पड़ोस की सेक्सी भाभी की मालिश की

हेल्लो दोस्तों, ये मेरी दूसरी कहानी है। पहली कहानी को इतना प्यार देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

ये कहानी मेरे और मेरे साथ वाले फ़्लैट में रहने वाली भाभी की है। और ये 100% सच्ची कहानी है। कहानी शुरु करने से पहले मैं अपने बारे में थोड़ा बता दूं। मेरा नाम Gaurav है और मैं Delhi का रहने वाला हूँ।

जो भाभी मेरे पड़ोस वाले फ़्लैट में रहने आयी है, उनका नाम अर्चना है, और वो लोग बिहार के रहने वाले है। जो शादी के बाद ही Delhi आ गए थे। उनकी शादी 18 साल में हो गई थी, तो वो देखने में कम उमर की लगती थी।

उनके दो बच्चे भी थे, एक 12 साल का लड़का और एक 5 साल की लड़की। उनके पति जो की 10000 की नौकरी करते थे, और दिन भर काम करने से थक जाते थे।

मैं एक कंपनी में मैनेजर की पोस्ट में काम करता था। और उस ब्रांच का सारा कमांड मेरे हाथ में था, और मुझे वीकली रिपोर्टिंग देनी होती थी। अब मैं कहानी पे आता हूं।

बात तब शुरु हुई, जब उनकी लड़की की तबियत एक दिन रात को खराब हो गई। उसको बुखार हो गया, और उनके पति अभी काम पे से लौटे नहीं थे। फीवर शायद दिन से ही हो गया था, मगर उनकी पति से बात हुई थी तो उन्होंने अपने आने तक रुकने को बोला था।

मगर 11 बजे तक जब उनके पति नहीं आये, तो उन्होंने मेरा दरवाज़ा नॉक किया और सारी बात बताई।

उन्होंने बोला: यही पास में लाल बहादुर हॉस्पिटल है, जहा पे इमरजेंसी में अभी तुरंत दिखाया जा सकता है। अभी इनसे बात हुई है, इनको टाइम लगेगा। अगर आपको बुरा ना लगे, तो मेरे साथ चल लो।

तो मैंने बोला: इसमें बुरा लगने की क्या बात है? पड़ोसी होते ही है ऐसे वक्त में काम आने के लिए।

फिर हम तीनों लोग मेरी कार से हॉस्पिटल गए और उसका चेकअप करवाया और दवा दिलवाई। फिर हम घर वापस आ गए।

इस दिन के बाद से उनके घर में जो भी बनता मतलब चाय या कुछ नाश्ता, तो मेरे लिए एक प्लेट में आ जाता, कि आप अकेले हो और अपने से ही खाना बनाते हो तो खा लिया करो। कुछ वक्त ऐसे ही बीतता चला गया और हम दोनों एक दूसरे से थोड़ी और बात करने लगे और थोड़ा खुलने लग गए।

वो कभी भी मेरे रूम में आ जाती और हम बैठ कर एक दूसरे से घंटो बात किया करते।

फिर एक दिन उन्होंने बोला: मेरी पीठ में दर्द हो रहा है, तो प्लीज आप मेरी पीठ दबा दोगे?

तो मैंने बोला: हां क्यों नहीं।

फिर मैंने बोला: आप मेरी तरफ पीठ करके बैठ जाओ, मैं दबा देता हूँ।

और उन्होंने वैसा ही किया। मगर शायद उनका दर्द खत्म नहीं हुआ, फिर भी उन्होंने रुकने को बोला और चली गई।

ये शायद उनका इशारा था कि तुम बुद्धू हो एक औरत तुमको अपने आप को सौंप रही है, और तुम सिर्फ पीठ ही दबा रहे हो। फिलहाल इसको समझने में मैं थोड़ा कच्चा था।

फिर एक दिन वापस से उन्होंने मुझे पीठ दबाने को बोला।

मगर इस बार उन्होंने बोला: पिछली बार सही से दब नहीं पाया था, तो इस बार मैं लेट जाती हूं, और आप मेरे ऊपर से दबा लेना।

मैं बोला: ठीक है।

और मैंने वैसा करना शुरु किया। मगर उनके कपड़ों के कारण थोड़ी दिक्कत हो रही थी

तो मैंने उनको बोला: मैं आपके सूट के अंदर से हाथ डाल के दबा दूं? आपके सूट ऊपर से दबाने में दिक्कत कर रहा है।

इस पे उन्होंने तुरंत जवाब दिया: मैं सूट ऊपर उठा दे रही हूं, मगर आप मालिश अच्छे से करना।

और इतना बोलते ही उन्होंने लेटे हुए सूट ऊपर उठा दिया, जिससे उनकी ब्रा की बैक साइड वाली स्ट्रिप साफ दिखाई देने लगी। मगर मेरे मन मे उनके लिए अभी भी कोई गलत खयाल नहीं आया और मैंने अपने काम में ध्यान लागए रखा।

फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे रोका और बोली: मेरे कन्धे पे थोड़ा अच्छे से करिये, वहां ज्यादा दर्द हो रहा है।

फिर से मैं उनके कन्धे पे मालिश करने लगा। मगर वहां पे सूट था, वो भी डबल फोल्ड में। तो वहां पे मुझे दिक्कत हुई।

तो मैंने उनको फिर से बोला: आप सूट को और ऊपर करिये।

जिसपे उन्होंने अपना पूरा सूट ही निकाल दिया और सिर्फ ब्रा में उल्टी हो कर लेट गईं और बोली: अब ठीक है(थोड़ी स्माइल देकर बोली)?

जिसपे मैं थोड़ा सा झेप गया और मालिश करने लगा। मगर अब मेरे अंदर का जानवर जागने लगा था। और मैं भी उनके पूरे बैक बोन को कस के मालिश करने लगा कंधे से लेकर कमर के लास्ट तक, जिससे वो थोड़ा गरम होने लग गई। बैकबोन को मालिश करने में उनकी ब्रा की स्ट्रिप बार-बार रोक रही थी, जिसको मैं जान बूझ कर भी अपने हाथों में फसा ले रहा था।

कई बार ऐसा करने पर उन्होंने बोला: आपको दिक्कत हो रही है तो मैं ब्रा खोल दूं?

जिसपे मैं कुछ नहीं बोला। तो उन्होंने फिर से मुझसे वही सवाल

पूछा।

जिसपे मैं बोला: आपको जैसा अच्छा लगे।

जिसपे उन्होंने बोला: ये फ्रंट से ओपन होने वाली ब्रा है, तो आप थोड़ा अपना मुंह उधर कर लीजिए।

और मैंने वैसा ही किया।

थोड़ी देर बाद मुझे आवाज आई: मेरा हो गया, अब आप मालिश कर लीजिए।

इतना सुनने के बाद मैं वापस पलटा तो देखा उन्होंने अपनी ब्रा पूरी निकल दी थी, और वही साईड में रख दी थी।

अब मेरे अंदर का जानवर और भी जग गया, और मैं अब उनसे चिपक कर मालिश करने लगा।

मैं थोड़ा सा हाथ अब उनकी साइड में भी ले जाने लगा, जिससे मेरे हाथ उनके बूब्स से टच होने लगे।

लगे हाथ मैं थोड़ा सा उनकी भी मालिश कर देता जितना साइड से हो पा रहा था। मैं तो अपनी ही दुनिया मे खोया हुआ था, और सोच रहा था कि क्या करूँ कि आज इनका बिच्छू मैं मर सकूं। मेरे इतना करने से वो शायद गरम होने लगी थी, और उनकी बॉडी में हरकत भी स्टार्ट हो गयी थी, जिसको मैं नोटिस कर पा रहा था।

इसपे मैंने उनको रोका और बोला: हो गया आपका दर्द कम?

जिस पर उन्होंने बोला: हां अब आराम है।

मैंने तो सोचा था कि वो बोलेंगी कि और करो। मगर वो तो रुकने को बोलने लगी, जिसपे मैंने उनसे बोला-

मैं: कहीं और दर्द हो तो बता दीजिए, अभी मालिश कर देता हूं।

मगर वो कुछ ना बोली और उठने लगी। पर वो गरम होने के कारण भूल चुकी थी कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी, और वो अचानक से उठी और मेरी तरफ घूम के बोली-

वो: अगर कही दर्द होगा तो बता दूंगी।

उनका इतना ही कहना था, और मेरी नजर सिर्फ उनके बूब्स को ही देख रही थी, जैसे अभी मिल जाये तो खा जाऊ। इतना सब हो गया था, तो जाहिर सी बात थी छोटे नवाब भी सलामी दे रहे थे। और अंडरवियर और हाफ पैंट दोनों फाड् के बाहर आने को तैयार थे, जिसको उन्होंने भी नोटिस कर लिया था ।

अब वो हस कर बोली: मेरा दर्द तो सही हो गया है, मगर आपका शुरु हो गया है।

आगे की कहानी अगले पार्ट में।

यह कहानी भी पड़े  मेरी भाभी मेरे प्रेमी की दीवानी


error: Content is protected !!