ही दोस्तों, मेरी सर्वेंट सेक्स स्टोरी में एक बार फिर से आपका वेलकम करता हू. मैं आपका दोस्त संजू फिर से हाज़िर हू अपनी स्टोरी लेकर. जैसे की आपने मेरी पिछली स्टोरी में पढ़ा की कैसे सुमन अपने आप को रेडी रखती है फॅशन के मामले में. और दूसरी और सुमन की इन हरकतों का नशा दिन बा दिन बिरजू काका के सिर पर चढ़ रहा था. ज़्यादा टाइम ना वेस्ट करते हुए सीधा स्टोरी पर आता हू.
लंच करने के बाद जब मैं सुमन के पैरों को चूस रहा था, तो ये सब मेरी हरकतें काका देख के अपना लंड मसल रहे थे. ये मैने देखा लिया, बुत ना जाने क्यूँ मुझे काका के टोपे को देख कर मज़ा बे आ रहा था.
मैं ये देखते हुए काका को तोड़ा और उकसाने का सोच रहा था. दूसरी और सुमन पैरों को लेकर बहुत सेन्सिटिव थी. ई मीन एक किस करते ही जाओ, और सुमन मस्ती में डूब जाती थी. और ऐसा ही हुआ. पैरों को चुस्वाते हुए सुमन भूल चुकी थी की काका किचन में थे, जो की बिल्कुल सोफा के सामने था, जहा हम दोनो मस्ती कर रहे थे.
जब भी हम कही घूम कर आते थे तो सुमन की एक आदत थी. ये बिल्कुल घर आते ही अपने आप को रिलॅक्स रखती थी. मीन्स कंफर्टबल कपड़े पहन लेती थी नाइटी या फिर खुला पाजामा-त-शर्ट. उस दिन सुमन ने एक लूस फिट नाइटी पहनी हुई थी, तो पैरों को चूस्टे-चूस्टे मैने सुमन को सोफे पर ही लिटा लिया, और सुमन की सेक्सी वॅक्स्ड लेग्स से नाइटी को उपर करते हुए सुमन की गोरी लेग्स को चूमने लगा.
उधर मैने देखा काका का बुरा हाल हो रहा था, और काका का 8 इंच का साँप फान्न फैला रहा था पाजामे में से. मैं बिल्कुल हैरान था काका का इतना बड़ा लंड देख कर. सोचा अगर काका किसी को पेल दे तो वो लड़की 2-3 दिन बेड पे से ना उठे. क्यूंकी काका एक तगड़े शरीर कई मलिक थे. सीना पूरा तन्ना हुआ था, और 6 फुट लंबाई.
इतने में मैने देखा काका का साँप पानी छ्चोढने ही वाला था, और काका फटाफट किचन से बाहर निकले, और उपर की और अपने कमरे में जाने लगे. सुमन का जब ध्यान पड़ा काका की और, तो एक-दूं से सुमन ने मुझे धक्का दिया, और अपने आप को संभाला.
बुत मैने देखा सुमन का ध्यान काका के लंड की और जेया रहा था. क्यूंकी पाजामे में तंबू जो इतना बड़ा बना था. सुमन देखती ही जेया रही थी, और मुझे भूल गयी थी की मैं भी उधर ही था. इतने में काका भागे-भागे उपर की और अपने कमरे मैं चले गये, और मेरे ख़याल से काका ने उपर जेया कर अपने अंदर के गर्मी निकली होगी.
ना जाने क्यूँ मेरे को ये सब देख कर बहुत मज़ा आ रहा था, जबकि उल्टा गुस्सा आना चाहिए था. जब सुमन का ध्यान काका के लंड से हटता, फिर मेरे पर गुस्सा करने लगी.
सुमन: मैने आपको बोला था की काका किचन में है, यहा ये सब मत करो. पर आपको किसी बात की परवाह ही नही है.
मैं: सॉरी बाबा, मुझे क्या पता था की काका ऐसे ही फटाफट बाहर आ जाएँगे. चलो इसी बहाने काका ने भी तोड़ा मज़ा ले लिया.
सुमन: हड्द है यार आपकी भी. तो क्या मज़े के चक्कर में काके के सामने किसी दिन मुझे कपड़ों से बाहर भी कर दोगे?
मैं (मॅन ही मॅन में): मेरा बस चले तो नंगी करके छोड़ भी डू, और खुद भी तो इतने बड़े लंड को आँखें फाड़ कर देख रही थी.
मैं: सॉरी बेबी, आयेज से ध्यान रखूँगा.
फिर उसको गोद में उठा कर सीधा बेडरूम में ले गया. अंदर जाके सुमन ने मेरा पाजामा उतरा और घुटनो के बाल जेया कर मेरा लंड चूसने लगी. सुमन कुछ ज़्यादा ही गरम हो गयी थी, और मस्त लंड चूस रही थी. फिर मेरे दिमाग़ में ये बात आई की ये सब काका के लंड की गर्मी थी, जो सुमन ने आज देखा था.
सुमन ने आज मेरा ऐसा लंड चूसा, जैसे कोई सड़क की रंडी चूस रही होती है. फिर मैं सुमन के मूह में ही झाड़ गया, और अपना सारा माल सुमन के मूह अंदर ही निकाल दिया. उसने एक भी बूँद बाहर नही आने दी. फिर मैने सुमन को जाम के छोड़ा और हम सो गये.
दूसरी और मेरे दिमाग़ में कॅमरा चेक करने का ख़याल आया. मैने मोबाइल निकाला, और काका के कमरे में जो हिडन कॅम लगाया था, उसको चेक किया. मैने देखा काका सुमन की पनटी को सूंघते हुए अपने लंड हिला रहे थे. काका को जब मैने उनका लंड हिलाते हुए देखा, तो उनका लंड रियल में एक मोटे साँप जैसा था.
इतनी उमर में भी लंड पूरा फूँकारे मार रहा था, और लोहे की रोड जैसा था. पता नही क्यूँ मैं अब सुमन को काका से चूड़ते हुए देखना चाहने लगा था.
सुबा मैं अपने ऑफीस के लिए निकल गया, और काका घर की सफाई में लग गये. घर तो काफ़ी मॉडर्न था, बुत हमारे रूम के बातरूम का डोर बाहर था. बातरूम तो अटॅच्ड था, बुत डोर बाहर था. काका आस यूषुयल बातरूम की भी सफाई करने लग गये, और फ्लोर पर पूरा वॉशरूम क्लीनर फेंक दिया.
फिर उसको थोड़े टाइम के लिए ऐसे ही रहने दिया. आयेज-पीछे तो सुमन उधर ही होती है, बुत आज सुबह तोड़ा लाते उठी थी, क्यूंकी रात को काफ़ी मज़ा किया था. वो उठ कर सीधे वॉशरूम की तरफ गयी. काका को भी ये बताना याद नही रहा, की फ्लोर पर क्लीनर फेंका हुआ था, जिससे वॉशरूम में काफ़ी फिसलन हुई पड़ी थी.
जैसे ही सुमन वॉशरूम में फ्रेश होने के लिए अंदर गयी, तो उसका पैर फिसल गया, और मूड गया. उसके चीखने की आवाज़ सुन कर काका जल्दी से वॉशरूम की तरफ भागे. वाहा आके काका ने देखा की सुमन गिरी हुई थी. काका सुमन को देख कर घबरा गये, और माफी माँगने लगे-
काका: सॉरी बेबी, मैने आपको बोला नही था.
सुमन: काका इसमे आपकी कोई ग़लती नही है. मैं नींद में थी, और मैने कुछ आचे से देखा नही और फिसल गयी.
सुमन उठने की कोशिश करने लगी, बुत दर्द से उससे उठा नही जेया रहा था. काका ने ये सब देखा, और धीरे से वॉशरूम के अंदर गये, और अपने दोनो हाथ सुमन की और किए. सुमन ने दोनो हाथो को अपने हाथ में लिया, और काका उसको उठाने लगे.
जब सुमन के हाथ काका के हाथो से मिले, काका को तो लगा उनका यहा आना सफल हो गया. इतने सॉफ्ट हाथो को काका ने शायद ही पहले कभी च्छुआ हो. जैसे-तैसे करके काका ने सुमन को उसके कमरे में लिटाया, और मेरे को काका ने फोन किया की सुमन बेबी वॉशरूम में गिर गयी थी, और दर्द से चिल्ला रही थी. मैं झट से ऑफीस से घर की और निकल पड़ा.
घर पहुँचा तो देखा सुमन दर्द से रो रही थी. मैने सुमन को उठाया और गाड़ी में बिताया. फिर हम हॉस्पिटल चल दिए. हॉस्पिटल पहुँचते ही डॉक्टर ने चेक उप किया, और जे-राय के लिए बोला.
जब रिपोर्ट आई डॉक्टर बोले: घबराने की कोई बात नही. ये बस छ्होटी सी मोच है. कोई मिनी फ्रॅक्चर भी नही है.
और उन्होने 2 हफ्तों की मेडिसिन दे दी, और डेली 2 बार पैर की मसाज करने को बोला, और एक मसाज के लिए आयिल भी दिया. अब कैसे मोच का फ़ायदा उठा कर काका को दुनिया की सारी खुशियाँ मिल गयी सुमन को छोड़ कर, ये मैं आपको अगले पार्ट में बतौँगा.
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