तो दोस्तो बात कुछ समय पहले की है पापा से रेग्युलर्ली चूड़ने के कारण मेरे शरीर मई बदलाव आ रहे थे. मेरी बूब्स और बारे हो चुके थे मेरी गांद भी बड़ी हो गयी थी.
ये सब मेरे साथ साथ मेरे आस पास के लोग भी नोटीस कर रहे थे. कॉलेज के लड़के तो मेरे बूब्स पर से नज़र हटा भी नही पा रहे थे. मुझे कई लोगो ने अपनी गर्ल फ्रेंड बनाने की भी कोशिश की मगर मई पापा से चुड़कर ही खुश थी. मुझे कही ना कही दर्र भी था की कही पापा को पता चला तो क्या होगा.
उससी दौरान मम्मी हमेशा की तरह मयके गयी हुई थी. हाल्ी मई मम्मी मयके कुछ जाड़ा ही जानने लगी थी. मगर मुझे इससे कोई सीकायत नही थी बलके मई तो खुश थी की मुझे पापा के साथ वक़्त बिताने और उनसे चूड़ने का मौका मिल जाता था. पापा और मेरा रिश्ता भी धीरे धीरे सुभर रहा था.
एक दिन मैने पापा को सुरपरिसे करने का सोचा. मैने मम्मी की लाल रंग की सारी पहें ली. ये सारी पापा की फॅवुरेट थी. सारी पहेने के बाद मई बिल्कुल मम्मी के तरह लग रही थी. मैने सारे घर की बत्ती धीमी कर एक रोमॅंटिक सा महॉल बनाने की कोशिश की थी और मई पापा के बेड पर लाते गयी.
कुछ देर बाद घर का मैं डोर ओपन हुआ मुझे लगा पापा है तो मई एग्ज़ाइटेड हो गयी. फिर वो आदमी रूम मई आए और बिना कुछ कहे मेरे पाओ चूमने लगे. मई भी एग्ज़ाइटेड होने लगी. धीरे धीरे वो मेरी पाओ से उपेर बढ़े और मेरी नाभि चूमने लगे.
मे: मई आज आपके लिए ही ये शृंघर काइया है.
अननोन पर्सन: तूमे लाल सारी मई देख मेरे अंदर का जानवर बाहर आ जाता है गत्री.
तभी मेरे दिमाग़ की घंटी बाजी की ये तो पापा नही है कोई और है. मैने चुपके से ध्यान से देखा तो वो आदमी शर्मा अंकल मेरे पड़ोसी थे.
मेरे दिमाग़ मई काई सारी बाते चलने लगी की ये यहा क्या कर रहे है? इनका मेरी मा के साथ क्या रिश्ता है? मगर एब्ब काफ़ी दर्र हो चुकी थी क्यू की अगर अभी मई उन्हे रोकती तो उन्हे पता छल जाता की मई सीमा हू और उन्हे ये भी पता छल जाता की मेरा पापा के साथ अफेर छल रहा है.
तो मैने इंसब झमेला से बचने के लिए सोचा जैसा छल रहा है चलने देते है. बस उन्हे पता नही चलने देना है की मई मम्मी नही हू. किसी अंजन मर्द से चूड़ना मेरे लिए कोई नयी बात तो थी नही.
एक नया लंड का एक्सपीरियेन्स और हो जाएगा.
शर्मा अंकल मेरे बूब्स ट्के पहुच गयी थे. उन्होने मेरी पल्लू हटाई और मेरे ब्लाउस के उपेर से ही मेरी बूब्स मसालने लगे. मई अपना मूह घुमाई हुई थी ताकि उन्हे दिखे ना. फिर वो मेरे ब्लाउस खोल मेरे बूब्स को चूसने लगे. बीच बीच मई तो वो मेरे बूब्स को मानो चबाने लग रहे थे. मई किसी तरह से मोन करने से अपने आप को रोक रही थी. उनका ये आहिस्ता-आहिस्ता प्यार करने का तरीका मुझे बहुत पसंद आ रहा था और ये मेरे लिए नया भी था.
फिर शर्मा अंकल मेरे गारना को चूमने लगे.
शर्मा अंकल: तेरा शरीर आज भी 21 साल की कुवारि लड़की के जैसा है गत्री. तुझे मई जितनी बार छोड़ू काम ही लगता है. मेरी बीवी की तो छाती पाई झुरियँ आने लगी है.
मई(धीमे आवाज़ मई): न मेरी जान…
मई जितना हो सके कम बोलने की कोशिश कर रही थी. फिर वो मेरे लिप्स को किस करने की कोशिश कर रहे थे. मैने रोकने की कोशिश की मगर वो तहरे मर्द उनके ज़ोर के आयेज मेरी ज़ोर ना चली. उन्होने मेरी मेरे लिप्स को किस करने लगे और मेरी लिप्स को बीते कर लिया. मानो उससे नोच लेंगे. मेरे लिप्स तुरंत ही सूज गया.
फिर उन्होने मेरी सारी खोली और खुद का प्यजामा उतार दिया. फिर वो मेरी पेटीकोआट मई घुस कर मेरी छूट चाटने लगे. मई उंगलियों से अपने मूह बंद कर के बरी मुस्किल से मोन करने से रोक रही थी. मई एब्ब बस चूड़ना चाहती थी. मैने फिर सेडक्टिव आवाज़ मई ढेरे से कहा छोड़ो मुझे.
ये सुनते ही मानो उनके अंडर का जानवर जाग गया हो. उन्होने मुझे आलू की बोरी के तरह पलटा और मेरी गांद उठा ली. फिर उन्होने मेरी पेटीकोआट हटा दी.
अब उनके सामने मेरी नंगी गांद चूड़ने के लिए तैयार थी. मेरी छूट पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. फिर उन्होने मेरे गांद को स्पॅंक करना चालू काइया. वो जितना मेरी गांद को स्पॅंक करते मई और गीली होते जा रही थी.
फिर शर्मा अंकल अपने लंड को मेरी छूट पर रगड़ने लगे. मुझसे रुका नही गया और मई मोन करने लगी. शर्मा अंकल साँझ गये की मई चूड़ने के लिए उतावली हू. उन्होने लंड मेरे छूट पर फिट किया और एक बार मई पूरा लंड अंडर डाल दिया. मेरी मोन के साथ चीख निकल गयी.
शर्मा अंकल: लगता है बहुत दिन से तुम्हारे पति ने तुम्हे छोड़ा नही गत्री. वरना पहले तो गांद भी छोड़ देता था तो तुम मोन नही करती थी.
मई अंडर ही अंडर सोच रही थी की मम्मी का भी अफेर छल रहा है. जबकि पापा इतना मस्त सॅटिस्फाइ करते है. मगर पापा और शर्मा अंकल का छोड़ने का तरीका काफ़ी अलग था. पापा रफ थे और अंकल सेडक्टिव टाइप के.
इतने मई ही अंकल ने मेरी कमर पाकर के ज़ोर ज़ोर से शॉट लगाना चालू काइया. उनका ह्र एक शॉट मुझे आनंद दे रहा था. मई तकिये से अपना मूह दबा के रखी हुई थी की उन्हे का क्लियर आवाज़ से पता ना छल जाए.
फिर अंकल मेरी गांद मई अंघुता डाल के ग्रिप बनाई और शॉट लगाना चालू काइया. उनका ग्रिप एकद्ूम मज़ूती से लगा था. वो एक हाथ से मेरे शारीर को कंट्रोल कर ले रहे थे. ऐसे ही कुछ देर चूड़ने के बाद मई झार गयी.
शर्मा अंकल ने तुरान अपना लंड मेरी छूट से निकाला और मेरा छूट से बहता सारा रस्स पी गये.
शर्मा अंकल: बहुत दिन हुए तेरी गांद छोड़े आज वो भी छोड़ता हू गत्री… माना तो नही करेगी ना?
मैने सिर हिला कर हामी दे दी…
शर्मा अंकल: आज काफ़ी चुप है तू….खेर मुझे क्या मुझे जो चीज़ चाहिए वो तो तू दे ही रही है.
फिर शर्मा अंकल मुझ पर चाड गये और मेरी गांद के छेड़ पर थूक लगाया और तोरा अपने लंड पर. फिर वाहा भी उन्होने एक बार मई पूरा लंड मेरी गांद मई डाल दिया और छोड़ना शुरू कर दिया. मुझे तोरा दर्द हुआ मगर मई से गयी.
फिर उन्होने एक पाओ मेरे मूह पर रखा और ज़ोर लगा कर मेरी गांद छोड़ने लगे. ऐसे ही थोड़ी देर बाद शर्मा अंकल अपने अंदर कर सारा माल मेरे पीठ कर गिरा कर बिस्तर पर लेट गये. मैने उससी हालत मई लेट गयी मेरा सिर दूसरी तरफ घुमा हुआ था. मैने उन्हे जाने को कहा.
शर्मा अंकल: तू क्या अपने पति से दर्र रही है गत्री? चिंता मत कर तू मेरे साथ रह लेना… हाहाहा…
ऐसा केते हुए उन्होने अपना कपारा पहना और लास्ट बार मेरी गांद पर थप्पड़ मारी और कहा फिर आता हू..
मई कुछ देर ऐसे ही लेती रही. मेरे मॅन मई जो मम्मी के लिए जो रेस्पेक्ट थी वो चूर चूर हो गयी. मगर मुझे पापा पाई चीट करने वाला फीलिंग भी आ रहा था. बात सिर्फ़ इतनी सी नही थी की शर्मा अंकल ने मुझे छोड़ा बल्कि मुझे उसमे मज़ा भी आया. मई कन्फ्यूषन मई थी की पापा को मुझे ये सब बताना चाहिए की नही.
आपको क्या लगता है? मुझे कॉमेंट्स मई ज़रूर बताए. और इसका अगला भाग आने तक इश्स सीरीस की पिछली कहानिया पढ़े.