इस तरह पहले हम दोनों एक-दूसरे के साथ खूब खेले।
थोड़ी देर बार उसने मुझे अपने नीचे ले लिया और मेरी चूत में धीरे-धीरे लण्ड डालना शुरू कर दिया।
मैंने पहले बहुत बार चुदाई की थी और बहुत दिन से प्यासी भी थी, मैंने अपनी गाण्ड उठा कर उसे जल्दी-जल्दी चुदाई करने का इशारा किया.. तो वो धीरे-धीरे अपनी स्पीड तेज करता गया।
मैं सिर्फ़ मजे से भरी हुई सीत्कारें ले रही थी ‘आआहह.. आहह..’
गालियाँ
थोड़ी देर में मैंने उसको गालियां देना शुरू कर किया- हरामखोर.. चोद.. चोद.. अपनी जान लगा के.. आआहह.. फक मी.. भोसड़ी के.. फक मी..
ना जाने मैं चुदास की आग को बुझाते हुए उसको क्या-क्या बकती रही।
क्योंकि उसको पता था मुझे चुदवाते वक़्त गाली सुनना पसंद है.. इसलिए वो भी मुझे जवाब में गालियाँ दे रहा था ‘ले रंडी चुद.. चुद.. माँ की लौड़ी.. खा मेरा लण्ड.. बहुत तड़पाती है ना तेरी चूत.. ले खा..मेरा लौड़ा.. आह्ह..’
वो पागलों की तरह बस मेरी भट्टी खोदे जा रहा था। मैं एक बार झड़ भी गई थी.. पर वो छूटने का नाम नहीं रहा था। मैं बस ‘आआ.. आआ.. एयेए..’ के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी।
मैं दोबारा झड़ने ही वाली थी कि वो झड़ गया और साथ ही मैं भी झड़ गई।
थोड़ी देर मेरे ऊपर हाँफने के बाद हम दोनों बाथरूम में गए.. एक-दूसरे को साफ़ किया और चूमा-चाटी करके अपने-अपने घर चले गए।
उसके बाद वो जब भी मुझसे मिलने आता है.. तब हम दोनों जी भर के मस्ती करते हैं।
आप मुझे ईमेल करके बताना कि आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी। अगली बार मैं चैट पर कैसे चुदाई करती हूँ.. उसके बारे में बताऊँगी।