पड़ोसिनों की अदला बदली

मेरा नाम राज है, मेरी उम्र 26 साल और मेरी बीवी रश्मि की उम्र 22 साल है।
मेरा एक बेटा है, जिसकी उम्र 1 साल है।
बेटा होने के बाद भी, रश्मि मेरी पत्नी बहुत ही शानदार फिगर 32-28-34 की मालकिन है।
वो अपने शरीर का बहुत धयान रखती है।
जैसे, रोज़ सुबह जल्दी उठ कर योगा करना, तला हुआ और बाहर का खाना बिल्कुल ना खाना और ना जाने कौन-कौन सी प्राकृतिक चीज़ों से अपनी चुचियों और गाण्ड की रोज़ाना मालिश करना।
हाँ, बेटा होने के बाद उसके निप्पल ज़रूर थोड़े बड़े हो गये हैं, सिवाए इसके उसके बदन, चुचियों और गाण्ड की सुडोलता और गोलाई में कोई कमी नहीं आई है।

दोस्तो, मैं आप लोगों से एक बात पूछना चाहता हूँ.. मेरी बीवी हर एक दो दिन बाद, मुझसे अपनी चूत पर पेशाब करवाती है..
उसका कहना है, इससे चूत एकदम कसी रहती है और बहुत सी “गुप्त बीमारियों” से निजात मिलता है।
मुझे ये बिल्कुल पसंद नहीं और मुझे बहुत घिन आती है पर उसको बुरा ना लगे, इसलिए मैं ऐसा कर लेता हूँ पर मैं आप लोगों से जानना चाहता हूँ की क्या ये बात सच है।
वैसे ये बात तो है की उसकी चूत, कसी हुई तो बहुत है।
हमारा बेटा नार्मल डिलीवरी से हुआ है.. वावजूद इसके, कुछ ही दिनों में उसकी चूत फिर से पहले के समान कस गई थी।

खैर, मेरी बीवी को उसके इस हुस्न के चलते जो उसे देखता है, देखता ही रह जाता है।
शुरू में, मुझे कभी कभी मुझे बुरा भी लगता था पर अब मैं आदि हो चुका हूँ।
मित्रो, मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ।
हमारा एक छोटा सा फ्लैट है, जो तीसरे फ्लोर पर है और मेरे फ्लैट के ठीक नीचे दूसरे फ्लोर पर मेरी कंपनी में ही काम करने वाला जय रहता है।
वो दिखने में तो सुंदर है पर उतना ही झगड़ालु प्रवर्ति का है।
उसका, उसकी बीवी डॉली से आए दिन झगड़ा होता रहता है।
वैसे, हमारे रिश्ते एक दूसरे के साथ काफ़ी अच्छे हैं।
डॉली, हमेशा अपने पति जय से और पड़ोसियों से मेरे और रश्मि के रिश्ते को लेकर बात करती रहती है की इन दोनों की जोड़ी कितनी अच्छी है, कभी भी लड़ाई झगड़ा नहीं होता और एक दूसरे का कितना ख़याल रखते हैं।
वो ये तक कहती है की मेरी तो भगवान से ये प्रार्थना है की अगले जन्म में मुझे भगवान राज भाई साब जैसा पति दे।
अब मैं आपको, असली कहानी के बारे में बताता हूँ।
ये घटना, लगभग कुछ महीनों पहले की है।
मार्च का महीना था और होली आने वाली थी।
डॉली, अक्सर हमारे बेटे को खिलाने के लिए अपने घर ले जाया करती थी और मैं उसे वापस लेने के लिए, कभी कभी उसके घर चला जाता था।
इन कुछ दिनों से डॉली को मैंने देखा था की वो मेरी तरफ कुछ अलग नज़र से देखती है। नज़रें, काफ़ी देर तक टिकाए रखती है।
जब मैं उससे, अपने बेटे को गोदी से लेता तो वो मेरे हाथ को अपने मम्मों पर टच करने का प्रयास करती थी।
मैं समझ रहा हूँ, दोस्तो आप ये ही सोच रहे होंगे। ये भी दूसरी कहानियों की तरह, अपने मुँह मिंया मिट्टू बनना चालू हो गया।
अब बोलेगा, मेरा लण्ड 10-12 इंच का है। मैं बहुत खूबसूरत हूँ और मेरी 20-25 गर्ल फ्रेंड रही हैं पर दोस्तो, ऐसा कुछ नहीं है।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं मैं कद काठी में सामान्य हूँ, मेरा लण्ड भी लगभग 7-8 इंच से बड़ा नहीं है और 20-25 तो क्या मेरी एक भी गर्ल फ्रेंड नहीं रही।
खैर, एक दिन मैंने भी सोचा की चलो देखता हूँ की इसका इरादा क्या है।

मैंने जब अपने बेटे को उसकी गोदी से लेने के लिए हाथ बड़ाया तो जानमुझ कर, बेटे को अपनी तरफ नहीं लिया।
डॉली, मेरे बेटे को छोड़ने का इंतेज़ार करता रहा।
मेरा हाथ कम से कम 10 सेकेंड तक उसके 32 साइज़ के चुचे से स्पर्श करता रहा। लेकिन, वो नहीं हिली और मंद की मंद मुस्कुराती रही।
मेरे ही दिल की धड़कन तेज हो गई और मैंने हाथ हटा लिया।
अब मैं चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए बोला – भाभी जी, अब मेरे बेटे को दे भी दो.. .. घर जाना है.. ..
इस पर डॉली मुस्कुराते हुए, शरारती अंदाज़ में बोली – ले लो ना, भाई साब.. .. आपको कौन मना कर रहा है.. ..
मैं समझ गया की वो आज अलग मूड में है।
मैंने फिर से हाथ बड़ाया तो उसने बेटा नहीं दिया और दो कदम पीछे हो गई और फिर से चिड़ते हुए बोली – ले लो ना, भाई साब.. .. अपना बेटा.. ..
मैं फिर से आगे बढ़ा और उससे इस बार छीना झपट करने की कोशिश की। इस छीना झपट में, मैंने उसके मम्मों को खूब सहलाया।
उस दिन के बाद से, आए दिन जब भी जय घर पर नहीं होता था तो वो मेरे बेटे को ऐसे ही मुझे देती।
मुझे भी मज़ा आने लगा.. मैं समझ गया था की वो मुझसे चुदवाना चाहती है..
ऐसा नहीं की मैं अपनी बीवी के साथ खुश नहीं था या हमारे रिश्ते में, कोई कड़वाहट थी।
रश्मि को भी चुदवाने का बहुत शोक था और मैं अक्सर उसे चोदा करता था।
हाँ, जैसे मैंने पहले बताया था बस मुझे उसकी चूत पर पेशाब करना पसंद नहीं था और एक चीज़ ये भी थी की रश्मि चुदाई के वक़्त, ज़्यादातर उसी पोज़ में चुदवाती थी, जिसमें उसे मज़ा आता था।
मैं अपनी पसंद के पोज़ में चोदने चाहूं या पोज़ बदलना भी चाहूं तो कहती की नहीं, अभी नहीं.. .. या ऐसे ही, करो ना.. ..
उसको चुदाई की भी बहुत जल्दी रहती थी.. मतलब, जैसे ही हमारा मूड बनता वो लण्ड को अपनी चूत में डलवा लेती.. जबकि, मुझे उसके चुचे चूसने, उसकी चूत और गाण्ड चाटने का काफ़ी दिल करता था..
मेरा लण्ड भी वो कभी कभी ही चूसती।
ये कहना सही है की वो चुदाई अपने अनुसार करती थी, मेरे नहीं।
वैसे, डॉली की तरफ आकर्षित होने के ये कोई कारण नहीं था। इन सब बातों के बावजूद, मुझे रश्मि के साथ चुदाई में पूरा मज़ा आता था और मैंने कभी किसी दूसरी औरत के बारे में नहीं सोचा था।
खैर, पर जब डॉली ने खुद ही शुरूवात करी तो मैं इतना भी महान नहीं था की पीछे हट जाता और मुझे तो नहीं लगता कोई भी स्वस्थ लण्ड वाला ऐसा करेगा।
फिर, एक दिन तो हद ही हो गई.. उसने मुझे अचानक होंठों पर किस कर दिया..
मैं भी यही चाह रहा था की कुछ ऐसा हो.. मगर, मैं पहल नहीं करना चाहता था..
हकीकत में, मैं बहुत फटु किस्म का इंसान हूँ पर जैसे ही, उसने चुंबन किया मैंने उसको जकड लिया।
उसने मेरे बेटे को नज़दीक पड़ी, चारपाई पर लिटा दिया और फिर से मुझसे चिपक गई।
तभी मैंने उसे बोला की गेट खुला है, कोई आ जाएगा।
वो तुरंत गई और गेट बंद कर दिया और इस बार मैंने उसको बेड पर पटक दिया और उसकी साड़ी खोल दी, उसका शरीर बहुत मस्त था।
काफ़ी स्लिम थी, वो.. मगर, उसके चुचे एकदम गोल और 32 या 33 साइज़ के लगभग थे..
ज़्यादा बड़े नहीं थे.. लगभग, रश्मि जीतने ही थे और दिखने में भी लगभग वैसे ही थे..
गोरे, गोल, बेहद नरम और काले रंग की छोटी सी निप्पल।
मैं अपनी जिंदगी में, दूसरे नंगे चुचे देख रहा था।

बहुत देर तक, उसके चुचों को मैं एकटक देखता रहा और फिर मैंने उसका ब्लाउज पूरा उतरा और उसके मम्मों को चूसने लगा।
उसने, अंदर ब्रा नहीं पहनी थी।
अचानक, मुझे लगा मेरे पास समय नहीं है.. ज़्यादा देर, उसके घर रुक नहीं सकता था..
मैंने उसको बोला – डॉली, अभी कोई आ सकता है.. .. रश्मि भी सोचेगी इतनी देर कैसे रुक गये.. .. फिर, कभी सही.. .. और मैं जल्दी से वहाँ से, अपने बेटे को लेकर निकल लिया।
रात भर, मुझे उसके चुचे दिखते रहे।
उस रात, मैंने रश्मि को 3 बार चोदा.. दो बार तो लगभग ज़बरदस्ती..
दुबली पतली होने के कारण, एक बार में ही रश्मि थक जाती है.. हाँ, कभी कभी ड्रिंक करने के बाद, हम ज़रूर दो-तीन बार चुदाई कर लेते थे..
खैर, इसके अगले दिन मैं अपने प्लान के मुताबिक ऑफीस से जल्दी आया और सीधे डॉली के घर में घुसा।
मैंने उसको पहले ही बता दिया था की मैं सीधे तुम्हारे पास ही आऊंगा।
घर पर पहुँचते ही, वो खुद ही बेड पर लेट गई।
मैंने तुरंत अपने सारे कपड़े उतारे और उसके भी उतार कर, उसको पूरा नंगा कर दिया।
कुछ देर तक, मैं उसको एकटक देखता रहा।
उसकी चूत से तो जैसे मेरी नज़र हट ही नहीं रही थी।
उसकी चूत एकदम चिकनी थी और सामने से, अँग्रेज़ी के स्माल ‘w’ जैसे दिख रही थी।
रश्मि की तरह, उसका पूरा बदन गोरा होने के बाबजूद उसकी चूत थोड़ी भूरी थी.. पर, रश्मि की चूत के होंठ का कटाव जहाँ सामने से ही शुरू हो जाता था, वहीं उसकी चूत के होंठ सामने से बिल्कुल नहीं दिख रहे थे..
जैसा मैंने बताया, सिर्फ़ स्माल ‘w’ का आकार नज़र आ रहा था।
मुझे उसकी चूत, रश्मि से ज़्यादा सुंदर लगी।
मैंने डॉली से कहा – मुझे नहीं पता था, लड़कियों की चूत अलग अलग आकार की होती है.. .. तुम्हारी चूत बहुत सुंदर है, डॉली.. ..
डॉली ने कुछ नहीं कहा और मुस्कुराते हुए, मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया।
लेकिन, मैं बर्दशात नहीं कर पाया और जैसे ही उसने अपनी टाँगें खोल कर, मेरा हाथ चूत के होंठों पर फिराया, मेरे लण्ड ने मचल कर मूठ छोड़ दिया।
मैं थोड़ा सा शर्मिंदा हो गया, पर डॉली ने तुरंत ही मेरे लण्ड को पकड़ा और अपने मुंह में लेकर, बुरी तरह से चूसने लगी।
उसने मेरा पूरा मूठ ऐसे चाट लिया, जैसे कब से इसकी प्यासी है।
उसको अपना मूठ चाटते देख, मुझे बहुत मज़ा आया और मेरा लण्ड तुरंत फिर से खड़ा होने लगा।
रश्मि ने आज तक, मेरा मूठ नहीं चाटा था.. बल्कि, वो तो मेरा लण्ड भी कभी कभी ही चूसती थी..
थोड़ी देर बाद, जब मुझसे काबू ना हुआ तो मैंने उसको बिस्तर पर पटक दिया और उसके मम्मों पर टूट पड़ा।
जब उनसे दिल भर गया तो फिर, मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।
उसकी चूत लगातार, नमकीन रस छोड़ रही थी.. वो काफ़ी गरम हो चुकी थी..

लगभग 5-10 मिनट, जी भर के चूत चटवाने के बाद वो बोली – राज, अब आ जाओ.. .. अब कंट्रोल नहीं हो रहा.. ..
मैं भी उसके ऊपर चढ़ गया और अपना 7 इंच लंबा लण्ड, उसकी चूत में तुरंत घुसा दिया।
रश्मि की अपेक्षा, लण्ड उसकी चूत में आसानी से एक झटके में ही घुस गया।
इधर, उसने मुझे बुरी तरह से चूमना शुरू कर दिया और बोली – राज, मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ.. .. मैं शुरू से चाहती थी की मुझे तुम्हारे जैसा पति मिले.. .. चोदो मुझे और बना लो अपना.. .. और फिर, उसने मुझे बहुत ज़ोर से जकड़ लिया।
उसके हाथ, मेरी गाण्ड पर कस गये और वो वो नीचे से उछल उछल कर, ज़ोर लगा रही थी।
मैं काफ़ी उतेज्ज़ित हो गया था और थोड़ी देर बाद, मैंने स्पीड बढ़ा दी और अपना सारा मूठ उसकी चूत में ही डाल दिया।
10-15 मिनट, हम ऐसे ही एक दूसरे को सहलाते रहे।
मैंने जी भर के, उसकी गाण्ड को सहलाया और चूमा।
सच में, इतना मज़ा मुझे रश्मि के साथ कभी नहीं आया।
असल में, रश्मि तो चुदाई के फ़ौरन बाद उठ जाती है।
खैर.. ..
मुझे लगता था, मैं रश्मि के साथ अपनी चुदाई की जिंदगी बहुत अच्छी जी रहा था पर असल में ऐसा नहीं था।

डॉली को चोदने के बाद, मुझे एहसास हुआ की अगर आप रोज़ एक ही खाना खाएगें तो आपको पता ही नहीं चलेगा की दूसरे किसी व्यंजन का स्वाद कैसा है।

खैर, डॉली के साथ ऐसा दो तीन दिन लगातार चलता रहा और फिर पाँचवे दिन की बात होगी, शायद.. मैं डॉली की चुदाई करने के बाद, उसकी गाण्ड को सहला रहा था और वो मुझसे बातें कर रही थी..
बातों बातों में, उसने मुझे बताया की उसके पति जय को सेक्स के अलावा कुछ नहीं सूझता.. .. सेक्स होने के बाद, उसे मुझसे कुछ मतलब नहीं.. .. मेरी ना तो कोई परवाह करता है और तो और आए दिन, पिटाई भी करता है.. .. वो अक्सर दूसरों की पत्नियों के बारे में, ख़ासकर मेरी पत्नी रश्मि के बारे मैं कुछ ना कुछ बोलता रहता है.. ..
मैंने पूछा – क्या बोलता है.. ..
तो डॉली बोली – नहीं, कुछ नहीं.. .. बस, ऐसे ही.. ..
मैंने उससे फिर पूछा – अब बता भी दो.. .. क्या बोलता है.. .. बताओ तो सही, प्लीज़.. ..
डॉली बोली, बोलता है – देख, रश्मि को क्या मस्त माल है.. .. यार बस, एक रात को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए.. ..
मुझसे पूछता है की क्या मैं उसको रश्मि को चोदते हुए, देखूँगी.. .. ये भी कहता है की अगर इससे (रश्मि से) बदली हो जाए तो मैं आज ही अदला बदली कर लूँ.. ..
फिर वो बोलीं – अब तुम ही बताओ, ऐसे पति के साथ मैं कैसे गुज़ारा करूँ.. .. जो अपने सामने, मुझे किसी दूसरे मर्द से चुदवाना चाहता है और मेरे सामने किसी और औरत को चोदना चाहता है.. ..
मैं भी क्या कहता, बोला – हाँ यार, बहुत ही बेकार आदमी है.. .. ऑफीस में सब से लड़ता रहता है.. .. और फिर कम से कम, कोई अपनी बीवी के सामने ऐसा तो नहीं बोलता है.. .. वैसे, तुम में क्या कमी है.. .. तुम्हारी चूत से तो मेरी नज़र ही नहीं हटती.. .. गाण्ड और दूध तो इतने सुंदर हैं की पूछो ही मत.. .. मैं तो कहता हूँ की अगर मैं शादीशुदा नहीं होता तो तुमसे शादी कर लेता और उससे तलाक़ दिला देता.. ..
वो बोली – हाय!! सच में.. ..
मैं बोला – हाँ!! बिल्कुल.. ..
इसी वक़्त, जय हमारे सामने आकर खड़ा हो गया।
(वो शायद इसी पल का इंतेजार कर रहा था की मैं कुछ बोलूं.. उसने अपनी मास्टर की से लॉक खोला और चुपके से हमारी बातें सुन रहा था..)
उस पल, मुझे लगा मेरी धड़कन रुक गई है और मेरा खून सुख गया है।
रागिनी, मेरी तरफ गाण्ड करके लेटी थी और मेरा हाथ, अभी भी उसकी गाण्ड पर था।
फिर, वो अलग लहजे में बिल्कुल टोन बदलते हुए बोला – तो जनाब, आप इन मैडम से शादी करोगे.. .. कर लो, कर लो.. .. मैं तो इनको कब से छोड़ने के लिए, तैयार हूँ.. .. लेकिन, मुझे भी तो कोई चाहिए.. .. मैं आपकी बीवी से काम चला लूँगा.. .. पर्मनेंट रख लो, इस चुड़क्कड़ छीनाल को.. .. और फिर जय कदम बढ़ाते हुए बोला – चलो, तो फिर.. .. मैं तुम्हारे घर जा रहा हूँ, रश्मि के पास.. ..
अब मैं सारी हिम्मत जुटा के बोला – रु रु रू को को को.. .. त त तु म्हा रा रा दि दि मा ग़ ग तो ठी क है.. ..
इस पर जय बोला – हाँ, बिल्कुल ठीक है.. .. तुम मेरी बीवी को चोदोगे तो मैं क्या तुम्हारी को छोड़ दूँगा.. ..
अब मैं सच में बहुत डर गया था क्यूंकी मैं रंगे हाथों पकड़ा गया था।
शुक्र तो इस बात का था की मैं अब तक जिंदा था।
किसी और के पति ने मुझे रंगे हाथों पकड़ा होता तो अब तक मुझे शायद, गोली मार दी होती।
खैर, अब मैं बोला – ध ध्रु जय, म मे मेरी बात सुनो.. .. ए ऐ ऐसे कुछ नहीं होगा.. ..
अब जय गुस्से में बोला – सुन तू, बहन के लौड़े.. .. मां चोद के रख दूँगा, तेरी.. .. (झटके से मेरे कपड़े उठाते हुए) ऐसा ही, पूरी बिल्डिंग में नंगा दौड़ा दौड़ा कर मारूँगा, तुझे मादर चोद.. ..
फिर उसने तुरंत मोबाइल निकाला और आनन फानन में, हमारी फोटो खींचने लगा।
हम दोनों ही अब तक नंगे थे.. इधर, डॉली भी नहीं समझ पा रही थी अपने हाथ से चेहरे को छुपाए या दूध को..
फिर, वो अपने चेहरे को अपने घुटनों में छुपा कर बैठ गई।
जय ने पास आकर, अपना जूता निकाल कर ज़ोर से उसकी कमर पर मारा.. जिससे, वो कराह उठी और उसका चेहरा ऊपर हो गया..
फिर, दो चार फोटो और खींच कर वो बोला – चलो.. .. अब बहुत हुए, सबूत.. ..

यह कहानी भी पड़े  भतीजे ने चूत और गांड में उगली करके चरम सुख दिया

अब तक, मैं बहुत डर चुका था और कुछ रास्ता ना देख मैं बोला – म म मैं मैं तु तु तुम तुम्हें नि रश्मि की दि ल वाने ने की को शिश क रूँगा.. .. ले किन, मु झे थो डा स मय दो.. ..
उसने हंसते हुए बोला – ठीक है.. .. लेकिन, कब तक का समय.. ..
मैं बोला – 10 -15 दिन में.. .. और उसने बोला – ठीक है.. ..
मुझे बाद में मालूम हुआ की मुझे जय ने अपनी बीवी डॉली से फँसवाया था।
जय ने अपनी बीवी को बोला था की तू राज को फँसा ले और उसके साथ मज़े कर.. .. अगर, तू उसकी बीवी की दिलवा देगी तो मैं तुझसे नहीं पीटा करूँगा.. .. बस एक बार दिलवा दे.. ..
और डॉली ने पीटने से बचने के लिए, जानमुझ कर जय की बातों में आकर मुझे फाँसया था।
होली आने वाली थी और होली के लिए ही, मैंने एक प्लान बनाया था।
डॉली ने होली से एक दिन पहले ही, मेरी बीवी रश्मि को बोला की कल का लंच और डिन्नर डॉली के घर पर होगा और होली वाले दिन, जय के प्लान के मुताबिक घर पर एक बड़ा ड्रम रंग से भरकर बाथरूम में रखा।
होली वाले दिन, करीब 11 बजे मैं और रश्मि जय के घर पहुँचे।
उन्होंने, हमें अपने कमरे में बैठाया।
जय एक रंग का डब्बा लेकर आया और बोला – भाभी जी, पहले कुछ नाश्ता हो जाए या होली.. ..
रश्मि बोली – भाई साब.. .. मैं तो होली कम खेलती हूँ.. .. आप इनके रंग लगा लो.. ..
इस पर, मैं बीच में बोला – रश्मि, तुम खेलो या ना खेलो.. .. भाई, मैं तो ज़रूर खेलूँगा, इन दोनों के साथ.. .. एक साल बाद, होली का त्योहार आता है और फिर भी ना खेले, तो क्या फ़ायदा.. .. भाई, जय मैं तो डॉली भाभी के साथ खूब होली खेलूँगा.. .. अब ये तुम्हारी सरदर्दी है की तुम रश्मि को होली के लिए तैयार करो.. ..
रश्मि, मेरी तरफ आँख निकाल के देख रही थी की मैं जय को क्यूँ भड़का रहा हूँ।
जय बोला – अब तो मुझे राज की तरफ से हाँ हो गई है.. .. भाभी जी, मैं आपसे होली ज़रूर खेलूँगा.. .. अब आप ये बताओ की अभी खेलें या कुछ खाने के बाद.. ..
रश्मि को लगा, ये मानेगा नहीं तो रश्मि बोली – भाई साब, मैं तो ऐसे खेलती नहीं हूँ पर आप प्लीज़ थोड़ा ही रंग लगाना.. ..
मैं ये सुनते ही बोला – पहले, कुछ खा लें.. ..
इतने में ही, डॉली भांग (नशे) डाली हुई, लस्सी लेकर आ गई।
हम सब ने, एक-एक ग्लास पिया।
डॉली ने रश्मि को जो ग्लास दिया था, उसमें भांग ज़्यादा डाली थी.. इसके अलावा, डॉली ने आज जो भी खाने की चीज़ें घर पर बनाई थी, उनमें भांग (नशा) डाल रखा था..
थोड़ी देर बाद, मैं बोला – जय, अब होली हो जाए.. ..
तो वो बोला – ठीक है, हो जाए.. ..
इस पर, डॉली बोली – यहाँ खेलकर, घर खराब करोगे क्या.. .. बड़ी मुश्किल से साफ़ होता है.. .. बाथरूम में चलो, वहाँ खेलेंगे.. ..
इस पर जय बोला – राज, पहले तुम डॉली के साथ खेलो.. .. उसके बाद, मैं भाभी के साथ खेलूँगा.. ..

मैंने डॉली की कलाई पकड़ी और उसको बाथरूम की तरफ़ ले गया। रूम से बाथरूम, साफ़ दिखाई देता है।
मैंने जैसे ही बाथरूम खोला, उसमें एक बड़ा ड्रम रंग से भरा रखा था।
उसे देखते ही, रश्मि रूम से बोली – अरे, ये क्या.. .. इतना बड़ा, रंग से भरा ड्रम.. .. आप लोगों ने तो पहले से ही तैयारी कर रखी है.. .. मैं तो नहीं खेलूँगी.. ..
जय बोला – भाभी जी, आज तो खेलना ही पड़ेगा या तो प्यार से नहीं तो ज़बरदस्ती.. ..
इतनी देर में, मैंने डॉली को उठा कर ड्रम में डाल दिया और खुद भी उसमें घुस गया।
मैं उसके चेहरे और गले पर रंग लगा रहा था और वो भी जानमुझ कर बहुत खेल कर रही थी ताकि रश्मि ये देखे की उसका पति मेरे साथ, ऐसे होली खेल रहा है तो जय भी ऐसे ही खेलेगा।
मैंने भी जानमुझ कर रश्मि को दिखाने के लिए, उसे उसके मम्मों पर नीचे हाथ डालकर रंग लगाया।
रंग लगाते लगाते, मैंने डॉली जो की सलवार सूट में थी का कुर्ता आगे से फाड़ दिया था और उसका ब्रा वाला हिस्सा आगे से दिख रहा था।

मैं उससे करीब 20-25 मिनट तक, होली खेलता रहा और जब हम दोनों ड्रम से बाहर निकले, तब तक रश्मि को नशा होने लगा था।
हम वहीं बाथरूम में ही बैठ गये ताकि बाहर कमरों का फर्श खराब ना हो।
इसके बाद, मैंने जय और रश्मि को आवाज़ लगाई – आ जाओ अब, तुम दोनों.. ..
इस पर, रश्मि कमरे से ही थोड़ा गुस्से के स्वर में बोली – राज, तुमको मैंने इतनी बुरी तरह से होली खेलते, कभी नहीं देखा.. ..
अब मैं बोला – कोई बात नहीं, जान.. .. अब तो देख लिया ना.. .. अब आ जाओ.. ..
रश्मि थोड़े गुस्से में थी।
वो लगातार, मुझे और डॉली को खा जाने वाली नज़रों से देख रही थी।
तभी जय रश्मि की कलाई पकड़ते हुए बोला – चलो, भाभी जी.. .. और इस पर रश्मि बोली – जय भाई साब.. .. आप बाहर ही मेरे चेहरे पर रंग लगा लो.. .. मैं इतनी होली, कभी नहीं खेलती.. ..
पर, उसने कुछ नहीं सुना और रश्मि को गोदी में उठाकर, ड्रम में डाल दिया।
रश्मि, चुपचाप खड़ी हो गई। उसके चेहरे से समझ आ रहा था की उसको बहुत गुस्सा आ रहा है।
जय इसकी परवाह किए बिना, बड़े ही प्यार से रश्मि के रंग लगाने लगा।
फिर, उसने बड़ी ही कशिश से बोला – भाभी जी, आपके गाल बहुत गुलाबी हैं.. .. इनको और गुलाबी कर देता हूँ.. .. और उसके गालों पर सहलाते हुए रंग लगाया।
वो रश्मि की तारीफ़ भी कर रहा था और रंग भी लगा रहा था।
रश्मि अभी तक गुस्से में थी और बराबर प्रतिरोध कर रही थी।
इसके बाद जय, रश्मि का कुर्ता भी मेरी तरह फाड़ने लगा।
रश्मि ने जय को आख़िरकार, एक जोरदार तमाचा मार दिया।
जय भी तिलमिला गया और उसने रश्मि का कुर्ता फाड़ ही दिया और उसके शरीर से अलग कर दिया।
रश्मि ने अपने हाथों को अपनी ब्रा के ऊपर रख लिया.. पर, अब तक उसको नशा होने लगा था..
वो कुछ कहना चाह रही थी, पर बहक रही थी।
वो मेरी तरफ देख रही थी और ड्रम से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी।
मामला बिगड़ता देख, अब मैं भी डॉली को लेकर गया और उसे ड्रम में पटक दिया.. लेकिन, उसमें जगह कम थी.. दोनों काफ़ी चिपक गये थे, एक दूसरे से।
अब मैंने अपनी बीवी को पकड़ा और उसकी ब्रा उतार दी।
रश्मि ने नशे के बाबजूद अपने दोनों हाथ अपनी चुचियों पर रख लिए और चिल्लाई – रा हु ल ल ल ल ल.. .. बे श र म म म म म.. ..
मैंने बोला – किस बात की शरम, डार्लिंग.. .. होली में, कोई शरम वरम नहीं होती.. .. और उसका एक हाथ हटा कर मैंने उसके एक दूध को दबा दिया।
शायद, उसको भांग कुछ ज़्यादा ही हो गई थी.. इसलिए, सिर्फ़ उसका दूध दबाते ही उसने सिसकारी भरते हुए चेहरा पीछे कर लिया।
इधर, जय ने भी डॉली के साथ ऐसा ही किया।
अब, दोनों औरतों के दूध नंगे थे।
इधर जय, रश्मि के दूध को बुरी तरह से घूर रहा था.. हालाकी, उसने फिर से दूध पर हाथ राक लिया था.. पर, साइड से उसका पूरा दूध नंगा दिख रहा था..
उधर, डॉली के पूरे दूध नंगे थे..
जय को ऐसे रश्मि के दूध को घूरते देख, ना जाने क्यूँ मेरा मन हो रहा था की मैं रश्मि के हाथ हटा दूं और उसे अपनी बीवी के नंगे दूध जी भर के दिखाऊं..
अब तक जिसे मैं मजबूरी समझ रहा था, उसमें मुझे मज़ा आने लगा था।
घबराहट, उत्तेजना में बदल चुकी थी।

यह कहानी भी पड़े  मम्मी के साथ बहन और बुआ की चुदाई

जय ने, रागिनी को मेरी तरफ मोड़ दिया था और पीछे से उसके दूध ज़ोर से ज़ोर से मसल रहा था और उसकी नज़र, मेरी बीवी रश्मि के दूध की तरह थी।
अब, मैं भी बहुत गरम हो चुका था और अपनी बीवी को भी और गरम करके, उसे जय के सामने नंगी करना चाहता था।
मैंने उसकी सलवार के अंदर हाथ डाल कर, उसकी चूत में एक उंगली डाल दी।
अब तक, उसको पूरी तरह नशा होने लगा था.. लेकिन, फिर भी उसने मेरा हाथ निकालने के लिए नीचे की तरफ ज़ोर लगाकर, खूब कोशिश की.. पर, मैंने भी उसकी चूत में से उंगली नहीं निकाली..
इधर, डॉली को जय ने पकड़ा और डॉली की सलवार, पानी के अंदर ही उतार दी।
डॉली, अब सिर्फ़ पैंटी में थी।
बदक़िस्मती से उसी वक़्त, मेरे बेटे के रोने की आवाज़ आई।
रश्मि, थोड़ा संभलते हुए बोली – राज, मेरा बेटा रो रहा है.. .. छोड़ो मुझे.. ..
मैंने सोचा की अभी तो मज़ा आना चला हुआ था। रश्मि का भी प्रतिरोध थोड़ा कम हो रहा था। तो मैं बोला – अभी तो होली शुरू हुई है, जान.. .. आयुश को मैं चुप कराता हूँ.. ..
मैं तुरंत जाने लगा और जय को बोला – रश्मि को देखना, कहीं ड्रम से निकल ना जाए.. ..
एक तोलिये में, मैंने अपने बेटे को लिया और उसे सुलाने की कोशिश करने लगा।
इधर, मैंने बाथरूम में देखा की रश्मि भागने की फिराक में थी।
मुझे ताजुब हो रहा था, दो वोड्का के पैक में बहक जाने वाली मेरी बीवी, इतनी भांग के नशे में भी, अब तक होश में है।
खैर, मैंने जय को चिल्लाते हुए बोला – देखो, जय.. .. रश्मि भागना चाहती है.. .. और इतने में, जय ने रश्मि को पीछे से पकड़ लिया।
पहली बार, रश्मि के दोनों दूध जय के हाथ में थे और लोवर के ऊपर से उसका साफ़ साफ़ दिख रहा, खड़ा हुआ लण्ड रश्मि की गाण्ड पर टच हो रहा था।
मेरा लण्ड, अब तक जो अपने बेटे को सुलाने में लगभग बैठ गया था.. ना केवल, फन फैला कर खड़ा हो गया.. बल्कि, इतना फूल गया की मुझे लण्ड के सुपाड़े और गुल्ले में दर्द होने लगा..
इतना उतेज्ज़ित मैं तब भी नहीं हुआ था, जब सुहागरात के दिन अपनी लाइफ में मैंने पहली बार, लड़की को (अपनी बीवी, रश्मि को) नंगी देखा था।

खैर, जय मेरी तरफ आवाज़ लगाते हुए बोला – राज, अब जल्दी आओ.. .. भाभी जी, भागना चाहती हैं.. ..
मैं बोला – डॉली, तुम जय की मदद करो.. ..
अब डॉली भी रश्मि को आगे से पकड़ने लगी और जय रश्मि के मम्मों को हाथ से मसलने लगा और बोला – भाभी जी.. .. इतनी जल्दी है, भागने की.. .. अभी तो होली शुरू हुई है.. ..
अब मैंने पास ही एक पलंग पर, अपने बेटे को सुला दिया और फिर मैंने जय को बोला – अरे, यार.. .. और रंग नहीं है, क्या.. .. इन लोगों को सिर्फ़ गुलाबी रंग से ही रंगना है, क्या.. ..
वो बोला – हां!! यार.. .. फ़्रिज़ के पास कुछ पाउच रखे हैं.. .. ग्रीन और सिल्वर रंग भी है, उनमें.. .. सब के सब, ले आ.. ..
मैं तुरंत पाउच ले आया और रश्मि को बाहर निकाल लिया और वहीं बाथरूम में, उसे लिटा दिया।
मैंने हरा रंग लिया और हाथ पर लगाकर, रश्मि के मम्मों पर लगाया और उसकी सलवार उतारने लगा।
वो प्रतिरोध करती रही और मैंने उसकी सलवार उतार कर, उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल कर, हरा रंग लगाया और उसकी चूत को सहलाने लगा।
मैंने जल्दी से, उसकी पैंटी उतारी और वहीं पर अपने कपड़े उतार कर लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया।
रश्मि यूँ तो शरम के मारे, मरी जा रही थी.. लेकिन, उसकी चूत इतना पानी छोड़ रही थी की उसकी जांघें तक चिपचिपा रही थीं..
नशे के कारण, वो कुछ नहीं बोल रही थी..
अभी तक वो अपने चुचों को अपने हाथों से छिपा रही थी और बीच बीच में मुझे धक्का दे रही थी पर लगातार सिसकारियाँ भी भर रही थी – आन ह म म ह ह.. .. रा हु ल ल ल ल, क्या हो ग या है तु म्हें हे हे.. .. म त करो प्ली ज़ ज ज ज.. .. आ ह आ ह आ ह.. .. आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ उंहह हहह.. .. छोड़ो रा हुल ल ल ल ल ल.. .. अह म म म म म म.. ..
इधर, डॉली और जय भी हमारे पास ही, बाथरूम के फर्श पर लेट गये।
डॉली तो पहले से ही, पैंटी में थी।
जय और डॉली भी फर्श पर, पूरी रफ़्तार में शुरू हो गये।
हम दोनों के बीच में, सिर्फ़ एक फीट का फासला था।
रश्मि ने अपना सिर शरम के कारण, जय के उल्टी तरफ कर रखा था।
मैंने उसका सिर जय की तरफ कर दिया और अपना एक हाथ डॉली के मम्मों को मसलने में लगा दिया।
जय ने भी अपना हाथ, रश्मि के मम्मों पर रख दिया।
अब रश्मि ने कोई विरोध नहीं किया पर जय का हाथ रखते ही, उसने मुझे ज़ोर से धक्का देकर, मेरे लण्ड पर बेहद तेज धार के साथ मूत दिया।
कम से कम, दो मिनट तक वो मूतती रही।

यूँ तो उसने दो तीन बार ड्रिंक करके, पहले भी मेरे लण्ड पर मुता था.. पर, आज घिन आने की जगह, मुझे लग रहा था की मैं मुँह लगा कर उसकी मूत पी जाऊं..
इधर, जय ने भी अपना हाथ उसकी चूत से निकलती धार पर लगा दिया।
रश्मि को मूतता देख, ना जाने जय को क्या हुआ वो उठा और डॉली को मूतने के लिए बोलने लगा।
डॉली पहले तो एक दो मिनट लेटी लेटी, कोशिश करती रही और फिर बोली – मुझसे नहीं होगी, जय.. ..
जय ने उसे उठाया और उसको पेशाब वाले पोज़ में, बैठने के लिए बोला।
कुछ देर की कोशिश के बाद, डॉली की चूत से पहले झटके मार मार के फिर एकदम तेज़ी से मूत की धार निकलने लगी।
जय ने एकदम से अपना चेहरा, उसकी चूत के नीचे कर दिया।

डॉली की धार, कुछ पलों के लिए रुकी.. फिर, सीधे जय के मुँह में जाने लगी और जय उसे गाटागट पीने लगा।
ऐसा लग रहा था की जितना मज़ा जय को उसकी मूत पीने में आ रहा था, उससे ज़्यादा मज़ा डॉली को उसको मूत पिलाने में आ रहा था..
डॉली मूतते हुए, ऐसे सिसकारियाँ ले रही थी जैसे ज़ोर ज़ोर से चुद रही हो..
वो ज़ोर से – आह ह ह ह ह ह आ आ आ आ आ.. .. उंह.. .. उम म म म म म ह ह ह ह ह.. .. कर रही थी।
आखरी बूँद तक, वो जय के मुँह में मूतती रही।
जब वो रुक गई तो जय उसकी चूत चाटने लगा और डॉली उसके मुँह के ऊपर बैठ कर, अपनी चूत रगड़ने लगी।
फिर, जय ने उसे नीचे पटका और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।
डॉली की छोटी सी ‘w’ आकर की चूत में लण्ड घुसता देख, मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और अपने अपने आप रश्मि की चूत पर मेरा मूठ निकल गया।
अब तक, हम दोनों उन दोनों को एकटक देख रहे थे और मेरा लण्ड रश्मि के धक्का दे कर मूतने के बाद से ही बाहर था।
नशे के कारण या उतेज्ना के, निकलने के बावजूद मेरा लण्ड बैठा नहीं।
मैंने रश्मि को ऊपर बैठया और उसे निकलने के फ़ौरन बाद ही, चोदने लगा और अब हम अपनी अपनी बीवियों की चूत एक दूसरे के सामने मार रहे थे और हाथ, दूसरे की बीवी के चुचों और गाण्ड पर फिर रहे थे।
अब तक रश्मि का भी प्रतिरोध, बिल्कुल ख्तम हो गया था और उसे मज़ा आ रहा था।
मैंने अपने हाथ से डॉली को अपनी तरफ खिसकाया और उसके होंठों को चूसने लगा और इधर, मैं अभी भी रश्मि को ही चोद रहा था।
मैंने जैसे ही डॉली के होंठों को आज़ाद किया, जय ने भी रश्मि का चेहरा अपनी तरफ कर के, उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
रश्मि भी कुछ नहीं बोली और कुछ ही पलों के बाद, वो भी उसके होंठ चूसने लगी।
ये देख कर, मुझे लगा की लोहा गरम है।
रश्मि, जय के होंठ चूसने पर बराबर सहयोग कर रही है और बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही है।
सो, मैंने उसे तुरंत इशारा किया और हम दोनों ने तुरंत बीवी की बदली कर ली।

बस, फिर क्या था.. जय ने देर किए बगैर ही, अपना लण्ड रश्मि की चूत में घुसा दिया..
डॉली की तुलना में, रश्मि की चूत बहुत कसी थी।
जय को इसका आंदज़ा नहीं था.. इसलिए, एकदम से लण्ड घुसाने से दोनों ही चीख पड़े..
जय, उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को फिर से अपने होंठों से लॉक कर लिया।
जय, सेक्स के मामले में बहुत हवसी है, ऐसा मुझे डॉली ने बोला था और आज उसे वो औरत मिल गई थी, जिसके लिए वो बहुत प्यासा था।
मेरी बीवी, मेरे सामने चुद रही थी और मेरा लण्ड भी दूसरी औरत की चूत में जाने वाला था।
मैंने भी झटके से, अपना लण्ड डॉली की चूत में घुसेड दिया पर मुझसे अपने ऊपर काबू नहीं हुआ और बस एक दो झटके बाद ही, मैं उसकी चूत के अंदर ही झड़ गया।
इधर, जय अब तक रश्मि को बहुत ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा था।
रश्मि – आ आ आ आ आ आ आ आ आ आहह.. .. मान ह ह ह ह ह ह ह ह ह.. .. हाँ हाँ हाँ.. .. अहं या ह ह.. .. कर के नीचे से अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुद रही थी।
अब मैंने पानी का फवारा चला दिया, जिसका पानी उनके ऊपर ही गिरने लगा।
फिर, जय उसकी चूत के पास बैठ गया और उसकी चूत पर अपनी जीभ चलाने लगा।
रश्मि अपने चूतड़ उठाने लगी और अपनी कमर चलाने लगी.. उसको बहुत मज़ा आ रहा था..
उसने अपनी आदत के अनुसार, जय को हाथ पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया और कुछ ही झटके के बाद, जय को धक्का देकर उसके लण्ड पर मूतने लगी।
उसकी गरम धार गिरते ही, जय का लण्ड झटके मार के अपना माल छोड़ने लगा।
मूठ निकलने के बाद, जय तुरंत उसकी मूत पीने लगा।
फिर रश्मि ने भी उसको अपनी चूत के ऊपर मूतवाया और उसके बाद हम चारों साथ साथ नहाए।
जय ने रश्मि को अपनी गोदी में बैठा कर, उसके जिस्म से रंग छुड़ाया और मैंने डॉली के जिस्म से।
उसके बाद करीब 3 बजे, हम लोगों ने खाना खाया और सो गये।
डॉली सोती रही.. लेकिन, हम तीनों की नींद एक साथ रात को 8 बजे टूटी.. क्यूंकी, मेरा बेटा बुरी तरह से रो रहा था और अब तक हमारा भांग और चुदाई का नशा भी कम हो गया था।
रश्मि और डॉली, अभी भी नंगी थीं।
रश्मि, होश में आने के कारण शरम के मारे पानी पानी हो रही थी।
वो जय और मुझसे, नज़र नहीं मिला रही थी।

जय मेरे बेटे के लिए, किचन से बॉटल में दूध लेकर आया।
रश्मि ने आयुष को सुलाया।
डॉली, अभी तक सो रही थी।
इसके बाद, हमारा ये खेल आम हो गया।
4-5 बार के बाद, रश्मि भी खुल कर मज़ा लेने लगी।
अब जय और डॉली की लड़ाइयाँ ख़तम हो चुकीं हैं और असल में चुदाई का मज़ा क्या होता है, ये मैं अब समझ पाया हूँ।

एंड



error: Content is protected !!