पति,पत्नी,सास ,ससुर की रासलीला – Part 2

चाहे वो उसका माँ, बहन, भाभी, बेटी या बहु क्यों न हो. एह्फ्री सेक्स का सिलसिला उस घर के आदमी ने ही शुरू किया था और अब उन्केबहू के मैके मी और बेटी कि ससुराल मी भी चालू हो गया है.इसीलिए बहनजी मैतो कहती हूँ कि अप जो भी हो रह है होने दे और चुप चाप शामिल हो जाये.” इतना सुब सुन कर मा ने नुपुर सेबोली, “बहु मुझे तो कुछ समझ नही अत, पता नहीं तुम लोगो कोक्य हो गया है. अच्छा ले चल, अपनी मन कि मुराद पूरी कर ले. चलाज तू मुझे भी अपनी तरह चिनल बना दे और मेरी छूट मेरे बेतेके लौरे से चुदने दे.”इतना सुनते ही बाबुजी हंस दिए और बोले चलो आज से इस घर मी भिफ्री सेक्स चालू होने जा रह है. जय हो छूट महारानी और लुन्द्माहराज कि. फिर वो नुपुर के पास आकार खडे हो गए. मेरे ससुमांदर कमरे मी से माला और सिंदूर दानी उठा लाई. बबुजे ने एक मलानुपुर को पहनाया और नुपुर ने भी एक माला बाबुजी को पहनाया. फिर्बबुजी ने नुपुर कि मांग मी सिन्दूर भरा. मेरे ससुमा ने नुपुर को अशिर्बाद देती हुई बोली,

“अब तक तू मेरी बेटी थी मगर आज्से तुमेरी समधिन बन गयी है. मैं चाहता हू कि समधी जी तुझ्कोखुब छोड और साल भरके अन्दर तेरे गोदी मेक नन्हा सा बछाकेले.” फिर बाबुजी ने माला मेरे मा को दिया और बोले, “लो एह मलाब अपने बेटे के गले मी दल दो. आज से तेरा बेटा ही तेरा आदमी होगौर तुझको नंगी कर तेरी छूट मी अपना लुंड पेलेगा.” मा एह सुनकर बाबुजी से बोली, “अच्छा है, मैं तो तुम्हारे बुधे लुंड तंग आगई थी अब एक जवान लुंड मुझे चोदेगा और मेरी छूट कि मस्तिझारेगा.” इसके बाद मा ने नुपुर से माला ले कर मेरे गले पहना दियौर मुस्कुरा कर बोली, “अब तक तू मेरा बेटा था लेकिन आज मैं तुझ्कोमाला पहना कर तेरे को अपनी आदमी मानती हूँ और अब चल आदमी बनानेका फ़र्ज़ पुरा कर.” मैंने भी मा कि मांग मी सिन्दूर दल दिया और मा से बोला, “अब आज से तुम मेरी मा नही मेरी पत्नी हो और चलो मेरेबिस्टर पर और हमलोग अपने पतिपतनी का धर्म निभाएँगे.” बबुजीताब बोले, “रुको, रुको अभी नए नए शादी हुए है,

तुम लोग अप्नेबरों का पैर छुओ.” एह सुन कर मा और मैंने बाबुजी और नुपुर केपैर छुए और नुपुर ने मा को अशिर्बाद देते हुए बोली, “बहुस्वोभ्ग्यावती बोनो और जल्दी से पुत्रवती बनो.”तब मैंने देखा कि बाबुजी अपने कपरे खोलने लगे और अपने कप्रयूतर कर नुपुर को भी नंगी कर दिया.आज नुपुर अपनी झंते बिल्कुल्सफ़ कर रखी थी, उसकी छूट से हलके हलके रुस निकल रह था औरिस्लिये उसकी छूट बहुत चमक रही थी. मैं भी एह देख कर अप्नेकप्रे उतर दिए और अपनी मा के सामने बिल्कुल नंगा हो गया. मा मेराखारा १०” का लुंड देख कर बोली, “बेटा पार्थो तेरा तो लुंड बहुत्जंदर है. एह तो कोई भी चूड़ी या उन्चिदी छूट कि मस्त चुदाई कर के झर सकता है.” मैं तब अपनी मा के कपरे उतरने शुरू किया.सुबसे पहले मैंने उनकी साड़ी उतर दिया, फिर उनकी ब्लौसे के हूक्ख्लो कर ब्लौसे उनके शारीर से अलग किया. अब मेरी मा मेरे सम्नेसिर्फ़ पेट्तिकोअत और ब्रा पहने खरी थीं. मैं ब्रा के उप्पर से उन्किचुन्ची पाकर पहले हलके हलके से दबाया. चुन्ची पर हाथ पर्तेही मा बोली, “बेटा मेरी चुन्ची को जोर जोर से दबा, इसकी साड़ी दुध्तु आज पी ले, मेरी चुन्ची बहुत दिनों से थिक से मसली नही गयिहाई.”

मैं भी मा कि ब्रा खोल कर उनकी एक चुन्ची को जोर जोर दबनेलगा और दुसरी चुन्ची मी मुह लगा कर उसकी निप्प्ले अपने मुन्ह्मे लेकर चूसने लगा. मा अपने चुन्ची दबी और चुसी से गरमा गयीऔर अपने हाथों मी मेरा लौरा पाकर लिया और उसकी सुपर खोलने और्बंद करने लगी. अब मैंने भी मा कि पेट्तिकोअत का नारा खींच करुसको उनकी तंगो से अलग कर दिया. आज मा पेट्तिकोअत के नीचे पैंटी नही पहने हुए थी और उनकी पेट्तिकोअत खुलते ही वो पूरी तरह सेनंगी हो गयी. उनके नंगे होते ही मैं मा को बिस्टर पर चित लेतादिया और उनके उपर चरने लगा.तबतक बाबुजी बोली, “आरे पर्थोरुको, अभी एक काम बाकी है.” “क्या काम”, मैंने बाबुजी सेपुचा. “रुको मैं आ रह हूँ” बाबुजी बोले और चित लेटी नंगी माके पास आ गए. उन्होने मा कि छूट को अपने दोनो हाथ से खोल कर्बोले, “ले बेटा मैं आज नुपुर कि चुदाई कि फ़ीस पुरा कर रह हूँ, लीब तू भी मेरी बीवी कि छूट मी अपना लुंड पेल कर इसको जब चाहे,जैसे चाहे छोड़.”

मैं एह सुन कर अपनी नंगी मा पर पेट के लेट गया और दोनो हाथ सयूनकी चुन्ची मसलने लगा और अपनी होतों से उनकी होतों को चुस्नेलगा. अपनी चुन्ची मसले और होंठ चुसी से मेरी मा बहुत गर्मगाये और अपने पैर मेरे दोनो तरफ फैला दिए जिससे कि मेरा लुंड अबुनकी छूट के मुहाने लग गया. मैं धीर से अपनी मा से पूछा, “माब तुमको छोड़ सकता हूँ?” मा ने मेरे छाती मी अपना मुँह चुप कर्शर्मा के बोली, “जाओ मैं नही जानती.तुझे जो भी करना है कर,लेकिन जल्दी कर.” मैं एह सुन कर मा से बोला, “आरे छूट चुद्वानेकी इतनी जल्दी है तो मेरा लुंड को अपनी छूट कि दरवाजे पर रखौर फिर देख अमी कितना जल्दी करता हूँ.” मा ने मेरे लुंड अप्नेनाजुक तों से पाकर कर अपनी छूट पर लगा दिया और मुझको अपने हाथ और पैर से बांध लिया. अब मैं अपनी कमर को उठा कर एक जोर द्र्धक्का मर कर अपना १०” का लुंड मा कि छूट के अन्दर दल दिया. मैस जोर धक्के से तिलमिला उठी और जोर से सिसकारी मर कर हमको और्जोर से जाकर लिया. मैंने मा से पूछा, “मा क्या ज्यादा लग गया है,क्या मैं अपना लुंड बाहर निकल लूँ?” “ख़बरदार, लुंड बाहर मत्निकालना,

बस अब छूट मी अपना लुंड पेलते रहो और मेरी छूट का पनिनिकल दे.” मैं भी अब कमर उठा उठा कर अपनी मा कि छूट मी लुन्दंदर बाहर करता रह.मेरी मा अपनी छूट कि चुदाई इस जोरदार चुदाई से बहुत उत्तेजित होगई और बर्बराने लगी, “है! है! देखो देखो सब लोग देखो, कैसेमेरा बेटा मेरी छूट छोड़ छोड़ कर फार रह है. है! इसका लुन्द्कितना बार और मोटा है और छूट को कैसे सुख दे रह है. है!मैं तो मेरे बेटे के लुंड कि दीवानी हो गयी हूँ. आरे बेटा अब इसके बाद मैं तो घर पर कभी भी कपरे नही पहनुगा. गर पर हुमेशानंगी ही रहूंगी जिससे कि तू जब चाहे जैसे चाहे मेरी छूट मापना लुंड दल सकता है. हाँ हाँ और जोर से धक्के मर. पुरा का पुरालुन्द आने दे मेरी छूट मी, दल दल और तेजी से दल. क्या तुझको मेरिचूत मी अपना लुंड पेलने मी मजा अ रह है?” मैं तब अपनी मा किचूत मी अपना लुंड पेलते हुए बोला, “आरे मेरी चुदक्कर मा, तुम्हाराचूत तो पूरी मक्खन कि तरह चिकना है. इसमे लुंड पेलने मी बहुत्माज़ा आ रह है. कितने दिनों से मैं ऐसे ही सुन्दर चिकने छूट कोचोड़ने के लिए आतुर था. आज मेरी मन कि मुराद पूरी हो रही है.क्यों मा,

क्या तुमको मेरे लुंड से अपनी छूट मरवाने मी मज़ा आ रहहाई?”मा भी अपनी चूतर उठा उठा कर मेरे धक्के के जवाब देतिजा रही थी और मुझको चूम रही थी, फिर मा ने मुझ्सेपुचा, “क्यों बेटे मेरी छूट छोड़ने मी तुझको मजा आ रह है न?मेरी चुतर पर लेटने से तुझको मज़ा आ रह है कि नही, तुझ्कोताक्लीफ़ तो नही हो रह है?” “आरे नही मा, तकलीफ कैसा? मुझको तुम्हारी छूट मी लुंड दल कर छोड़ने मी बहुत मज़ा आ रह है. अब्मै रोज़ तुम्हारी छूट छोडा करूँगा, तुम चुद्वओगी नहुमसे?” माबोली, “आरे बेटा मैं तो तेरे लुंड कि देवानी हो गए हूँ, अब जब्चाहे जैसे चाहे तू मुझको छोड़ना रोज़ छोड़ना. अच्छा अब बाते बंदकर और मन लगा कर मेरी छूट मर. बहुत मज़ा आ रह है.”उधर बाबुजी ने भी नुपुर को मा के बगल मी लिटा कर उसकी छूट मापना लुंड दल छोड़ रहे थे. नुपुर मेरे और मा कि चुदाई कि बतेंसुं कर मुस्कुरा रहे थी. उसने अपना एक हाथ बारह कर मा कि एक्चुन्ची अपने हथ्ले कर उसकी निप्प्ले को मसल रही थी.

नुपुर नेअपनी ससुमा से पूछी, “क्यों ससुमा अपने बेटे लुंड खा कर मस्त होरही हो? इधर मैं भी अपने ससुरजी का लुंड खूब मेज़ से अप्निचूत को खिला रही हूँ. एक साथ एक ही बिस्टर पर बाप बेटे दोनो अपनी बहु और मा कि छूट मी अपनी अपनी लुंड दल कर छोड़ रह है,सही मी बहुत मज़ा अ रह है. ससुमा आप् को मज़ा आ रही न. अबाज से इस घर मी भी फ्री सेक्स चालू हो गया है. एह एक अच्छी बठै. अब हमे इस फ्री सेक्स मी घर के और मेम्बेर्स को शामिल कर लेनाचाहिये. क्यों ससुमा आपका क्या ख्याल है.” मा ने तब अपनी हाथ सेनुपुर कि छूट पर एक हलकी सी चपत जमाते हुए बोली, “सही मेबहू, इस फ्री सेक्स मी बहुत मज़ा है. अब आज से सेक्स के बारे तू जो भिकहेगे मैं सब बात मनुगी. अब हम अपनी बेटी और दामादों को भी इस्फ्री सेक्स मी शामिल कर लेंगे. मुझे तो एह सोच सोच कर मस्ती चर्रही है कि मैं अब अपने दामादों कि लुंड अपने बेतिओं के सामने अप्निचूत मी पिल्वौंगी.” “हाँ मैं भी अब अपने भाई को इन्ह बुला लौन्गीऔर उसका लुंड भी आपकी छूट को खिल्वौंगी” नुपुर मी मेरे मा सेकही. बबुजे तब मुझसे बोले, “बेटा बात बाद मी करना,

अभी जो कर रहे हो वो पुरा करो. जल्दी से अपनी मा कि छूट कि मस्ती झारो.मैं तो अब नुपुर को छोड़ते छोड़ते झरने के करीब अ गया हूँ, तेराक्य हल है.” मैं अपनी मा कि बुर मी अपना लुंड धकियाते हेबोला, “बाबुजी मेरा भी मॉल अब गिरने वाला है, क्या मैं मा कि चूटके अन्दर अपना मॉल गिरा सकता हूँ?” “बेटा वो छूट अब तेरे छोड़ने किएलिये है, तेरी मरजी तू कहाँ अपना मॉल गिर्यागा, छूट मी, गंद मी यौसकी मुँह मी. मैं तो अपना मॉल नुपुर कि छूट के नदर ही डालूँगा”बाबुजी अपनी चुदाई रोक कर नुपुर कि चुन्ची को चूसते हुए मुझ्सेबोले. तब मैंने अपनी मा से पूछा, “बोल मेरी चुद्ती मा बोल, कहान्मै अपना मॉल गिरों? क्या तुम्हारी छूट के अन्दर दल दूँ या फिर्बहर निकल कर तेरे पेट के उप्पर चोरून?” मा अपनी कमर उचाल्तेहुए बोली, “आरे बेटा, बीज चाहे जिसका भी हो, जिसका खेत है फसलुसी कि नाम होता है. तू मेरी छूट के अन्दर ही अपना पानी चोर.आरे जब बेटे लुंड अपनी छूट मी पिल्वाया है तो उसका पानी भी छूट कंदर ही लूंगी.

मैं तो झरने वाली हूँ अब तू भी अपनी जल्दी जल्दिचोद कर अपना लुंड मेरे छूट के अन्दर झर. मैं अपने बेटे से चूत्चुद्वा कर अपनी पेट मी उसकी बाछा लेना चाहती हूँ.” मैं एह सब्सुं कर अपना लुंड मा कि छूट के जर तक घुसेर दिया और मेरा लुन्द्से पानी निकल कर मा कि छूट भरने लगा. मेरे झरने का साथ हिसाथ मा भी अपनी छूट के पानी से मेरा लुंड को नहला दिया.इंडियन फमिली मी चुदाई (कोन्त्द.)अब तक बाबुजी ऎंड नुपुर ने भी अपनी चुदाई पुरा कर चुके थे.जैसे ही मैं अपना लुंड मा कि छूट से बाहर निकला, नुपुर झट मेरेपस अ गयी और मेरा लुंड, जिसमे से अभी मा और मेरे पानी कमिश्रण छु रह था, पाकर कर मा के मुह मी कागा दिया और बोली, “आरे ससुमा जल्दी अपनी मुह खोलिए और एह अमृत को चाट चाटकर साफ कर दीजिए. एह अमृत बहुत ही कीमती है और इससे स्त्री कसुन्दरता और भी बर्हता है.” मा भी नुपुर के कहने के अनुसर्मेरा लुंड अपने तों से पाकर कर चाट चाट कर साफ कर दिया. ताभुम लोग नंगे ही खाना खाने कि टेबल पर अ गए और खाना खाया.खाना खाने के बाद, मेरी ससुमा, नुपुर कि मा, बोली “हम अब तक तुम्लोगों कि चिदै देख देख कर गरमा गयी हूँ अब कोई एक मेरी चूत्मे अपना दल कर चुदाई करे.” नुपुर अपनी मा से बोली, “अभी नही,तुम्हारी चुदाई तो कल होगी.

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कल तुम्हारी शादी पार्थो से होगा और तब्तुम अपने आदमी लुंड से अपनी छूट मर्वोगी. अभी तुम हम सब को एक्नंगी डान्स दिखा दो.” मेरे ससूमा अपनी बेटी कि बात मन कर हमसब के अपनी नंगी जिस्म को मोर मोर कर, अपनी गंद और चुन्ची हिलाहिला कर एक फिल्मी गाना के साथ डान्स किया. इसके बाद हम लोग फिर सेबेद्रूम मी चले गए और अपनी अपनी चुदाई कि सेकंड राउंड कितायारी करने लगे. बाबुजी कमरे आते ही नुपुर को अपनी गोदी बैथालिया और उसकी चुन्ची को दोनो तों से मसलन शुरू किया. नुपुर भी पीछे नही थी. उसने भी अपनी हाथों बाबुजी का लुंड पाकर कर्मरोरने लगी.मई भी एह देख कर अपनी मा के पास गया उनको अप्नेपस लिटा कर उनकी चुन्ची से खेलने लगा.थोरी देर बाद मा ने मुझसे बोली, “बेटा ला मैं तेरा लुंड चूस देतिन्हून.” मैं जल्दी से मा कि पैर कि तरफ मुह कर के लेट गया और माकी छूट पर अपना मुह रख दिया. अब मेरी मा मेरा लुंड अपने मुह मेले कर्चुस आरही थी और मैं उसकी छूट को अपनी जीव से चाट रहता.

थोरी देर के बाद बाबुजी भी पलंग के किनारे पर बैठ गयेऔर नुपुर ने भी उनका लुंड अपने मुह मी लेकर चूसने लगी. दोनोऔरत लुंड चूसने मी माहिर लग रही थी क्योंकि थोरी देर मी ही हुम्बप बेटे का लुंड खरा हो गया. बाबुजी ने तब नुपुर को पलंग पृथा कर पेट के बल ऐसे लेटा दिया कि उसकी टंगे पलंग के नीचेझूल रहे थी और कमर से उप्पर का हिस्सा पलंग पर था. बबुजीने तब अपना खरा हुआ लुंड नुपुर कि छूट कि छेद पर रख कर एक्धाक्का दिया और अपनी लुंड नुपुर कि छूट मी उतर दिया. नुपुर अपनी छूट मी लुंड घुसते ही बोली, “है! ससुरजी बार मज़ा अ रह है,इस तरीके से तो आपका पुरा पुरा लुंड मेरी छूट मी घुस गया है. अबाप धक्के मर मर कर हमको छोडिये. जरा मेरी ससुमा भी देख लेंकी उनके पति का लुंड कैसे उनकी घर कि बहु कि छूट मी घुस कर्कस कास कर चोदै कर रह है.” एह सुन कर मा बोली, “मुझे तोपहाले से ही मालूम था कि मेरे बेटे कि शादी एक चिनल औरत से होगई है और्चिनल औरत को तो बस लुंड चाहिऐ अपनी छूट कि चुदैके लिए.

लुंड कि भूखी चुदासी चिनल औरत एह कभी नही देख्तीकी छोड़ने वाल लुंड किसका है, उसका पति का या अपने ससुर का. चुदा लोबहू अपने ससुर के लुंड से बाद मी न कहना कि ससुमा ने पाने पतिका लुंड नहे दिलवाया.” नुपुर एह सुन कर बोली, “आरे वह मेरिचुदाक्कर ससुमा, अपने बेटे का लुंड अपनी छूट से खा रहे हो और्हुमे ज्ञान दे रही हो. सही सही बताना ससुमा, अब तक कितने लुंड अपनी छूट से खा चुकी हो. हमे तो लगता है आप् कि छूट अब तक्कई लुंड के धक्के झेल चुकी है.” मा बोली, “हरामजादी चिनाल्ससुर छोडी नुपुर भोसरिकी, तहर जा तेरी जुबान अब बहुत चल रहीहाई, मुझसे पूछती है कि मैंने कितना लुंड से अब तक चुद्वाई है.आरे तू अपनी बोल, अब कितने लुंड का पानी अपने छूट और गंद मी भारिराखी है. आरे मैं तो अब तक करीब एक दर्ज़न लुंड अपनी छूट मेपिलवा चुकी हूँ और इनमे से कई ने तो मेरी गंद का मज़ा भी लियाहाई. आज तेरी गंद भी मेरा, नही अब तेरा, मर्द भी चोदेगा. क्या तुवो हलाब्बी लुंड अपने गंद मी पिलवा पायेगी?” “आरे ससुमा, क्योंपरेशन होते हो, एह क्या इससे मोटा और लुम्बा लुंड भी मैं अपने गंदौर छूट मी पिलवा सकती हूँ” नुपुर बोली.अब तक मैं और बाबुजी मा और नुपुर कि बातें सुन रहे थे.

बबुजीबोला, “आरे चुदाई करते वक़्त क्यों माथा पाछे कर रहो? अभी हम बाप बेटे मिल कर दोनो कि छूट और गंद पच्छी किये देता हूँ.” एह्कः कर बाबुजी ने नुपुर कि छूट से अपना लुंड निकला और उसको फिरसे नुपुर कि गंद मी एक झटके से दल दिया. नुपुर अपनी गंद मेबबुजी का लुंड एक झटके से दुल ने से चीख उठी और फिर शांत होगये और कहने लगी, “है ससुरजी, एक ही झटके मी पुरा पुरा कलुन्द मेरी सुखी गंद मी उतर दिया, खैर कोई बात नही. अब आप् मंलगा कर अपनी प्यारी बहु कि गंद और छूट आराम से छोडिये.” एह देखकर मेरी मा कुझ्से बोली, “बेटा, तेरा बाप और तेरी औरत तो फिर सेजवानी का खेल खेलना शुरू कर दिया है, क्या तू अभी भी मेरी चूत्मे मुह दल कर पर रहेगा? चल जल्दी मेरी छूट से मुह हटा औरुसमे अपना लुंड दल कर मेरी चुदाई शुरू कर दे.” मैं मा सेबोला,

“मा अभी तो मैंने तुम्हारी छूट मारी, अब तुम्हारी गंद मर्नेकी इच्छा है. बोलो क्या अपने बेटे का लुंड अपने गंद मी लोगी?” मेरी मा ने मुझसे कही, “बेटा अब तो हमारी और तुम्हारी शादी हो गयीहाई और इसलिए एह शारीर अब तुम्हारा है, तुम चाहे मेरी छूट चोदोया मेरी गंद मरो या अपना लुंड मेरी मुह मी दल उसको चुस्वाओ, मुझेसब मंजूर है. अब हट मुझे पट लेटने दे और फिरतु मेरी गंद अपनालुन्द पेल कर मेरी गंद मरना शुरू कर.”इसके बाद मा बिस्तर पर नुपुर के बगल मी पट लेट गयी और अप्निदोनो हाथों से अपनी चुतर को खींच कर अपनी गंद कि छेद को खोला.तब मैंने ढेर सारा कोल्ड करें उनके गंद कि छेद मी अपनी ऊँगली सेंदर और बाहर लगाया. इसके बाद मैं मा के उपर चार गया और अप्निहथों से उनकी चुन्ची को पाकर कर मसलने लगा. थोरी देर्चुन्ची मसलने के बाद मा ने अपनी चूतर नीचे से उपर कि तरफुचालने लगी. मैं समझ गया कि अब मा गंद मरवाने के लिए गरम्हो गयी है. मैंने तब ढेर सारा ठुक लेके अपने लौरे मर माला और अपना लुंड का सुपर मा कि गंद कि छेद पर रख दिया. मा तब धिरेसे बोली, “शुरू मी धीरे धीरे लुंड पलना, नही तो बहुत दर्धोगा.” मैंने अपनी मा कि चुन्ची कि घुंडी को मसलते हेबोला, “बिल्कुल मत घरों, मैं बहुत धीरे धीरे तुम्हारी गंद मी अपनालुन्द घुसेरुन्गा, तुमको कोई तकलीफ नही होगी.”

“ठीक है, चल्लुन्द मेरी गंद मी दल” मा बोली. मैंने अपनी कमर को धीरे धिरेआगे करते हुए अपना सुपर मा कि गंद मी दल दिया. गंद मी मेरालुन्द घुसते ही मा सिस्किया लेनी शुरू कर दी और मुझसे बोली, “बेतातु वाकई ही एक मर्द है. अभी तुने मेरा छूट को छोडा और फिर तुमेरी गंद मर रह है. तेरे लुंड मी बहुत ताकत है. मैं तेरे लुन्द्पर कुर्बान हो गयी हूँ. बोल तू अब मुझ को रोज़ चोदेगा और मेरी गंद्मारेगा?” मैं मा कि गंद मी लुंड अन्दर बाहर करते हुए बोला, “आरेमेरी चुदासी मा, क्यों घबराते हो, अब हम एक फ्री सेक्स फमिली केमेम्बेर हैं. इसलिए मैं नही तो और कोई तुम्हारी छूट और गंद दोनो मरेगा. तुम्हारी छूट और गंद खली नही रहेगा. अब देखो न नुपुर्कल या परसों तक सुंदर और सुधा को भी पता कर हमारे फ्री सेक्स्ग्रौप मी शामिल कर लेगी, फिर तुम्हारी छूट और गंद कि चुदैसुन्दर कि लौरे से होगी और मैं अपना लुंड सुधा कि छूट और गंद मेपेलूँगा और बाबुजी अपना लुंड नुपुर और उसकी मा कि छूट मेदालेंगे.” इतना कह कर मैंने मा कि दोनो चुन्ची को दोना हाथों सेक्स कर पाकर लिया और जोर जोर से उनकी गंद मी अपना लुंड डालने लगा.थोरी देर के बाद मैं और मा दोनो एक साथ झर गए. झरने के बद्मा ने मेरा लुंड को अपनी मुह मी भर कर चाट चाट कर चूस चूस कर्सफ़ कर दिया.इधर मैं अपनी मा कि गंद मर रह था और उधर बाबुजी और नुपुर दोनो बहुत जबरदस्त चुदाई मी जुटे हुए थे. इस समय नुपुर बबुजीके ऊपर बैठ कर उनका लुंड अपने छूट से छोड़ रही थी.

वो जबुचल उचल कर धक्के मर रही थी तो उसकी चुन्ची हवा मी उचाल्राहे थे और वो जोर जोर सिसकी मर कर बुबुजी के लुंड पर अप्निचुतर उचल कर अपनी छूट चुद्वा रही थी. हमलोग को फारिग होतेदेख कर नुपुर ने मेरे और अपनी मा से बोली, “देखो, देखो बेटा और्दमद चूड़ी रंदिओं देखो, कैसे मेरे ससुर का लुंड मेरी छूट कंदर बाहर हो रह है. इस समय मैं तो सत्येन असमान उर रही हूँ.तुमलोग कि छूट का क्या हल है.” मेरी ससुमा ने तब बोली, “सबश्बेती सबश, तू मेरे नाम रोशन करेगी. अपनी जवानी मी मैं भी खूब लुंड अपने छूट और गंद मी पिल्वाया है. आज तुझको अपने ससुर कयूप्पेर चार कर उनकी लुंड को अपने छूट से छोड़ते हुए देख कर बहुताच्छा लगा. तुझको देख कर मुझे अपनी जवानी कि यद् आ गयी. मैबोला, “क्या सासु मा क्या यद् अ गया?” तब मेरी सासु मा बोली, “आरेयद क्या आया, मेरी तो छूट पूरी तरह से गीली ho gayee. मैं भी इसितारह से अपनी शादी के बाद अपनी ससुर और जेठ को छोडती थी, और्वो लोग नीचे से अपनी कमर उचल उचल कर मेरी छूट मी अपना अपनालुन्द पेल्लेट थे और दोनो हाथों से मेरी चुन्ची को मसला कर्तेठे.” “आरे वह, मा तुम तो मुझसे भी जयादा चुद्दक्र थी,”

नुपुर्बबुजी को छोड़ते हुए बोली.तब मेरी मा बोली, “आरे बेटी एह तो कुछ भी नही. मैं जब शादी केबाद अपनी ससुराल मी गयी तो सुहाग रात के बाद से घर के सरे मर्द्बरी बरी से हमे छोड़ते थे. एक मेरे उपर से उतरा नही कि दुस्रापना लुंड खरा किये मेरे उपर अ जाता था और मैं पैर फैलाये सुब के लुंड अपने छूट मी पिल्वाती थी. और तो और, कभी कभी तो घरके दो दो मर्द एक साथ मेरी चुदाई करता था, एक खरे खरे मेरिचूतर पाकर कर मेरी छूट मी अपना लुंड डालता था और दूसरा मेरेपीचे आ कर मेरी चुन्ची पाकर कर मेरी गंद मी अपना लुंड पेल्ताथा. शादी के बाद करीब ५६ साल तक मुझको ठीक से कपरे पहन्नेका मौका नही मिल क्यों कि हर वक़्त कोई न कोई मुझको नंगी कर केकिसी न किसी असं से छोड़ता था. मैं करीब करीब उन्दिनो घर कंदर नंगी ही बिस्टर पर परी रहती थी और घर का कोई न कोइमार्ड आकर हमारे उपर,

नीचे और पीछे कि मुह से हमे अपना लुन्द्खिला जाता था. मेज़ कि बात तो एह था कि घर के सभी औरतों कोमेरी लगातार चुदाई कि बात मालूम थी क्योंकि कभी कभी जब कोई घर का आदमी हमे छोड़ता था तो उनकी बीवी भी हमरा पलंग के पस्खारी रहती थी और वो अपने आदमी को जोश दिला दिला कर मेरिचूत और गंद कि चूड़ी करवाती और फिर हंस कर अपने कमरे मेचाली जाती थी.एक बार कि बात है जब कि घर के सरे लोग दुस्रेगओं मी गए हुए थे और घर पर सिर्फ मैं और मेरी सास थी. ताभिघर का दो नौकर आकार मेरी सास और मेरी साड़ी उठा कर हमे चोद्दिया. मेरे आँखों के सामने मेरी सास ने उस दिन दिल खोल अपनी चूत्घर के नौकर से मर्वई, फिर हमे बाद मी मालूम चला कि मेरी सासुस नौकर से पहले से ही चुद्वाती थी और अपनी बात छिपाने केलिए उन्होने मेरी छूट भी दुसरे नौकर से चुद्वा दिया. एह सिल्सिलाकफी दिनों तक चला और बाद मी मुझको मालूम हुआ कि घर कि सरिलार्केँ और औरतों कि छूट और गंद से इन नौकरों की लुंड खातीथी.

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फिर तो एक दिन जब घर पर कोई नही था, हम सब औरतों नेमिल कर एक ही कमरे मी अपनी छूट उन नौकरों से चुद्वाया और अपने सामने लटकों कि गंद मर्वई.मैं अपनी सास और मा कि बातें सुन कर बहुत गर्नमा गया और मेरालौरा तन्ना गया. एह देख कर मेरी सास झट मेरे सामने बैठ गयीऔर मेरे लुंड अपनी मुह मी घुसा कर जोर जोर से चूसने लगी. तब माभी मेरे सास के पीछे बैठ कर उनकी छूट से अपनी मुह मिल दियौर उनकी छूट को अपनी जीव से चाटने लगी. जब मेरा लौरा तन्तानागाया तो मेरी सास बैठे बैठे ही पलता गयी और मेरी तरफ अप्निगंद कर दिया और्मै भी अपना खरा लुंड उनके गंद मी दल दिया.बाबुजी तब नुपुर से बोले, “जा चिनार, जाकर सुन्दर और्सुधा को भिबुला ला. आज हमलोग उनलोगों को भी अपनी फ्री सेक्स फमिली मी शमिलकर लेटा हूँ.” एह सुन कर नुपुर ने अपने बदन पर एक साड़ी लप्पेट ली और मुस्कुराती हुई चल दी. थोरी देर के बाद नुपुर अपने साथ्सुन्दर और सुधा को साथ लेकर कमरे आई.

जब सुन्दर और सुधाकमारे मी आई तब मैं मा को गोदी पर बैतः कर उनकी छूट मी डालकर उनकी चुन्ही मसल रह था और बौजी मेरे सास को घोडी बनाकर पीछे उनकी छूट मी लुंड दल कर उनको छोड़ रहे थी. एह सब्देख कर सुन्दर अनर सुधा कि आंखे पहिली कि पहली रह गयी. तब्मा मेरे गोदी से उठ कर सुन्दर के पास गयी और उसके कपरों कयूप्पेर से उसका लुंड पाकर कर मसलने लगी. सुंदर का लुंड पर अप्नेमाल्किन हाथ परते ही खरा होने लगा था. सुधा भी हमारी समुहिक्चुदै देख कर गरमा गयी थी और वो आगे बढ़ कर मेरे लुंड अप्नेहाथ माँ पाकर लिया और थोरी देर उसको मसलने बाद झिक कर मेरा लुन्द्का सुपर निकल कर चूसने लगी और मैं भी ब्लौसे के उप्पर से सुधा कि चुन्ची पाकर कर दबाने लगा.एह सब देख कर बबुजीहुमारे पास ई और सुधा के पीछे खरे हो गए और उसकी साड़ी और्पेत्तिकोअत् उठा लार अपना लुंड सुधा कि छूट मी एक ही झटके से उतर्दिया.सुधा वैसे ही एक बहुत ही कामुक औरत थी.

अपने छूट मी बबुजीका लुंड घुसते ही सुधा अपना सर घुमा कर बाबुजी को देखा और्मुस्कुरा कर बोली, “बाबुजी मैं जानती हूँ कि आप् बहुत अच्छे तरिकेसे छोड़ते है और आपका लुंड बहुत मोट और लुम्बा है. छोडिये बबुजीमेरी छूट खूब जोर जोर से धक्के मर कर छोडी. मैं इस समय बहुत्गार्मा गयी हूँ, क्योंकि जब बीबीजी (नुपुर) हमारे कमरे मी गयीथी उस समय हम चुदाई कि तयारी कर रहे थे. इसलिए मैं कफिगार्मा गयी थी और इन्ह आ कर आप् लोगो कि चुदाई देख कर मैं तो आपे से बाहर हो गयी हूँ. इस समय आप् कुछ मत कही बस मेरिचूत मी अपना लुंड पेलते रहिये. जितना बात हो वो सब बाद मी कर्लेंगे.” बबुज्जे भी सुधा के कहने अनुसार सुधा कि चुतर को अप्नेहथों से पाकर कर उसको छोड़ते रहे. उधर मा अबतक सुन्दर का लुन्द्चुस चूस कर चुदाई के टायर कर लिया था और सिंदर मा को घोरिबना कर पीछे से उनकी छूट छोड़ रह था. इन लोगो कि चुदाई देखकर मेरी सास गरमा गयी और चुदास से भर उठीं. वो मेरे को चित्लेता कर मेरे उप्पर चार कर मेरा लुंड अपनी छूट मी ले लिया और्नुपुर भी मेरे उपर चार कर मेरे मुह से अपनी छूट भीरा दिया और्बोली,

“चाटो मेरे रजा, मेरी छूट चाटो. इस समय तो तुम्हारी मापने नौकर का लुंड अन्दर ले रही है और तुम्हारा लुंड मेरी मा नेअपनी छूट मी घुसेर लिया है. अब तुम अपने बाप कि चूड़ी मेरी छूट को चाटो और अपनी जीव से छोडो.” मैं भी नुपुर कि छूट मी अपनाजीव घुसेर दिया और अपना कमर उठा उठा कर सास कि छूट को अप्नेलुन्द छोड़ना शुरू कर दिया. पूरे कमरे मी चुदाई कि फच फच्पकत पकट कि आवाज गूंज रही थी और पुरा कमरा चुदाई कि महोलसे भरा हुआ था. जमीन पर मा को सुंदर और सुधा को बबुजीघोरी बना कर ढाका धक् छोड़ रहे थी और मा और सुधा कि मुह सेसिस्कारी निकल रही थी. सुधा कभी कभी अपनी हाथ बारह कर माकी चुन्ची मसल रही थी.थोरी देर के बाद बाबुजी और सुंदर दोनो झर गए और उन्होने अपनापन लुंड छूट के अन्दर से निकल लिया. लुंड निकलते ही मा और्सुधा कि छूट से सफ़ेद सफ़ेद घर पानी निकलने लगा. एह देख कर मा और सुधा ने एक दुसरे कि छूट मी अपना मुह लगा चाटना शुरू करदिया और दोनो ने एक दुसरे कि छूट चाट चाट कर साफ कर दिया. फिर्दोनो ने सुंदर और बाबुजी का लुंड को चूस कर साफ कर दिया.

इधाराब्तक मेरी सास और नुपुर भी अपनी अपनी छूट का पानी निकल चुकिथी. अब सुधा और नुपुर बिना कोई कपर पहने नंगे ही कित्चें मजा कर चाय और नाश्ता बना कर कमरे मी आईं और हम पंचो नेमिल कर नंगे ही चाय पिया और नाश्ता किया. नाश्ता करते वक़्त चरोनौरतें एक लीन से नंगी हो कर पैर फैलाये हमारे सामने बैठेथी. उनकी इस तरह से बैठने से उनकी छूट कि पत्तियन काफी खुलिहुई थी और हमलोगों को उनकी गुलाबी छूट अन्दर तक साफ साफ दिख्रह था. वो जब आपस मी या हमसे बात कर रही थी तो उन्किचुन्ची हिल रही थी. एह सब एख कर हम लोगो कि खरा होना शुरुहो गया और हमने अपनी लुंड को सहलाने लगे. एह सब देख कर औरतों का मन अब खराब होने लगा और वो उठ कर हम लोगों के पास आ गयी.सुधा और मेरी मा मेरे पास, नुपुर बाबुजी के पास और मेरी सस्सुंदर के पास आ कर खरी हो गयी. हमने सुधा कि नंगी चुन्चीपर अपना हाथ रख कर उसकी चुन्ची को अपने हाथों से धीरे धिरेदाबने लगा.सुधा हमसे बोली, “क्या भैयाजी औरतों कि चुन्ची धीरे धिरेनाही दबाया जाता. उनको तो जोर जोर से मसलन चैहिये. मैंने सुधासे पूछा,

“औरतों के साथ और क्या क्या करना चैहिये?” तब सुधाबोली, “आरे मेरे भोले रजा, तुम्हे मैं क्या क्या बातों कि औरतों केसाथ क्या क्या करना कहिये. आरे औरतों का शारीर से खूब जम खेल्नाचैहिये. उनकी चुन्ची और चुतर को दम लगा कर मसलन चाहिऐ, उनकी चुन्ची को मुह मी ले कर चूसना चाहिऐ, उनकी बुर को को हथोंसे दबाना, मसलन और जीव से चाटना चाहिऐ, फिर उनके बुर मी अपनागाधे जैस लुंड दल जम कर छोड़ना चाहिऐ. अब समझे कि औरतों सेक्य क्या करना चाहिऐ.” मैं तब सुधा कि एक चुन्ची अपने हाथ सेक्स कास कर मसलने लगा और दुसरी चुन्ची को अपने मुह मी भर कर्चुसने लगा. सुधा अपनी चुन्ची मसलने और चूसने से बहुत गर्मगाई और मेरा लुंड पाकर उसकी सुपर को खोलने और बंद करने लगी.मैं जब अपना कमर उपर को उठाया तो सुधा झुक कर मेरे सुपर कोअपने मुह मी भर कर चूसने लगी. सुधा को झुकते देख कर मैं नापना हाथ उसकी पीठ पर से ले जा कर उसकी चुतर को सहलाने लगौर फिर अपनी एक उंगली उसकी गंद कि छेद पर रख दिया और दुस्राहाथ उसके चुन्ची पर से हाथ कर उसकी छूट पर रख दिया. अप्निगंद और छूट पर मेरा हाथ परते ही सुधा मेरी तरफ देखी और्मुस्कुरा दिया और अपनी कमर हिला हिला कर मुझको इशारा करे लगीकी मैं उसकी छूट और गंद को अपनी उंगली से खोडून.

मैं भी सुधा कि इशारे के मुताबिक उसकी छूट और गंद मी अपना उंगली पेल करंदर बाहर करने लगा. सुधा अपनी छूट और गंद मी मेरा उन्ग्लीपिलवा कर बहुत गर्म हो गयी और मुझसे बोली, “भैयाजी अप्किउन्गली काफी मोती और लुम्बी है, मेरी छूट और गंद दोनो अप्किउन्गली से फैल गयी है. जब अक लुंड इनमे घुसेगा तो न जाने क्याहोगा.मुझे तो आप् अपनी उंगली से ही छोड़ कर खलास कर दोगे।” मैताब बोला, “साली रंडी कुटिया चिनल सुधा अभी तो मैं तेरी गंद और्चूत मी सिर्फ अपनी उंगली ही डाला है तो अपनी कमर चलाना शुरुकर दिया. जब मैं अपना लुंड तेरी आगे और पीछे के छेद मी दलुन्गातो तेरी छूट ऎंड गंद दोनो फट जायेगी.”इतना कह कर मैंने पाना लुंड उसकी मुह से कींच कर निकला और उस्केप्पीचे आ गया. मेरा लुंड सुधा कि ठुक से काफी गिला हा गया था और मैं अपना लुंड उसकी छूट के दरवाजे पर रह कर एक हल्का धक्कामारा तो मेरा सुपर उसकी छूट मी धंस गया. मेरा लुंड काफी मोताहोने के कारन सुधा को तकलीफ हो रही थी और वो मुझ्सेबोली, “प्लेस इस को बाहेर निकालो मुझे दर्द हो रह.” मैंने उसकी बातको न सुनते हुए उसकी छूट मी पाना लुंड धीरे धीरे अन्दर दल्नेचालू किया. सुधा जोर जोर से चीकें मर्नाय्लागी,

“आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआआआआ, प्ल्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज़, बहर्निकलूऊऊऊऊऊऊऊऊओ, प्ल्ज्ज्ज्ज्ज्ज़ बोहत दर्द होता हैईईईईईईप्ल्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्” लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और जोर जोर से उस्किचूत मी लुंड पेल कर उसकी छूट मरने लगा.” थोरी देर बाद सुधाको भी मज़ा आने लगा और उसकी मुह से मजेदार आवाजें निकालना शुरू हो गयी, “ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ, और जोर से, अंदर करो, प्ल्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज़ और्जोरे से, और आगय्य्य्य्य, प्ल्ज्ज्ज्ज्ज्ज़ और जोर से मरो, अआज पहाड़ केरख दो मेरी चूऊऊओत्त्त्त्त्, आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्, प्ल्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज़ और जोर से,”इन आवाजों से मैं और गरम हो गया और मैं जोर जोर से धक्का मर्नेलगा फिर करीब १० मिनुतेस के बाद सुधा झरने को हुई और वो अप्निचूत चुद्वाते हुए बोली, “जल्दी कर गंडू, तेज़ी से मार, मेंचूत्ने वाली हू, जल्दी कर, और जोर से कर,” और करीब दोमिनुतेस के बाद हम दोनो एक साथ खलास हो गयी. मैंने अपना मॉल सेसुधा कि छूट छूट पूरी तरह से भर दिया और उसके उप्पर लेट कर्हफ्ने लगा.

करीब २० मिनुतेस के बाद हमलोग शांत हुए और मेरा लुन्द्सुधा कि छूट के अन्दर फिर से खरा होने लगा.तब मैंने सुधा से बोला, “एक बार फिर.” सुधा बोली, “ठीक है” तब हमने सुधा से बोला, “इस दफा तुम्हारी गंद मरू गा”. सुधाबोली, “नही प्लेस, छूट मार लो लेकिन गंद मत मरो, तुम्हारा लुन्द्बहुत लुम्बा और मोटा है बोहुत दर्द हो गा, मेरी गंद फट जायेगी”.मैंने सुधा से मिन्नत करने लगा तो सुधा मन गयी और मैं उस्कोघोरी बना कर पलंग के किनारे लेटा दिया और बाथरूम से तेल किशिशी लेकर उसकी गंद और मेरे लुंड खूब तेल लगाया.उसके बाद मैनेअपने लुंड पर थोरा सा ठुक लगाया और सुपर को उसकी गंद कि चेद्मे रख कर हल्का सा धक्का दे कर सुपर को सुधा कि गंद के चेद्के अन्दर कर दिया. सुधा चिल्लाने लगी लेकिन मैं उसकी एक न सुन्तेहुए अपना पुरा पुरा का लुंड उन्सी गंद मी दल दिया. फिर हम सुधाकिचूतर को पाकर कर उसकी गंद छोड़ने लगा. मुझको सुधा कि गंद्चोड़ने मी बहुत अच्छा लग रह ठौर मैंने सुधा से बोला, “तुम्हारिगंद तो तुम्हारी छूट से बोहत जिअदा मज़ा दे रही है, दिल केर्ताहाई कई तुम्हारी गंद ही मरता राहू”. फिर मैंने अपनी स्पीड बर्हाकर उसकी गंद को जोर जोर से छोड़ता रह और थोरी देर के बाद मेरेलुन्द ने उसकी गंद के अन्दर अपना पानी चोर दिया.



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