पहली चुदाई की कहानी – मिली और मैं

Pahli Chudai ki kahani Mili or Mai यह कहानी मैं अपनी मिली के लिए लिख रहा हूँ. मिली मेरी जान है, और उसके पास मेरी सबसे प्यारी चूत है. कुछ ही दिनो में उसकी शादी होने वाली है अर्जुन नाम के एक लड़के से. अर्जुन एक 6 फुट का नौजवान है जो मिली को बिस्तर में बहुत मज़े देता है. अर्जुन भी मेरी मिली की तरह बहुत चुदासु है. वो तो लड़कों को भी चोद्ता है, और इससे मिली बहुत गरम हो जाती है.

उस दिन मिली और मैं चुदाई के बाद बात कर रहे थे. तब मुझे मिली ने कहा कि उसकी बड़ी इच्छा है कि स्मृति ईरानी (क्योंकि सास भी कभी बहू थी की तुलसी वीरानी) उसकी सास हो और रक्षंदा ख़ान उसकी ननद. यही नही, उसकी एक चुदाई-सहेली है, रेणु, जिसे वो अपने पति के घर में नौकरानी रखना चाहती है. तब मैने अपने होंठो से मिली की आँखों पर हल्के से चूमा और अपना हाथ उसकी गीली चूत पर रख दिया. फिर मैने उसकी आँखें बंद की और उसे उसकी सुहाग रात के अगले दिन की कहानी बताना शुरू की.

मिली और मेरा एक अग्रीमेंट है कि उसकी सुहाग रात के दिन उसे अर्जुन के सामने मैं चोदून्गा. आक्च्युयली, जब अर्जुन ने मिली से शादी करनी चाही तो मिली ने यह शर्त रखी थी. अर्जुन के मान जाने पर ही वो शादी के लिए राज़ी हुई. खैर, सुहाग रात के दिन मैने नंगे अर्जुन के सामने उसकी पत्नी को बहुत चोदा. फिर उसी के बिस्तर में मिली और मैं सो गये. अर्जुन को ज़मीन पर ही सोना पड़ा.

अगले दिन, मिली सबसे पहेले उठी. उसने अपने नंगे बदन पर एक नाइटी डाली और कमरे से बाहर गयी. वहाँ जो उसने देखा, उससे तो उसकी चूत इतनी गरम हो गयी वो ऑलमोस्ट झाड़ ही गयी. उसकी सास, स्मृति, सिर्फ़ सफेद रंग के अंदर के कपड़ों में सोफा पर बैठी थी. उसका गोरा बदन, वो बड़े बड़े उभार, और वो चिकनी मोटी जांगें जैसे बुला रही हो, “आओ, मुझे चोदो. मैं बहुत दिनो से चुद्ने के लिए बेकरार हूँ.”

स्मृति अकेली नही थी. रेणु भी थी. और उसके तन पर एक भी कपड़ा नही था. इस घर का यह नियम था कि नौकरानी कभी भी कपड़े नही पहेन सकती, और जो भी चाहे उसे चोद सकता है. वैसे तो मिली ने रेणु को कई बार चोदा था पर उसे अपनी सास के पैर दबाते हुए इस हाल में देखना उसे कुछ ज़्यादा ही मज़े दे रहा था. रेणु का बदन भी बहुत गोरा है, और उसके मम्मे पके हुए आमों से कम नही है – उतने ही बड़े और उतने ही रसीले. उसकी गांद तो लगता है कि उपर वाले ने बड़ी नज़ाकत से बनाई है.

तभी वहाँ रक्षंदा आती है. अपनी ननद को यूँ वस्त्र-हीन देखकर मिली की चूत एक बार तो झाड़ ही गयी. अगर रेणु का रंग गोरा है, तो रक्षंदा का तो मैदे जैसा है. चिकना बदन है, और उसके निपल्स बहुत पिंक हैं. और उन रसीले होंठो के बारे में तो पूछो ही मत.

स्मृति: अर्रे, मिली आओ. कैसी रही तेरी सुहाग रात? मिली: अच्छी थी मम्मी. रक्षंदा: सिर्फ़ अच्छी? मिली: नही. बहुत अच्छी थी. इतना मज़ा तो मुझे कभी नही आया.

रक्षंदा मिली के पास आती है और उसकी नाइटी उतार देती है. फिर वो उसके सावले बदन पर अपनी नाक रगड़ती है. मिली की सिर्फ़ चूत ही नही, उसके मम्मे भी एकदम मस्त हैं. पर इस समय रक्षंदा मिली की चूत सूंघ रही थी.

रक्षंदा: मम्मी, इसकी चूत से सुपादे की गंध तो आ रही है लेकिन यह सुपाड़ा भैया का नही है. स्मृति: क्या? मिली, कल किससे चुदी तू? मिली: अपने आशिक़ से. अगर आप नही जानती तो यह मेरी अर्जुन से शादी करने की शर्त थी. स्मृति: अर्जुन! अर्जुन, बाहर तो आ रे.

अर्जुन अपनी मा की आवाज़ सुनकर नंगे बदन आता है. उसका काला लॉडा खड़ा हुआ है, और उससे हल्की सी पानी की रेखा छ्छूट रही है. उसके आँड एकदम तने हुए हैं.

अर्जुन: आपने बुलाया मा? स्मृति: हां. मिली क्या कह रही है? कि कोई शर्त थी? तब भी तूने शादी की इससे? अर्जुन: मा, आपको तो पता है कि इस घर में कोई रांड़ ही बहू बन सकती है. मुझे इससे बड़ी कोई भी रांड़ नही मिली. इसका मूह तो देखिए. इससे अच्छा कोई लॉडा नही चूस्ता है. और, अगर मैं इसकी चुदाई-सहेलियों की बात पर यकीन करूँ तो इससे अच्छी चूत भी कोई चाट ती नही है. इसके घर आने से रक्षंदा और आपकी चूत, और मेरे और पिताजी के लॉड सब खुश रहेंगे. स्मृति: ह्म… यह तो तूने ठीक कहा. अब मालूम हुआ कि मैने एकदम रंडवे बेटे को जनम दिया है. चूत खुश हो गयी यह जानकार.

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स्मृति अपने हाथ में अर्जुन का अंग पकड़ लेती है और उसे अपनी मूह की तरफ लेती है. होन्ट से चूमती है और फिर चूसने लगती है. मा बेटे का यह प्यार देखकर मिली बहुत खुश हुई. उसकी दिल्ली तमन्ना थी कि उसका पति उसकी सास को चोदा करे.

वैसे तो अर्जुन और मिली का समझौता सिर्फ़ सुहाग रात तक ही सीमित था लेकिन अपनी जान की सास की गोरी जांगें देखकर मेरी नियत बदल गयी. फिर जब मैने उन्हे अपने ही बेटे का लंबा अंग चूस्ते देखा तब तो बस मुझे मालूम हो गया कि मुझे इस 48 वर्षीए चूत में अपना 7 1/2 इंच का लंड मारना ही है. मैने स्मृति की ओर प्रस्थान किया. सबसे पहेले मुझे रक्षंदा ने आते देखा.

रक्षंदा: ओह, तो यह है मेरी भाभी का आशिक़.

स्मृति भी अर्जुन को चूसना रोक कर मेरी ओर देखने लगती है. उसकी आँखें बता रही थी कि उसे मेरा शरीर पसंद आ रहा है.

रक्षंदा: वैसे, मिस्टर. आशिक़, तेरा लॉडा खड़ा कैसे है? भाभी ने तो कम से कम कल रात तुझे सात बार चोदा होगा. अब भी तेरे में इतनी शक्ति है चोद्ने की? मैं: सच बोलूं तो मुझे भी नही पता था कि मेरी मर्दानगी इतनी जल्दी जाग जाएगी. ये तो तेरी मा की गोरी जांगें और उनके मूह में अर्जुन के लॉड का कमाल है. स्मृति: यहाँ तो ला अपना अंग. मैं भी तो देखूं कि इसमें ऐसा क्या मिला मेरी बहू को जो मेरा बेटा नही दे पाया इसे.

स्मृति मेरा लॉडा अपने कोमल हाथों में लेती है, और दो तीन बार हिलाती है. क्योंकि मैं खड़ा था और वो बैठी मुझे उसकी ब्रा के अंदर तक दिखाई दे रहा था. मुझसे अब और नही रहा गया और मैने उसकी ब्रा खोल दी. इससे पहेले कि वो कुछ भी बोल सके, मेरे हाथ उन चूचों पर थे और उन्हे दाब रहे थे. इतने बड़े और तने हुए मम्मे मैने आज तक कभी भी अपने हाथों में नही लिए थे. मैने अपना दाया पैर उठाकर उसकी चूत के पास रखा और उसकी चड्डी के उपर से ही अपने पैर के अंगूठे से उसकी चूत घिसने लगा. उसकी आँखें बंद हो गयी और उसने मेरा लॉडा अपने मूह में ले लिया.

अब तक मैं मिली को सबसे अच्छा लॉडा चूसने वाली समझता था. अब भी मेरी फॅवुरेट वोही है. लेकिन अगर थोड़ी प्रॅक्टीस करे तो स्मृति मिली से आगे निकल सकती है. उसके होन्ट जब मेरा लंड चूस रहे थे तब उसके दाँत हल्के हल्के काट रहे थे और ज़बान उन जगहों पर घूम रही थी जिनके बारे में मुझे पता ही नही था. मैने भी उसकी चूत रगड़ना जारी रखा. जब मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है तब मैं रुक गया. इससे स्मृति एकदम बौखला गयी.

स्मृति: कैसा मर्द है रे, भद्वे? औरत के छूटने से पहेले ही रुक गया? मैं: रुका नही, मेरे मन में इस समय एक आइडिया है. चलिए, आप चड्डी उतारिये और कुतिया बन जाइए.

इस समय तो स्मृति को अगर मैं रेणु की चूत चाटने कहेता तो वो भी करती. यह तो उसके लिए बहुत ही आसान था. बहुत जल्दी उसकी गोरी चिकनी गांद हवा में थी और मेरा मूह उसकी चूत पर. यहाँ भी मैने यही सिलसिला जारी रखा. उसकी योनि को मैं चाट ता लेकिन उसके झड़ने से पहेले रुक जाता. वो पागल हो रही थी और झड़ने के लिए बेताब थी.

स्मृति: साले, तू चाहता क्या है? मेरी जान निकालेगा क्या इस तरह से? मैं: नही. सब आपके हाथ में ही है. मैने अपने आप से एक वादा किया था कि जिस भी घर में मिली शादी करेगी, वहाँ पर उसकी सास का नही उसका हुकुम चलेगा. आपको अभी यह मान ना हो गा कि आज से मिली आपकी मालकिन है और आप उसकी दासी. घर का हर सदस्य मिली की हर बात मानेगा. मिली के सामने कोई भी कभी भी कपड़े नही पहेनेगा. मिली जो चाहे किसी के भी साथ कर सकती है. स्मृति: पागल हो गया है क्या? यह कभी नही हो सकता.

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मैने कुछ कहा नही. सिर्फ़ स्मृति को तड़पाता गया. उसकी सबर की सीमा ख़तम होने आ रही थी. फिर जब मैने एकदम से उसकी गांद में दो उंगली दी तब वो चीख उठी.

स्मृति: अबे ठीक है, भद्वे. तू जीता. तेरी हर शर्त मंज़ूर है मुझे.

मैं: गुड. तो शूरवात अभी से करते हैं. मिली, लेट जा अपनी सास के नीचे और अपनी चूत इसके मूह पे रख. स्मृति, अपने होंठो से इसकी चूत को बंद कीजिए. मिली, अब तू मूतेगि और तेरी सास इसे पिएगी. अगर एक भी बूँद बाहर तपकी तो इसे मैं झड़ने नही दूँगा.

अपनी मा को इस हाल में देखकर, भाई-बहेन आउट ऑफ कंट्रोल हो रहे थे. रक्षंदा ने अर्जुन का लॉडा अपने हाथ में पकड़ा हुआ था और अर्जुन की उंगलियाँ अपनी बहेन की चूत को चोद रही थी. उनके मूह आपस में जुड़े हुए थे और ज़बानें एक दूसरे के मूह के अंदर थी. ऐसा काले और गोरे बदन का संगम मैने कभी नही देखा था. रेणु से भी बर्दाश्त नही हुआ और उसने भी अर्जुन की काली गांद को चाट ते हुए अपनी चूत घिसना शुरू कर दिया.

जब मिली ने मुझे इशारा दिया कि उसकी सारी पेशाब उसकी सास ने पी ली है तब मैने उसकी चूत में तीन उंगली, और गांद में दो, देते हुए उसे चाटना शुरू किया. बहुत ही जल्दी वो झड़ने लगी और एक ज़ोर की चीख के बाद वहीं पर मदहोश हो गयी.

वैसे, मैने मिली के कहेने पर अर्जुन की काफ़ी गांद मारी है. उसे दो लड़कों को चोद्ता देखा बहुत ही मज़ा आता है. लेकिन, इस बार मुझे बड़ी इच्छा हो रही थी अर्जुन की लेने की. मैने भाई-बहेन को अलग किया और एक ही झटके में अपने पुरुषांग अर्जुन की गांद में दे मारा. रक्षंदा ने अपने भाई का यह रूप पहेले नही देखा था. वो इतनी गरम हो गयी कि झाड़ ही गयी.

मैने अर्जुन का लॉडा हाथ में लेकर हिलाना शुरू किया. और उसकी गांद मारता ही गया. मैं रुकने के मूड में था नही लेकिन रेणु का अपनी मालकिन के सामने खुले आम मूठ मारना मुझसे देखा नही गया. मैने अर्जुन को सोफा पर बैठा दिया और रेणु को उसके लॉड पर. फिर मैने अर्जुन का लॉडा रेणु की गांद में डाला और सामने से मैने उसकी चूत संभाली. रेणु की चीखें करुणा वाली भी थी और मज़े वाली भी.

वहीं, मिली अपनी ननद के मूह पर बैठी हुई थी और अपनी चूत चुस्वा रही थी. मिली के हाथ रक्षंदा के गोरे बड़े मम्मों पर थे जिन्हे वो बड़े ही बेदर्दी से दाब रही थी. उसकी गोरी टाँगें बार बार खुल-बंद हो रही थी. जब मिली ने यह देखा तो उसने पास ही रखे एक रुमाल से अपनी नंद की चूत पर कस्के वार किया. उसकी सफेद चूत पर एक लाल निशान तो पड़ गया लेकिन उस वार से रक्षंदा झाड़ भी गयी.

दुगनी चुदाई से रेणु की गांद और चूत फटने को आ रही थी. पर साथ ही वो झड़ने के बहुत करीब थी. उसे झाड़ने के लिए मैने उसके मूह पर ज़ोर का चुम्मा दिया और अर्जुन ने पीछे से उसके गोरे चूचे दाब दिए. रेणु तो झड़ी ही, साथ में अर्जुन ने भी अपना सारा सुपाड़ा रेणु की गांद में छ्चोड़ दिया.
अब सिर्फ़ एक ही काम बचा था. मैने मिली को अपनी बाहों में भर लिया और अपना हाथ उसकी गांद के नीच रख कर उसे गोदी में उठाया. फिर मैने उसकी चूत अपने लॉड पर रखी और पूरा अंदर घुस गया. मिली ने भी अपनी टाँगें मेरी कमर पर लॉक कर ली और हमारे होन्ट आपस में मिल गये. एक दीवार पर मिली की पीठ टिका के मैने उसे चोद्ना शुरू किया.

मैं छ्छूटने के बहुत करीब था पर मुझे पता था कि मिली को थोड़ा टाइम है. मुझे पता नही था कि मैं इतनी देर रुक पाऊँगा कि नही. पर तभी मिली की मा वहाँ पर आती है. उसका इस तरह आना मिली के लिए झटका भी था और एग्ज़ाइटिंग भी. कभी अपनी मा के सामने नही चुदी थी वो. अपनी मा को देखकर मिली बहुत ज़्यादा थिरक गयी और उसकी चूत ने मेरे लॉड पर अपना पानी छ्चोड़ दिया. मैं भी बहुत दूर नही था और मैने अपना सारा लंड-रस मिली के चूत में झाड़ दिया.
आगे की कहानी फिर कभी आपका दोस्त राज शर्मा



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