पत्नी के दिल में दूसरे मर्द के लिए प्यार जगाने की कहानी

करूंगा ख्वाहिशें तेरी पूरी मैं तुझ को पाने को।

नहीं छोडूंगा मैं तुझ को भले छोडूं जमाने को।

रहेगी होके तू मेरी चुदायेगी तू जब मुझसे

चुदेग़ी ऐसे तगड़ी के ना होगी दूर तब मुझसे।

सूरज की बात से यह तो बिल्कुल शीशे की तरह साफ हो गया था कि वह रीता को चोदने के लिए बड़ा ही बेताब था। पर यह भी जानता था कि रीता उसे आसानी से घास नहीं डालेगी। उस हालात में सूरज चाहता था कि हम दोनों कपल्स अपनी अपनी बीवी को एक-दूसरे के देखते हुए सब तरह का प्यार करें।

सब तरह के प्यार में क्या-क्या शामिल होगा यह मैं पूरी तरह से समझ नहीं पाया था। मेरे लिए यह जानना बहुत जरुरी था कि सूरज इसके बारे में क्या सोच रहा था?

मैंने पूछा, “सूरज, हर तरह के प्यार से तुम्हारा क्या मतलब है?”

सूरज ने कहा, “देखो राज, हर तरह के प्यार से मतलब है कि हम वह सब करेंगे जैसा मौका होगा। मेरा कहने का मतलब है कि जहां तक हमारी पत्नियां और ख़ास करके रीता आगे बढ़ने के लिए तैयार होगी, हम वहां तक आगे बढ़ेंगे। पर हम कुछ भी ऐसा नहीं करेंगे जिससे किसी भी तरह की कड़वाहट पैदा हो।

हमारी लेडीज जब तक कोई हंगामा ना खड़ा करदे, हम उनसे छूट लेते रहेंगे। अगर मौक़ा सही हुआ तो सब कुछ ही कर लेंगे, वरना जहां कुछ मामला बिगड़ा तो रुक जाएंगे। हमें कोई जबरदस्ती नहीं करनी है। पर उनकी धीरज और इंटरेस्ट का टेस्ट भी लेना है। ओके?”

मैंने फ़ौरन सूरज से कहा, “मैं तो ओके ही हूं।”

मैंने उसी शाम को मेरी सूरज से हुई बातचीत के बारे में रीता से कहा, “मैंने सूरज को समझा दिया है। उससे मैंने बात की और उसने मुझे वादा किया है कि इस बार वह तुम्हें पिछली बार की तरह परेशान नहीं करेगा। पर उसने मुझे पूछा कि क्या हम दोनों कपल्स अपनी-अपनी बीवियों को तो एक-दूसरे के सामने दिल खोल कर प्यार कर सकते है ना? इसमें तो तुम्हें कोई एतराज नहीं?”

रीता ने अपने कंधे हिला कर कहा, “अरे ठीक है यार, सूरज से कहना कि मस्त रहे और कोई टेंशन ना ले। मैं उसके ऊपर कोई गुस्सा नहीं हूं। अगर पति अपनी बीवी से प्यार दूसरे के देखते हुए भी करे तो उसमें किसी‌ को क्या आपत्ति हो सकती है भला? चाहे जितना प्यार करना है जी भर कर करे, पर करे अपनी बीवी को।”

फिर मेरी और देख कर कुछ मुस्कुराते हुए कटाक्ष में बोली, “तुम भी मुझे जी भर कर प्यार करना सूरज के सामने, अगर तुम्हें मुझ पर प्यार आता हो तो। पर देखना उससे कहीं सूरज को जलन ना हो। कहीं ऐसा ना हो कि सूरज अपनी बीवी को छोड़ मुझसे ही ना चिपक पड़े। फिर मेरे लिए बड़ी मुश्किल हो जायेगी।”

मेरी बीवी रीता का अंतिम वाक्य सुन कर मेरे कान खड़े हो गए। इसका मतलब यह था कि रीता भी मानने लगी थी कि सूरज रीता को प्यार करने लगा था, और मेरे मेरी बीवी को प्यार करने से सूरज को जलन हो सकती थी। खास तौर से रीता ने यह कहा कि सूरज मेरी बीवी को प्यार करने पर उतारू होने पर उसे मुश्किल हो सकती है, पर उसने यह नहीं कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए या ऐसा वह बर्दाश्त नहीं करेगी। मतलब कहीं ना कहीं क्या मेरी बीवी चाहती थी कि ऐसा कुछ हो?

मैंने कहा, “सूरज की एक ही रिक्वेस्ट और भी है कि वह हमें अपने बारे में कुछ कहना चाहता है। इसके लिए उसे अनौपचारिक और बिल्कुल स्पष्ट भाषा में कुछ कहना पड़ेगा, जो शायद तुम्हें अश्लील भाषा भी लग सकती है। तो तुम्हे उस पर कोई विरोध तो नहीं ना?”

रीता ने मेरे चेहरे को देखा। वह समझने की कोशिश कर रही थी कि मेरा कहने का कोई और गलत या गहरा तात्पर्य तो नहीं। जब मैं सीधे भोले-भाले चेहरे से उसे देखता रहा, तो वह बोली, “सूरज जरूर उसके और किरण के सेक्स के बारे में ही कुछ कहना चाहता होगा। तभी तो इतनी सारी भूमिकाएं बांध रहा है।

वैसे किरण तो मुझसे पहले से ही ऐसी साफ-साफ भाषा में बात कर रही है, जिसमें वह लंड, चूत, चुदाई ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रही है। अब तो मैं भी किरण से ऐसे ही बात करने लगी हूं। अगर सूरज हमारा जन्म दिवस इतने बढ़िया तरीके से मना रहा है तो उसकी साफ-साफ बातें भी सुन लुंगी मैं। कोई बात नहीं।”

रीता के जन्मदिवस को अभी पंद्रह दिन बाकी थे कि अचानक एक शाम को जब रीता घर पर आयी, तो ख़ुशी के मारे मेरे गले लग गयी, और मेरे गालों को चूमती हुई बोली, “राज, मुझे आज तुम्हें एक बहुत बड़ी खुशखबरी देनी है।”

मैंने आश्चर्य से पूछा, “क्या बात है? क्या खुशखबरी है?”

रीता ने कहा, “आज हमारी स्कूल के बोर्ड के डायरेक्टर ने मुझे उसके ऑफिस में बुलाया था। उसने मुझे कहा कि हमारे स्कूल ने मेरी प्रतिभा और योग्यता को स्वीकारते हुए एक ख़ास प्रोग्राम रखा है। उसमें बड़े गणमान्य व्यक्तियों को बुलाया गया है। उस प्रोग्राम में मेरा डान्स का ख़ास कार्यक्रम रखा है।

और जानते हो क्या? उस प्रोग्राम में मेरे गुरु भी आएंगे। और एक बात, वह प्रोग्राम मेरे जन्म दिवस की शाम को होने जा रहा है। पर सब से बड़ी खबर यह है कि वह प्रोग्राम उसी रिसोर्ट में होने जा रहा है जिसमें हम लोग मेरा जन्म दिवस मनाने जायेंगे।

किरण ने जब यह सुना तो कहा कि हम सारे प्रोग्राम हम वहां शाम के पहले ही करेंगे। इसका मतलब अब मुझे डांस की पूरी तैयारी करनी होगी। डायरेक्टर ने कहा है कि मुझे उस शाम के लिए खुद भी डांस करना है और स्टूडेंट्स को भी सीखा कर उनसे भी डांस करवाना है।”

मैंने रीता से कहा, “यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है।”

रीता कुछ निराशा से बोली, “बस? क्या तुम्हारे लिए यह सिर्फ एक ख़ुशी की बात है?”

मैंने अपनी बात को सुधारते हुए कहा, “नहीं यह तो बहुत ही बड़ी खबर है।”

रीता ने खुश होते हुए कहा, “बिल्कुल, यह तो बड़ा ही अच्छा समाचार है। काश यह प्रोग्राम सिर्फ स्कूल का छोटा सा प्रोग्राम नहीं होता। काश यह और बड़ा प्रोग्राम होता, तो मेरी जिंदगी का एक बहुत बड़ा सपना पूरा होता। अब तो वह ड्रेस जो सूरज ने मुझे तोहफे में दी थी, वह बहुत ही अच्छी तरह काम आ जाएगी। तुम सूरज को भी यह समाचार दे देना, और उसको दुबारा उस ड्रेस देने के लिए धन्यवाद करना। भूलना मत।”

मैंने रीता के कन्धों को थपथपाते हुए कहा, “चलो बड़े काम की शुरुआत हमेशा छोटे काम से ही होती है। इसलिए निराश नहीं होना चाहिए, और तुम्हें बड़ी संजीदगी से इस प्रोग्राम की तैयारी करनी चाहिए।”

रीता इस समाचार से बहुत ही खुश थी। छोटा ही सही उस प्रोग्राम से मेरी पत्नी का एक सपना पूरा होने वाला था। रीता बड़े ही जोर-शोर से उस प्रोग्राम की तैयारी में दिन-रात लग गयी। मैंने सूरज को सब बता दिया। सूरज मेरी बात सुन कर बड़ा ही खुश हुआ। सूरज ने मुझे रीता को बधाई देने के लिए कहा। हालांकि शायद उसे पता ही होगा क्यूंकि किरण ने शायद इस बारे में उसके पति को अवगत कराया होगा।

रीता के जन्म दिवस के दिन तय समय पर सूरज ने अपनी बड़ी कार भेजी थी। कार देखते ही मेरी पत्नी की भौहें खिल गयी। शायद औडी मेक की कार थी। जैसे ही हम लोग कार में बैठे, हमारे आड़ोस-पड़ोस के लोग भी देखने लगे कि हम कोई बड़ी गाड़ी में बैठ कर कहीं जा रहे थे।

जब मैं और रीता सूरज के बुक किये हुए रिसोर्ट पर पहुंचे, तो रीता को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ। हमारे पहुंचते ही बड़े से दरवाजे के ऊपर ही “हैप्पी बर्थडे रीता” बड़े अक्षरों में फूलों से सजाया हुआ लिखा हुआ था। जब हम अंदर दाखिल हुए तो रीता हैरान रह गयी। जब उसने देखा कि एक टेबल पर सजा कर एक बड़ा केक रखा हुआ था, जिस पर भी लिखा हुआ था “हैप्पी बर्थडे रीता।”

पर मेरी पत्नी रीता की आंखें फ़टी की फ़टी तो तब रह गयी, जब रीता की मुलाक़ात रीता और किरण के प्रधानाध्यापिका और दूसरे साथी शिक्षक गण से हुई। किरण और सूरज ने स्कूल की एक बस में सारे टीचर्स को आमंत्रण दिया था। रीता के स्कूल की प्रिंसिपल भी अपनी कार में आयी हुई थी।

रीता के स्कूल का सारा शिक्षक स्टाफ आया हुआ था। सूरज और किरण हमारे इंतजार में वहीं खड़े थे। हमारे पहुंचते ही किरण आगे आयी और उसने कहा, “आज सारे टीचर्स रीता को बधाई देने आए हैं।”

मैंने देखा कि यह सब देख कर रीता की आंखों में ख़ुशी के आंसू उभर रहे थे। उस दिन से पहले कभी भी रीता का जन्म दिवस इतनी अच्छी तरह से इतने सारे लोगों के द्वारा नहीं मनाया गया था। पार्टी में सूरज ने सब के लिए बियर और दूसरे ड्रिंक्स और खाने की व्यवस्था भी की थी।

रीता ने सारे टीचर्स के सामने वह बड़ी केक पर लगी मोमबत्ती को बुझाते ही सब लोग “हैप्पी बर्थडे टू यू रीता” गाने लगे। उसके बाद रीता ने वह केक काटी और पहले मुझे फिर सूरज और किरण को और बाद में सब को खिलाई।

सारे टीचर्स कुछ ना कुछ तोहफा ले कर आये थे। सब ने रीता को तोहफे दिए और सब को सूरज और किरण ने बड़ी हिफाजत से ड्रिंक पिलाई, खाना खिलाया और कुछ रिटर्न गिफ्ट भी दिए।

बस के साथ सब टीचर्स लौटने लगे तब स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने शाम के प्रोग्राम में सारे स्टाफ और स्टूडेंट्स के साथ प्रोग्राम के लिए वापस आने का वादा करते हुए हम से विदाई ली।

किरण और सूरज अंदर चले गए और मैंने और रीता ने सब को विदा किया। रीता इस तरह उसके जन्म दिवस के मनाने से बहुत ही ज्यादा खुश नजर आ रही थी। रीता की आंखों से खुशियों के आंसूं रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

मेरे जहन में तब रीता को सूरज के तगड़े लंड से चुदवाने की ऐसी जबरदस्त चूल उठ रही थी, कि मैं अपने उस मकसद को सिद्ध करने के लिए अधीर हो रहा था। कितने लम्बे अरसे से मैं रीता को चुदवाने के लिए सही बन्दे की तलाश में लगा हुआ था। सूरज जैसा सही बन्दा कहां मिलेगा?

मैंने उसी समय सोचा कि वही सही मौक़ा था जब रीता के ह्रदय में सूरज के प्रति आभार, संवेदना और ममता का अंकुर पनप रहा था। यदि इस मौके पर सूरज और रीता एक दूसरे के और करीब आएं और अगर रीता के मन से हीनता या दोषी होने की भावना हट जाए तो रीता के दिल में सूरज के प्रति स्वाभाविक रूप से ही आकर्षण पैदा हो जिससे मुझे रीता को सूरज से चुदवाने में रीता के ज्यादा विरोध का सामना ना करना पड़े।

रीता के स्कूल के स्टाफ को लौटा कर वापस आते हुए मैंने मेरी पत्नी रीता से कहा, “रीता, आज की पार्टी का पूरा श्रेय सूरज को जाता है। उसने इतने सारे लोगों को आमंत्रित किया, ड्रिंक्स कराये, खाना खिलाया। मुझे यह क़बूल करना पड़ेगा कि आज जो काम मुझे करना चाहिए था, वह सब काम सूरज ने किया है। सूरज ने ही आज बड़े प्यार से तुम्हारे जन्म दिवस पर एक पति की तरह जिम्मेवारी निभाते हुए यह सब इंतजाम भी किया है,‌ और इतना सारा खर्च भी किया है।“

रीता ने मेरी और देख ते हुए अपनी नम आंखों से अपनी सहमति जताते हुए अपना सर हिलाते हुए कहा, “तुम बिल्कुल सही कह रहे हो। सूरज ने ऐसा जन्म दिवस मनाया है जैसा हमने कभी नहीं मनाया। उनका जितना आभार मानें उतना कम है। उनका हमें अभी जा कर धन्यवाद करना चाहिए।”

यह कहानी भी पड़े  चाची को पाटने की तैयारी की - 1


error: Content is protected !!