजली हो रही थी और वो राज से कहना चाहती थी कि वो उसे कस्के चोदे पर राज ने कुछ कहने से मना किया
था ये सोच वो चुप रह गयी.

राज उसकी जांघों के बीच से उठ खड़ा हुआ और उसके होठों को चूमने लगा. राज का एक हाथ उसके मम्मो को दबा रहे थे और दूसरा हाथ उसके
सिर को ज़ोर से पकड़ा हुआ था. राज ने अपनी ज़ुबान प्रीति के मूह में डाल दी और उसकी जीभ से खेलने लगा.

इतने मे प्रीति ने अपनी जांघों के बीच किसी को महसूस किया, ये कैसे हो सकता है जब राज उसे चूम रहा है तो उसकी जांघों के
बीच कौन है. उसे लगा कि कोई अपनी ज़ुबान उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्से पर फेर रहा.

जैसे ही उसने कुछ कहने के लिए अपना मूह खोलना चाहा, राज ने उसके होठों को ज़ोर से चूम लिया.

“कुछ कहने की ज़रूरत नही है, यही तुम्हारा अनोखा तोहफा है.” राज ने कहा.

प्रीति ये सुन कर सहम गयी, ये अंजाना व्यक्ति कमरे में कौन है? वो मर्द है या औरत ये विचार उसके दिमाग़ में घूमने लगा.

इतने में उसने महसूस किया कि वो जो कोई भी था अब उसकी चूत को चाट रहा था, उसकी उत्तेजना फिर भड़क रही थी. इतने में राज उसकी छाती पर चढ़ गया और अपना खड़ा लंड उसकी होठों पर रख दिया.

उस अंजाने व्यक्ति की ज़ुबान की रफ़्तार उसकी चूत पेर तेज हो गयी थी और उसके मूह से सिसकारी फुट पड़ी.

“ओह आआआआआआहह” जैसे ही उसका मूह खुला राज ने अपना लंड उसके मूह में घुसा दिया. प्रीति ने राज के लंड को चूसना
शुरू किया और वहीं उस व्यक्ति की रफ़्तार और तेज होती गयी.

उसका शरीर अकड़ रहा था और उसे अपने आपको रोकना मुश्किल लग रहा था. वो उत्तेजना में और ज़ोर से राज के लंड को चूसने लगी और उसकी
चूत ने दुबारा पानी छोड़ दिया.

राज ने अपना लंड उसके मूह से निकाल लिया और उसपर से खड़ा हो गया. प्रीति भी अपनी साँसे संभालने में लगी हुई थी.

“ओह ये सब कितना अछा लग रहा है.” प्रीति सोच रही थी कि उसने फिर किसी को अपनी जांघों के बीच महसूस किया.

“अब चुदाई का वक्त हो गया है,” कहकर राज ने अपना लंड उसकी चूत पर रख थोडा सा अंदर घुसा दिया.

“ओह माआआअ” उसके मूह से आवाज़ निकली.

प्रीति की चूत इतनी गीली हो चुकी थी राज के हल्के से दबाव से ही उसका पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया, इतने में उसने एक और लंड
को उसके होठों के पास महसूस किया. उसने अपना मूह खोला और उस व्यक्ति को अपना लंड उसके मूह में डालने दिया.

“ये कौन हो सकता है?’ वो सोच रही थी.

राज अब प्रीति को जम कर चोद रहा था. उसके धक्को की रफ़्तार और तेज होती जा रही थी. प्रीति भी अब अपने कूल्हे उछाल उसकी ताल से ताल
मिला रही थी.

“अगर मेने राज की गांद पे जूते नही मारे तो मेरा नाम प्रीति नही,” वो अपने आप को बार बार याद दिला रही थी जैसे ही अंजाने व्यक्ति का
लंड उसके मूह में ज़ोर से घुसता.

जैसे जैसे राज की रफ़्तार बढ़ती प्रीति के शरीर में कामुकता और बढ़ जाती. ना चाहते हुए भी उस व्यक्ति के लंड को ज़ोर ज़ोर से चूस
रही थी.

“अगर राज यही चाहता है कि में दूसरे मर्द से चुदाई करवाउ तो ठीक है में भी बता देना चाहती हूँ कि मैं चुद्वा सकती हूँ,” ये
सोचकर प्रीति और ज़ोर से उस लंड को चूसने लगी. उसने उस लंड से पानी छुट ता महसूस किया. राज धक्के पे धक्के दिए जा रहा था और
उसकी चूत पानी छोड़े जा रही थी.

प्रीति खूब मज़े ले के उस व्यक्ति के लंड के पानी को पी रही थी. ऐसी चुदाई का उसका ये पहला मौका था. राज ने भी दो धक्कों के बाद
उसकी चूत में पानी छोड़ दिया.

राज ने जैसे ही अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला प्रीति को बुरा लगा वो और चुद्वाना चाहती थी. राज ने उसके हाथों की रस्सी खोल दी
और उसे बिस्तर पर पलट दिया.

अब वो पेट के बल हो गयी थी और तकिये पर होने के कारण उसकी गांद थोड़ी उठ गयी थी. राज बिस्तर के किनारे पे आ गया जिससे उसका लंड
आसानी से प्रीति के मुँह मे जा सके, “प्रीति अब मेरा लॉडा चूसो.” राज ने कहा.

प्रीति ने राज के वीर्य रिक्त लंड को अपने मूह में ले लिया तभी उसने अंजाने व्यक्ति के हाथ अपनी गांद पे महसूस किए, जैसे ही उस व्यक्ति
ने अपना लंड उसकी गीली चूत में पेला प्रीति ने सोचा. “हे भगवान अब ये मुझे चोद्ने वाला है.”

एक बार तो उसका मन किया की वो यहाँ से भाग जाए पर उसकी काम इच्छा ने उसे रोक दिया. उसके अंदर की आग इतनी भड़क चुकी थी कि वो
चुद्वाने के अलावा उसके पास कोई उपाय नही था.

अंजाने व्यक्ति उसके दोनो कुल्हों को पकड़ ज़ोर से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया, वहीं राज ने उसके पट्टी बँधे सिर को अपने लंड पर
दबा दिया जो अब खड़ा होने लगा था.

वो अंजना व्यक्ति उसकी गांद पर थप्पड़ मारते हुए ज़ोर ज़ोर से प्रीति को चोदे जा रहा था. और वो उतनी ज़ोर से राज के लंड को चूस रही थी. उसका
शरीर फिर तन रहा था.

अनजाना व्यक्ति जैसे ही अपने लंड को अंदर तक डालता प्रीति उतना ही अपने कुल्हों को पीछे की ओर धकेल उसके लंड को और अपनी चूत की
जड़ तक ले लेती. उस व्यक्ति का लंड राज के लंड से बड़ा था और प्रीति को उसकी चूत भारी सी महसूस हो रही थी.

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“अगर राज यही चाहता है कि में अंजाने व्यक्ति से चुद्वाउ तो ठीक है आज मेने भी इसके लंड की एक एक बूँद को निचोड़ के पी जाउन्गि”
सोच कर प्रीति और ज़ोर से राज के लंड को चूसने लगी.

उस व्यक्ति अपनी पूरी ताक़त से प्रीति को चोद रहा था. और प्रीति जोरों से मूह को उपर नीचे कर राज के लंड को चूस रही थी. जब वो
पीछे को होती तो उस व्यक्ति का लंड जड़ तक समा जाता और जब वो आगे को होती तो राज का लंड उसके गले तक आ जाता.

प्रीति पूरे आनंद के साथ इस समहुक चुदाई मे मस्त थी. वो अब घोड़ी बन पूरे जोश से चुद्वा रही थी. राज उसकी चुचियों को
मसल्ते हुए ज़ोर से उसके मूह को चोद रहा था और वो व्यक्ति पूरे ज़ोर से प्रीति के कुल्हों को पकड़ धक्के लगा रहा था.

उसका खून उबाल मार रहा था और उसकी चूत फिर से एक बार पानी छोड़ने को तय्यार थी, “चूऊऊऊओदूऊ मुझे और ज़ोर सी चोदो” वो
चीखी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

प्रीति ने पूरी ताक़त से अपनी गांद उस व्यक्ति के पाट के साथ सटा दी और उसने उस व्यक्ति का वीर्य छूटता महसूस किया. उसके लंड की
पिचकारी इतनी तेज थी कि उसे लगा की उसका वीर्य ठीक उसकी बच्चे दानी पर छूट रहा है. उसके लंड से इतना पानी निकला कि उसकी चूत
पूरी भर गयी और पानी चूत से टपकने लगा.

तभी राज ने उसके सिर को ज़ोर से पकड़ा और उसके मूह में अपने लंड की पिचकारी छोड़ दी.

वो अंजना व्यक्ति अभी उसे चोदे जा रहा था. उसका लंड तेज़ी से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था. प्रीति तकिये पर लेटी सोचने
लगी “हे भगवान क्या ये फिर मेरी चूत में अपना पानी छोड़ेगा.”

उस व्यक्ति ने उसे बालों से पकड़ अपना लंड उसकी चूत में जड़ तक समा दिया. फिर एक बार प्रीति ने उसके गरम वीर्य की पिचकारी अपनी
चूत में महसूस की.

प्रीति निढाल हो बिस्तर पर गिर गयी और अपनी तेज सांसो को संभालने लगी. उसे अभी भी अपने आप पर विश्वास नही हो रहा था कि वो किसी
अंजान व्यक्ति से चुड़वाई है. एक ऐसे व्यक्ति से जिसकी उसने शक्ल भी नही देखी.

वो अपने ख़यालों में खोई हुई थी कि उसने एक गाड़ी के जाने की आवाज़ सुनी. राज ने आगे बढ़कर उसके आँखों से पट्टी उतार दी.

“हॅपी बर्तडे मेरी जान !” राज मुस्कुरकर उसकी आँखों मे झाँक रहा था.

“वो कौन था राज?” प्रीति ने पूछा.

“ये में तुम्हे कभी नही बताउन्गा, यही तो तुम्हारा अनोखा तोहफा था.” राज ने जवाब दिया.
“तो क्या मुझे अपने अगले जनमदिन तक रुकना पड़ेगा.” प्रीति मन मन सोची.

प्रीति की आँखों में चमक देख राज ने कहा, “मुझे खुशी है कि तुम्हे तोहफा अच्छा लगा.”

अगले पूरे हफ्ते तक प्रीति अपने जनमदिन की रात की चुदाई के ख़यालों में खोई रही. जितना वो उस याद को मिटाने की कोशिश करती
उतनी ही याद ताज़ा हो जाती. उन यादों को सोचकर ही उसका बदन सिहर जाता कि किस तरह उसके पति और एक अंजान मर्द ने उसे चोदा था.

कभी तो उसे अपने आप पर गुस्सा आता कि ये सब क्यों हुआ और उसके पति ने कैसे एक अंजान मर्द को उनके बेडरूम मे ला अपनी ही पत्नी की
चुदाई करने दी, पर दूसरी और उसका दिल ये भी सोचता कि जितना आनंद उसे उस रात चुदाई में आया था उतना कभी नही आया. एक रात में
शायद ही कभी उसकी चूत इतनी बार झड़ी होगी.

इन ख़यालों को मिटाने के लिए प्रीति ने अपने आपको काम में डुबा दिया. फिर भी ये ख़याल कि उस रात को कौन था उसे सताते रहता
था. “ज़रूर वो राज का ही कोई दोस्त होगा, मुझे इसका पता लगाना ही होगा.” ये सोच वो फिर से अपने काम में जुट गयी.

प्रीति अपनी नौकरी पर काम ख़त्म कर घर पहुँची और घर के काम में मशरूफ हो गयी. राज नाइट शिफ्ट में काम करता था इसलिए उसे
अकेले ही खाना खाना पड़ा.

जब वो अपने बेडरूम में पहुँची तो फिर उन्ही ख्यालो ने उसे घेर लिए. उस रात दो लंड के मज़े का नज़ारा उसकी आँखों के आगे आ गया.
खुद ब खुद उसका हाथ अपनी चूत पे चला गया और वो रगड़ने लगी.

“हे भगवान ये मुझे क्या होता जा रहा है?” प्रीति अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ते हुए सोच रही थी.

जैसे जैसे वो सोचती उतना ही ज़ोर से वो अपनी चूत को रगड़ रही थी. आख़िर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

इसी तरह कुछ हफ्ते निकल गये वो अक्सर उस रत के बारे में सोचती. राज उसे हमेशा की तरह चोद्ता था पर उसने उस रात का जिकर कभी
नही किया. एक मर्द कैसे किसी गैर मर्द से अपनी बीवी चुदवाऐ और उस विषय पर बात भी ना करे यही सोच प्रीति हैरान हो जाती थी.

वक्त गुज़रता गया और वो यादें भी धुन्द्लि पड़ती गयी. अब उसे शनिवार का इंतेज़ार था जिस दिन राज और वो अपने ही ऑफीस में काम
करने वाली एक लड़की और उसके पति के साथ रात का खाना खाने होटेल में जाने वाले थे.

प्रीति की दोस्त का नाम रश्मि है. रश्मि उम्र में प्रीति से छोटी थी पर प्रीति को वो पसंद थी. रश्मि एक हस्मुख किस्म की खुले
विचारों वाली लड़की थी. उसका पति भी काफ़ी दिलचस्प इंसान था. प्रीति ने कई बार उसे अपनी ओर देखते पाया था जब भी वो रश्मि के
घर उससे मिलने जाती.

“शनिवार को में इस बात का ध्यान रखूँगी कि सही में वो मेरी और देखता है कि नही.” प्रीति ने सोचा.

शनिवार की शाम प्रीति और राज, रश्मि और उसके पति से पहले से तय होटेल में मिले. राज रश्मि के पति जीत से पहली बार मिल रहा
था. पर थोड़ी देर बाद कोई ये नही कह सकता था. दोनो आपस में इतना घुल मिल गये थे जैसे बरसों की पहचान थी. प्रीति खुश हो
गयी थी कि कोई जोड़ी तो है जिसके साथ वो अक्सर बाहर जा सकते थे.

खाना खाने के बाद जीत रश्मि को डॅन्स फ्लोर पे ले गया और डॅन्स करने लगा. प्रीति ने देखा कि राज की नज़रें रश्मि को ही घूर रही
है, और घुरे भी क्यों ना, रश्मि थी ही इतनी सुंदर.

“चलो राज हम भी डॅन्स करते है.” प्रीति राज का हाथ पकड़ उसे डॅन्स फ्लोर पर ले आई. प्रीति राज को खींच रश्मि और जीत के
एकदम पास ले आई और डॅन्स करने लगी. प्रीति ने देखा कि जीत ने रश्मि के कूल्हे पकड़ उसे अपने और नज़दीक कर लिया और उसके कुल्हों
को सहलाने लगा. फिर से उस रात का नज़ारा प्रीति की आँखों के आगे घूम गया.

प्रीति ने अपनी आँखें बंद कर अपना सिर राज के कंधे पर रख दिया. जब किसी ने राज के कंधों को ठप थपाया तो उसने आँख खोली.

“क्या में तुम्हारी बीवी के साथ डॅन्स कर सकता हूँ?” जीत ने राज से पूछा.

“एक ही शर्त पर अगर में रश्मि के साथ डॅन्स करूँ.” राज ने कहा.

दोनो एक दूसरे की बीवी के साथ डॅन्स करने लगे. जीत ने मुझे खींच कर नज़दीक कर लिया. मुझे उसके शरीर से निकलती डियो की खुश्बू
बहोत ही अच्छी लग रही थी. इतने में जीत मेरे कूल्हे सहलाने लगा.

डॅन्स करते हुए प्रीति ने देखा की रश्मि और राज एक दूसरे से चिपत कर डॅन्स कर रहे थे. एक मीठी सी जलन उसके दिल में उठी पर
उसने उसे बढ़ने दिया वो भी तो किसी और के साथ डॅन्स कर रही थी. इतने में जीत ने उसे खींच कर अपने से एकदम सटा लिया. उसका
खड़ा लंड प्रीति की जांघों पर ठोकर मार रहा था.

“ओह में किसी और भी अछी लगती हूँ.” ये सोच कर में मन ही मन मुस्कुरा दी.

पता नही ड्रिंक्स का असर था जो खाने के साथ ली थी या कुछ और. जीत को अपने से दूर हटाने के बजाय प्रीति और उसके नज़दीक आ गयी और अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ने लगी. उसने अपनी आँखें बंद की और फिर उस अंजान व्यक्ति के ख्यालो मे खो गयी.

“राज ये तुमने मुझे क्या कर दिया है !” प्रीति ने सोचा.

जब म्यूज़िक ख़त्म हुआ तो हम सब अपने टेबल पे लौट आए.

“क्या तुम लोग हमारे घर एक दो ड्रिंक लेना पसंद करोगे?” जीत ने राज से पूछा.

“हां क्यों नही, चलो चलते है यहाँ से.” राज ने जवाब दिया.

कार में उनके घर जाते हुए प्रीति ने राज से पूछा, “जीत तुम्हे कैसा इंसान लगा?”

“काफ़ी अच्छा और हस्मुख इंसान है, मुझे अछा लगा.” राज ने जवाब दिया, “और तुम्हारी सहेली रश्मि मी भी काफ़ी सुन्दर है.”

“चलो अच्छा है हम ऐसे लोगों से तो मिले जो हम दोनो को पसंद है.” प्रीति ने कहा.

रश्मि का मकान छोटा ज़रूर था पर काफ़ी अच्छा बना हुआ था. जब हम लोग हॉल में पहुँचे तो जीत अपनी सीडी लाइब्ररी से कोई मूवी ढूँडने
लगा. “प्रीति आओ और ड्रिंक बनाने मे मेरी मदद करो.” रश्मि ने कहा.

प्रीति रश्मि के पीछे पीछे किचन मे गयी और राज सोफे पर ढेर हो गया.

रश्मि ने कॅबिनेट में से ग्लास निकालते हुए प्रीति से पूछा “क्या में तुमसे कुछ पूछ सकती हूँ?”

“हां क्यों नही.” प्रीति ने जवाब दिया.

“में समझती हू तुम्हारा पति काफ़ी हॅंडसम है और ये भी जानती हू कि जीत तुम्हे चोद्ना चाहता है. क्या तुमने कभी स्वापिंग के बारे
में सुना है.” रश्मि ने कहा.

“सुना तो है लेकिन कभी किया नही है,” प्रीति ने जवाब दिया. “हमने आपस में बात भी की है कि कभी मोका मिला तो कर के
देखेंगे.”

“क्या आज अपने पति बदलना चाहोगी.” रश्मि ने पूछा.

कुछ तो पहले की शराब का सुरूर और कुछ उस अंजान व्यक्ति की देन प्रीति ने तुरंत कहा “हां क्यों नही.”

“तो ठीक है जब हम ड्रिंक्स लेके हॉल में जाएँगे तो तुम मेरे पति के पास बैठना और में तुम्हारे पति के पास फिर देखते है क्या होता
है.” रश्मि ने ड्रिंक्स के ग्लास भरते हुए कहा.

“चलो देखते है क्या होता है.” प्रीति ने जवाब दिया.

प्रीति रश्मि के पीछे हॉल में पहुँची तो देखा की हॉल में एकदम अंधेरा है सिवाय टीवी की रोशनी के. रश्मि ने राज को ग्लास
पकड़ाया और उसके बगल में बैठ गयी. प्रीति ने जीत को ग्लास पकड़ाया और वो भी उसके बगल में बैठ गयी.

“कौन सी मूवी लगा रखी है?” उसने जीत से पूछा.

“ये हमारी सब से फॅवुरेट मूवी है.” उसने जवाब दिया.

प्रीति ने टीवी की और देखा तो पाया कि सीन में एक लड़की डिन्निंग टेबल से प्लेट्स उठा किचन मे रखती है और वापस डिन्निंग रूम
में आती है. एक मर्द जो वहाँ बैठ था उसे उठा कर टेबल पर बिठा देता है. अपनी कुर्सी नज़दीक खींच वो उसकी जाँघो को फैला
देता है. वो फिर उसकी स्कर्ट उठा बिना पॅंटी की चूत को चाटना शुरू कर देता है. लड़की के मुँह से सिसकारिया निकलनी शुरू हो जाती है.

प्रीति ने मूड कर जीत की ओर देखा, ” लगता है तुम्हे पॉर्न मूवीस अछी लगती है.”

“हां मुझे जिंदगी का सही मज़ा लेना अछा लगता है.” जीत ने मुस्कुराते हुए कहा.

“क्या तुम्हे पॉर्न मूवीस अछी लगती है?” जीत ने प्रीति से पूछा.

“मेने इतनी मूवीस तो नही देखी फिर भी मैं देखने के साथ साथ करने में विश्वास रखती हूँ.” प्रीति ने जवाब दिया.

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प्रीति ने जीत के जांघों की गर्मी का अहसास किया, जीत ने प्रीति की आँखों मे झाँकते हुए पूछा, “क्या में तुम्हे चूम सकता हूँ?”

प्रीति ने कुछ कहा नही और अपने गर्दन जीत की ओर घुमा दी, जैसे कोई अनोखा आकर्षण था जीत की आँखों में कि प्रीति ने झुक कर
अपने गरम होठ जीत की होंठो पर रख दिए. जीत ने भी जोरों से उसके होंठो को चूस्ते हुए अपनी ज़ुबान उसके मुँह मे डाल दी और उसकी
ज़ुबान को चूसने लगा.

जीतने एक हाथ से प्रीति के मम्मे दबाते हुए उसे अपनी बाहों में भींच लिया. प्रीति ने भी अपनी बाहें फेला जीत को आगोश में ले लिया.
प्रीति ने अपने गर्दन घुमा दूसरे सोफे की ओर देखा तो पाया कि रश्मि राज की गोदी में उसकी ओर मुँह किए बैठी है. राज उसका टॉप
उतार उसके मम्मे चूस रहा था.

जीत ने जैसे ही प्रीति को सोफे पर लिटाया प्रीति फिर जीत को देखने लगी. जीत मुस्कुराते हुए उसके ब्लाउस के बटन खोलने लगा. जीत ने
उसकी आँखों में झाँकते हुए उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. जैसे ही जीत नेउसके निपल की ओर अपना चेहरा बढ़ाया प्रीति ने उसकी आँखों
में प्यार झलकते पाया.

प्रीति ने अपने शरीर में एक अजीब ही सरसरी महसूस की जैसे ही जीत उसके पूरे निपल को मुँह में ले चूसने लगा. जीत का एक हाथ
साथ ही साथ उसके मम्मे दबाता जा रहा था. प्रीति ने ज़ोर की सांस ली और उसे अपनी चूत गीली होती हुई लगी.

उसके दोनो निपल चूसने के बाद जीत खड़ा हो अपनी शर्ट उतारने लगा. प्रीति को उसकी चौड़ी छाती और भारी कंधे बहोत ही अच्छे लग
रहे थे.
जीत उसके पावं के बीच बैठ अपने दोनो हाथों से उसकी जीन्स के बटन खोलने लगा जैसे कोई बच्चा अपने जनमदिन का उपहार खोलता
है. प्रीति ने मुस्कुराते हुए अपने कूल्हे थोड़े उठा दिए.

जीत ने उसकी जीन्स के साथ साथ उसकी पॅंटी भी उतार दी. जीत उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्से को चूमते हुए उपर की ओर बढ़ा. प्रीति ने
अपनी आँखें बंद कर अपनी टाँगे और फैला दी और जीत की जीब का आनंद लेने लगी.

जीती उपर की ओर बढ़ा अब उसकी चूत के बाहरी हिस्से पर अपनी ज़ुबान हिला रहा था. जीत सही में इस मामले में किसी एक्सपर्ट से कम नही
था. वो अपनी ज़ुबान को चूत के चारों और घुमा चूत की पंखुड़ियों पर अपने जीब मसल देता.

प्रीति आनंद के नशे में खोई हुई थी, कमरे में सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही तो जो टीवी से आ रही थी.

प्रीति ने अपनी चूत थोड़ा सा उपर उठा दी, उसके इशारे को समझ जीत अब उसकी चूत को चूस रहा था. साथ ही साथ उसने एक हाथ से
उसकी चूत को फैला अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी. अब वो अपनी उंगली को भी अंदर बाहर कर रहा था और जीब से चूस भी रहा था.

प्रीति के मुँह से वैसी ही सिसकारिया निकल रही थी जैसी टीवी से आ रही थी, “ऊऊऊऊः जीईईट चूऊवस्ते जाऊ ओह हाआअँ
आईीईसीई और ज़ोर से चूऊऊऊसो ना”

जीत और ज़ोर से उसकी चूत को चूसने लगा. प्रीति का शरीर आकड़ा और उसकी चूत ने जीत के मुँह में अपना पानी छोड़ दिया. जीत उपर
उठा और प्रीति के होंठो को ज़ोर से चूमता हुए प्रीति की ही चूत का पानी उसके मुँह मे डाल दिया. प्रीति भी अपनी चूत के पानी का स्वाद
लेने लगी.

“मुझे तुम्हारी चूत का स्वाद अछा लगा.” जीत उसके सामने खड़े होते कहा.

प्रीति ने अपनी नज़र उसके खड़े लंड पर गढ़ा दी जो उसकी जीन्स में तंबू बनाए हुए था. प्रीति घुटनो के बल बैठ उसकी जीन्स के बटन
खोलने लगी. उसकी जीन्स को नीचे खिसका उसने अंडरवेर भी नीचे कर दी. जीत का खड़ा लंड एकदम साँप की तरह फूंकर मार रहा था.

प्रीति उसके लंड को अपने हाथों से पकड़ ऊपर से नीचे तक चाटने लगी. फिर उसने उसके लंड के सूपदे दो चूमते हुए अपने मुँह में
लिया. जीत के पूरे लंड को अपने मुँह में ले चूस्ते हुए आधा लंड बाहर निकालती और फिर पूरे लंड को अपने मुँह में ले लेती.

उधर राज रश्मि को घोड़ी बना पीछे से उसे चोद रहा था. दोनो के मुँह से मादक सिसकारिया फुट रही थी.

प्रीति अब ज़ोर से अपना मुँह उपर नीचे कर जीत के लंड को चूस रही थी. प्रीति ने देखा कि सही में जीत गरम हो रहा है और अपने
लंड को ज़ोर से उसके मुँह मे दे रहा था. उसके लंड से चूत रहे पानी का स्वाद आ रहा था उसे.

प्रीति महसूस कर रही थी जीत का लंड उसके होंठो से लेकर उसके गले तक जा रहा था. उसने अपने आपको जीत के हवाले कर दिया जो और
तेज़ी से धक्के लगा रहा था. थोड़ी देर बाद जीत ने अपना लंड प्रीति के मुँह से बाहर निकाल लिया.

“जीत में चाहती हूँ कि अब तुम मेरी कसकर चुदाई करो.” प्रीति बोली.

बिना कुछ कहे जीती प्रीति की टाँगो बीच आ गया और उसकी दोनो टाँगे उठा अपने कंधे पे रहने दी. जीत अब अपने लंड को उसकी चूत
पर रगड़ गीला करने लगा. जब उसका लंड पूरा गीला हो गया तो उसने एक ज़ोर का धक्का लगा जड़ तक अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया.

जैसे ही जीत के लंड प्रीति की चूत की जड़ों को छुआ उसके मुँह से एक मादक सिसकारी निकल पड़ी.

जिस आसान से वो चुदवा रही थी उसमे उसे जीत के लंड का पूरा अनुभव हो रहा था. जीत का लंड उस अंजान व्यक्ति जितना बड़ा तो नही था
लेकिन फिर भी प्रीति को दर्द और सुख दोनो का आनंद आ रहा था.

जीत पहले तो धीमी रफ़्तार से प्रीति को चोद रहा था फिर उसके धक्कों ने तेज़ी पकड़ ली.

“हां चूऊड़ो मुझीईई और्र्र्ररर जोर्र्र्र्र्र्ररर से ओह आआआः तुम्हााआअरा लुंद्द्द्दद्ड किठनाआअ अचह्ा हाईईईईईई.”
प्रीति के मुँह से सिसकारिया निकल रही थी.

प्रीति की मादक सिसकारियों ने जीत में और जोश भर दिया. जब प्रीति उसके धक्के का जवाब आने कूल्हे उछाल देती उसे अपना खून में
उबाल बढ़ता नज़र आता. और जब प्रीति नेज़ोर चिल्ला अपने कूल्हे और उठा दिए और उसके लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त मे ले लिया, तो उसे
अपना पानी चूत ता महसूस हुआ.

जीत को ऐसा लगा कि प्रीति की चूत ने उसके लंड को पूरा अपना गिरफ़्त में ले लिया है और उसके लंड से एक एक बूँद निचोड़ रही
है. प्रीति की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था. प्रीति आनंद के सागर में खो गयी थी.

“प्रीति ये चुदाई वाकई ग़ज़ब की थी.” जीत ने कहा.

“तुम कहीं जाना नही में अभी आता हूँ.” कहकर जीत बाथरूम की ओर चला गया.

प्रीति अपनी टाँगों को फैलाई आँखें बंद कर लेटी हुई थी. उसकी चूत से अभी जीत का और उसका मिला जुला वीर्य टपक रहा था. वो
अभी चुदाई के आनंद में खोई हुई थी.

प्रीति ने अचानक अपने जांघों और चूत पर किसी का स्पर्श अनुभव किया, उसने महसूस किया कि कोई उसकी चूत को चाट रहा है. उसके
शरीर में फिर गर्मी आने लगी. उसने अपनी आँखें खोल देखा कि रश्मि उसकी टाँगे बीच झुकी उसकी चूत को चाट रही थी.

हालाँकि प्रीति ने इसके पहले कभी किसी औरत के साथ का अनुभव नही किया था, पर आज उसे आनंद आ रहा था. वो मान गयी कि रश्मि
की जीब इस कला में महारत हासिल है. जिस ढंग से उसकी जीब उसकी चूत को चाट रही थी उसे उसके शरीर में उत्तेजना बढ़ती जा रही
थी.

इतने में उसने देखा कि उसका पति राज ने रश्मि के पीछे आ अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया है.

जैसे ही राज रश्मि की चूत में धक्का देता, रश्मि की जीब ज़ोर से प्रीति की चूत मे घुस जाती. प्रीति आनंद के अनोखे सागर में
डूब चुकी थी, उसके मुख से आनंद की मादक सिसकारियाँ और आवाज़े फुट रही थी.

“हां रश्मि और ज़ोर से उसकी चूत को चूसो” राज ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा.

राज को इतनी कस के रश्मि की चुदाई करते देख प्रीति से अब रोका ना जा रहा था, रश्मि के मुँह में अपना पानी छोड़ने के अलावा उसके पास
कोई चारा नही था.

राज ने अपना लंड रश्मि की चूत से बाहर निकाला, “रश्मि यहाँ आओ” रश्मि मूडी और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल दी. राज ने अपने लंड को
घस्ते हुए अपना वीर्य रश्मि की बाहर निकली जीब पर छोड़ दिया. रश्मि राज के सारे वीर्य को पी गयी और प्रीति के बगल में आ
बैठ गयी.

“अपने पति को मुझसे बाँटने के लिए शुक्रिया,” कहकर रश्मि ने प्रीति के होंठो पर अपने होंठ रख दिया. “वो बहोत ही अच्छा प्रेमी
है.”

प्रीति ने अपने पति के वीर्य का स्वाद अपने होंठो पे महसूस किया, उसी समय जीत हॉल में दाखिल हुआ.

“वाह क्या नज़ारा था, इस नज़ारे ने मेरे लंड को फिर खड़ा कर दिया है और में और चुदाई करना चाहता हूँ.” जीत ने अपने खड़े लंड
को हिलाते हुए कहा.

प्रीति ने मुस्कुरा कर जीत की ओर देखा और घोड़ी बन गयी. जीत उसके पीछे आ अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत मे डाल अंदर बाहर कर
रहा था. वो साथ ही अपने अंगूठे से उसकी चूत को रगड़ रहा था.

राज ये सब देख रहा था पर अपने आधे खड़े लंड को पकड़ उसने दूर ही रहना उचित संहा कारण उसमे इतनी ताक़त नही थी वो उनका साथ दे
सके.

“मेरी बीवी को मर्दों को खुश करना आता है.” उसने मन ही मन सोचा.

जब जीत ने देखा कि प्रीति उसकी उंगलियों के ताल से अपने कूल्हे पीछे कर उसका साथ दे रही है तो उसने अपने उंगली की जगह अपना लंड उसकी
चूत में पेल दिया.

जीत अब प्रीति को चोद रहा था और उसके हर धक्के पर प्रीति के मुँह से सिसकारी निकल रही थी.

“प्रीति में तुम्हे रश्मि की चूत चाट ते हुए देखना चाहता हूँ?’ जीत ने कहा.

रश्मि प्रीति के मुँह के सामने आ अपनी टाँगे फैला लेट गयी. प्रीति अपनी ज़ुबान निकाल रश्मि की चूत के बाहरी हिस्से को चाटने लगी.

प्रीति ज़ोर से रश्मि की चूत चाट रही थी और वहीं जीत ज़ोर के धक्के मार रहा था. प्रीति को अपना पानी छुट ता महसूस हुआ और वो
ज़ोर से रश्मि चूत को चूसने लगी.

रश्मि के मुँह से भी सिसकारिया निकल रही थी, प्रीति का शरीर आनंद में कांप रहा था उसी समय उसने महसूस किया कि जीत ने ज़ोर
के धक्के मारते हुए अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया है.

रश्मि ने जब देखा कि उसका पति प्रीति की चूत में अपना पानी छोड़ चुका है तो उसने प्रीति का सर अपनी चूत पे दबा अपना भी पानी प्रीति के मुँह में छोड़ दिया.

चारो लोग निढाल हो थक कर सोफे पर पसर गये. जीत प्रीति के मम्मे सहला रहा था और राज रश्मि की जांघों को.

“हमे ये सब एक बार फिर दुहराना चाहिए.” जीत ने प्रीति के मम्मे भींचते हुए कहा.

जीत ने सबको कंबल ओढ़ने के लिए दिए. प्रीति खुद ख्यालो मे खोई हुई थी कि पता नही भविस्य में और क्या लिखा है. थोड़ी
देर मे चारों गहरी नींद में सो गये
दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त



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