मेरी सेक्स कहानी अब आयेज से-
जैसे ही मैं सेठ के घर से वापस आई, मैं अपने काम पर चली गयी. काम पर आई तो कॉंट्रॅक्टर साहब पहले ही आ चुके थे. मैने अपना काम चालू किया, और तभी साहब आए और बोले-
सिर: रीना तुम मेरा ऑफीस सॉफ करो, मेरी मीटिंग है.
तो मैं ऑफीस में चली गयी, और नीचे घुटनो पर बैठ कर सफाई कर रही थी. तभी साहब पीछे से आ गये, और मुझे वैसे ही पकड़ लिए. मैं दर्र गयी. पीछे देखा तो साहब थे.
वो बोले: साली जब से तुझे छोड़ा है, रहा नही जाता. कल कहाँ गयी थी रांड़?
और तभी वो मेरी सारी पीछे से उठाने लगे, और वैसे ही मेरी छूट चाटने लगे.
मैं: आ आ साहब, आह साहब (मैं ऐसे सिसकने लगी).
पर साहब लगे हुए थे. अचानक उन्होने मूह निकाला, और एक झटके में ही अपना लंड डाल दिया. मैं आयेज की तरफ गिर गयी, और मेरे मूह से आवाज़ आई-
मैं: अहह अहह आराम से ना साहब. अहह आप रग़ाद देते हो मुझे पूरी. साहब आराम से.
पर वो नही माने, और वहीं फर्श पर मुझे 20 मिनिट लगातार छोड़ते रहे. उसके बाद उन्होने मुझे उठाया, और एक खिड़की पर हाथ रखवा कर झुका दिया, और फिर से छोड़ने लगे. मैं बस अपनी आवाज़ दबा रही थी, क्यूंकी बाहर लोग थे.
पर तभी सिर अचानक मेरी पीठ पे काटने लगे, और मेरे बूब्स ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे. मैं जैसे-तैसे अपनी आवाज़ रोकने लगी. तभी अचानक ऑफीस का दरवाज़ा खुला और कोई अंदर आया. साहब मुझे खिड़की को लगा कर छोड़ रहे थे, और वो हमारे पीछे खड़े हुए थे.
उसने सिर को आवाज़ दी, तो सिर ने कहा: चेर पर बैठो, मैं आता हू.
उसके बाद सिर ने मुझे छ्चोड़ दिया, और फिर बाहर भेज दिया.
सिर बोले: जेया, जेया कर मेरी टेबल के नीचे बैठ.
मैने वैसे ही किया, बुत वो आदमी मुझे घूरे जेया रहा था. सिर आते ही कुर्सी पर बैठ गये, और अपना लंड निकाल कर उसके सामने मेरे मूह में दे दिया. मैं किसी रंडी की तरह कुटिया बन कर उनका लंड चूस रही थी. ये नज़ारा देख कर शायद उस लड़के का भी मॅन होने लगा.
वो पीछे से अपने पैरों से मेरी छूट को सहलाने लगा. मेरे मूह से बस गप्प-गप्प की आवाज़ निकल रही थी. जैसे ही सिर की बात हुई, सिर ने उपर से कुछ इशारा किया, और सिर बाहर चले गये. उनके जाने के बाद मैं भी टेबल के नीचे से बाहर निकल गयी, और बाहर जाने लगी.
तभी उस आदमी ने मुझे दरवाज़े पे दबोच लिया, और मुझे चूमने लगा. वो मेरे बूब्स दबाने लगा. पर मैने माना कर दिया, और उनको डोर कर दिया.
वो बोले: क्या हुआ रंडी? अभी तो मेरे सामने चुड रही थी. अभी क्यूँ नखरे दिखा रही है रांड़?
तभी मैं बोली: तुमने ही तो बोला रांड़ हू मैं. तो बिना पैसे के छोड़ने कैसे डू? साहब तो मुझे 5 लाख देने वाले है. तुम दोगे तो बोलो? तुम्हे जो चाहिए मैं दूँगी.
उसने अपनी जेब से एक बंड्ल निकाला, और मेरे ब्लाउस में डाल दिया. फिर मेरे ब्लाउस के बटन्स तोड़ दिए. मैं कुछ बोलती उससे पहले ही वो मेरे बूब्स काटने लगे, चूसने लगे.
मैं: बस, ह ह आराम से ना. साहब अहह आराम से चूसो ना, दर्द होता है साहब.
वो बोले: साली 10000 लिए है तूने, अभी तो तुझे रंडी बनौँगा. अभी मज़ा आया तो तुझे 5 लाख भी दूँगा साली रांड़.
मैं: ठीक है साहब, कर लो जो चाहो आह अहह.
फिर वो मेरी नेक पर, गालों पर काटने लगे, और मेरे मूह में थूक दिया. उसके बाद नीचे बिता कर अपना लंड मेरे मूह डाल दिया. मेरे मूह से गप्प गप्प की आवाज़ आने लगी. 10 मिनिट तक मेरा मूह छोड़ने के बाद उन्होने मुझे वहीं दीवार पर झुका दिया, और पीछे से मेरी छूट मारने लगे ज़ोर ज़ोर से. मेरी गांद अभी तक बची हुई थी.
उसके बाद उन्होने मुझे वहीं 10 मिनिट छोड़ा, और फिर मुझे पूरी नंगी करके उसी टेबल पर घोड़ी बना दिया, जिसके नीचे मैं साहब का लंड चूस रही थी. मैं वहाँ घोड़ी बन गयी, और तभी वो साहब मेरी गांद पर लंड लगाने लगे. फिर मैं झटके से घूम गयी और बोली-
मैं: नही साहब नही, गांद नही मार्व्ौनगी अभी. आप चाहो तो रात को कहीं बाहर बुला कर गांद मार लो, यहाँ नही.
और मैं फिर कुटिया बन गयी. फिर वो साहब मुझे वहीं पर कुटिया बना कर छोड़ने लगे. उसके बाद सिर मुझे वहीं पर छोड़े और बाद में मेरे मूह में अपना पूरा पानी छ्चोढ़ दिया, और अपना लंड सॉफ करके वो चले गये.
फिर मैने ऑफीस पूरा सॉफ किया, और पोछा लगाया. उसके बाद मुझे बहुत भूख लगी थी. मुझे पता ही नही चला 2 बाज गये थे चूड़ते-चूड़ते. फिर मैं खाना खाने चली गयी.
खाना खाने बैठी थी तब तक मंजू आई और बोली: रीना, साहब बुला रहे है तुम्हे. गुस्से में है बहुत.
मैने कहा: खाना खा रही हू मैं, खाना खा कर आती हू. बोल देना साहब को. तक गयी हू काम करके.
मंजू बोली: हा पता है, बहुत पेला होगा ना दोनो ने (और हेस्ट हुए चली गयी)?
मैं खाना खाने लगी. पर तभी साहब आए, और मुझे गुस्से से देखने लगे. साहब को देख कर सब लोग खड़े हुए थे. मैं भी खड़ी थी. साहब ने मुझे आवाज़ लगाई और बोले-
सिर: रीना चल ऑफीस में, काम है.
मैं धीमी आवाज़ में बोली: खाना खा कर आती हू साहब, भूख लगी है बहुत.
लेकिन साहब नही माने. वो गुस्से में आयेज बढ़े, और मेरे पास आके मेरे बाल पकड़ लिए और बोले-
सिर: साली रांड़, बोला ना तुझे चल, तो चल. नखरे मत कर.
और वो मेरे मूह पर थूक दिए. मैं गुस्से में थी, पर क्या करती? मैं जाना नही चाहती थी. साहब ने मुझे फिर से कहा चलने को, लेकिन मैं नही गयी. उसके बाद साहब गुस्सा हो गये, और मुझे वहीं पर झुका दिया. फिर अपनी पंत खोल दी, और सब के सामने मेरा मूह छोड़ने लगे.
मुझे बहुत शरम आ रही थी. 2 मिनिट के बाद उन्होने मेरा मूह छ्चोढा, और वहीं सब के सामने मुझे घोड़ी बनाया, और ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगे, गालियाँ देने लगे.
सिर: साली रांड़, मुझे नखरे दिखती है हा. भूल गयी तू रंडी है मेरी? तूने बोला था मैं जो बोलूँगा तू वो करेगी? साली चल अब ले इन सब के सामने मेरा लंड.
मैं: आ आ माफ़ कर दो मुझे, मैं अंदर चलती हू साहब. सब के सामने ऐसे ज़लील मत करो साहब.
पर साहब नही माने. अचानक उन्होने अपना लंड मेरी छूट से निकाला, और मेरी गांद पर थूक दिया. मैं समझ गयी अब गांद की बारी थी. मैं माना करने लगी, पर साहब नही माने. उन्होने अपने लंड पर थूक लगाया, और मेरी गांद में लंड डालने लगे.
मुझे बहुत दर्द हुआ और मैं चिल्लाई: आह आ मॅर गयी ह छ्चोढ़ दीजिए साहब. अहह मैं आपसे चूड़ने के लिए तैयार हू साहब. ऑफीस में चलिए ना साहब.
पर वो नही माने. उन्होने वहीं सब के सामने मेरी गांद से खून निकालने तक छोड़ा. और फिर सब के सामने मेरे मूह पर अपना पानी निकाल कर मुझे रंडी की तरह वहीं छ्चोढ़ कर चले गये.
उसके बाद मैं उठी, अपने कपड़े सॉफ किए, तो मंजू और दूसरी लड़कियाँ आई मुझे सहारा देने लगी. उन्होने बताया ये कॉंट्रॅक्टर ऐसा ही आदमी है, मेरी मम्मी के साथ भी बहुत करता था.
उसके बाद ऐसे ही महीना गुज़र गया, और मैं साहब के पास अपने पैसे माँगने उनके घर पर चली गयी. वहाः कैसे उन्होने मुझे अपने दोस्तों से रात भर चुडवाया, और फिर मुझे 5 लाख रुपय दिए, वो मैं नेक्स्ट पार्ट में बताती हू.