ऑफीस में चुदाई के बाद गंगबांग

ही दोस्तों, तो चलते है मेरी चुदाई कहानी पर.

मेरे मूह में पानी छ्चोढने के बाद साहब चले गये, और मैं नीचे अपना मूह च्छुपाए हुए पड़ी रही. तभी मेरी सहेलियों ने मुझे उठाया, और कोने में बिता दिया.

मैं वहीं पर बैठी रही बिना काम किए. कुछ वक़्त हो गया. मैं बस वहीं सो गयी. थोड़ी देर बाद साहब अचानक वापस आ गये. उन्होने मुझे सोते हुए देखा, और मेरे पास आ कर बोले-

सिर: चल साली, जल्दी से ऑफीस में आजा, काम है.

अब मैं तक चुकी थी. मेरी गांद बहुत दर्द कर रही थी. लेकिन फिर भी मैं उठ कर वापस साहब के ऑफीस में चली गयी. देखा तो साहब पहले से नंगे हो कर अपनी चेर पर बैठे हुए थे. मैं चुप-छाप जेया कर उनके कदमों में बैठ गयी, और उनका लंड अपने मूह में लेकर चूसने लगी.

साहब खुश हो गये, और मेरे बालों में हाथ फेरते हुए बोले: साली रांड़, तुझे ज़लील करने में अलग ही मज़ा आता है. कसम से मस्त रॅंड है तू.

मैं भी साहब को खुश देखते हुए, उनका लंड चूस्टी हुई बोली: साहब आप जो चाहते हो कर लेते हो. पर आप मेरा काम कब करोगे साहब? मेरी मा की हालत खराब हो रही है आप जानते हो.

तभी अचानक साहब गुस्सा हो गये, और खड़े हो कर चलने लगे. मैं कुटिया की तरह उनके पीछे दौड़ी, और उनके पैरों में गिर के बोली-

मैं: साहब माफ़ कर दो, ग़लती हो गयी. पर आप ऐसे मत कीजिए साहब. मुझे बहुत ज़रूरत है आपकी साहब.

तभी साहब ने मेरे बाल पकड़े, मुझे खड़ा किया. फिर पीछे आ कर मेरी गांद में एक-दूं से अपना लंड डाल दिया, और छोड़ने लग गये.

उनके अचानक किए हमले से मैं चौक गयी. मैं आँखें चौड़ी करके आ आहह आह साहब अहह आराम से साहब अया आहह ऐसे करते हुए उनसे चूड़ने लगी. साहब मेरे बाल पकड़े हुए मेरी गांद पर मारे जेया रहे थे. और मैं बस आ ह साहब आराम से, आ आहह मारिए मत, आह आह साहब बस साहब, ऐसे ही किए जेया रही थी.

तभी दरवाज़े पर कोई आया और बोला: साहब मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत है.

तो साहब ने उसे अंदर बुला लिया. मैने देखा तो वो मेरे बगल में ही रहने वाला लड़का था. वो मुझे देख रहा था, और मैं उससे नज़रें चुराए बस आह ह साहब ह आराम से मलिक आह आ बस ऐसे ही किए जेया रही थी.

तभी साहब ने मुझे छोड़ते हुए उसके हाथो में कुछ पैसे दिए. फिर वो वहाँ से चला गया. उसके बाद साहब मुझे वैसे ही आधा घंटा पेलते रहे. वो मेरी गांद में ही अपना पानी छ्चोढ़ कर, मुझे ऑफीस बंद करके घर जाने को बोल दिए.

फिर मैं उठी, साहब का ऑफीस बंद किया, और वहाँ से अपने घर चली गयी. वहाँ जेया कर देखती हू तो घर के सामने बहुत भीड़ लगी हुई थी. और मेरी मम्मी पापा दोनो भी घर में नही थे.

मैने पूछा तो बस्ती वालों ने बोला की पापा को अचानक कुछ हो गया था, इसलिए उनको हॉस्पिटल ले गये थे. मैं वहाँ गयी और देखा तो पापा को अड्मिट किया हुआ था. डॉक्टर ने बताया की उनको हार्ट अटॅक आया था, और ऑपरेशन के लिए 20000 भरने पड़ेंगे.

मेरे पास सुबह साहब के दोस्त ने छोड़ने के बाद जो पैसे दिए थे, वहीं थे. मैने वो डॉक्टर को दिए, तो उन्होने कहा की हम ऑपरेशन शुरू तो कर देंगे. बुत इससे काम नही होगा.

मैने कहा: आप तैयारी कीजिए, मैं पैसे लेकर आती हू.

मैने सोचा मैं सीधे साहब के घर ही चली जाती हू. वहाँ जेया कर साहब से भीख माँग लूँगी. कुछ भी करूँगी, पर पैसे लेकर अवँगी. फिर मैं दौड़ते हुए साहब की कोठी पर पहुँची.

देखा तो उसके बाहर काफ़ी गाड़ियाँ खड़ी थी, और अंदर से गानो की आवाज़ आ रही थी. मैं डरते हुए अंदर चली गयी, और दरवाज़ा बजाया. तभी एक तगड़े से आदमी ने दरवाज़ा खोला, और वो मुझे घूरते हुए देखने लगा.

मैं आँखें नीची करके डरते हुए बोली: मुझे कॉंट्रॅक्टर साहब से मिलना है. मैं उनके ऑफीस में काम करती हू.

उसने कहा: वो आज बिज़ी है. आज नही मिलेंगे.

मैं उनके पैरों में गिरर गयी, और बोली: प्लीज़ आप साहब को बुला लो. मुझे उनकी मदद की ज़रूरत है. मेरे पापा को अचानक हार्ट अटॅक आया है. इलाज के लिए पैसे चाहिए, और उन्होने मुझे 10 लाख रुपय देने का वादा किया था.

तभी उस आदमी ने मेरी गांद पर हाथ डाला, और मेरी गांद दबाते हुए बोला: कोई बात नही, मिल जाएँगे तुझे 10 लाख. पर हम सब आदमियों को खुश करना पड़ेगा तुझे. देख हम 10 लोग है. रात भर तेरे साथ जो चाहे करेंगे. और सुबह तू अपने साथ 10 लाख रुपय ले जेया सकती है.

मैने बिना कुछ बोले हा कह दिया. जैसे ही मैने हा बोला उस आदमी ने मेरी कुरती और मेरा पयज़ामा दोनो एक झटके में फाड़ दिए, और अब मैं उसके सामने नंगी थी.

फिर उसने मुझे सब के सामने ले जेया कर डाल दिया, और ज़ोर से बोला: ये है हम सब की रांड़. आज की रात इसके साथ कोई भी कुछ भी कर सकता है.

इतना सुनते ही 10 के 10 लोग मेरे उपर जैसे टूट पड़े. सब लोगों ने मुझे धार लिया, और एक-एक करके मेरे मूह में अपना लंड पेलने लगे. मैं 10 लोगों के बीच घुटनो पर बैठी थी. मेरे दोनो हाथो में 2 लंड थे, और मूह में 1 लंड था, जो मूह को गांद समझते हुए अंदर-बाहर हो रहा था.

मैं बस घू-घू करते हुए एक-एक लंड चूस रही थी. कभी मेरे मूह में एक लंड होता तो कभी 2. ऐसे ही 10 मिनिट मैं सब के लंड चूस्टी रही. इतने में एक आदमी मेरे पीछे बैठ गया, और अचानक उसने अपना लंड पीछे से मेरे गांद में उतार दिया.

वो मेरी गांद पर थप्पड़ मारते हुए मेरी गांद छोड़ने लगा था, और मेरा मूह पकड़ कर मुझे लंड के उपर दबा रहा था. मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही थी. मैं उम्म उम्म उम्म किए जेया रही थी. इतने में उस आदमी ने मेरे मूह में ही अपना पानी छ्चोढ़ दिया, और मुझे वो पीना पड़ा.

फिर उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया, और तभी वापस वो सब के सामने ही मेरे मूह पर मूतने लगा, और मुझे नहलाने लगा. उसके आयेज उन्होने रात भर कैसे मेरी हालत खराब की, और क्या किया, वो मैं नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी. सेक्स स्टोरी अची लगे तो रिप्लाइ करना ज़रूर.

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