कामुकता कहानी जारी है-
अर्जुन से अब मेरी बात-चीत बढ़ गयी थी. मैने जितना सोचा था उतना बुरा भी नही था. इसलिए मुझे वो पसंद आने लगा था. एक दिन स्कूल ख़तम होने के बाद मैने अर्जुन को मेरे कॅबिन में बुलाया.
अर्जुन: मेडम बोलिए कैसे याद किया? (उसके बात करने की टेक्नीक बहुत सही थी. कोई भी उससे इंप्रेस हो जाए)
मैं: याद तो आपको रोज़ करती हू. ई मीन आपका काम अब पहले जैसा नही रहा. मुझे कंप्लेन है आपसे.
अर्जुन (एक-दूं शॉकिंग फेस): बताइए मेडम क्या प्राब्लम हुआ?
मैं (हेस्ट हुए): रिलॅक्स.. कुछ नही हुआ. आपसे एक पर्सनल काम था.
अर्जुन: बताइए.
मैं: दरअसल बात ये है की मुझे लग रहा है मैं मोटी हो रही हू.
अर्जुन (मुझे उपर से नीचे तक देखते हुए): किसने कहा आप मोटी हो रही हो?
मैं: मुझे लग रहा है. (मैं उसको मेरा फिगर दिखा रही थी) देखो तुम.
अर्जुन: आपको जिस किसी ने कहा आप मोटी हो गयी हो, तो उसको बोलो दिमाग़ का इलाज कराए. आप एक-दूं फिट हो.
मैं: यार मुझे जिम जाय्न करना है. लेकिन मुझे तोड़ा अजीब लगता है. मैने मेरे शौहर से पूच लिया तो उन्होने कहा तुम जेया सकती हो. लेकिन मुझे तोड़ा अनकंफर्टबल फील हो रहा है.
अर्जुन: ये तो अची बात है. लाइफ में वर्काउट करना ज़रूरी है. इससे बॉडी अची रहती है. और आपको क्या प्राब्लम सता रही है?
मैं: अर्रे मैं जिम में सब के सामने कैसे राहु? और मुझे कुछ नालेज भी नही है. क्या आप मुझे ट्रैनिंग दोगे?
अर्जुन: हा क्यूँ नही. कब से जाय्न करना है बताओ? मैं जिम मॅनेजर से बात करके आपको डिसकाउंट भी दिला दूँगा.
मैं: थॅंक योउ सो मच. कितने बजे आप जिम पर जाते हो?
अर्जुन: सुबह 5:30 बजे.
मैं: इतना जल्दी तो मैं नही आ सकती. वैसे मैं 6 बजे उठ कर घर का काम करती हू. और सुबह बच्चो को स्कूल के लिए रेडी करके यहाँ भी आना होता है.
अर्जुन: हा वो बात भी है. ठीक है शाम को आना. मैं शाम को ट्रैनिंग दे दूँगा. वैसे शाम को मेरे लिए भी मुश्किल है, पर मैं टाइम निकाल लूँगा.
मैं: थॅंक्स पर शाम को बच्चो का होमवर्क और घर के भी काम होते है. दोपहर को मैं फ्री होती हू.
अर्जुन: अब दोपहर को पासिबल नही है. जिम बंद होता है, और एक पर्सन के लिए पर्मिशन नही मिलेगी.
मैं: आप मुझे यहाँ एक्सर्साइज़ करा सकते है?
अर्जुन: ठीक है. कल से मैं यहाँ आपको डेली 30 मिनिट एक्सर्साइज़ करा दूँगा.
मैं: थॅंक्स.
नेक्स्ट दे से वो मुझे डेली एक्सर्साइज़ करने लगा. मैने एक चीज़ नोटीस किया की, की अर्जुन मुझे कभी गंदी नज़र से देख भी नही रहा था. ना ही उसका कोई ऐसा इंटेनसीओं दिख रहा था. मुझे उसकी ये बात बहुत अची लगी. और यहीं एक रीज़न था की मैं उसके करीब जेया रही थी.
पहले वीक तो मुझे बहुत ईज़ी वाली एक्सर्साइज़ करवा रहा था. लेकिन दूसरे वीक में वो मुझे तका देता था. मैं तक जाती तो वो मुझसे ज़बरदस्ती सेट कंप्लीट करवा रहा था. अर्जुन नेचर से जितना अछा था, उतनी ही डेंजर ट्रैनिंग देता था. मैं डेली पसीने से लथपथ हो कर घर जाने लगी.
मुझे तो कहीं दर्र था की लोगों को ये ना लगे की हम अंदर डेली चुदाई करते थे. क्यूंकी घर जाने के टाइम मैं भीग कर जाती थी. ऐसे ही 2-3 मंत निकल गये. और उसका काम भी ख़तम हो गया. मुझे उसकी ट्रैनिंग भी मिलनी बंद हो गयी. स्कूल से सारा हिसाब-किताब भी ख़तम हो चुका था. मैं अब उसको बहुत मिस करने लगी. मैं डेली उसकी व्हातसपप पे ड्प लगाई थी, वो देखा करती थी. एक दिन मेरे से रहा नही गया, तो मैने उसको मेसेज किया-
मैं: ही.. कैसे हो आप?
अर्जुन: मैं ठीक हू, आप बताओ कैसे याद किया?
मैं: आप तो अब मुझे ट्रैनिंग देना ही छ्चोढ़ दिए.
अर्जुन: हा अब स्कूल का काम ख़तम हो गया तो.
मैं: तो आप स्कूल का काम था, तब तक ही मुझे ट्रैनिंग देना चाहते थे?
अर्जुन: अर्रे आप ऐसा क्यूँ बोल रहे हो? कल से जिम पर आ जाओ. आपकी ट्रैनिंग फिर से शुरू कर देते है.
मैं: अर्रे आपको पता तो है टाइम सेट नही हो रहा.
अर्जुन: हा वो है. मैं आपको एक्सर्साइज़ और डाइयेट प्लान व्हातसपप कर दूँगा. और आपको समझ ना आए तो वीडियो बना कर सेंड करूँगा.
मैं: हा ये ठीक है.
उस दिन से वो मुझे डेली कुछ नये अपडेट्स शेर करता. मैं कोई ना कोई बहाना बन कर वीक में एक बार उसके साथ कॉल पर बात कर लेती. वो अपनी वीडियो बना कर शेर करता. मैं उसकी बॉडी देख कर गरम हो जाती. कभी-कभी तो वो वीडियो देख कर छूट में उंगली करती थी.
ऐसे ही टाइम गुज़रता गया, और हम आचे दोस्त बन गये. एक दिन अर्जुन शाम के टाइम मेरे घर आया. उसको ऐसे अचानक से घर पर आता देख मैं शॉक्ड हो गयी. उस टाइम मेरे शौहर भी थे.
अय्यूब: आओ अर्जुन. बहुत दीनो के बाद रास्ता भटके हो?
अर्जुन: हा काफ़ी टाइम हो गया.
मैं: मैं ठंडा लेकर आती हू.
अर्जुन मेरी और देख रहा था, तो मैने उनसे ज़बरदस्ती कह दिया: पीना पड़ेगा (मैं एक शरारती स्माइल देकर चली गयी).
मैं जब कोल्ड ड्रिंक का ग्लास दिया, तब वो मेरी और मूह बना कर देख रहा था. उसको ये सब पीना नही था. वो अपनी हेल्त और बॉडी का बहुत ख़याल रखता था.
अय्यूब: तो बताओ अर्जुन क्या चल रहा है?
अर्जुन: सब ठीक चल रहा है. दरअसल मैं यहाँ मेरी शादी का कार्ड देने आया हू. और आप सब पूरी फॅमिली को आना है.
अय्यूब: ये बड़ी अची बात कही है. कंग्रॅजुलेशन्स.
मैं ये सुन कर थोड़ी डांग रह गयी, क्यूंकी हमारी वीक में 1-2 बार बात होती थी. लेकिन उसके कभी ये बताया नही की उसकी शादी फिक्स हुई थी. मैं तोड़ा अपसेट भी हो गयी, क्यूंकी मुझे लगा अब हमारी इतनी अची दोस्ती रहेगी नही.
मैं: कंग्रॅजुलेशन्स (मेरी आवाज़ बहुत अपसेट थी).
अर्जुन: हा आप सब को पक्का आना है.
अय्यूब: अब आप स्पेशल हमे कार्ड देने आए है, तो अब तो आना पड़ेगा.
मैं उस दिन बेचैन हो गयी. मैने रात को खाना भी नही खाया. मेरे और अर्जुन के बीच कुछ था नही, पर मैं उसको बहुत लीके करती थी. मैने सोचा मैं उसके साथ दोस्ती रखू तो शायद उसकी बीवी को पसंद ना आए, और उसकी पर्सनल लाइफ खराब हो. मैं ये सब सोच कर ही परेशन होने लगी.
स्कूल जेया कर भी मेरे कॅबिन में बैठ कर अर्जुन की फोटोस देख कर रोटी रहती थी. मुझे खुद समझ नही आ रहा था की मुझे उससे कब प्यार हो गया था. और हम उसकी शादी में भी गये. हमे देख कर अर्जुन बहुत खुश हुआ.
उसने मुझे कहा: आप नही आते तो ये फंक्षन मेरे लिए अधूरा रहता.
ये सुन कर मैं भी समझ गयी की अर्जुन मुझे अपनी ख़ास दोस्त मान रहा था. मेरे फेस पर उस टाइम स्माइल आ गयी. मुझे अर्जुन से जिस्मानी संबंध की कोई उम्मीद नही थी, पर जो चाहिए था उतना मिल गया था. मेरे सर से सारी टेन्षन उतार गयी, क्यूंकी मैं पिछले 2 दिन से रोए जेया रही थी. क्यूंकी मुझे लगा था अर्जुन से मेरा अब कोई रिश्ता नही रहेगा.
ऐसे ही थोड़े महीने बीट गये. वो मुझे रेग्युलर व्हातसपप पर अपडेट्स भेजता रहता था. मैं भी उसको अपने वर्काउट के दौरान खींची हुई फोटोस शेर करती. वो अब मेरे फिगर की तारीफ करने लगा था.
मैं उसको मेरी टाइट लेगैंग्स, कुर्ता, और कभी किसी फंक्षन में मस्त तैयार होती, वो भी फोटोस शेर करने लगी. हम रेग्युलर कॉंटॅक्ट में बने रहे, लेकिन उसकी शादी हो गयी थी, तो मैं उसको ज़्यादा ज़ोर नही दे रही थी. बस हमारी फिटनेस और ट्रैनिंग की बातें होती थी.
एक दिन मुझे हमारे स्कूल के ओनर का कॉल आया की मुस्कान हमे स्कूल के बाजू वाला प्लॉट मिल गया है. मैं आपको बता देती हू, की ये हमारा ड्रीम था की बाजू वाला बड़ा प्लॉट था वो मिल जाए. क्यूंकी हमे वहाँ दूसरा बड़ा बिल्डिंग बनाना था, और बच्चो को खेलने के लिए मैदान भी मिल जाता.
ये सुन कर तो मैं बहुत खुश हो गयी. उन्होने बताया की वो नेक्स्ट वीक इंडिया आ रहे थे. उन्होने मुझसे कहा “तुम लीगल पेपर बनवा देना, और वो कॉंट्रॅक्टर अर्जुन से भी मीटिंग फिक्स करो. नयी बिल्डिंग का काम भी शुरू करना पड़ेगा.”
जब हमारे ओनर स्कूल में आए, तब वो स्कूल देख कर बहुत खुश हो गये.
उन्होने मुझे कहा: मुस्कान तुमने मेरी गैर मौजूदगी में भी स्कूल को आचे से संभाला है. तेरा हिसाब भी मुझे टाइम पर मिल जाता है. मैं तेरी सॅलरी बढ़ा कर जौंगा.
मैं बहुत खुश हो गयी. उनको नयी बिल्डिंग का कन्स्ट्रक्षन बहुत अछा लगा, और उन्होने आयेज का काम भी अर्जुन को दिया. उसके बाद वो लीगल प्रोसेस और नयी ज़मीन की रेगिस्त्त्िओं करके एक महीने में वापस चले गये.
फाइनली अर्जुन का हमारे स्कूल में आना फिर से शुरू हो गया. और कम इतना ज़्यादा था की कम से कम 3 साल तक तो चलने वाला था. एक दिन हम दोनो ऐसे ही मेरे कॅबिन में बैठे थे. उस दिन मैने रेड सलवार कमीज़ पहनी थी. मेरा नेक काफ़ी डीप था, और कमीज़ बहुत टाइट थी. मैं उस दिन एक मस्त पताका लग रही थी. उस दिन मुझे अर्जुन ने पहली बार देखा तो उपर से नीचे तक नोटीस किया था.
मैं: क्या अर्जुन, कैसी चल रही है मॅरेज लाइफ? भाभी आपका ख़याल तो रखती है ना?
अर्जुन: हा रखती है (वो तोड़ा अपसेट हो गया).
मैं: क्या हुआ अर्जुन? कुछ प्राब्लम चल रही है क्या?
अर्जुन: नही, ऐसा कुछ नही है. ये बस तोड़ा…
मैं: हा मैं समझ गयी. नयी-नयी बेचारी तुम्हारे घर आई है. परिवार के साथ सेट होने में टाइम लगेगा. धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा.
अर्जुन: ऐसा कुछ नही है. दरअसल प्राब्लम दूसरी है.
मैं: क्या प्राब्लम है बताओ.
अर्जुन: जाने दीजिए, इतना भी कुछ नही है (वो अपसेट हो गया).
मैं (तोड़ा नाराज़गी दिखा कर): ठीक है मुझे अपनी दोस्त नही मान रहे, इसीलिए नही बता रहे.
अर्जुन: मेडम जी, ऐसी बात नही है. ये प्राब्लम ऐसी है की मैं आपको नही बता सकता.
मैं (उसका हाथ पकड़ कर): अर्जुन मेरी और देखो. मैं मेडम नही आपकी दोस्त मुस्कान हू. हम आचे दोस्त है ना?
अर्जुन: हा.. मेडम जी.
मैं: मेडम जी नही मैं मुस्कान हू. अब मुझे अपनी दोस्त समझ कर बताओ.
अर्जुन: मुस्कान आप समझ नही रहे, ये बात ऐसी है की मैं आपको नही बता सकता. आपको क्या किसी को नही बता सकता.
मैं (उनके हाथ को दबाते हुए): मुझे बता सकते हो. ये बात हम दोनो के बीच रहेगी. प्रॉमिस करती हू किसी को नही बतौँगी.
अर्जुन (एक लंबी साँस लेकर): पर ये बात ऐसी है, मुझे आपको बताने में शरम आएगी.
मैं (खड़ी हो कर उसके पास चली गयी. वो भी खड़ा हो गया): अर्जुन हम पक्के दोस्त है. और मेरे से शरमाने की ज़रूरत नही है. अपनी बात खुल कर बताओ (मैने उसको स्माइल दिया).
अर्जुन: दरअसल बात ये है की मेरी वाइफ मुझे बेड पर सॅटिस्फाइ नही कर पति. उसको मेरे साथ मज़ा नही आता.
मैं (शॉकिंग फेस): मतलब वो आपसे खुश नही है.
अर्जुन: उसको मैं करता हू तो वो से नही पाती. दर्द होता है उसको. और मुझे सॅटिस्फॅक्षन नही मिलता.
मैं समझ गयी की अर्जुन की वाइफ को बड़े लंड से चूड़ने में प्राब्लम थी. उसको बड़ा लंड लेने की अभी हॅबिट नही बनी. और शायद वो वर्जिन होगी, तो पहली रात को ऐसा बड़ा लंड देख कर दर्र गयी होगी. अर्जुन को भी अची चुदाई नही मिली, तो उसको सेक्स की ज़रूरत थी. मुझे अर्जुन के करीब जाने का ये सही मौका लगा.
मैं (उसकी और देख कर): वो से नही पाती मीन्स कैसे?
अर्जुन: वो.. वो.. वो मेरा तोड़ा बड़ा है तो उसको दर्द होता है (वो हकलाते हुए बोल रहा था).
मैं (नॉटी स्माइल के साथ उसके फेस पर उंगली घुमा कर): श.. कितना बड़ा?
अर्जुन: वो मैं आपको कैसे बता सकता हू?
मैं: ह्म… बता तो नही सकते, पर दिखा सकते हो (मैने उसके लंड को छ्छू लिया).
अर्जुन मेरे सामने बड़ी हैरानी से देख रहा था. मैने भी पहली बार किसी पराए मर्द का लोड्ा ऐसे च्छुआ था. उसके लंड पर हाथ लगते ही मेरे अंदर करेंट दौड़ गया. मैं उसकी आँखों में हवस भारी निगाहों से देख रही थी.
मैं (शॉकिंग फेस): अर्जुन तुम्हारा तो बहुत बड़ा है. मुझे दिखाओ ना (नॉटी बनते हुए).
अर्जुन: नही मेडम, ऐसा नही हो सकता. मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करता हू. ये सब ग़लत है. ये नही हो सकता.
अर्जुन मेरा इरादा समझ गया था. पर मैं भी अब पीछे हटने वाली नही थी. अर्जुन की यादों में मैने मेरी छूट में कितनी बार उंगली की थी. मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगी. अर्जुन ने मुझे धक्का मारा.
अर्जुन: ये आप क्या कर रही हो? ग़लत है ये. आपकी और मेरी शादी हो चुकी है. हमारे बीच ये सब करना ग़लत है.
मैने फाटाक से ऑफीस का डोर लॉक कर दिया, और मेरा दुपट्टा टेबल पर रख कर बोली: देखो अर्जुन, मुझे भी पता है तुम मुझे पसंद कर रहे हो. दररो मत, ये बात हम दोनो के बीच रहेगी.
अर्जुन: ये ग़लत है. आप शादी-शुदा हो. आपके 2 बच्चे है, और मेरी भी शादी हो गयी है.
उसके बाद कैसे मैने अर्जुन को मनाया, वो आपको आने वाले पार्ट्स में बतौँगी.