पहला हक़ पापा को चुदाई का

मुझे मेरी मम्मी की याद भी नहीं है| जब से होश संभाला, हमेशा पापा को ही देखा है| पड़ोस की चाची बताती हैं की पापा ने मेरे कारण दूसरी शादी नहीं की|

मैं बहुत ही दुबला पतला हूँ| तब मैं 18-19 साल का रहा होऊँगा|

उस समय ही नयी नयी जवानी चढ़ी थी| दिन रात मूठ मारने में जो मज़ा था, किसी और काम में नहीं था| दिन में पापा रहते नहीं थे, मैं अकेला रहता था. जो चाहे वो करता था| पापा रात को आते, खा कर सो जाते| सुबह होते ही फिर से काम पर चले जाते. मैं खा कर स्कूल चला जाता था| आ कर अपनी जवानी का मज़ा लेता|

मुझे मेरी याद भी नहीं है कि मुझे साड़ी पहनने की आदत कब से है| स्कूल में एक प्ले होना था| मैं दुबला पतला होने के साथ साथ थोड़ा लड़कियों जैसा दिखता भी था| उस प्ले में मुझे एक औरत का रोल करना था| मुझे साड़ी पहनाई गयी तो मेरा लंड खड़ा हो गया| बड़ी मुश्किल से उसे दबा कर रखा| खैर प्ले तो ख़तम हो गया, लेकिन मेरी साड़ी पहनने की इच्छा नही गयी| घर पर मैं अकेला होता था| एक दिन मैने मम्मी की साड़ी निकली और पहन ली| उसमें मूठ मारने में जो मज़ा आया, पहले कभी नहीं आया था| अब में अक्सर साड़ी पहन कर मूठ मारता था| मुझे इतना मज़ा आने लगा की मैं हर दिन शाम में उसे पहनने लगा और रात में पापा के आने से पहले उतार देता था| उस दिन शाम को कहीं पार्टी में जाना था| ३-४ दिन हो गये थे मूठ मारे, घर लौट कर मुझे सबसे पहले मूठ मारना था| पापा तो आ कर सो गये| मैं कमरे में गया और सबसे अच्छी साड़ी निकली| सबसे पहले मैने गुलाबी पेंटी पहनी| फिर ३४ नंबर का ब्रा पहना| उसमें टेन्निस बॉल डाल कर एकदम फूला लिया| फिर साटन का साया पहना| अब बारी आई साड़ी की| साड़ी पहन कर मैं बिस्तर पर गया ही था की कमरे की लाइट आन हो गयी| सामने पापा खड़े थे|
“ये सब क्या है?”
मैं चुप, बोलूं भी तो क्या? मैं नज़रे झुकाए खड़ा था| पापा ने फिर कुछ नहीं कहा| वो चले गये| मैं भी कपड़े बदलने के लिए उठा| अब मूठ मारने का मन नहीं रहा| अभी मैं सोच ही रहा था की मैने अपने पिछवाड़े की गोलैईयों पर किसी मर्द के हाथ महसूस किए| “पापा ?” “हाँ, बेटी मैं| करीब १८ साल से किसी को नहीं चोदा है| तेरी पतली कमर पर मेरा दिल आ गया| आज तो तुझे चोद कर ही मानूँगा मैं| इस तरह का एहसास भी मेरे लिए नया था| आज तक मुझे इस तरह किसी ने नहीं छुआ था| मुझे अजीब सा लग रहा था| थोड़ा अच्छा थोड़ा बुरा| पापा ने बिना रुके मेरा पिछवाड़ा दबाना चालू रखा| फिर धीरे धीरे उनका हाथ फिसलते फिसलते मेरी कमर तक आया| मेरी पीठ सहलाते सहलाते वो मेरे पेट तक आए| हाथ फिसलते फिसलते मेरे मुममे तक आ गये| हल्के हल्के उसे दबाना शुरू किया| उनका लंड खड़ा हो कर मेरी गांद से टकराने लगा| मैं मना नहीं कर पाया| अब मुझे भी अच्छा लगने लगा| उनका दूसरा हाथ मेरी पेट से हो कर मेरी साड़ी के अंदर जाने लगा| अब मेरी कोई चूत तो है नहीं| मेरा लंड उनकी हाथ में आया| वो उसे हिलाने लगे| पहले बार किसी मर्द ने मेरा लंड छुआ था| मेरे अंदर करेंट सा दौड़ गया| मैं मदहोश होने लगा| मुझसे रहा नहीं जा रहा था| वो पीछे से हल्के हल्के धक्के मार रहे थे| उनका लंड सीधा मेरी गाड़ से लग रहा था| थोड़ी देर मुममे दबाने और लंड हिलाने के बाद वो मुझे मेरे पलंग पर ले गये| मुझसे उनके कपड़े उतारने को कहा| मुझे अच्छा नहीं लगा|

पर पापा ने मेरे दोनो हाथों को पकड़ कर अपने कपड़े उतरवाए| जैसे ही उनकी चड्डी उतरी उनका लंड फुनफनाकर तन कर खड़ा हो गया| मैने अपनी ज़िंदगी में कभी ८ इंच का लंड नहीं देखा था| अब वो पलंग पर बैठे थे, मैं ज़मीन पर| उन्होने मेरे कनपटी पर हाथ रखे और मेरे मुँह को अपने लंड की सीध में किया| मैं अब तक नहीं समझा| फिर उन्होने कहा “मुझे प्यार करो| मेरे लंड को प्यार करो| चख कर देखो अपने पापा को| इसी लंड ने तुझे पैदा किया है| आज उसे ही जान कर देखो|” मैने उनके लंड को चूसना शुरू किया| पहले सूपड़ा मुँह में लिया| फिर धीरे धीरे आधा लंड अंदर आ गया| फिर मैने उनके टटटे चूसे| पापा ने कहा, “आह| करीब १५ साल हो गये, किसी से चुस्वाया नहीं| तेरी मम्मी के मरने के बाद किसी ने नहीं चूसा| अब तू ही अपने मम्मी की जगह ले सकती है|” पापा तो मेरे मुँह में ही झड़ गये| उन्होने मुझे ऐसे बिठा रखा था की मैं उगल नहीं सकती थी| मजबूरन मुझे उनका वीर्य पीना पड़ा|
पापा झड़ तो गये थे, पर उनका मन नहीं भरा था| मुझे कहा “बेटी, ऐसे ही कपड़े में बैठी रह| मैं अभी आता हूँ| पापा अपने कमरे में गये| मैं पलंग पर लेट गया| पापा २ मिनिट में वापस आ गए| पर अपने साथ वो गहने लाए थे| “ये तेरी मम्मी के गहने हैं| अब तू इसकी हक़दार है|” पापा ने मेरा शृंगार किया| मुझे टॉप्स और नथ पहनाई| चूड़िया, सोने की चेन, कमरबन्द और बाजू बंद पहनाया| फिर पायल पहनाया| पापा ने कहा “बेटी ये तेरी मम्मी का हार है, और ये सगाई की अंगूठी| इसे पहन ले|” पापा ने मुझे पहनाया और मुझे अपने कमरे में ले गये| मुझे ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा किया और लिपग्लोस लगाया| पाउडर बिंदी क्रीम लगाने के बाद मुझे आईने में एक औरत नज़र आई| कोई मुझे देख कर नहीं कह सकता था की मैं औरत नहीं मर्द हूँ| वैसे ये मर्दों का काम तो है नहीं, तो मैं खुद को औरत ही मानने लगा|
पापा ने मुझे अपने पलंग पर लिटा दिया| पापा का लंड फिर से खड़ा हो गया| इस बार पापा ने मेरी साड़ी उठाई और मेरी पेंटी नीचे सरका दी| मेरा लंड अब उनके लिए हाज़िर था| उन्होने कहा, “आजतक किसी का लंड नहीं चूसा| आज अपनी बेटी ही सही|” फिर धीर धीर वो उसे प्यार करने लगे| मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया| फिर पापा ने मुझे उल्टा किया और कुतिया बनने के लिए कहा| वो मेरी गाड़ चाटने लगे| फिर क्रीम निकाल कर ढेर सारा क्रीम मेरी गाड़ पर लगाया| “बेटी, तय्यार?” फिर अपने लंड का सूपड़ा मेरी गांद की छेद पर
लगाया| और हल्के हल्के धक्के देने शुरू हो गये| पर मैने कभी गाड़ नहीं मराई थी तो मेरी गाड़ बहुत ही ज़्यादा टाइट थी| मैं दर्द के मारे
चिल्लाने लगा| “प्लीज़ पापा छोड़ दो| मैं मर जाऊंगी|” पापा ने यह देख कर मुझे छोड़ दिया| पर यह देख कर मुझे दुख हुआ| पापा से कहा, “फिर से ट्राइ करते हैं|” पापा का लंड इस बार आधा ही गया था, पर मुझे बहुत दर्द हो रहा था| मुझे दर्द में देख कर पापा ने छोड़ दिया|

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अभी तक मैं झड़ नहीं पाया था| तो पापा ने कहा, ” बेटी तू मेरा चूस मैं तुम्हारा चूसता हूँ| फिर हम दोनो ६९ स्थिति में एक दूसरे के हो गये| मैं झड़ गया| पर पापा नहीं झड़े| पापा ने मेरे मुँह से लंड निकाल लिया| अब वो बिस्तर पर लेट गये| मुझे अपने उपर लिटाया और मेरी कमर पकड़ कर मुझे आगे पीछे कर अपने से रगड़ने लगे| थोड़ी देर में उनका वीर्य निकल गया और मेरी साड़ी गीली हो गयी| पापा ने मुझे बाहों में लेकर निढाल हो गये| “सालों बाद स्वर्ग का आनंद मिला है|” हम दोनो एक दूसरे के आगोश में ही सो गये|

अगले दिन से सब नॉर्मल हो गया| पापा ऑफीस जाते, मैं स्कूल जाता| फ़र्क ये था कि मैं अब दिन में मूठ मारने की जगह रात में साड़ी पहन कर पापा के साथ जवानी के मज़े लेता था| अब तो मैं दिन में भी बानयन की जगह ब्रा और चड्डी की जगह पेंटी पहन कर स्कूल जाता था| लेकिन पापा को अभी भी अपनी गाड़ का मज़ा नहीं दे पाया था| हाँ, लंड चूसने में मैं उस्ताद हो गया था| एक दिन तो मामा भी आए थे| उनके सामने भी मैने अपनी कला का प्रदर्शन किया|

उस रात बहुत बारिश हो रही थी| मैं स्कूल से आ कर साड़ी पहन कर पापा के लंड का इंतेज़ार कर रहा था| पापा ने बहुत फोन किया लेकिन मैने नहीं उठाया| मैं उनकी तड़प का मज़ा ले रहा था| थोड़ी देर में दरवाजे की घंटी बाजी| मैने दरवाजा खोला और भौचक्का रह गया| पापा के साथ मेरे मामा थे| मेरा लंड बैठ गया| पापा ने बताया की बारिश बहुत हो रही थी, तो मेरे मामा जो डॉक्टर भी हैं, उनको यहाँ आना पड़ा| मामा पापा से मिलने दूसरे शहर से उनके ऑफीस आए थे| हर जगह जाम है, तो कहीं जा नहीं सकते| अब मैं समझा की पापा क्यों फोन कर रहे थे| पर पापा मुझे देख कर बिल्कुल ही नहीं अचंभित हुए| “ओह, तो तुम्हारे बेटे को साड़ी पहनने का शौक है| अब
मैं समझा की आजकल तुम्हारे चेहरे पर रौनक कहाँ से आई| चलो बेटी, कुछ है खाने के लिए? तुमने तो खाना बनाना भी सीख लिया होगा?” ये सुन कर मेरी और मेरे पापा की जान में जान आई| मैं चाय लेकर आया| उन्होने चाय लेते समय मेरे गाल पर किस किया|
फिर मैने सबके लिए खाना परोसा| अभी तक मैने साड़ी नहीं उतारी थी| मैं कमरे में जा कर कपड़े बदलने वाला था की मामा ने कहा, “खाना खा लो, फिर कपड़े बदल लेना|” फिर सबने खाना खाया| मैं और पापा आजकल एक ही कमरे में सोते थे| मामा को मेरा कमरा सोने के लिए मिल गया| मामा को मैने पाजामा देने गया| मामा ने कहा, “बेटी, हमें तो कुच्छ और ही चाहिए|” मैं उनका इशारा समझ गयी| आख़िर मुझे भी नये लंड की तलाश थी| मैने उनकी चड्डी उतारी और चूसने लगा| देर होते देख पापा कमरे में आ गये| व्यभिचार होते देख कर वो भी नंगे हो गये| मैं मामा का लंड चूस रही थी, पापा मेरी गाड़ में क्रीम लगा रहे थे| इस बार मैने उनके लंड को पूरे का पूरा अंदर ले लिया|
मैं मदहोश हो गयी| मुँह में लंड, गाड़ में लंड और एक हाथ से मैं मूठ मार रही थी| ये काम क्रिया करीब २० मिनिट तक चला| इस बीच मुझे तरह तरह से चोदा गया|

पहले कुतिया की तरह| पापा ने मेरी गाड़ में लंड डाला, मामा ने मुँह में पहले ही लंड पेल रखा था| थोड़ी देर इस तरह चुदाई के बाद मुझे पलंग पर लिटा दिया गया| अपने दोनो पैर मैने उठा लिए| इस तरह मेरी गाड़ की छेद बड़ी हो गयी| इस बार मामा ने लंड पेल डाला, और पापा ने ख़ालू की जगह ले ली| करीब २० मिनिट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया| पापा मामा अभी तक झड़े नहीं थे| पापा ने तो मेरा लंड चूसने का मज़ा ले ही रखा था| अब मामा की बारी थी| दोनो ६९ स्थिति में आ गये| मामा ने तो ऐसे चूसना शुरू किया कि जैसे बरसों का तजुर्बा हो| जब सारे तृप्त हो गये तो मैं और पापा दूसरे रूम में चले गये (और मुझे साड़ी उतरने की ज़रूरत नहीं पड़ी|)

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अगली सुबह मामा बोले कि तुमको लड़का नहीं लड़की होना था| पापा बोले “जहाँ के लिए भले ही लड़का है, मेरे लिए तो बिल्कुल मेरी बीवी जैसा है| अपनी मम्मी की तरह पर्फेक्ट|” मामा ने कहा, “अगर चाहो तो इसे बिल्कुल लड़की ही बना दूँ|” पापा ने इसे मज़ाक समझा और हँसी में उड़ा दिया| बाद में सब तय्यार हो कर काम पर चले गये|

२-३ महीने बाद पापा को ऑफीस के काम से शहर से बाहर जाना पड़ा| ३ दिन के बाद शाम को जब मैं वापस आया तो फोन की घंटी बजी| मैने फोन उठाया| दूसरी तरफ मामा थे| मामा ने कहा, “बेटी कैसी हो? तुम्हारे बदन की प्यास अभी तक गयी नहीं| अब तो तुम्हारी खलजान भी फीकी लगे तुम्हारे सामने|” मैने भी पापा की जाने के बाद चुदास बैठा था| मैने कहा, “फिर सोचना कैसा? मैं भी तय्यार हूँ|” मामा ने कहा, “ऐसा करते हैं की किसी होटेल में मिलते हैं| मेरा वहाँ तक आना संभव नहीं है| तुम बस पकड़ कर १ घंटे में चर्च आ जाना|
बाकी इंतेज़ां मैं कर लूँगा|”

जल्दी जल्दी में मैं बस पकड़ कर चर्च पहुँच गया| वहाँ मामा की कार खड़ी थी| मामा ने मुझे कार में बिठाया| मामा की कार में काला शीशा लगा है|
मेरे बैठते ही मामा ने मेरा मुँह अपने तरफ खींचा और एक जोरदार चुम्मा मेरे होंठो पर जड़ दिया| “बेटी, तुम्हारे कपड़े?” जल्दी जल्दी में मैं कपड़े लाना भूल गया था| “चलो, कोई बात नहीं| आज तुम्हारे पसंद के कपड़े लेते हैं|” मामा मुझे लेकर बनारसी साड़ीयों की दुकान ले गये| मेरे पसंद की साड़ी ली| बाकी का सारा सामान लिया और फिर एक होटेल आ गये| मामा ने एक कमरा बुक किया और हम दोनो कमरे में आ गये| मामा ने मुझे साड़ी का पॅकेट दे कर गुसलखाने में साड़ी पहनने के लिए कहा और खुद नंगे होने लगे|
नयी साड़ी मुझ पर बहुत ही फब रही थी| मामा तो भरे बैठे थे| मेरे निकलते ही मुझे बाहों में उठा कर बेड पर पटक दिया| मेरी चूचियाँ बड़ी नहीं हैं|
यह देख कर मामा निराश हो गये| “अगर चाहो तो मैं ये चूचियाँ बड़ी कर दूँ|”
“कैसे मामा ?” “अरे मैं डॉक्टर हूँ, स्त्री रोग विशेष, तुम्हारे लंड को भी चूत बना सकता हूँ|” मैने कल्पना की कि मेरे लंड की जगह बुर होता तो मैं पापा को कितने मज़े दे सकता था| तब मैं रंडी बन कर मामा और पापा दोनो को तृप्त कर सकता था| “क्या सोचने लगी?” “मामा अगर ये हो सकता है तो कितने पैसे लगेंगे?” “अपनी जान के लिए तो मैं मुफ़्त में कर दूँगा|” अँधा क्या चाहे दो आँखे| मैं तय्यार हो गया| मामा ने मुझे पेलने के बाद एक दवाई लिखी और कहा इसे हर दिन ३ बार ६ महीने तक लो|

६ महीने बीतने में तो वक़्त ही नहीं लगा| मेरे स्तन बड़े हो गये| इस बीच एक दिन पापा ने चोदते समय कहा, “बेटी क्या बात है, तुम्हारे चूचे बड़े हो रहे हैं? कुछ ले रही हो क्या?” मैने मना कर दिया| “पापा ये तो आपका कमाल है|” पापा खुश हो गये| मैं पापा को सर्प्राइज़ देना चाहती थी| ६ महीने बाद पापा को फिर कहीं ३ दिन के लिए जाना पड़ा| उस दिन पापा के जाते ही मैने मामा को फोन किया की मामा आज ही ऑपरेशन कर डालो| मामा ने मुझे अपने क्लिनिक में भर्ती किया| मुझे इंजेक्शन लगते ही नींद आ गयी| जब मैं उठा तो मैने अपना लंड नहीं महसूस किया| हाथ डाल कर देखा तो वहाँ एक छेद था| मेरा लंड अब बुर बन गया था| और मेरे चूचुक और भी बड़े हो गये थे|
मामा ने बताया की उन्होने मेरे स्तन का भी ऑपरेशन करके सिलिकन बॉल डाले हैं| “थैंक यू मामा |” ये कहते हुए मैं मामा के गले लग गयी| मुझे अपने स्तन बड़े भारी लगे| मामा ने मुझे किस किया|

वो तो मुझे चोदना भी चाहते थे| पर मैने अपने चूत का पहला हक़ पापा को देना चाहती थी| उसी दिन शाम में पापा आने वाले थे| मैं बुर में साड़ी खोंस कर पापा का इंतेज़ार ही कर रही थी| पापा थके हारे आए, उन्हे तो पता भी नहीं था, की उनकी बेटी ने क्या कमाल किया है| मैं खुशी छुपाए बैठी थी|
मुझ से सब्र नहीं हो रहा था| पापा ने खाना खाया| फिर हम दोनो बेड पर आए|
पापा को मैने कहा “आपके लिए मैने डब्बे में एक सर्प्राइज़ रखा है|”
पापा ने डब्बा खोला| उसमें मेरे हार रखे थे| उस हार के साथ मेरे टटटे पड़े थे| पापा ने कहा “ये क्या?” फिर मैने अपनी साड़ी उठा दी| मैने
पेंटी नहीं पहनी थी| मेरे चिकने चिकने बुर को पापा देखते ही रह गये| फिर उन्होने कहा, “बेटी तुम्हें पापा से इतना प्यार है की इतना सब कर डाला|”
“हाँ पापा | मुझसे निकाह करोगे?” पापा ने जवाब में बस मेरा बुर चूसना शुरू कर दिया| मेरे बुब्बे भी अब असली थे| उनको चूस चूस कर पापा का दिल हरा हो गया| पापा ने मेरी बुर मारी| “आहा| आज १८ सालों में किसी की बुर मारी है|”

अगले दिन ही पापा ने ट्रान्स्फर की अर्ज़ी दे दी| हम १५ दिन के भीतर ही नयी जगह आ गये| पापा ने मेरा नाम अपनी बीवी की जगह लिखा दिया| हम दोनो ने निकाह कर लिया| अब हम लोग रोज़ मज़े करते हैं और मामा भी कभी कभी आ कर मज़े लेते हैं|



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