पति ने पत्नी को गैर मर्द के हवाले किया

पति हूं फिर भी उसके लंड का जूस मैं पीला दूंगा।

पराये मर्द से चुद ने की खुशीयां मैं दिला दूंगा।

अगर तुम चोदने वाले को सब अपनी शरम देदो।

अगर मुझसे मोहब्बत है मुझे सब अपने ग़म देदो।

एक बात मेरी पत्नी को किरण बार-बार बताये जा रही थी कि किरण के पति सूरज ने जिस दिन पहली बार मेरी पत्नी रीता को देखा था तब से वह मेरी पत्नी पर लट्टू हो गया था। किरण का कहना था कि उसके पति सूरज ने कभी भी किसी और औरत के बारे में इस तरह किरण से बात नहीं की थी।

जब भी किरण से सूरज की स्कूल के बारे में बात होती थी, तब-तब सूरज बार-बार रीता के बारे में पूछता था, और रीता की सुंदरता की उसके सेक्सीपन की तारीफ़ करते हुए नहीं थकता था।

जब मैंने मेरी पत्नी रीता को बार-बार यह कहते सुना कि किरण का पति सूरज मेरी पत्नी रीता पर वाकई में फ़िदा था, तो अचानक मेरा मन किया कि मैं इस बात को पक्का करूं। मैंने उसी शाम सूरज का दिया हुआ विज़िट कार्ड निकाला, और बिना रीता को बताये कुछ हिचकिचाते हुए सूरज को एक मेसेज भेजा जिसमें सिर्फ लिखा था, “हेलो।”

मेरे मेसेज भेजने के चंद मिनटों में ही सूरज का फ़ोन आ गया। उसने मुझसे “हेलो हाय” कहा और फिर हम लोग कुछ देर तक बोरिंग औपचारिक बातें करते रहे। मैंने महसूस किया कि सूरज रीता से बात करना चाहता था, पर शायद कह नहीं पा रहा था। जब उसने रीता के बारे में पूछा तब मैंने उसे कहा, “रीता यहीं बैठी हुई मेरी कही हुई बात सुन रही है। लो तुम उससे बात करो। मैं वाशरूम जा कर आता हूं।”

यह कह कर मैंने फ़ोन रीता के हाथ में पकड़ा कर कहा, “सूरज तुमसे बात करना चाहता है। लो बात करो।” रीता बेचारी क्या बोलती? रीता ने फ़ोन हाथ में लिया, पर उसको समझ में नहीं आया कि वह क्या बोले। मैं उसे सूरज के साथ बात करते हुए छोड़ कुछ देर के लिए वॉशरूम चला गया।

रीता ने फ़ोन में कहा, “हेलो! आप कैसे हैं?” उसके बाद की बातें मैंने सुनी नहीं पर रीता और सूरज की थोड़ी कुछ बातें हुई। मैं जब वाशरूम से वापस आया तब रीता ने आखिर में कहा, “आप यह सब बात इनसे ही कर लो।”

यह कहने के तुरंत बाद रीता ने मुझे फ़ोन पकड़ा कर कहा, “लीजिये, सूरज आपसे बात करना चाहते हैं।”

यह कहती हुई रीता अफरातफरी में उठ खड़ी हुई। मुझे लगा की शर्म से उसके गाल लाल हो रहे थे। उसने मेरी और कुछ शरारती नजर से देखा और शायद कुछ शर्माती वह रसोई में काम का बहाना बना कर चली गयी।

मैंने सूरज को पूछा, “क्या हुआ? तुमने रीता को कुछ कह दिया क्या? उसने तुमसे पूरी बात भी नहीं की?”

सूरज ने कहा, “मैंने उनसे उनका नंबर मांगा और पूछा कि क्या मैं उनसे अलग से बात कर सकता हूं? तो रीता ने तुम पर डाल दिया।”

मैंने कहा, “मैं तुम्हें रीता का नंबर व्हाट्सएप्प पर शेयर कर रहा हूं। तुम रीता से बात और मेसेज करते रहो। मैं रीता को कहूंगा तुमसे बेझिझक बात करे और जवाब दे। शुरू-शुरू में वह जरूर हिचकिचाएगी, पर तुमसे बात जरूर करेगी। आगे फिर क्या होगा यह तुम पर है।” सूरज ने भी मुझे किरण का नंबर दिया और मुझे कहा कि मैं भी किरण से बात करूं।

इस तरह सूरज की रीता से और मेरी किरण से थोड़ी बहुत “हेलो, हाय” वाली बातें और मैसेज होते रहे। मुझे अपने मन में कहीं ना कहीं यह शक था कि सूरज कई बार रीता को कुछ ऐसे मेसेज भेजता था जिसे पढ़ कर रीता डिलीट कर देती थी। कई बार मैंने देखा कि सूरज के फ़ोन कॉल आते थे रीता को। पर ना मैं पूछता था और ना वह बताती थी कि उनकी क्या बात होती थी।

हाँ कोई-कोई बार वह मुझे कह देती थी कि किरण का पति सूरज बड़ा ही बेशर्म आदमी है। पर आगे वह चुप रह जाती थी, और कुछ नहीं बताती थी। किरण का पति सूरज किरण से कहता रहता था कि किरण जल्दी से जल्दी सूरज से रीता की मुलाक़ात कराये। इधर मैं भी किरण को मिलने के लिए बेताब था।

इस बात को शायद एक दो महीने हुए होंगे कि एक बार सूरज जिस क्लब में मेंबर था उस क्लब में दिवाली की एक पार्टी का ड्रिंक और डिनर प्रोग्राम होना था। सूरज ने किरण को कहा कि वह चाहता था कि रीता और मैं भी उस पार्टी में सूरज के महमान बन कर शामिल हों। किरण ने मेरी बीबी रीता को मना लिया कि वह पार्टी में शामिल हो। वैसे भी रीता को सज धज कर बाहर जाने का शौक तो था ही।

उस शाम जब रीता ने मुझे पार्टी में जाने के लिए पूछा तो मैंने रीता से कहा कि उसके लिए मुझे एक बार किरण के पति सूरज से बात करनी पड़ेगी कि वह पार्टी किस चीज़ की है वगैराह।

मैंने सूरज से फ़ोन से बात की। हम दोनों की करीब एक घंटे से भी ज्यादा लम्बी बात-चीत हुई। जब मैंने मेरी पत्नी रीता के बारे में बात शुरू की तो सूरज मेरी बीबी की तारीफों के पुल बाँधने लगा। मैं समझ गया कि सूरज की मेरी बीवी से बात-चीत होने लगी थी। लगता था कि उन दोनों के बीच काफी मैसेज का आदान-प्रदान हो रहा था।

सूरज की काफी मीठी नजर मेरी पत्नी पर थी। कुछ तो रीता ने मुझे इशारा करके बता ही दिया था कि सूरज उसके पीछे कैसे पड़ा हुआ था। ऊपर से उस दोपहर जब सूरज से मुलाक़ात हुई थी तब से ही मैं समझ गया था कि सूरज मेरी बीबी पर तगड़ी लाइन मार रहा था।

जब किरण की बात आयी तो सूरज ने मुझे बताया कि सूरज और किरण का सम्बन्ध एक-दम खुली किताब की तरह था। किरण अगर चाहे तो किसी गैर मर्द से सेक्स करे सूरज को कोई एतराज नहीं था। जब किरण के बारे में सूरज ने ऐसी बात कह डाली तब मैंने भी सूरज से कह ही डाला कि मुझे भी मेरी बीवी रीता अगर किसी गैर मर्द से मेलजोल बढाए या सेक्स भी करे तो कोई आपत्ति नहीं है।

मुझे सूरज से बात करके यह यकीन हो गया कि सूरज मेरी बीवी को पाने के लिए बेताब था। मैं तो उसकी बीवी पर लाइन मार ही रहा था, और वह सूरज अच्छी तरह जान गया था और उसे या किरण को उसमें कोई दिक्क्त नहीं थी। आखिर में बातो-बातों में सूरज ने मुझे यह कह ही दिया कि वह रीता पर फ़िदा था। पर उसे डर था कि रीता सूरज की कोई बात का बुरा ना मानले।

मैंने सूरज से कहा कि इस बार क्लब में मिलने पर रीता को कैसे मनाना था, या क्या करना था। उसके बारे में सूरज ही कुछ सोचे और फ़ौरन उसे अमल में लाए। मैंने सूरज से कहा कि मैं अपनी तरफ से रीता को इसके लिए तैयार करने की कोशिश में लगा था। पर ज्यादा काम सूरज को करना था। सूरज ने मुझे कहा कि किरण तो मुझ से मिलने के लिए कभी से बेताब थी।

सूरज से बात होने के बाद मैंने रीता से कहा, “मेरी सूरज से बात हो गयी है। यह एक कपल पार्टी है। ड्रिंक्स वगैरह भी होंगे। हम चलेंगे पर ऐसी पार्टियों में अक्सर मर्द लोग दूसरे की बीवियों के साथ, ख़ास कर के वह जिस को लाइन मारते रहते हैं उनसे कुछ ज्यादा ही छूट ले लेते हैं, छेड़खानी करते हैं।

हालांकि कोई जबरदस्ती नहीं होती, पर कभी-कभी शरारत में या नशे के बहाने जान-पहचान वाले एक-दूसरे की बीवियों से चुम्मा-चाटी, बूब्स दबाना, गांड दबा कर सहलाना वगैरह भी कर लेते हैं। इसे आम समझा जाता है। तुम्हें यह बात समझनी होगी। तुम्हें ऐसे में नरम रवैया रखना होगा। तभी हम चलेंगे। वरना अगर तुम नाराज हो गयी और बेवजह कुछ पंगा हो जाये इससे तो बेहतर है कि हम पार्टी में ना जाए।”

मेरी बात सुन कर रीता ने कहा, “मैं जानती हूं कि आप किरण के पति की हरकतों के बारे में बात कर रहे हो। उसकी चिंता आप मत करो। मैं सूरज के बारे में काफी कुछ जान चुकी हूं। हमारी चैट भी हुई है इसके बारे में। तुम मुझसे भी यह बार-बार जताते रहते हो और मुझे पता है वह मुझ पर लाइन मार रहा है।

मुझे पता है कि वह जब भी मुझ से मिलेगा तो जरूर छेड़ेगा। किरण भी कह रही थी की सूरज मुझे मिलते ही कुछ ना कुछ करे बगैर रह नहीं सकता। मैं सूरज से निपट लूंगी। ओके? वैसे तुम यह कहो क्या तुम पार्टी में मैं किरण को नहीं छेड़ोगे क्या?”

जब मैं चुप रहा तो रीता ने कहा, “पार्टी में तुम भी किरण को छेड़ोगे। तो सूरज थोड़े ही मुझे छोड़ेगा? तुम बिल्कुल चिंता मत करो। सब ठीक होगा। जैसा तुमने कहा, मैं भी जानती हूँ कि ऐसी पार्टियों में ऐसा होता रहता है। कई मर्द और औरत एक दूसरे के साथ मौक़ा देख कर कुछ ना कुछ छेड़खानी जरूर करते हैं और करते ही रहेंगे।” रीता ने ऐसे कह कर मेरी बात पर ठंडा पानी डाल दिया।

वह पार्टी काफी यादगार रही। जैसे ही हम पार्टी में पहुंचे तो सूरज और किरण पहले से ही वहां मौजूद थे। हमारे पहुंचते ही सूरज ने रीता को अपने साथ बिठा लिया और किरण को मेरे साथ बिठाया। फिर सूरज ने रीता का हाथ अपने हाथों में ले लिया और मुझे कहा कि उस शाम मेरी पत्नी रीता सूरज के साथ ही रहेगी और उसकी पत्नी किरण मेरे साथ।

किरण ने भी फौरन मेरा हाथ उसके हाथों में ले लिया। इस तरह उस शाम के लिए सूरज ने हमारी जोड़ी को अलग-थलग कर दिया। हालांकि हम चारों सब काफी समय एक-दूसरे के साथ भी रहे।

मैं हैरान रह गया जब मैंने देखा कि पार्टी में सूरज ने काफी प्यार भरा आग्रह कर रीता को बियर पीने के लिए राजी कर लिया था। मेरे देखते ही रीता उस शाम लगभग आधी बियर की बोतल गटक गयी। मेरी पत्नी कभी भी शराब या बियर भी नहीं पीती थी। शायद यह रीता का शराब पीने का पहला अवसर था।

उस शाम मुझे कह कर सूरज मेरी पत्नी रीता को अपने साथ बाहर ताज़ी हवा में घुमाने के लिए भी ले गया। कुछ देर के बाद वह दोनों जब वापस आये तब मैंने देखा कि रीता कुछ बदली-बदली सी लग रही थी।

मैंने रीता को एक कोने में ले जा कर जब पूछा कि क्या हुआ, तब रीता मुझ पर एक सरसरी नजर डाल कर शिकायत के स्वर से कुछ कड़वाहट भरे लफ्जों में बोली, “तुम किसी गैर मर्द से मुझको छेड़वाना चाहते थे ना?

तो लो आज जो कुछ बाकी था वह भी हो गया। किरण का पति मुझे बाहर लॉन में चलते हुए एक अंधेरे से कोने में ले गया और बातें करते-करते, मुझे बांहों में जकड कर मेरे गालों को चूमने लगा और मेरे बूब्स को पकड़ कर दबाने लगा।

वह तो मेरे ब्लाउज और ब्रा को हटा कर मेरे बूब्स को नंगा कर अच्छी तरह से मसलना और चूमना चाहता था। कुछ तो वह पीया हुआ भी था। वह मुझे होंठों पर अच्छे से चूमना चाहता था, पर मैंने उसे ऐसा करने नहीं दिया।

आज किरण के पति ने तो मेरी मिट्टी पलीत कर दी। मेरा मन तो किया कि मैं खिंच कर बाहर सब के सामने ला कर सूरज की अच्छी तरह से धुनाई कर दूं। पर मुझे तुम्हारा और किरण का ख्याल आया और मैं चुपचाप बर्दाश्त करती हुई रह गयी। पर सूरज था कि मुझसे चिपकता ही जा रहा था। मैंने उसे बड़ी मुश्किल से समझाया और फिर मैं उसे बड़ी मशक्क्त करते हुए खींच कर वापस ला पायी।”

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